मित्रों।
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें
और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
--
”सनकी प्रवृति के होते हैं आर्मी वाले।”
महिला ने तेज़ रफ़्तार से चलती ट्रेन में बर्थ के नीचे चप्पल खिसकाते हुए कहा।
सैनिक ने महिला के शब्दों को अनसुना करते हुए,डिब्बे में नज़र दौड़ाई और बच्ची से कहा-
"तुम सो जाओ, मैं यहीं तुम्हारे पास बैठा हूँ।” अचानक बच्ची ने पैर सीधे किए।वह सीट से उठकर, सीट के पास वहीं नीचे बैठ गया।
”यह क्या तरीक़ा है, बीच में क्यों बैठे हो? अपनी बर्थ पर जाइए!”
--
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') उच्चारण
--
मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह की पाँच बाल कविताएँ
उठो लाल अब हुआ सवेरा
चिड़ियों ने डाला है डेरा,
किरणें भी द्वारे तक आयींं
लगा रहीं धरती पर फेरा ।
--
डूब कर ही कोई ला सका है गुहर चढ़ते दर्या को इक दिन है जाना उतर
जान कर भी तू अनजान है बेख़बर
यूँ ही साहिल पे आते नहीं खुद ब खुद
डूब कर ही कोई एक लाता गुहर
गीत ग़ज़ल और माहिया आनन्द पाठक
--
लेपाक्षी मंदिर का हवा में झूलता खंबा
जमीन से करीब आधा इंच उठा हुआ स्तंभ |
इस मंदिर का जिक्र रामायण में भी मिलता है ! यही वह जगह है जहां रावण से युद्ध के दौरान जटायु घायल हो गिर गए थे ! जब श्री राम सीता जी को खोजते यहां पहुंचे तो उन्होंने घायल जटायु को गोद में ले सहारा देते हुए कहा था, पक्षी उठो-पक्षी उठो ! तेलगु भाषा में इसका अनुवाद लेपाक्षी होता है, इसीलिए इस जगह का नाम लेपाक्षी पड़ा। इसी जगह जटायु जी ने श्रीराम को सारी घटना बता परलोक गमन किया था !
--
जो व्यक्ति अपनी भावनाओं को कंट्रोल करना जानते हैं .
--
लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक के उपन्यास का प्री ऑर्डर शुरू
अपराध साहित्यकार सुरेन्द्र मोहन पाठक (Surender Mohan Pathak) अपने प्रशंसकों के बीच खासे प्रसिद्ध हैं। उनकी पुस्तकों का उनके प्रशंसकों का बेसब्री से इंतजार रहता है। फिर चाहे वो उनकी नई किताब हो या वर्षों से आउट ऑफ प्रिन्ट रही उनकी पुस्तकें, पाठक इनका इंतजार करते हैं।
--
ज़िंदगी में खुश रहने के तरीके खोजें
ज़िंदगी में खुश रहने के तरीके खोजें........
तकलीफें तो
आपको खोज ही लेती हैं.....
--
टाँक दिया रूह को उस पीपल की शाखों पर l
दर्द कभी रिस्ता था जिसकी कोमल डालों से ll
सावन में भी पतझड़ बातों से
मुरझा गया पीपल l
सूना हो गया चौराहा उजड़ गया
पीपल राहों से ll
मनोज कयाल
--
आखिर तुम कब खोलोगे ?
बिखरे हुए अक्षरों का संगठन राजेन्द्र सिंह कुँवर फरियादी
--
मेहंदी डिज़ाइन- भाग 10 (mehndi design- part 10)17 अक्टूबर 2018 को करवा चौथ का व्रत हैं। आइए, इस करवा चौथ पर हाथों पर सुंदर-सुंदर मेहंदी डिजाइन सजाकर अपने रिश्तों को महकाइएं...
(1)
--
जीने की तैयारी में ही
लग जाती है सारी ऊर्जा
घर को सजाते-सँवारते
थक जाते हैं प्राण
मन को सहेजते-सहेजते
चुक जाती है शक्ति
--
समय के साथ किसी की भी सीरत उसकी सूरत से झलकने लगती है..
--
--
हिन्द-पाक सीमा पर चौकी नं. CZ 3, संध्या-काल — Gajendra Bhatt
--
ऑफ़िस का मौन.. लघुकथा “तुम कहती हो कि मेरे अंदर धैर्य नहीं, बिलकुल भी संयम नहीं ! अरे तुम क्या जानो ? जनोगी-सुनोगी-समझोगी, तभी न ! कितना वर्कलोड होता है ऑफ़िस में. उसपे खूसट बॉस की किचकिच । कितना मौन, कितना धैर्य रखे इंसान ।” गागर में सागर जिज्ञासा सिंह
--
--
जब नागपंचमी के दिन नारायणदत्त तिवारी ने मुलायम से दूध पीने के लिए कहा
--
आज के लिए बस इतना ही...।
--
बहुत सुंदर चर्चा। सभी रचनाएँ शानदार।
जवाब देंहटाएंसुंदर रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। हमारी पोस्ट को अंक में स्थान देने हेतु आभार।
जवाब देंहटाएंसराहनीय रचनाओं के सूत्र सुझाती बहुत श्रम से सजायी गयी सुंदर चर्चा ! आभार मुझे भी इसमें शामिल करने हेतु शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनाओं से सजा बहुत सुन्दर चर्चा अंक! मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए आ. शास्त्री जी का हार्दिक आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंस्थान देने हेतु हार्दिक आभार सर।
सादर
सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएं