फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, अक्टूबर 12, 2022

"ब्लॉग मंजूषा" (चर्चा अंक-4579)

 मित्रों।

बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें 

और सकारात्मक टिप्पणी भी दें। 

--

सफ़र के राही 

       ”सनकी प्रवृति के होते हैं आर्मी वाले।”

 महिला ने तेज़ रफ़्तार से चलती ट्रेन में बर्थ के नीचे चप्पल खिसकाते हुए कहा।

 सैनिक ने महिला के शब्दों को अनसुना करते हुए,डिब्बे में नज़र दौड़ाई और बच्ची से कहा-

 "तुम सो जाओ, मैं यहीं तुम्हारे पास बैठा हूँ।” अचानक बच्ची ने पैर सीधे किए।वह सीट से उठकर, सीट के पास वहीं नीचे बैठ गया।

”यह क्या तरीक़ा है, बीच में क्यों बैठे हो? अपनी बर्थ पर जाइए!”

अवदत् अनीता 

--

कविता "सुमन इकट्ठे रहें" 

चार उँगलियाँ और अँगूठा,
मिलकर बन जाता है घूँसा।
सुमन इकट्ठे रहें जहाँ पर,
वो कहलाती है मंजूषा।। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') उच्चारण 

--

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह की पाँच बाल कविताएँ 

1- उठो लाल अब हुआ सवेरा--

उठो लाल अब हुआ सवेरा

चिड़ियों ने डाला है डेरा,

किरणें भी द्वारे तक आयींं

लगा रहीं धरती पर फेरा । 

साहित्यिक मुरादाबाद 

--

डूब कर ही कोई ला सका है गुहर चढ़ते दर्या को इक दिन है जाना उतर

जान कर भी तू अनजान है बेख़बर

यूँ ही साहिल पे आते नहीं खुद ब खुद

डूब कर ही कोई एक लाता  गुहर 

गीत ग़ज़ल और माहिया आनन्द पाठक

--

लेपाक्षी मंदिर का हवा में झूलता खंबा 

जमीन से करीब आधा इंच उठा हुआ स्तंभ 

दक्षिण भारत का लेपाक्षी मंदिर ! कुर्मासेलम की पहाडियों पर बना कछुए के आकार का यह पूजास्थल पुरातन काल से अपने खंभों की विशेषता के कारण आज तक लोगों की उत्सुकता का व‍िषय बना हुआ है। बड़े अचंभे की बात है कि 70 खंभों पर बने इस मंदिर का एक खंभा जमीन को छूता ही नहीं है बल्कि उससे करीब आधा इंच ऊपर हवा में झूलता रहता है। यही वजह है कि इस मंदिर को हैंगिंग टेंपल के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के ये अनोखे खंभे आकाश स्तंभ के नाम से भी जाने जाते हैं। 

इस मंदिर का जिक्र रामायण में भी मिलता है ! यही वह जगह है जहां रावण से युद्ध के दौरान जटायु घायल हो गिर गए थे ! जब श्री राम सीता जी को खोजते यहां पहुंचे तो उन्होंने घायल जटायु को गोद में ले सहारा देते हुए कहा था, पक्षी उठो-पक्षी उठो ! तेलगु भाषा में इसका अनुवाद लेपाक्षी होता है, इसीलिए इस जगह का नाम लेपाक्षी पड़ा। इसी जगह जटायु जी ने श्रीराम को सारी घटना बता परलोक गमन किया था !  

कुछ अलग सा 

--

जो व्यक्ति अपनी भावनाओं को कंट्रोल करना जानते हैं . 

जो व्यक्ति अपनी भावनाओं को कंट्रोल करना जानते हैं दिल के बहुत अच्छे भी होते हैं और बहुत खतरनाक होते हैं। क्योंकि जो व्यक्ति अपने भावनाओं को कंट्रोल में रखता है ऐसे लोग खतरनाक इसलिए मैं बोल रहा हूं क्योंकि इनके लिए ऐसा करना कोई बड़ी बात नहीं होगी क्योंकि जब इनकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है और जब सीमाओं से भी ऊपर उठ जाते हैं तो यह किसी को भी छोड़ देते हैं फिर पीछे मुड़कर नहीं देखते इसलिए ऐसे लोग खतरनाक होते हैं।  

--

लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक के उपन्यास का प्री ऑर्डर शुरू 

अपराध साहित्यकार सुरेन्द्र मोहन पाठक (Surender Mohan Pathak) अपने प्रशंसकों के बीच खासे प्रसिद्ध हैं। उनकी पुस्तकों का उनके प्रशंसकों का बेसब्री से इंतजार रहता है। फिर चाहे वो उनकी नई किताब हो या वर्षों से आउट ऑफ प्रिन्ट रही उनकी पुस्तकें, पाठक इनका इंतजार करते हैं।

एक बुक जर्नल 

--

ज़िंदगी में खुश रहने के तरीके खोजें 

 ज़िंदगी में खुश रहने के तरीके खोजें........

तकलीफें तो

आपको खोज ही लेती हैं.....

 

AAJ KA AGRA 

--

वैतरणी 

टाँक दिया रूह को उस पीपल की शाखों पर l

दर्द कभी रिस्ता था जिसकी कोमल डालों से ll

सावन में भी पतझड़ बातों से 

मुरझा गया पीपल l 

सूना हो गया चौराहा उजड़ गया 

पीपल राहों से ll 

मनोज कयाल

RAAGDEVRAN 

--

खिड़कियाँ 

आखिर तुम कब खोलोगे ?

खिड़कियाँ!
अपने मन मस्तिष्क की।

कानून, न्याय और अधिकार
सब पर आधिपत्य है तुम्हारा!

अपनी उलझनों पर तुम
चटकनियाँ चढ़ा के बैठे हो,
तुम्हारे हाथ मे कुछ नही
ये किस कंठ से कहते हो! 

बिखरे हुए अक्षरों का संगठन राजेन्द्र सिंह कुँवर फरियादी

--

मेहंदी डिज़ाइन- भाग 10 (mehndi design- part 10)17 अक्टूबर 2018 को करवा चौथ का व्रत हैं। आइए, इस करवा चौथ पर हाथों पर सुंदर-सुंदर मेहंदी डिजाइन सजाकर अपने रिश्तों को महकाइएं... 

(1) 

 आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल 

--

अभी शेष है जीना 

जीने की तैयारी में ही 

लग जाती है सारी ऊर्जा 

घर को सजाते-सँवारते 

थक जाते हैं प्राण 

 मन को सहेजते-सहेजते  

चुक जाती है शक्ति

मन पाए विश्राम जहाँ 

--

समय के साथ किसी की भी सीरत उसकी सूरत से झलकने लगती है.. 

कल मालिक मोहम्मद जायसी का 
जन्म दिवस था..!
मुझ पर हंसा या उस कुम्हार पर 
जिसने हम सबको बनाया है..
इस पर शेरशाह ने लज्जित होकर 
क्षमा मांगी..।
..लेकिन जायसी जी की 
जो एकमात्र तस्वीर प्रचारित है 
वह एक सुन्दर युवक की तस्वीर है ।
सही कहा गया है ...
समय के साथ किसी की भी सीरत उसकी सूरत से झलकने लगती है..! 

कोलाहल से दूर  

--

रिति अँजुरी 

तुमने प्रेम मांगा 
मैंने अंजुरी भर कर दिया 
तुमने सहारा मांगा 
मैंने अपने आंँचल को 
फैला दिया 
तुमने दुख में साथ मांगा  

कावेरी 

--

सज्जनता का दण्ड (कहानी) 

(1)

हिन्द-पाक सीमा पर चौकी नं. CZ 3, संध्या-काल — Gajendra Bhatt 

--

ऑफ़िस का मौन.. लघुकथा “तुम कहती हो कि मेरे अंदर धैर्य नहीं, बिलकुल भी संयम नहीं ! अरे तुम क्या जानो ? जनोगी-सुनोगी-समझोगी, तभी न ! कितना वर्कलोड होता है ऑफ़िस में. उसपे खूसट बॉस की किचकिच । कितना मौन, कितना धैर्य रखे इंसान ।” गागर में सागर जिज्ञासा सिंह

--

गमज़दा घर ! 

उस मकान से
कभी आतीं नहीं 
ऐसी आवाजें
जिनमें खुशियों की हो खनखनाहट।
खामोश दर,
खामोश दीवारें, 
बंद बंद खिड़कियाँ,
ओस से तर हुई छतें
शायद रोई हैं रात भर । 

hindigen 

--

जब नागपंचमी के दिन नारायणदत्त तिवारी ने मुलायम से दूध पीने के लिए कहा 

--

आज के लिए बस इतना ही...।

--

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर चर्चा। सभी रचनाएँ शानदार।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। हमारी पोस्ट को अंक में स्थान देने हेतु आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. सराहनीय रचनाओं के सूत्र सुझाती बहुत श्रम से सजायी गयी सुंदर चर्चा ! आभार मुझे भी इसमें शामिल करने हेतु शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर रचनाओं से सजा बहुत सुन्दर चर्चा अंक! मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए आ. शास्त्री जी का हार्दिक आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर संकलन।
    स्थान देने हेतु हार्दिक आभार सर।
    सादर

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।