सादर अभिवादन।
रविवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
शीर्षक व पद्यांश आदरणीया कल्पना मनोरमा जी के ब्लॉग कस्तूरिया से -
भोर का बालपन
घुटनों के बल चलकर आया था
उस रोज़ मेरी दहलीज़ पर
गोखों से झाँकतीं रश्मियाँ
ममता की फूटती कोंपलें
उसकने लगी थीं मेरी हथेली पर
बदलाव की उस घड़ी में
छुप गया था चाँद, बादलों की ओट में
सांसें ठहर गई थीं हवा की
बदल गया था
भावों के साथ मेरी देह का रंग
मैं कोमल से संवेदनशील
और पत्नी से माँ बन गई।
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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उच्चारण: दोहे "छठ माँ का त्यौहार"
भारत में अब हो गया, छठ माँ का उद्घोष।
लोगों का त्यौहार में, रहे न खाली कोष।।
उगते ढलते सूर्य का, छठपूजा त्यौहार।
जन गण-मन में मात हैं, श्रद्धा का आधार।।
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इससे परे _
यदि तुम अपनी जगह सही हो
पर बातों, चीजों को
तुम ही सही करना चाहते हो
_ तब तुम्हें कृष्ण से सीखना होगा
पांच ग्राम जैसा प्रस्ताव ही सही होगा
अर्थात बीच का वह मार्ग,
जिसमें सम्मानित समझौता हो,
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कितना भी हो
पीढ़ियों का अंतर
उन्हें प्रेम का तंतु जोड़े रहता है
क्या कहें, कितना कहें
यह ज्ञान नहीं होता
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मैं चाहूँ....
ह्रदय पर तेरे, कोई प्रीत न हो अंकित,
कहीं, मेरे सिवा,
और, कोई गीत न हो अंकित!
बस, सुनती रहो तुम,
और मैं गांऊँ!
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ममता की फूटती कोंपलें
उसकने लगी थीं मेरी हथेली पर
बदलाव की उस घड़ी में
छुप गया था चाँद, बादलों की ओट में
सांसें ठहर गई थीं हवा की
बदल गया था
भावों के साथ मेरी देह का रंग
मैं कोमल से संवेदनशील
और पत्नी से माँ बन गई।
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सपने आते हैं जैसे
उकेरती हैं उँगलियाँ गीली माटी में
रूहानी सी लकीरें .
गीला मन माटी सा .
सपने उस पर लिख देते हैं .
एक और गीत
उम्मीद का , इन्तज़ार का .
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अदावत भी है और मोहब्बत भी
ज़िन्दगी दर्द भी है खूबसूरत भी।
शबे-रोज पढ़ता हूँ तुम्हारी आँखें
ये शरारत भी है और मोहब्बत भी।
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वोट सगा है इनका
वादे इनके झूठे
निर्धन देखें सपने
देव रहें बस रूठे
भूखों की बस्ती में
ट्रक शराब उड़ेली।
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जिस तरह गायों में कामधेनु श्रेष्ठ मानी जाती हैं वैसे ही बैलों में नंदी को श्रेष्ठ माना गया है। आम तौर पर बल और शक्ति के प्रतीक, शांत और खामोश रहने वाले बैल का चरित्र उत्तम और समर्पण भाव वाला माना जाता है। पर मोह-माया और भौतिक इच्छाओं से परे रहने वाला यह प्राणी जब क्रोधित होता है तो शेर से भिड़ने में भी नहीं कतराता ! शिवजी का वाहन नंदी पुरुषार्थ अर्थात परिश्रम का साक्षात प्रतीक है...........!
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बहुत सार्थ चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार @अनीता सैनी 'दीप्ति' जी।
वाह! सुंदर चयन।
जवाब देंहटाएंसराहनीय रचनाओं के सूत्र सुझाती सार्थक चर्चा, आभार !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार सखी सादर
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा प्रस्तुति
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