सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
शीर्षक व पद्यांश आदरणीया सरिता सैल जी की कविता 'सपनो का मर जाना ' से
सपनों का मर जाना
वाकई बहुत खतरनाक होता है
वह भी ऐसे समय में
जब बडे़ मुश्किल से
तितली संभाल रही हैं
अपने रंगों का साम्राज्य
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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उच्चारण: दोहे "शरद पूर्णिमा पर बादलों में बन्दी मयंक"
शरद पूर्णिमा पर घिरा, घन से आज मयंक।
फिर से वापिस आ गई, सरिताओं में पंक।।
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फसल खेत में भीगती, कृषक रहे अकुलाय।
कैसे मन के छन्द को, रचें आज कविराय।।
फिर से वापिस आ गई, सरिताओं में पंक।।
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फसल खेत में भीगती, कृषक रहे अकुलाय।
कैसे मन के छन्द को, रचें आज कविराय।।
हाँ वह एलेक्सा है,
आज की नहीं
बल्कि वह तो वर्षों से है।
वह एलेक्सा पैदा नहीं हुई थी,
माँ की मुनिया,
बापू की दुलारी,
विदा हुई जब इस घर से,
तब पैदा हुई एलेक्सा।
निर्माण हो रहा है मुश्किल
से गर्भ में शिशु
और जद्दोजहद करके
नदी बना रही हैं
अपना रास्ता
दोनों पांवों में छाले हैं ,
अधरों पर जकड़े ताले हैं |
दूर दूर तक कहीं जरा भी ,
नहीं दीखते उजियाले हैं |
असल में दुःख बाहर नहीं,
उसके अंदर ही था,
स्वर्ग में भी सुखी होना
उसके वश में नहीं था.
लम्हों का सफ़र: 751. चौथा बन्दर
बापू के तीनों बन्दर
सालों-साल मुझमें जीते रहे
मेरे आँसू तो नहीं माँगे
मेरा लहू पीते रहे
फिर भी मैंने उनका अनुकरण-अनुसरण किया,
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सच का हत्यारा, कब तक
झूठ छल का मारा कब तक
सूरज बन तू उजियारा बांट
यूं, रात का तारा, कब तक
अयोध्या के सम्राट और दशरथ के सपूत भी
अपने ही राज्य मे अब ढूंढ़ते खुद का वजूद भी
कौशल्या के लाडले गुरु विश्वामित्र के प्रिय भी
अगर इतने सोपानों पर आपने शिक्षा का पल्लू थाम लिया तो शिक्षा कहती है,"जिस किसी में हौसला हो आ जाओ मेरी ओर मैं तुम्हें तुम्हारी मंजिल तक पहुँचा दूँगी।" फिर जिसने शिक्षा की हुंकार को सुना वह नामवर हो गया।उक्त आयामों को साथ लेकर सबसे पहले शिक्षा मनुष्य के भीतर जमी रूढ़िवादिता का भंजन करती है। उसे वर्तमान में रहना सिखाती है, self realization जैसे बड़े विषय से रू-ब-रू करवाती है, सही बात पर अड़े रहना और गलत को माफी के साथ स्वीकारना और छोड़ना भी शिक्षा से ही संभव है।
धन्यवाद मेरी रचना शामिल करने के लिए सुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंविविध लिंकों का सुन्दर संकलन।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को चर्चा में स्थान देने हेतु आपका आभार @अनीता सैनी 'दीप्ति' जी।
धन्यवाद आपका रचना शामिल करने के लिए
जवाब देंहटाएंचर्चा में सम्मिलित होकर बहुत अच्छा लगा। सभी रचनाएं सुन्दर और मधुर हैं । शुभ कामनाएं ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा. मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और सुंदर चर्चा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को आज के अंक में शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार Mam
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