सादर अभिवादन।
बुधवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
शीर्षक व पद्यांश आदरणीया प्रतिभा सक्सेना जी की रचना 'बस,अपने साथ' से
बस,अपने साथ
इसी आपा-धापी में कितना जीवन बीत गया -
अरे, अभी यह करना है ,
वह करना तो बाकी रह गया ,
अरे ,तुमने ये नहीं किया?
तुम्हारा ही काम है ,
कैसे करोगी ,तुम जानो!
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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उच्चारण: दोहे "अन्नकूट त्यौहार"
गोवर्धन का पर्व ये, देता है सन्देश।
गोबर के उपयोग से, पावन हो परिवेश।।
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गौमाता से ही मिले, दूध-दही, नवनीत।
सबको होनी चाहिए, गौमाता से प्रीत।।
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दायित्व थे .
निभाती चली गई,
समय नहीं था कि विश्राम कर लूँ.
गति खींचती रही .
थकी अनसोई रातें कहती रहीं थोड़ा रुको,
कि मन का सम बना रहे .
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ज़िन्दगी की परिभाषा, एक मुसाफ़िरख़ाने से
ज्यादा कुछ भी नहीं, किसे ख़बर, कल
सुबह कौन है आनेवाला, कुछ धूसर
आकृतियों के मध्य हैं मौजूद
कुछ रंगीन उपलब्धियां,
ज्यादा कुछ भी नहीं, किसे ख़बर, कल
सुबह कौन है आनेवाला, कुछ धूसर
आकृतियों के मध्य हैं मौजूद
कुछ रंगीन उपलब्धियां,
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यह बूढ़ा दीपक,
जो काला हो गया है,
जल-जल कर हुआ है,
कहीं-कहीं से टूट भी गया है,
यह ऐसा नहीं था,
जब कुम्हार ने इसे बनाया था.
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प्रीत किरण पुंज से चमकते धूमकेतु से l
शिरोधार्य इस मंगल बेला जन कल्याण ll
पिरो लडिया सुन्दर जगमग करते दीपों सी l
उत्सर्ग कर रहा संसार वैमनस्य अंधेरों की ll
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जी, हां ये बात बिल्कुल सच है. जो चीज़ हमारे लिए बेकार है, उससे किसी का आशियाना भी बन सकता है. बहुत साल पहले की बात है. अक्टूबर का ही महीना था. हमने देखा कि कई कबूतर आंगन में सुखाने के लिए रखी झाड़ू की सींकें निकाल रहे हैं. हर कबूतर बड़ी मशक़्क़त से एक सींक खींचता और उड़ जाता. हमने सोचा कि देखें कि आख़िर ये कबूतर झाड़ू की सीकें लेकर कहां जा रहे हैं.
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जब कि यह कानून के मुताबिक गलत था। मैंने उस दिन अदालत जाने का निश्चय किया और अपने सहायक यादव को कहा कि वह 12 बजे तक मेरे मुकदमों की स्थिति बताए। तो यादव ने मुझे बताया कि रीडर से पूछने पर उसने कहा है कि उन केसेज को तो खारिज करने का आदेश कर दिया गया है।
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काश, हम फ़िर से पुराने जमाने की दिवाली मना सकते!! शिर्षक पढ़ कर शायद आप सोच रहे होंगे कि दिवाली तो दिवाली है...उसमें क्या पुरानी और क्या नई? क्या पुराने जमाने की दिवाली नए जमाने की दिवाली से अलग थी? हां दोस्तों, मैं खुद पुराने जमाने की मतलब ज्यादा पुरानी न सही लेकिन 6-8 सालों पहले तक की दिवाली को बहुत मिस कर रही हूं।
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गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँय़
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
आपका आभार @अनीता सैनी 'दीप्ति' जी।
गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
आपका आभार @अनीता सैनी 'दीप्ति' जी।
सुन्दर चर्चा. आभार.
जवाब देंहटाएंआपकी आभारी हूँ 'दीप्तिजी',चर्चा बहुत समयानुकूल और सुरुचिपूर्ण है.
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, अनिता।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा हमारी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार।
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