-“आज तेरी एक चोटी बना देती हूँ .., अभी बहुत काम पड़े
हैं ।” कान पर कंघी रखे माँ रेवा की चोटियाँ खोलती हुई व्यस्त भाव से कहती हैं ।
“नहीं.., दो चोटी और वह भी झूले वाली जो इन्टरवल में सीनियर्स खोल न सके । स्केल से नापती हैं चोटी और पूछती हैं क्या खिलाती हैं तेरी माँ ? तेल कौन सा..,शैम्पू का नाम ..,और देर हो जाएगी तो प्रीफेक्टस रोक लेंगी प्रेयर हॉल के बाहर .., फैशन बना के आती है लम्बे बाल हैं तो .., टीचर की डॉंट अलग से। कम्पलसरी है गुँथी चोटियाँ ।”
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मानवीय रोग और निराकरण प्रयास -सतीश सक्सेना
रोगी को रोग के बारे में बताना और इस तरह बताना कि वह सब ज्ञान भूलकर सिर्फ यह सोचे कि हे डॉक्टर देवता किसी तरह इस बार बचा दे , सर्व शक्तिमान मेडिकल व्यवसाय का एक बड़ा सहारा है , सारा विश्व इसके आगे घुटने टेकने को विवश है , प्रधानमन्त्री , राष्ट्रपति या कोई अरबपति सब इस मृत्यु भय के आगे नाचने लगते हैं जबकि उन्हें इस बात का ज्ञान है कि मैं सामान्य उम्र को पार कर चुका हूँ और मृत्यु आने वाले कुछ वर्षों में होनी ही है , फिर भी आखिरी वक्त ऑपरेशन थिएटर जाने को लालायित रहते हैं कि शायद डॉक्टरों का प्रयत्न उन्हें बचा ले ------------------------------------
मुक्तिएंबुलेंस रुकते ही कमर में जोर का झटका लगा दर्द की एक तीखी लहर रीढ़ में दौड़ गई जिसे अधबेहोशी में भी रीना ने महसूस किया। दरवाजा खुला रोशनी का एक कतरा मुंदी आँखों पर पड़ा उसने आँखों को हथेली से ढंकने का सोचा लेकिन वह इतनी निढाल इतनी बेदम थी कि हाथ हिला भी नहीं सकी । अपने आसपास हलचल सी महसूस की उसने और अचानक लगा जैसे पृथ्वी डोल रही है। उसका पूरा शरीर ही हिल रहा था इस हिलने डुलने में कुछ चेतना सी आई उसने आँखें खोलने की कोशिश की लेकिन तेज रोशनी ने आँखें खोलने नहीं दीं। आसपास तेज आवाजें आ रही थीं जो शोर बन कानों में समा रही थीं लेकिन किसी स्पष्ट रूप में समझ नहीं आ रही थीं।--------------------------------नव परिधान - -
यादों के झरोखों से (कड़ी - ४)श्री रवि प्रकाश अग्रवाल जी प्रतिष्ठित सर्राफ होने के साथ - साथ समाजसेवी और सुंदर लाल इंटर कॉलेज तथा टैगोर शिशु निकेतन जैसे प्रतिष्ठित विद्यालयों के स्वामी तो हैं ही, एक बढ़िया साहित्यकार भी हैं।अब तक उनकी गद्य और कविता की कई किताबें आ चुकी हैं। चूंकि रवि प्रकाश जी स्वयं एक साहित्यकार हैं,वे साहित्यकारों के प्रति विशेष स्नेह और सम्मान का भाव रखते हैं।अपने इसी स्नेह को प्रदर्शित करते हुए उन्होंने २५ नवंबर,२०२१ को राजकली देवी पुस्तकालय में एक शानदार काव्य गोष्ठी का आयोजन कराया था। उस अवसर के कुछ छाया चित्र नीचे साझा किए जा रहे हैं:-----------------
ज़िंदगी मे दो व्यक्ति जीवन को नयी दिशा दे जाते हैं,
ज़िंदगी मे दो व्यक्ति जीवन को नयी दिशा दे जाते हैं,
एक वह जो मौका देता है, दूसरा वह जो धोखा देता है.!
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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दे
आपका दिन मंगलमय हो
कामिनी सिन्हा
बहुत ही सुंदर आज की चर्चा मंच की प्रस्तुति और मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय कामिनी जी
जवाब देंहटाएंविविधताओं से सम्पन्न बेहतरीन सूत्रों से सजी सुन्दर प्रस्तुति में सृजन को सम्मिलित करने के लिए बहुत बहुत आभार कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार 🌹🌹🙏🙏
जवाब देंहटाएंविविधरूपी लिंकों का संकलन।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को चर्चा में स्थान देने हेतु आपका आभार कामिनी सिन्हा जी।
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
देर से आने के लिए खेद है, आभार आपका
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