मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें
और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
--
गीत पथ हमें प्रकाश का दिखला रही दीपावली
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') उच्चारण
--
जगमग दीप जले जब भीतर-बाहर, घर, द्वार, बाज़ार, दफ़्तर सभी जगह स्वच्छता का आयोजन सहज ही होने लगता है तब मानना चाहिए कि दिवाली आने वाली है।दीपावली का पर्व अनेक अर्थों को अपने भीतर धारण किए हुए है। यह राम से संयुक्त है तो कृष्ण से भी, इसमें यम की कथा भी आती है और धन्वन्तरि की भी। दिवाली लक्ष्मी से जुड़ी है तो काली से भी। जीवन में राम का आगमन हो तो अज्ञान का अंधकार दूर हो जाता है और ज्ञान, हर मार्ग को प्रकाशित करता हुआ आगे ले जाता है। इस आनंद को अकेले नहीं सबके साथ मिलकर अनुभव करना है, इसलिए इसमें एक-दूसरे को मिष्ठान व उपहार वितरित करते हैं। गोवर्धन पूजा का संदेश है प्रकृति का आराधन। माटी का एक छोटा सा जलता हुआ दीपक दूर से आकर्षित कर लेता है, फिर आज के दिन तो लाखों दीपक जलाए जाते हैं। मानव तन भी माटी से बना है, जिसमें चेतना की बाती जल रही है, जो स्नेह से प्रदीप्त रहती है। भीतर चैतन्य का दीपक जलता हो तो अंतर में उल्लास कम नहीं होता और सहज ही सब ओर बहने लगता है। सृष्टि में प्रकृति के साथ आदान-प्रदान आरम्भ हो जाता है। डायरी के पन्नों से अनीता
--
दीवाली पर दीप जलाता
मेरा हिंदुस्तान.
सबके दिल में रंग सजाता
मेरा हिंदुस्तान.
कवि जयकृष्ण राय तुषार
--
युगों-युगों की पूर्ण प्रतीक्षा
दूर हुआ जो दर्द सहा
घर-घर दीप जले खुशियों के
चंदन सौरभ पवन बहा।
--
पहले अंतस का तमस मिटा लूँ (कविता) दिवाली
पहले अंतस का तमस मिटा लूँ
तब बाहर दीपक जलाने चलूँ.
गम का अंधेरा घिरा जा रहा हैं,
काली अँधेरी निशा क्यों है आती.
कोई दीपक ऐसा ढूढ़ लाओ कहीं से
नेह के तेल में जिसकी डूबी हो बाती.
अंतस में प्रेम की कोई बूंद डालूँ
तब बाहर का दरिया बहाने चलूँ.
--
1 - 24 अक्टूबर को अमावस्या सांय 5 बजकर 27 मिनट पर आरंभ हो रही है, ऐसे में तुलसी के पत्ते इससे पूर्व ही तोड़कर रख लें.
2- तुलसी को हमारे सनातन धर्म में पूजनीय की संज्ञा दी गई है, ऐसे में तुलसी के पत्ते तोड़ने से पूर्व तुलसी के आगे हाथ जोड़कर श्रद्धा पूर्वक तुलसी से पत्ते तोड़ने की अनुमति मांगनी चाहिए.
3- तुलसी के पत्ते वैसे तोड़ने नहीं चाहिए किन्तु यदि बहुत जरूरत में तोड़ने पड़ जाएं तो तुलसी के पत्ते तोड़ने में नाखून का प्रयोग न करें.
--
इसी संदर्भ में, आजकल कोलकाता में रसगुल्ले वाली चाय ''वायरल'' हो रही है ! हालांकि दोनों का कोई मेल नहीं है फिर भी जो चल जाए वही सफल ! यह अलग बात है कि ऐसे प्रयोग धूमकेतु ही सिद्ध होते हैं फिर भी जब तक हैं, तो हैं ! अब बात आती है कि इसकी ईजाद कैसे हुई ! तो एक बंगाली भद्रलोक, जिनकी अपनी एक अच्छी-खासी चाय की दूकान कोलकाता के साउथ सिटी मॉल के पास है, कहीं जा रहे थे तो एक जगह गर्मागर्म रसगुल्ले बनते देखे ! ज्ञातव्य है कि रसगुल्ला गर्म और ठंडा दोनों स्थितियों में स्वादिष्ट लगता है ! तो वे सज्जन अपने को रोक नहीं सके और रसगुल्ले का सेवन करते हुए चाय भी ले ली ! टेस्ट अच्छा लगा, तभी उनके दिमाग में इस ''फ्युजन'' का विचार आया ! दूसरे दिन अपनी दूकान में उन्होंने अपने मित्रों को अपना आयडिआ पेश किया जो ''वायरल'' हो गया ! बंगाल के भद्र लोगों का प्यार रसगुल्ला और चाय ! एक साथ ! कुछ अलग सा
--
--
6 आसान दिवाली की मिठाई रेसिपी (easy Diwali sweets recipe) दोस्तों, दिवाली में हर घर में मिठाई और नमकीन बनाये जाते है। आपको ब्लॉग में रेसिपी ढूंढने में परेशानी ना हो इसलिए 6 चुनिंदा नमकीन रेसिपिज आज शेयर कर रही हूं ताकि आपका समय बचे। ये रेसिपिज है...सूखी मूंग की दाल का हलवा, शक्करपारे, चाशनी वाली मावा गुजिया, खोया गुलाब जामुन, अनरसा, मैदा के मीठे पेठे। आइए देखते है ये 6 आसान और चुनिंदा मिठाई रेसिपिज...
--
--
काव्य कूची अनिता सुधीर आख्या
--
--
कितनी गिरहें खोली हैं मैंने फिल्मउत्सव नवीं दसवीं में सि एस आर, चंदामामा, पराग पढ़ते पढ़ते कब मायापुरी, सिने व्लिटज, स्टार डस्ट , डेबोनेयर, के माया जाल में फंसी पर फंसते हुए मज़ा बखूब आया !! ' दुल्हन वही जो पिया मन भाए ' यूं तो प्रसाद टाकीज़, बरेली में मेरी ज़िन्दगी की पहली फिल्म थी और जिसके देखने के बाद मम्मा ने चावला रेस्टोरेंट के दो गरम गुलाब जामुन खिलवाये थे। ओह, देखते ही ललचा गई और खाते ही जीभ जल गया पर आह आह करती रही और फिर गुड़ूप से खा लिया। मां ने वह दिन आउटिंग करवाकर खास बना दिया था। Sunehra Ehsaas
--
अमानत में करते नहीं हम ख़यानत
न छोड़ी कभी हमने अपनी शराफ़त
रही चार दिन की मेरी पारसाई
गई ना मेरी बुतपरस्ती की आदत
गीत ग़ज़ल और माहिया आनन्द पाठक
--
--
प्यार की चर्चा प्यार की चर्चा कीजिए पर समय देख कर| समय की नजाकत का बड़ा महत्त्व है | यदि समय का ध्यान न रखा तब कुछ गलत भी हो सकता है |
--
गीत "कृष्ण-कन्हैया के माखन नवनीत बदल जाते हैं"
समय चक्र में घूम रहे
जब मीत बदल जाते हैं।
उर अलिन्द में झूम रहे
नवगीत मचल जाते है।।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
आज के लिए बस इतना ही...!
--
परिचर्चा का सुंदर अंक, वाह वाह।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात तथा आने वाले पर्वों की सभी पाठकों व रचनाकारों को ढेर सारी शुभकामनाएँ! उत्सव के रंगों में रंगी रचनाओं के सूत्र देती सुंदर चर्चा, आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआलोकमय प्रस्तुति, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य धन्यवाद व दीपावली की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर
जवाब देंहटाएंआप सभी को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
आप सभों को असंख्य धन्यवाद व दीपावली की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं