| "चर्चा मंच" अंक-46 चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" आइए आज के "चर्चा मंच" को सजाते हैं- सबसे पहले चर्चा करते हैं “राष्ट्र-पिता महात्मा गांधी जी” की पुण्य-तिथि पर लगीं कुछ पोस्टों की- “ताऊ” गांधी जी को भूल जाये ऐसा तो सम्भव ही नही है-
ॐ जय चिटठा चर्चा.....समीर जी औरज्ञानदत्त पाण्डेय जीआपको समर्पित है..महामहिम समीर लाल जी की आरती पढ़ी मानसिक हलचल पर ..मन अति प्रसन्न हुआ ..सोचा इसको थोड़ा और बढाया जाए... एक दो दिन में पक्की बात है गाकर डालूंगी...फिलहाल आप गुनगुना कर काम चलाइये... आदरणीय समीर जी और आदरणीय ज्ञानदत्त पाण्डेय जी आपको समर्पित है मेरी यह रचना... ॐ जय चिट्ठाचर्चा स्वामी जय चिट्ठाचर्चा तुम्हरे कारण अपना तुम्हरे कारण अपना नहीं बंद हुआ चर्चा ॐ जय चिटठा चर्चा......(वाह..! बहुत खूब!! ये समर्पण बहुत अच्छा रहा!)
ये पोस्ट निकालना क्या होता है ज्ञानदत्त जी? ... एक प्रश्न समीर जी से भीमेरे पोस्ट "मैंने कब कहा कि जिस पोस्ट में मैंने टिप्पणी नहीं की वह "व्यर्थ लेखन" या "निरर्थक पोस्ट"है" में टिप्पणी की हैः :-)अब मैं ठहरा मन्दबुद्धि प्राणी। इस टिप्पणी का अर्थ ही नहीं समझ पाया। मेरे हिसाब से तो मैंने कुछ हास्य जैसी कोई चीज नहीं लिखी थी फिर :-) (हँसने वाला इमोशन) का क्या मतलब हुआ? लगता है कि भूलवश मैंने कुछ भौंडी बात लिख दिया रहा होगा जिससे हँसी आ गई होगी। और यह पोस्ट निकालना? येक्या बला है? मैं तो पोस्ट लिखता हूँ, कभी कभी पोस्ट बन जाती है पर पोस्ट निकालने जैसी किसी प्रक्रिया से बिल्कुल ही अन्जान हूँ।......
एक आलसी का चिठ्ठा... गई भैंस गड्ढे में
|
हँसते रहो Hanste Raho ईब्ब मैं के करूँ?...कित्त जाऊँ?***राजीव तनेजा*** नोट:इस कहानी का विषय और विषयवस्तु कुछ वयस्क टाइप की है...अत: बाद में ये ना कहना कि पहले चेताया नहीं था "गजब का टैम आ ग्या ईब्ब तो...गजब का"..."क्या हो गया ताऊ जी?"..."इस सुसरी...हराम की जणी नै ना जीण जोगा छोड़ेया ओर ना ही मरण जोगा………. | TechTOUCH कहीं आपकी ब्लॉग सामग्री किसी ने चुराई तो नहीं ..अगर चुराई तो आयो पता करें कि किसने चुराई ???आप मेहनत करके अपने ब्लॉग या साईट पर बढ़िया से बढ़िया सामग्री लाते है | और सोचे अगर कोई बिना मेहनत करे, आपकी सामग्री का अपनी साईट पर इस्तेमाल करके वाहवाही लूटे, तो कैसा लगता है ??? वैसे हिंदी में इसे साहित्यिक चोरी (Plagiarism) के नाम से पहले से ही जानते….. |
काव्य मंजूषासृष्टि मेरी गोद में ...![]() जब भी मेरी गोद में मेरा शिशु होता है तुम नगण्य हो जाते हो कहाँ नज़र आते हो तुम मुझे ??…….. | तेताला चिट्ठी चर्चा सुण ल्यो लाला-नई चिट्ठी लाया तेताला (ललित शर्मा)चिट्ठी चर्चा से पहले सुण ल्यो, अपणी चर्चा में हैं दो करेक्टर पहला म्हारा ताऊ और दूसरा रमलू. आपके चिट्ठों की चर्चा ये दोनों ही करेंगे. अब सीन समझा देता हूँ. ताऊ ने अपणी बैठक में खाट डाल रखी है और हुक्का सिलगा रखा है. ताई पीछे झरोखे से घूँघट निकाले देख रही…….. |
कल्पतरु क्या खोया क्या पाया अपनी अभी तक की जिंदगी में…. अपना खुद का निजी हिसाब किताब..आज ऐसे ही अपनी बीती हुई जिंदगी का मतलब निजी हिसाब किताब कर रहे थे। तो हमने पाया कि बहुत कुछ हमने खोया है और बहुत कुछ पाया है। और शायद जो खोया है अब हमें मिल भी नहीं सकता है और जो हमने पाया है कभी भी हमसे छिन सकता है या खो सकता है, शायद यह सभी के साथ होता……… | खेलगढ़ महिला खिलाडिय़ों को आगे लाने जागरूकता जरूरीभारत में कहने को भले आज महिला खिलाड़ी हर खेल में अपने जौहार दिखा रही हैं, लेकिन इसके बाद भी स्थिति यह है कि महिलाएं खेलों में काफी पीछे हैं। अपने देश में खिलाडिय़ों के साथ प्रशिक्षकों को मिलने वाले खेल पुरस्कार भी यह बताते हैं कि महिलाओं की तुलना में…. |
| Dr. Smt. ajit gupta परिवारवाद बनाम केरियरवाद - आज समाचार पत्रों में एक समाचार प्रकाशित हुआ, बी.बी.सी. ने एक सर्वे कराया कि सात मानवीय दुर्गुण यथा लोभ, ईर्ष्या, आलस्य, पेटूपन, वासना, क्रोध और अभिमान कि.. | आलोक स्तम्भ प्रार्थना कोई यांत्रिक वस्तु नहीं है - अहंकार को शून्य करने में प्रार्थना मदद दे सकती है। प्रार्थना कोई यांत्रिक वस्तु नहीं है, वह हृदय की क्रिया है । भगवान की प्रार्थना में सारे भेदों ... |
| मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay. टक टक घडी का जबाब जी - किसी भी पहेली को पुछना तो बहुत आसान है, लेकिन फ़िर उस का जबाब ओर विजेता घोषित करना बहुत कठिन होता है... तो लिये कल की पहेली का जबाब... ओर इस के साथ ही मै कु.. | पराया देश अभी अभी निपटा कर हटा हुं.... - बाप रे पुरे २ घंटे लगे तब जा कर भी शांति नही हुयी, पता नही किस ने मेरे ब्लांग " मुझे शिकायत है" पर तावड तोड टिपण्णियां दे दी मेरी पुरानी पोस्टो पर, मुझे त.. |
| "सच में! " मुगाल्ते - मै नहीं मेरा अक्स होगा, जिस्म नही कोई शक्स होगा. ख्वाहिशें बेकार की है, पानी पे उभरा अक्स होगा. ज़िन्दगी अब और क्या हो, आंखों में तेरा नक्श होगा. गल्तियां.. | झा जी कहिन चढते हैं मोटकार, कभी सायकल भी चढा कीजीए, अरे कभी कभी तो अलानी फ़लानी चर्चा भी पढा कीजीए - चलिए भाई , माना कि अपना कोई ब्रांड नहीं है , माना कि अपना दर्ज़ा भी शायद दोयम-तीयम या पता नहीं कौन कौन सा यम है , मगर अब जो है सो तो है ही , उसे जैसे का त.. | हास्यफुहार सबसे पहले क्या करोगे? - * * *सबसे पहले क्या करोगे?*** * * *फाटक बाबू खदेरन से **–** **“**अगर तुम मेरी जगह मालिक बन जाओ और मैं तुम्हारी जगह नौकर बन जाऊं तो **तुम** सबसे पहले ... |
| स्वप्नलोक कहना होगा टर्र - यह कहानी उस कुएं की है जो काफी पुराना था । कुएं में पानी की कोई कमी न थी । जितना पानी खींचा जाता उतना ही धरती उसमें भर देती । कुएं में मेंढक भी काफी संख... | बर्ग वार्ता - Burgh Vaartaa अग्नि समर्पण - बड़े दिनों के बाद सूरज इतना तेज़ चमका था। सब कुछ ठीक-ठाक था। सही मुहूर्त में बिस्मिल्लाह किया था। और गाडी वास्तुशास्त्र के हिसाब से एकदम सही दिशा में दौड़ने ... | कबाड़खाना तुम कनक किरन - जयशंकर प्रसाद - आज से ठीक एक सौ इक्कीस साल पहले यानी ३० जनवरी १८८९ को ’कामायनी’ जैसी कालजयी रचना करने वाले महाकवि जयशंकर प्रसाद का जन्म हुआ था. सो इस अवसर पर पढ़िये उनकी एक क.. | प्रेम का दरिया अनुभवों का महामेला - जयपुर में पांच साल से होने वाला अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव अब नई उंचाइयां छूने लगा है और जयपुर के पर्यटन उद्योग के साथ कदमताल करते हुए जयपुर की नई पहचान... |
| मानसिक हलचल रीडर्स डाइजेस्ट के बहाने बातचीत - कई दशकों पुराने रीडर्स डाइजेस्ट के अंक पड़े हैं मेरे पास। अभी भी बहुत आकर्षण है इस पत्रिका का। कुछ दिन पहले इसका नया कलेक्टर्स एडीशन आया था। पचहत्तर रुपये... | कस्बा qasba मूर्ति पूजा का खंडित पक्ष - आरा से यह तस्वीर सहकर्मी दीपक कुमार के सौजन्य से प्राप्त हुई है। जयप्रकाश नारायण की मूर्ति है। जन्मशति के मौके पर उनके अनुयायी आस्था व्यक्त कर रहे हैं।.. | एक हिंदुस्तानी की डायरी ला रहा हूं अर्थकाम, सहयोग जरूरी है - दोस्तों, एक नई वेबसाइट शुरू करने जा रहा हूं। जीवन को सुंदर बनाने की कोशिश का हिस्सा है यह वेबसाइट - अर्थकाम। यह अभी बनने की प्रक्रिया में है। मकसद है 42 कर.. | Darvaar दरवार कौन कहता है भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है ? - कौन कहता है भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है ? अगर होता तो राष्ट्रपति भवन के स्तम्भ पर यह क्रास क्या कर रहा है शायद क्रास एक धर्म का निशान .. |
| तीसरा खंबा व्यवस्था ने न्याय देने से अपने हाथ ऊँचे कर दिए हैं -देश भर की अदालतों में मुकदमे बहुत इकट्ठे हो गए हैं। निर्णय बहुत-बहुत देरी से आ रहे हैं, पूरी की पूरी पीढ़ी मुकदमों में खप रही है.. | कछु हमरी सुनि लीजै विकासशील पेट का कुम्भ - विकास के कई आयाम हैं। विकसित होना और अविकसित होना इसके दो ध्रुवान्त हैं तो अर्द्धविकसित होना मध्यबिन्दु है। अर्द्धविकसित होने में एक स्थिरता का भाव है... | चोखेर बाली एक कविता - अचानक से एक बच्चा रखता है तीन पत्थर और कहता है– यह मेरा घर है।” मैं नहीं चाहता मेरे बच्चे भी कभी रखे –तीन पत्थर त्रैमासिक द्विभाषी पत्रिका प्रतिलिपि के दिस.. | घुघूतीबासूती आज है इकतालिसवाँ दिन!.....................घुघूती बासूती - कबसे मन गा रहा था.... वो सुबह कभी तो आएगी जब प्लास्टर उतारा जाएगा जब बाँह को धोया जाएगा। चालीस दिन से हर रात दिनों की गिनती करते बीती है। कितने बीत गए, कितन... |
“गांधी जी कहते हे राम!”(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) | राष्ट्र-पिता महात्मा गांधी जी पर तो बहुत ही कम पोस्ट आई हैं! आज की चर्चा को विराम! सबको राम-राम!! |







करीने लगी कोई क्यारीया सहेजा हुआ बाग़ नहीं होगा ये दिलजब भी होगा बुरांश का घना दहकता जंगल ही होगाफिर घेरेगा ताप,मनो बोझ से फिर भारी होंगी पलकेमुश्किल होगा लेना सांसमैं कहूंगी नहीं सुहाता बुरांश मुझे,नहीं चाहिए पराग....भागती हूँ, बाहर-बाहर,एक छोर से दूसरी……








