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रविवार, जनवरी 10, 2010

“मजे के साथ-साथ खीझ भी” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-25
चर्चाकारः
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आइए अब आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं-
सबसे पहले चर्चा करते हैं ताऊ रामपुरिया की पोस्ट की- ताऊ पहेली जब मगजपच्ची कराती हैं तो मजे के साथ-साथ खीझ भी होती है, लेकिन सुकून इस बात से होता है कि हर हफ्ते सामान्य-ज्ञान में वृद्धि होती जाती है।
ताऊ डॉट इन (ताऊ पहेली – 56)
कृपया पहेली मे पूछे गये चित्र के स्थान का सही सही नाम बतायें. कई प्रतिभागी सिर्फ़ उस राज्य का या शहर का नाम ही लिख कर छोड देते हैं. जो कि अबसे अधूरा जवाब माना जायेगा.
हिंट के चित्र मे उस राज्य या शहर की तरफ़ इशारा भर होता है कि उस राज्य या शहर मे यह स्थान हो सकता है.

इस जगह का नाम बताईये!


ताऊजी डॉट कॉम

खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (166) : आयोजक उडनतश्तरी - बहनों और भाईयों, मैं उडनतश्तरी इस फ़र्रुखाबादी खेल में आप सबका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते हैं कि आज मैं ये 35 वां अंक आयोजक के बतौर पेश कर ...

सर मेरा झुक ही जाता है...

अक्सर जब तक कोई विशेष मजबूरी नहीं होती, मैं उस गली से गुजरने से रोकता हूँ खुद को. जानता हूँ, उस गली को छोड़ कर दूसरा रास्ता लेने में मुझे लगभग दोगुनी दूरी तय करनी पड़ती है फिर भी.

कुछ विशेष वजह भी नहीं. कुछ सड़क छाप आवारा कुत्ते हैं, वो दिन भर उस गली को छेके रहते हैं. हर आने जाने वाले पर भौंका करते हैं. पीछे पीछे आते हैं. छतरी दिखाओ तो डर कर दुम दबा कर भाग जाते हैं मगर भौंकते हैं. एक बार तिवारी जी को दौड़ाया भी था मगर काटा नहीं. तिवारी जी ने ही बताया था.....

dogs

बहिन निर्मला कपिला जी ने प्राण भाई साहब की मदद से बहुत ही सुन्दर गजल प्रस्तुत की है-

वीर बहुटी

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गज़ल

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*इस गज़ल को भीादरणीय प्राण भाई साहिब ने संवारा है। उनकी अति धन्यवादी हूँ।* *गज़ल * हमारे नसीबां अगर साथ होते बुरे वक़्त के यूँ न आघात होते. गया वक़्त भी ...

कहाँ जा रही हो हिंदी ???



ब्लॉग जगत में हिंदी और देवनागरी लिपि अपने कंप्यूटर पर साक्षात् देखकर जो ख़ुशी होती है, जो सुख मिलता है, जो गौरव प्राप्त होता है यह बताना असंभव है, अंतरजाल ने हिंदी की गरिमा में चार चाँद लगाये हैं, लोग लिख रहे हैं और दिल खोल कर लिख रहे हैं, ऐसा प्रतीत होता है मानो भावाभिव्यक्ति का बाँध टूट गया है और यह सुधा मार्ग ढूंढ-ढूंढ कर वर्षों की हमारी साहित्य तृष्णा को आकंठ तक सराबोर कर रही है, इसमें कोई शक नहीं की यह सब कुछ बहुत जल्दी और बहुत ज्यादा हो रहा है, और क्यों न हो अवसर ही अब मिला है,

इन सबके होते हुए भी हिंदी का भविष्य बहुत उज्जवल नहीं दिखता है, विशेष कर आनेवाली पीढी हिंदी को सुरक्षित रखने में क्या योगदान देगी यह कहना कठीन है और इस दुर्भाग्य की जिम्मेवारी तो हमारी पीढी के ही कन्धों पर है, पश्चिम का ग्लैमर इतना सर चढ़ कर बोलता है की सभी उसी धुन में नाच रहे हैं, आज से ५०-१०० सालों के बाद 'संस्कृति' सिर्फ किताबों (digital format) में ही मिलेगी मेरा यही सोचना है, जिस तरह गंगा के ह्रास में हमारी पीढी और हमसे पहले वाली पीढियों ने जम कर योगदान किया उसी तरह हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति को......

Laughter ke Phatke

साहित्य-सहवास

जब कभी दुनिया में ख़ुद को तन्हा पाओगी प्रिये ! - आपके भी होंठ इक दिन, गीत गायेंगे मेरे नींद होगी आपकी पर ख्वाब आयेंगे मेरे आपके भी... जागेगी जिस दम जवानी, जिस्म लेगा करवटें रात भर तड़पोगी, बिस्तर...

साली के बाद अब पत्नी भी आईं पान दुकान में

पत्नी जी मीठा मसाला पान खाने की शौकीन तो हैं पर कभी पान दुकान में आकर नहीं खातीं, अक्सर हम ही ले जाते हैं उनके लिये ताकि वे खुश हो जायें। जब बहुत अधिक खुश करना होता हैं उन्हें तो चांदी के वर्क में लिपटी पान ले कर जाते हैं। पर आज वे पान दुकान में कैसे आ गईं?

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Aatmvichar

रोमांस का विज्ञान - अहमदाबाद में आयोजित एक राष्ट्रीय परिसंवाद में में एक मनोविद ने "केमिस्ट्री ऑफ़ रोमांस "विषय पर एक शोधपत्र पेश किया जिसमे बहुत सी रोचक जानकारिया उभर कर सामन..

लंगोटा नंद महामठ वाणी

लंगोटानंद जी महाराज हिमालय से कंट्रोल करेंगे...! - सभी भक्तों का कल्याण हो! बच्चा लोग तुमलोग चिंता न करो, हम तुमलोगों से दूर नहीं हैं, हम यहाँ हिमालय की सबसे ऊँची चोटी से पूरे ब्लॉग जगत को कंट्रोल करेंगे, ...

स्वप्न स्वप्न स्वप्न, सपनो के बिना भी कोई जीवन है ....
असल के नेता मगर खुरचन हुए

गुरुदेव पंकज जी के आशीर्वाद से खिली ग़ज़ल आपकी नज़र है .......... आशा है आपको पसंद आएगी .....
नेह के संबंध जब बंधन हुए
मन के उपवन झूम के मधुबन हुए
लक्ष्य ही रहता है दृष्टि में जहाँ
वक्‍त के हाथों वही कुंदन हुए


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Babli
Townsville, Queensland, Australia

इस उम्मीद के साथ आओ भूलके सारे नफ़रत,
नया साल २०१० को करें हम सब स्वागत,
आनेवाला हर दिन लाये खुशियों का त्यौहार,
सबके दिलों में हो सबके लिए प्यार !


मुक्ताकाश....

तूफ़ान का असर देखा... - [पुराने पन्नों से] यही सूरतऐ-हाल मैंने शामो-सहर देखा, मैंने हर शख्स में जलता हुआ शहर देखा ! कहीं तो होगा एक आफताब का टुकड़ा, अंधेरों ने मेरी आँख में क्यों डर..

ज़िन्दगी

दोबारा कैसे जियूँ - तारीख कैसे याद रखूँ हर तारीख इक कहानी है कभी गम है कभी ख़ुशी है तारीख की बेड़ियों से यादों का अंकुर जो फूटा कभी तारीख में कराहता इंतज़ार मिला तो कभी इम्तिहान क...

बुरा भला

इब्न-ए-बतूता - गुलज़ार और इब्न-ए-बतूता हाल ही में एक फिल्म का म्यूजिक रिलीज हुआ है.फिल्म का नाम है ''इश्किया''....फिल्म को डायरेक्ट अभिषेक चोबे ने किया है. फिल्म से विशाल ...

Gyanvani

टिप्पणी करना और टिप्पणी पाने की चाह रखना क्या सचमुच इतना बुरा है .....!! - किसी भी पोस्ट को पढने के बाद मन में जो भी विचार उठते हैं , उनका सम्प्रेषण ही टिप्पणी है ....कलम के धनी साहित्यकारों और इस आभासी दुनिया से दूर काफी नाम कम...

नया ठौर

...रात ठाकरे सपने में आए, हिंदी बोल गए फरा-रा-रा-रा - ** *क्या बताऊं। पिछली रात ख़्वाब में राज ठाकरे आए। जैसा कि किसी पुरानी सीन को दिखलाना हो तो ब्लैक एंड व्हाइट ज्यादा प्रभावी दिखती है...उसी तरह नफ़रत की आग ..

घुघूतीबासूती

सेल फोन कान से चिपकाने के कितने लाभ! आम के आम गुठलियों के दाम!.........घुघूती बासूती - हममें से बहुत से लोग सेल फोन कान से चिपकाए पति, पत्नी, बच्चों, मित्रों से प्रायः परेशान हो जाते हैं। सेल फोन कान पर लगाकर वे जैसे समाधिस्थ हो जाते हैं। फिर आ..

आरंभ Aarambha

वनवासियों की असल चेतना - जलते बस्तर के दंतेवाडा से लगातार आ रहे समाचारों - विचारों की कडी में संपादक सुनील कुमार जी का विशेष संपादकीय कल छत्तीसगढ में पढने को मिला. देश की स्थिति प..

ज़िंदगी के मेले

बहू मना करती है, इसलिए दूसरों के घर में चोरी करने के लिए भटकती हूँ - जब से डेज़ी नहीं रही, तब से सुबह टहलना कुछ कम हो गया है। फिर भी एक नियम बना रखा है कि दूर बैठे अखबार वाले से अखबार लाने के बहाने बदन को कुछ हरकत दी जाए। कल..

झा जी कहिन

बिछा दी हैं पटरियां , घूम लो ब्लोग नगरिया ( ब्लोग लिंक्स ) - लो जी हम एक बार फ़िर हाजिर हैं दो लाईना ....ओह माफ़ कीजीए हुजूर ....अपनी पटरियां लेकर ...तो बैठिए इस पर और पहुंचिए जहां जहां आपको पहुंचना है ॥ हां यहां एक ..

मेरी भावनायें...

प्रत्यंचा - मन की धाराएँ तटों से टकराकर जब गुमसुम सी लौटती हैं तो दिशा बदल क्षितिज के विस्तार में बढ़ने लगती हैं और धरती से आकाश तक अपनी प्रत्यंचा खींच देती हैं

कुछ इधर की, कुछ उधर की

आखिर हम लोग ब्लागिंग किस लिए कर रहे हैं ??? - बहुत दिनों से मन मे ये सवाल उमडघुमड रहा है कि आखिर हम लोगों का ब्लागिंग करने का उदेश्य क्या है ?। आखिर क्यूँ हम लोग दिन रात मगजमारी किया करते हैं । बहुत सो...

Science Bloggers' Association

आप यकीन मानें या न मानें, पर अब आप दीवार के पीछे छिपकर भी कोई गलत काम नहीं कर पाएंगे। - शायद बहुत जल्दी अब 'दीवारों के भी कान होते हैं' वाला मुहावरा बदल जाएगा, क्योंकि अब दीवारों के पीछे छिपकर किये जाने वाले काम भी अब रहस्य नहीं रह पाएंगे। इस आश..

अंधड़ !

बर्फबारी का मजा ! - (चित्र अवधिया जी के अंगरेजी ब्लॉग Indian images से साभार) *सुबह-सुबह वह आकर बोली; क्यों दुबके हो बिस्तर में, Lol ! चलो,चलकर घूम आते है, कुल्लू-मनाली,स्पीती-ल.

ऑस्ट्रेलिया में नस्लीय हिंसा अब भी जारी !!

विदेश

ऑस्ट्रेलिया में इस बार नस्लीय हमला का शिकार बना एक 29 साल का भारतीय युवक। इस युवक को उस वक्त निशाना बनाया गया जब वह डिनर कर के अपनी पत्नी के साथ घर लौट रहा था। 4 अज्ञात ऑस्ट्रेलियाई युवकों ने उसे जलाकर मारने की कोशिश की।….

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पत्नियों को समझने के 10 Commandments...खुशदीप

तो लो जी जनाब, आज आपको वो चीज़ बताने जा रहा हूं जिसके लिए बड़े बड़े दार्शनिकों ने अपने पूरे जीवन का तज़ुर्बा लगा दिया...पत्नी को समझने के लिए इनTen Commandments पर बस गौर कीजिए...बिना कोई हाथ-पैर मारे वो सब जानिए जिसके लिए बड़े-बड़े सूरमाओं ने अपना पूरा हुनर झोंक दिया...लीजिए जनाब, गौर से और दिल थाम कर पढ़िए Ten Commandments....

पांचवा खम्बा

दिल्ली में ब्लॉगर्स मीट कल

जगह होगी : सीएसडीएस-सराय, 29, राजपुर रोड (सिविल लाइंस मेट्रो से पांच मिनट की पैदल यात्रा), दिल्ली- 110054
वक्‍त होगा : दोपहर दो बजे
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ravikant@sarai.net पर संपर्क करें।

मैं चंद्रमौलेश्वर जी को एक ज़िम्मेदार ब्लॉगर के रूप में देखता हू.. वे क्षमा माँग लें

-कुश

मैं चंद्रमौलेश्वर जी को एक ज़िम्मेदार ब्लॉगर के रूप में देखता हू.. मैने अब तक उनकी जितनी टिप्पणिया देखी है वे भाषा की दृष्टि में बेहद संतुलित और उर्जात्मक होती थी.. उपरोक्त टिप्पणी के लिए भी उनके अपने दृष्टिकोण हो सकते है.. हो सकता है की उन्होने किसी और बात को ध्यान में रखते हुए ये कमेंट किया हो.. परंतु कही ना कही बात कहने में थोड़ी सी चूक हुई है..

निरन्तर

माइक्रो - बहुमूल्य बात ...

नियति क्रम से हर वास्तु हर व्यक्ति का अवसान होता है . मनोरथ और प्रयास भी सर्वथा सफल कहाँ होते है ? यह सब अपने ढंग से चलता रहे पर मनुष्य भीतर से टूटने न पाए इसी में उसका गौरव है . जिस तरह से समुद्र तट पर जमी हुई चट्टानें चिर अतीत से अपने स्थान पर अड़ी बैठी रहती है . हिलोरें चट्टानों से लगातार टकराती है पर चट्टानें हार नहीं मानती है . उसी तरह हमें भी नहीं टूटना चाहिए और जीवन से कभी निराश नहीं होना चाहिए... कभी हार नहीं माननी चाहिए .

मनमोहन सिह के राज मैं दांतों का क्या काम ??

चलते चलते:

मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारा
सर मेरा झुक ही जाता है.

माँ ने ये सिखाया था मुझे.


-समीर लाल 'समीर'


माँ बाप की बचपन की समझाईश ऐसे ही तो संस्कार बन जाती है, किसी के भी व्यक्तित्व का हिस्सा...


अब आज्ञा दीजिए……

25 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत कुछ आया और कुछ छूटा भी -पर यही तो है चिट्ठाचर्चा

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  2. न जाने क्यों मुझे अपनी पोस्ट के पतियों और गुरुदेव समीर जी की पोस्ट के फोटो में कुछ समानता नज़र आ रही है...आपको दिख रही है क्या...

    जय हिंद...

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  3. वाह बहुत ही सार्थक चर्चा काफी म्हणत की है !!! सुन्दर चर्चा!!!

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  4. चर्चा कैसी हो, मेरे हिसाब से तो ऐसी हो।

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  5. सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।

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  6. बढ़िया चिट्ठाचर्चा..पढ़ने को मिल गई बिना खर्चा

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  7. बढ़िया चिट्ठाचर्चा..पढ़ने को मिल गई बिना खर्चा

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  8. बढ़िया चिट्ठाचर्चा..पढ़ने को मिल गई बिना खर्चा

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  9. बहुत सुन्दर चर्चा है धन्यवाद और बधाई

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  10. शास्त्री जी कमाल करते हो आप भी आप २४ में से ४८ घंटे बनाते है क्या? इतनी कविता उसके बाद सुन्दर चर्चा भी ..राज क्या है ..खुशदीप भाई शाश्त्री जी का पिछले जन्म का राज बताने का कष्ट करे ..:)
    नमस्ते

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  11. बहुत अच्छी चर्चा ! कल्याण हो !

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  12. बढ़िया चर्चा रही। कुछ छूटे लिंक्स भी मिले। आभार।
    घुघूती बासूती

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  13. चर्चा में अपनी प्रत्यंचा खीच ख़ुशी हुई

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  14. अच्छी चर्चा...
    प्रविष्टि को चर्चा में शामिल किये जाने योग्य समझने का आभार ....!!

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  15. अच्छी चर्चा...
    प्रविष्टि को चर्चा में शामिल किये जाने योग्य समझने का आभार ....!!

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  16. @खुशदीप जी,
    मैंने किसी को नहीं पहचाना ...
    कौन कौन हैं ??
    :):)

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