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सोमवार, अप्रैल 19, 2010

"…..नंबर वन चोर है!” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक - 126
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक
आज  "चर्चा मंच" पर सबसे पहली चर्चा है-
इस देश का प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ,नंबर वन चोर है।
  किसी जरूरी काम से गाँव जाना था , आनन्-फानन कार्यक्रम बना ,तो आरक्षण भी नहीं करवा पाए । वैसे आरक्षण का मतलब ये नहीं की हम सामान्य कोच में सफ़र करने से डरते हैं , वो तो हम किसी और कारण से ऐसा करते है , जो आपको जल्द ही ज्ञात हो जाएगा । उलटे सामान्य डिब्बे….
अथाह...
राजेन्द्र मीणा
इसके बाद मैं स्वागत करता हूँ श्रीमती वन्दना गुप्ता का! 
जो सदस्या के रूप में
"चर्चा मंच" की टीम में जुड़ गई हैं। 
26 अप्रैल से हर सोमवार को इनकी भी 
चर्चा आपको पढ़ने को मिलेंगी!


ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र
ज़िन्दगी-
   पत्थर हूँ मैं - पत्थर हूँ ना खण्ड- खण्ड होना मंजूर पर पिघलना मंजूर नहीं स्थिर , अटल रहना मंजूर पर श्वास , गति लय मंजूर नहीं पत्थर हूँ ना पत्थर- सा ही रहूँगा अच्छ..

वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में : सुश्री सोनल रस्तोगी
लेखिका परिचय
नाम-सोनल रस्तोगी
जन्मस्थान -फर्रुखाबाद
शिक्षा - पी.जी ,पत्रकारिता डिप्लोमा
शौक -नाटक,कविता कहानिया पढ़ना और लिखना
सारांश- महादेवी वर्मा की जन्मस्थली में साहित्य प्रेम के कीड़े ने काट खाया, बचपन से पढ़ लिख रहे है,बालसाहित्यकार के तौर पर कुछ रचनाये प्रकाशित.जीवन में computar के प्रवेश ने दिशा बदल दी ...पहले पढ़ा फिर पढ़ाया पिछले ५ सालों से गुडगाँव में इसी की कमाई खा रहे है.
यहाँ तो खेतों में क़ञ्चन का बिछौना बिछा हुआ है-
भारतीय नागरिक - Indian Citizen

सुनहरे गेहूं, नीलगाय और काला धुंआ.... - खेतों में लहलहाते गेहूं की फसल सुबह-सुबह ऐसे लग रही थी जैसे कि खेतों में सोना उग आया हो.. ऐसे ही थोड़े न धरती को रत्नगर्भा कहा गया है... हमारी शस्यश्यामला ...
काव्यवाणी में तो शबनमी लू का खासा असर है- 
काव्य 'वाणी'

वो शबनमी लू से जल गया - एक हवा का झोंका , उसके करीब से जो निकल गया | बाद उस लम्हें के वो लाजवाब मिजाज ही बदल गया || अब गुफ्तगुं करता रहता हैं वो अक्सर अपने आप से || दवाएं इसलिए बे...
अमर भारती पहेली में तो आज बहुत ही सरल पहेली
 क्ल्यू के साथ लगी है। 
उत्तर देने का समय है 20 अप्रैल सायं 5 बजे तक। 
आप यहाँ पधारें और आकर्षक ई-प्रमणपत्र प्राप्त करें-
bhartimayank

“आओ ज्ञान बढ़ाएँ:पहेली-29” (अमर भारती) - *रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-29 में * *आप सबका स्वागत है।* *आपको पहचान कर निम्न चित्र का नाम और स्थान बताना है।* [image: paheli-29]*और यह रहा पहेली-29 का क्ल...
आदित्य के घर एक प्यारी सी गुड़िया को 
अपना आशीर्वाद देना मत भूल जाना-
आदित्य (Aaditya)

Welcome Aakansha - एक छोटी सी गुडिया घर आई है.. "आकांक्षा".. आकांक्षा नीलकमल चाचा प्रिया चाची की प्यारी सी गुडिया है.. *"WELCOME AAKANSHA"*
अदा जी ने आज बहुत ही गहन चिन्तन करके 
यह पोस्ट लगाई है-
काव्य मंजूषा

मैं स्वयं हूँ रचयिता अपने संसार का ... - सत्य और असत्य ने रचा है यह संसार जैसा मैं सोचूं वैसा ही है यह संसार मैं स्वयं हूँ रचयिता अपने संसार का स्वामी भी मैं दृष्टि भी और दृश्य भी मैंने ह...
साहित्य के योग में आज हास्य के आयाम बिखरे हैं-
साहित्य योग

यात्रा जारी है .(हास्य)........खुसखबरी के साथ - आज मैं आप को पहले एक खुसखबरी देता हूँ...हाल ही में मुझे मेडिकल यूनिवेर्सिटी द्वारा शोध के लिए बेस्ट पोस्टर अवार्ड मिला था और अब The Jouranl of Immunology न...
देखिये तो-कहीं ये पोस्ट ताऊ रामपुरिया से सम्बन्धित नही है!
पराया देश

लो जी हम सड भुन के वापिस आ गये... - अरे पता नही यह मेरे साथ ही होता है क्या? मै जब भी कोई सीडी, डी वी डी अपने लेपटाप मे डालता हुं, चलती नही, दस बार डालने के बाद चलती है, बच्चो ने भी ट्राई कि...
निम्न पोस्ट्स भी 
आज की चर्चा के योग्य पाई गई हैं-
काव्यशास्त्र : भाग – 9    
Apr 18, 2010 | Author: करण समस्तीपुरी | Source: मनोज  
आचार्य भट्टनाय…..
अगीत -----डा श्याम गुप्त के पांच अगीत ....
Apr 18, 2010 | Author: हिन्दी साहित्य मंच | Source:
जहां बाजू सिमटते हैं, वहीं सय्याद होता है।
Apr 18, 2010 | Author: Suman | Source: लो क सं घ र्ष !
डा0 इकबाल ने कभी अपनी एक कविता की पंक्ति में कहा था कि यूनान, मिस्र, रोम सभी मिट गये लेकिन हिन्दुस्तान का नामो निशान अब भी बाकी है। आज की बात अगर कही जाय तो सच यह है कि हम में उभरने की संभावनायें देखकर अनेक देश हम को मिटाने के लिये तरह-तरह की चालें चल रहे हैं। पड़ोस के और दूर के देश भी कभी खुलकर और कभी छुपकर हम पर वार करते हैं। पड़ोस की दास्तान मालूम ही है, पाकिस्तान से कई युद्ध भी हुए, कई बार सुलह हुई, ताशकन्द और शिमला में बाते हुई, आगरा में कोशिश हुई, लाहौर बस यात्रा की गई लेकिन बात वहीं की ...
वन्दे मातरम् ?
Apr 18, 2010 | Author: safat alam taimi | Source: प्रेमवाणी
वन्दे मातरम् बंगला भाषा के प्रसिद्ध उपन्यासकार बंकिमचंद्र चटर्जी की उपन्यास 'आनंदमठ' मैं शामिल है। मूल रूप में यह उपन्यास इस्लाम शत्रुता पर आधारित है और उसमें अंग्रेज़ों को अपना सुरक्षक और मसीहा सिद्ध किया गया है। वन्दे मातरम् उपन्यास का एक भाग है। उपन्यास में विभिन्न पाट यह गीत "दुर्गा" के समक्ष गाते हैं जो हिन्दू भाईयों में माँ का स्थान रखती है और इस गीत में भारत को "दुर्गा माँ" सिद्ध किया गया है। यही कारण है कि स्वतंत्रता से पूर्व ही यह विवादस्पद बन गया था, वन्दे मातरम् भी उसी नाविल का एक ...
कुदरत और इंसान !
Apr 18, 2010 | Author: पी.सी.गोदियाल | Source: अंधड़ !
शुरू करने से पहले आप सभी मित्रों से अनुरोध करूंगा कि इस गोगूल अनुवाद की सुविधा के बारे में आप गोगुल को सूचित करें कि यह एक निहायत घटिया किस्म की सेवा गूगुल द्वारा प्रदत है , क्योंकि यह अक्सर एक पूरे लिखे लेख की भी ऐंसी-तैंसी कर देता है ; there is a probleM send or don't send option दिखाकर
"बैंक" जहां पैसे नहीं कपडे रखे जाते हैं.
Apr 18, 2010 | Author: Gagan Sharma, Kuchh Alag sa | Source: Alag sa
ज्यादातर यही समझा जाता है कि बैंकों में पैसा या कीमती सामान ही रखा जाता है। पर झारखंड के जमशेदपुर मे एक बैंक ऐसा है जिसका पैसों से कोई लेना-देना नहीं है। इस अनोखे बैंक में इंसान की मूलभूत जरूरत कपड़े रखे जाते हैं तथा इसे कपड़ों के बैंक के नाम से जाना जाता है
यहाँ पर आपको चिड़ियाएँ और चिड़ियाँ में बताना है कि 
इनमें से कौन सा शब्द सही है-
चिड़ियाएँ उड़ रहीं गगन में 
Apr 18, 2010 | Author: रावेंद्रकुमार रवि | Source: हिंदी का शृंगार
ये हैं एक चर्चित कविता की लोकप्रिय पंक्तियाँ -
  
कारें भी करती हैं खुदकुशी (अविनाश वाचस्‍पति)
Apr 18, 2010 | Author: अविनाश वाचस्पति | Source: नुक्कड़
सावधान रहिए और रहिए सदा सतर्क लापरवाही मत कीजिए नहीं तो होगी कार गर्क।
नक्सलवाद: यह आग कब-कैसे बुझे?
Apr 18, 2010 | Author: ख़बर आज की | Source: aidichoti
(उपदेश सक्सेना)
“उद्यमेन् हि सिद्धयन्ति”
Apr 18, 2010 |  Source: शब्दों का दंगल
एक गाँव में एक धनवान व्यक्ति रहता था! लेकिन वह बहुत कंजूस था। रात-दिन वह इन्ही ख्यालों में लगा रहता था कि किस प्रकार उसके धन में बढ़ोत्तरी हो! परन्तु वह इसके लिए कोई उद्यम भी नही करना चाहता था। एक दिन वह सन्त रैदास जी के पास गया और बोला- “महाराज आप तो महाज्ञानी है। कृपया मुझे धन-सम्पत्ति बढ़ाने का उपाय बताइए।” सन्त रैदास ने उसे ध्यान से देख और एक बीज देकर कहा- “देखो यह बीज बहुत ही चमत्कारी है। तुम इसे अपने घर के आँगन में बो देना। तुम्हारे धन में वृद्धि होने लगेगी।” धनवान व्यक्ति सन्त की ब ...
“स्वर्ग क्या है?”
Apr 18, 2010 |  Source: मयंक
  बहुत समय पहले की बात है। चीन के एक दार्शनिक के पास एक व्यक्ति पहुँचा और स्वर्ग के विषय में अपनी जिज्ञासा प्रकट की। साथ ही यह भी बताया कि मैं एक सेनापति हूँ और अपनी वीरता की डींगे भी मारनी शुरू कर दी। दार्शनिक ने कहा कि शक्ल-सूरत से तो आप सेनापति नही भिखमंगे लगते हैं। नझे तो विश्वास ही नही हो रहा है कि आपको हथियार चलाना तो दूर, उसे उठने की भी क्षमता नही है। सेनापति ने इतना सुनते ही म्यान से अपनी तलवार निकाल ली। दार्शनिक ने कहा- “अच्छा तो आप तलवार भी रखते हैं। परन्तु यह तो...
बिल्ली मौसी
Apr 18, 2010 | Author: हेमंत कुमार ♠ Hemant Kumar | Source: Fulbagiya
बिल्ली मौसी घर से चली आंख पे चश्मा हाथ में थैला बिल्ला मौसा को बाय कहा और फ़ोन मिलाती आगे चली।…
“कविता की इच्छा:Samuel Taylor Coleridge” (अनुवादक:डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
Source: उच्चारण  
सच्चा प्यार हमेशा जलता इच्छाओं की ज्वाला में अवगुंठित है….
स्वतंत्रता समर के योद्धा : श्याम सिंह ,चौहटन
Author: Ratan Singh Shekhawat | Source: Gyan Darpan ज्ञान दर्पण 
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जूझने वाले राजस्थानी योद्धाओं में ठाकुर श्याम सिंह राठौड़ का बलिदान विस्मृत नहीं किया जा सकता | 1857 के देशव्यापी अंग्रेज सत्ता विरोधी सशस्त्र संघर्ष के पूर्व राजस्थान में ऐसे अनेक स्वातन्त्र्यचेता सपूत हो चुके है जिन्होंने ब्रिटिश सत्ता के वरदहस्त को विषैला वरदान समझा था…..
पत्रों का घटता चलन एक गंभीर सांस्कृतिक खतरा- महाश्वेता देवी
Apr 18, 2010 | Author: डाकिया बाबू | Source: डाकिया डाक लाया
भारतीय डाक विभाग के 150 वर्ष पूरे होने पर ‘भारतीय डाक : सदियों का सफरनामा’ नामक पुस्तक लिखकर चर्चा में आए अरविंद कुमार सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं. अरविन्द जी से जब पहली बार मेरी बातचीत हुई थी तो वे हरिभूमि से जुड़े हुए थे…..
बंदरों से चिथने का मेरा पहला अहसास------->>>दीपक 'मशाल'
Apr 18, 2010 | Author: दीपक 'मशाल' | Source: मसि-कागद
दोस्तों, बंदरों से चिथने के मेरे पहले अहसास को पढ़ने के लिए पहला अहसास पर जाएँ.. जायेंगे ना एक नए अनुभव को जानने?  http://pahlaehsas.blogspot.com/2010/04/blog-post_18.html आपका- दीपक 'मशाल

मेरा प्यार भी [युगल गीत] 
गाना-'मेरा प्यार भी तू है'फिल्म-साथीसंगीतकार -नौशादगीतकार-मजरूह सुल्तानपुरीमूल गायक: मुकेश- सुमन कल्यानपुरयहाँ प्रस्तुत कवर गीत में स्वर --दिलीप कवठेकर जी और अल्पनाDownload Or Play इस गीत को final ट्रेक मिक्स' दिलीप जी ने किया है।'वे एक बेहतरीन गायक…..
गुनगुनाती धूप..
अल्पना वर्मा

दहेज
वक्र टिप्पणियों का बहुधा मैं बुरा नहीं मानता। शायद मैं भी करता रहता हूं। पर विवेक सिंह की यह पिछली पोस्ट पर वक्र टिप्पणी चुभ गई: "मेरी पत्नीजी के खेत का गेंहूं है।" क्या ! आप अभी तक दहेज लिए जा रहे है ? याद आया अपनी शादी के समय का वह तनाव। मैं
ज्ञानदत्त पाण्डेय की मानसिक हलचल
ज्ञानदत्त पाण्डेय Gyandutt Pandey

जेल में पढ़े जो चेहरों के भाव ...!!!
हसरतों को जहाँ रोज, मरते-बेहाल देखा है ,बे-मतलब अपना चेहरा, लाल करते देखा है । जो करके आये हैं , उसका उनको ख्याल है,मै तो था बे-कसूर .!ये मलाल करते देखा है । करें भी क्या इनके बस में, है भी नही ,यादों के नश्तरों को, हलाल करते देखा है ,। कुछ ने तो कर लिया….
के.सी.वर्मा
    कमलेश वर्मा

ब्लॉगवाणी से अनुरोध : असामाजिक तत्वों का बहिष्कार करे...
कुछ असामाजिक तत्व, (इस्लाम के ठेकेदार ब्लोगर) जो ब्लॉगवाणी  के सदस्य भी हैं... बेहद बेहूदा कमेन्ट कर रहे हैं...ब्लॉगवाणी से हमारा अनुरोध है कि ऐसे तत्वों को बाहर का रास्ता दिखाए...साथ ही अपने भाइयों और बहनों से अनुरोध है कि वो भी वो इन ग़द्दार…
Firdaus's Diary 
फ़िरदौस ख़ान

बौद्धिक साम्राज्यवाद:प्रोफ़ेसर रिछारिया की आपबीती :उनकी जुबानी
कटक ‘केन्द्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (कटक) में मेरे अंतिम दिन बहुत दुख में गुजरे, जिसका कारण मेरे द्वारा अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (मनीला) के उच्चाधिकारियों की खुलेआम दखलंदाजी का विरोध था। ……………मनीला संस्थान द्वारा…
यही है वह जगह
  Aflatoon अफ़लातून

पारा की उछाल :बवाल हुये लाल
जी आज अखबारों ने बताया कि पारा 45 डिग्री को छू रहा है . ब्लॉगर मित्र मियाँ बवाल सवा नौ बजे पधारे कहने लगे गिरीश भाई बाहर तो खूब गरम है "आल इज़ नॉट वैल"..... गरमी से बेहाल हुए "लाल” को लस्सी पिला के पाडकास्ट रिकार्ड किया पेश ए ख़िदमत है :- मज़ेदार बात चीत..
मिसफिट 
गिरीश बिल्लोरे

क्या वास्तव में धर्म एक अनावश्यक ढोंग है ?
धर्म एव हतो हन्ति धर्मोरक्षति रक्षत:। तस्माद धर्मो न: हन्तव्यो मा नो धर्मो हतो वधीत ।। प्राचीन कल के किसी ऋषि का यह श्लोक उस समय के मनुष्यों के भावों को भलीभान्ती व्यक्त करता है। इसका तात्पर्य यह है कि "मारा हुआ(नष्ट किया गया) धर्म ही मनुष्य के नाश का….
धर्म यात्रा
  पं.डी.के.शर्मा"वत्स"
अब आज का चर्चा मंच समाप्त करने की आज्ञा दीजिए!

21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया चिटठा चर्चा ..अच्छे लिंक्स ...आभार ...!!

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  2. बहुत बहुत बहुत अच्छी चर्चा...और अच्छे लिनक्स होने ही थे...आप जो चर्चा कर रहे हैं...
    साथ ही वंदना जी का स्वागत है...
    बहुत ख़ुशी हुई कि उन्होंने भी चर्चा मंच में अपना योगदान देने की सोची....
    हमेशा की तरह सबकुछ सुन्दर...
    आभार...

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  3. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी ने इस ब्लॉग के बारे में बताया...
    इसके लिए हम उनके शुक्रगुज़ार हैं... यहां आकर ब्लॉग जगत की सुर्खियां देखने को मिलीं...
    आपका यह काम बेहद शानदार और सराहनीय है... इसे जारी रखिएगा...
    शुभकामनाएं...

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  4. उपयोगी चर्चा, कुछ ब्लागों को चीन्हने में मददगार होती है।

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  5. बहुत बढ़िया चिट्ठा चर्चा...शास्त्री जी बधाई

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  6. वन्दना जी का चर्चा मंच पर स्वागत है.

    बहुत उम्दा चर्चा.

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  7. बहुतों को समेटा है .. अच्‍छी चर्चा !!

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  8. बहुत उम्दा पंडित जी
    शुक्रिया मुझे शामिल करने के लिये

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  9. बहुत ही उत्तम चर्चा शास्त्री जी, हमेशा की तरह।

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  10. बहुत अच्छी चर्चा…………………आभार्।

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  11. bahut khub

    dhanyawad aap ka

    shekhar kumawat


    http://kavyawani.blogspot.com

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  12. अत्यंत सुन्दर चर्चा! बधाई!

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  13. अच्छी चर्चा।
    वंदना जी का स्वागत!

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  14. आज की चर्चा में पोस्ट्स का चयन
    बहुत चतुराई से किया गया है!
    --
    शीर्षक का चुंबकत्व सशक्त है!

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  15. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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