विद्यापति गीतKohbar पर Kusum Thakur प्रस्तुत कर रही हैं बटगबनी। "कवि कोकिल विद्यापति " मिथिला में शादी, उपनयन, मुंडन इत्यादि संस्कारों के अवसर पर किये गए रस्मों को पूरा करने के लिए औरतें झुण्ड बनाकर रास्ते में गाना गाती हुई जाती हैं, जो उसकी शोभा और बढा देती है। रास्ते में गाये गए गीतों को ही बटगबनी (रास्ते में गाए जाने वाले गीत ) कहते है । वैसे तो विद्यापति के अनेको गीत हैं जिसे उपनयन शादी मुंडन जैसे संस्कारों के अवसर पर गाई जाती है पर बटगबनी में सबसे " लोकप्रिय कुञ्ज भवन सँ ..... " है . "कुञ्ज भवन सँ निकसलि रे " - कवि कोकिल विद्यापति - |
मेरी पसंद....
शाहिद मिर्ज़ा "शाहिद" की एक उम्दा ग़ज़ल।
जिन्हें अच्छे बुरे हर हाल में रब याद आता है भुलाना चाहता हूं मैं मगर सब याद आता है तेरी यादों ने बख़शा है जो मन्सब याद आता है सितम बे-महर रातों का मुझे जब याद आता है इन्हीं तारीकियों में था जो नख़्शब याद आता है हर इक इंसान उलझा है यहां अपने मसाइल में परेशां और भी होंगे किसे कब याद आता है |
फुटबॉलीय उत्सव
वर्ल्डकप समापन की ओर बढ़ रहा है। यूरोपियन पॉवर गेम ने लैटिन अमेरिका के स्किल गेम को धूल धूसरित कर दिया है। दर्शकों का उन्माद चरम पर है और पार्श्व में अनवरत गूँजता यूयूज़ेला का स्वर। बड़ी बड़ी स्क्रीनों के सामने बैठे इस महायज्ञ में ज्ञान की आहुति चढ़ाते विशेषज्ञ। एक फुटबाल को निहारती करोड़ों आँखें। यह खेल देखना जितना रुचिकर है, खेलना उतना ही कठिन। मैं उतनी ही बातें करूँगा जितनी अनुभवजन्य हैं, एक खिलाड़ी के रूप में। तीन दायित्व हैं, फॉरवर्ड, मिडफील्डर और डिफेन्डर। ज्ञाता बताते हैं कि फुटबॉल के लिये 3 'S' की आवश्यकता होती है। गति(Speed), सहनशक्ति(Stamina)और कुशलता(Skill)। |
धुन्धलाया सूरज
सुबह सबेरे उगता सूरज कितना प्यारा लगता है ...अंधियारे को चीरता सतरंगी किरणें बिखेरता ...सब कुछ धुला धुला सा , पाक साफ़ सा .. |
अनन्त आकाश्
अनन्त आकाश-- भाग—4। पिछली कडी मे आपने पढाकि मेरे घर के आँगन मे पेड पर कैसे चिडिया और चिडे का परिवार बढा और कैसे उन्हों ने अपने बच्चों के अंडों से निकलने से ले कर उनके बडे होने तक देख भाल की---- पक्षिओं मे भी बच्चों के लिये इस अनूठे प्यार को देख कर मुझे अपना अतीत याद आने लगता है। ब्च्चों को कैसे पढाया लिखाया ।वो विदेश चले गयी बडे ने वहीं शादी कर ली पिता पुत्र की नाराज़गी मे माँ कैसे पिस रही है--| बडे बेटे के बेटा हुया तो उसने कहा माँ आ जाओ हमे आपकी जरूरत है। मगर तब भी ये जाने को तैयार नही हुये। मन उदास रहने लगा।-- अब आगे पढें----- |
सिर्फ इंडिया टीवी ही नहीं,ग्लोबल मीडिया भी करती है चिरकुटई
खबरों के नाम पर चिरकुटई का काम सिर्फ इंडिया टीवी और वहां के मीडियाकर्मी ही नहीं किया करते बल्कि इसमें ग्लोबल मीडिया तक शामिल है। अगर आप इंडिया टीवी पर पाखंड,अंधविश्वास,अनर्गल खबरों का प्रसार और खबरों के नाम पर रायता फैलाने का आरोप लगाते आए हैं तो एकबारगी आपको ग्लोबल मीडिया की तरफ भी आंख उठाकर देखना होगा। आमतौर पर एक औसत टेलीविजन ऑडिएंस के लिए शायद ये संभव नहीं है कि वो देश के तमाम चैनलों को देखते हुए ग्लोबल चैनलों को भी एक साथ वॉच करे। फिर ग्लोबल स्तर पर जो जरुरी खबरें होती हैं उसे सात संमदर पार,अराउंड दि वर्ल्ड, दि वर्ल्ड जैसे कार्यक्रमों के जरिए इन्हें शामिल कर लिया जाता है। इसलिए अलग से इन चैनलों को देखने की शायद बहुत अधिक जरुरत महसूस नहीं की जाती। |
अमेरिका में घरेलू उपाय और आयुर्वेद का परामर्श देते हैं वहाँ के चिकित्सक
अमेरिका में रहते हुए थोड़ी तबियत खराब हो गयी, सोचा गया कि डॉक्टर को दिखा दिया जाए। भारत से चले थे तब इन्शोयरेन्स भी करा लिया था लेकिन अमेरिका आने के बाद पता लगा कि इस इन्श्योरेन्स का कोई मतलब नहीं, बेकार ही पैसा पानी में डालना है। मेरा भानजा भी वहीं रेजिडेन्सी कर रहा है तो उसी से पूछ लिया कि क्या करना चाहिए। उसने बताया कि भारत में जैसे एमबीबीएस होते हैं वैसे ही यहाँ एमडी होते हैं। वे सब प्राइमरी हेल्थ केयर के चिकित्सक होते हैं। अर्थात आपको कोई भी बीमारी हो पहले इन्हीं के पास जाना पड़ता है। वे आपका परीक्षण करेंगे और यदि बीमारी छोटी-मोटी है तो वे ही चिकित्सा भी करेंगे और यदि उन्हें लगेगा कि बीमारी किसी विशेषज्ञ को दिखाने जैसी है तो फिर रोगी को रेफर किया जाएगा। |
"नवगीत-स्वरःअर्चना चावजी”
पंक में खिला कमल, |
आधे - आधे हम दोनो और एक जिंदगी .
नापी है कई गलिया और सड़कें |
पचीस किलो का आदमी भी मोटे होने के गुर बताने लगता है.
उपदेश या नसीहत देना बहुत आसान होता है। जरा सा कुछ अप्रिय घटा नहीं, कुछ उल्टा-सीधा हुआ नहीं कि बरसाती मेढकों की टर्राहट की तरह चारों ओर से नसीहतें बरसने लगती हैं। पचीस किलो का आदमी भी मोटे होने के गुर बताने लगेगा और पूरे परिवार के लिए हर महीने दवा खरीदने वाला भी निरोग रहने के नुस्खे लिए चला आएगा। |
तुम मेरे जीवन में
१ |
राष्ट्रवादी---श्यामल सुमनहिन्दी साहित्य मंच पर हिन्दी साहित्य मंच तनिक बतायें नेताजी, राष्ट्रवादियों के गुण खासा। |
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रविवार, जुलाई 11, 2010
रविवासरीय चर्चा (11.07.2010)
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चर्चा में शामिल किये जाने के लिए आभार ..
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स..!
कुछ नये ब्लॉग्स पढ़ने को मिले । आभार ।
जवाब देंहटाएंसंयत और शालीन चर्चा के लिए आभार!
जवाब देंहटाएं--
सभी लिंक बहुत उपयोगी लगे!
उपयुक्त व स्तरीय संयोजन ।
जवाब देंहटाएं* good links sir!
जवाब देंहटाएं*.एक अनुरोध:
'कोहबर' वाले लिंक पर महाकवि विद्यापति के चित्र के नीचे दिए गए कैप्शन 'कवि कोलिक विद्यापति' को ठीक कर लेवें तो ठीक रहेगा। आशा है आप अन्यथा न लेंगे।
*बाकी सब ठीक !
@ sidheshwer जी
जवाब देंहटाएंत्रुटि इंगित करने के लिए धन्यवाद। ठीक कर दिया है।
उम्दा चर्चा के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंकुछ नये ब्लोग है मगर कल आकर पढूँगी ……………चर्चा काफ़ी सुन्दर है।
जवाब देंहटाएंhindi blogging ka pratinidhiva karta charcha manch me shamil kiye jaane ke liye aabhar ! vyapak aur vividh hai aapka aaj ka aayojan.. katha, upanyas, geet , gazal, kavita, aalkeh, lokjeet ko sthan diya hai.. badhiya hai... khas taur par vidyapatijee ka lokgeet... praveen pandey ji ka football par aalkeh.. archana chav jee ka nav geet ... !
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंसंतुलित और बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सलीके से आराम से लिखी गई चर्चा लगी आज तो जिसमें एक से एक पोस्टों का ज़िक्र मिला. आभार.
जवाब देंहटाएंachchhi charcha ke liye badhai
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा है बहुत ही ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंनए लिंक्स मिले,अच्छी चर्चा.
जवाब देंहटाएंआभार
औघट घाट को चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद् ...
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