मित्रों!
आज का चर्चा मंच ज़रा जल्दी में लगा रहा हूँ!
इसमें सभी कुछ आपका ही है, मेरा कुछ नही है!
"चिड़ियों की कारागार में पड़े हुए हैं बाज"
आजाद कर दिया है आज!
क्योंकि बेमन से होता नही है कोई काज!!
भूखे नंगे हिंदुस्तान से
कश्मीर को आज़ाद होना चाहिए --
दुर्भावनाओं वाले,.
पाक को बरबाद होना चाहिए!
प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम.
ताऊ पहेली *अंक 98 *में
मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका स्वागत करता हूँ!
मगर बंटी चोर का जवाब टीप कर मत लिख देना!
सबकी है सरकार प्रभु क्या सबको अधिकार प्रभु
आमलोग जीते मुश्कल से इतना अत्याचार प्रभु
साफ छवि लाजिम है जिनकी करते भ्रष्टाचार प्रभु
यह जीवन श्रृंगार प्रभु
हकीक़त की ईंटों के नीचे दबे हैं जो सपने अब पानी से गलने लगे हैं
सजीं हैं क़रीने से कीलें वफा की तेरे नाम टंग कर मचलने लगे हैं
काव्य मंजूषा में सपने अब पानी से गलने लगे हैं ....
एक नवयुवक के मन में इच्छा होती है कि वह इंजीनियर बने।
खूब नाम और दाम कमाए,उसे सफ़ल व्यक्ति के रुप में जाना जाए।
लेकिन विपन्नता कहीं न कहीं आड़े आती है।
ऑटो रिक्शा से इंजीनियर और बिल्डर तक का सफ़र-------------
आज फ़ुरसत में भ्रष्टाचार पर कुछ बतियाने का मन बन गया।
जब यह विषय मेरे मन में आया...तो
फ़ुरसत में... भ्रष्टाचार पर बतिया ही लूँ !
कभी कभी कुछ लोगों से मिलता हूँ तो लगता है कि
मैंने क्या मेहनत करी और क्या तिकडम !
लोग कितनी काम्प्लेक्स जीवन जी रहे होते हैं,
शायद चिली की खदान में .....जीवन के रास्ते कभी कठिन तो कभी सरल …
जालंधर के भोगपुर थाने में धोखाधड़ी के मामले में
पूछताछ के लिए लाये गये एक व्यक्ति के साथ
लेकिन पुलिस वालों ने उसके साथ जानवरों जैसा सुलूक किया।.....
यह पुलिस वाले हैं या फिर जल्लाद -
मेरी क्या गलती है आज शाम को सीरी फोर्ट स्थित
अपने कार्यालय से घर वापसी पर कमला नेहरू कॉलेज की लाल बत्ती से दांये मुड़ते ही
मेरी चर्चित टाटा इंडिका जीएलजी........... आज मुझे टाटा करने के मूड में थी
पोर पोर में पीर समाया किसने है ये तीर चुभाया !
मन का हाल नहीं पूछा और पूछा किसने धीर चुराया !
किसी बोल ने चीर तड़पाया.....
लाल आंखोंवाली बुलबुल पँछी के जोड़े की ये कढ़ाई है.
इनकी तसवीर देखी तो इकहरे धागे से इन्हें काढने का मोह रोक नही पाई.
कैसे होते हैं ये परिंदे!
प्यारे मित्रो एवं स्वजनों ! नमस्कार ।
समय आ पहुंचा है " ग़ज़ल स्पर्धा " का परिणाम घोषित करने का,
इसलिए जल्दी जल्दी सब करने की कोशिश कर रहा हूँ ।
लीजिये प्रस्तुत है ग़ज़ल स्पर्धा के परिणाम की प्रथम कड़ी
अभी नवंबर की शुरूआत भी नहीं हुई कि गुलाबी ठंड की दस्तक हो गयी है।
बीते दो दिनों से मौसम में सुबह से शाम तक ठंडक का ही माहौल रहा है।
तापमान में गिरावट आने से...अब मौसम की गडबडी दिसंबर के पहले सप्ताह में ही दिखती है !!
अपने केबिन में कुर्सी पर अपनी भीमकाय देह का बोझ डाले बैठा सरकारी वकील.
जिसके सबूट चरणों में एक गरीब सी दिखने वाली बुढिया अपने बेटे को बचाने के लिए गिरी पडी .
मुंबई के कोलाबा में नौसेना की भूमि को सफेदपोश अपराधियों ने
नेताओं और अपराधियों की साठ-गाँठ से आदर्श कोपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के नाम करा ली और
मैं ब्लॉग जगत के उन सभी साथियों का आभार प्रकट करती हूँ,
जिन्होंने मुझे मेरे जन्मदिन पर शुभकामनाएं प्रेषित की,
और मुझे मेरी बढ़ती उम्र का एहसास दिलाया ...
ऑनलाइन हिंदी फिल्म देखने के लिए दस वेबसाइट्स जहाँ पर आप
नयी पुरानी हिंदी फिल्मे देख पायेंगे ।
अपने व्यक्तित्व से लुभाते हो , अनजाने में कभी कभी , बातों को हवा देते थे |
भावनाओं को उभार कर , मन मस्तिष्क पर छाते गए ,
फिर कहीं चले गए ,...
तुम हो एक सौदागर - तुम हो एक सौदागर
यदि आप यह सोचते हैं कि केवल अंग्रेजी बोलने से ही
आपको सम्मान मिलेगा तो आप शायद गलत हैं।
2004 की भयंकर सुनामी की याद है आप सबको ?
भूल भी कैसे पाएंगे । दो लाख तीस हज़ार लोगों की मौत बनकर जो भयानक प्राकृतिक आपदा आई थी
आज जिस ग़ज़ल को आप सभी से रूबरू करवा रहा हूँ,
उसे कुछ रोज़ पहले बेलापुर में हुए, एक कवि सम्मलेन-मुशायेरे में पढ़ा था.
आसमान के दायरों में कैद नहीं,
सुबह बन धरती पर प्रतिदिन उतर आता हूँ मैं!
सूरज हूँ जीवनदायी हैं किरणें मेरी,
आस विश्वास बन शाम की उदासी में बिखर जाता हू...
पुराने फटे से टाट पर
स्कूल के पेड के नीचे बैठे हैं कुछ गरीब बस्ती के बच्चे
कपडों के नाम पर पहने हैं बनियान और मैली सी चड्डी
उनकी आँखों मे देख...मिड डे मील---
* * *टूटते तारो कि कुछ तो हर्जी वसूल हुई *
*चलो अपनी भी कोई तो दुआ कबूल हुई * *
* *उसूलो के खम्बो से बंधी है उडारी मेरी *
*जिंदगी जैसे किसी आँगन की झूल हु...
और इसी के साथ आज की फटाफट चर्चा पूरी हुई!