सभी को शुभप्रभात ! आज चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा मंच का 371वाँ अंक शुरू कर रही हूँ | चाय के संग हो तरोताजा दिन और मेरी शुभकामना है कि मृदु मंद सुगन्धित शीतल बयार हो, आशाओं से सिंचित जीवन के तार हों | कर्म में सृजनता व दिल में लगाव हो, प्रफ्फुलित मन हो, खुशियों का संचार हो! डॉ नूतन गैरोला |
आज १७ दिसंबर है , पिछले सालों में इस दिन विश्व में क्या कुछ घटा एक सरसरी निगाह में | १७ दिसम्बर सन 1807 ईसवी को फ़्रांस के तानाशाह नेपोलियन बोनापार्ट ने मीलान का ऐतिहासिक आदेश जारी किया। १७ दिसम्बर सन 1891 ईसवी को ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति और प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ जूलियस रैब का राजधानी वियना में जन्म हुआ। १७ दिसम्बर सन 1903 ईसवी को मोटर की सहायता से उड़ने वाला विमान अनेकों बार के परीक्षण के बाद पहली बार सफलतापूर्वक पृथ्वी से उड़ा | १७ दिसम्बर सन 1971 ईसवी को भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरा युद्ध पाकिस्तान के विभाजन के परिणाम स्वरुप बांग्लादेश के अस्तित्व में आने के बाद समाप्त हुआ। १७ दिसम्बर सन 1992 ईसवी को ज़ायोनी शासन ने अपने सीमा सुरक्षा बल के एक जवान की हत्या के बहाने फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के 415 सदस्यों को देश निकाला दे दिया। २९ ज़िलहिज्जा सन 320 हिजरी क़मरी को अरबी भाषा के विख्यात साहित्यकार और इतिहासकार अबु बक्र मोहम्मद बिन अहमद ख़ैयात का निधन हुआ। |
अब मैं आपके सम्मुख कुछ ब्लोग्स और रचनाएं ले कर आ रही हूँ .. आपको कुछ न कुछ तो पसंद आएगा -क्यूंकि पसंद अपनी अपनी होती है | देखिये बच्चे कैसे हमारे भविष्य के अग्रिम वाहक हैं और कैसे वो हमारी दिनचर्या और भविष्य को छूते हैं | प्रतिदिन की दिनचर्या रूपचन्द्र शास्त्री जी की कविता सुशीला पूरी जी की रचना आज जब पिता नहीं हैं अम्मा कुछ ज्यादा ही हिसाब समालोचन में श्री अरुण देव जी कहतें हैं नगर वह बस्ती है जिसमें हमारी यादों की स्थाई नागरिकता है, चाहे हम दर – बदर हों या जिला -बदर. देस - विराना देवरिया हमने अपने इर्द गिर्द देखा तो पाया एक तू ही धनवान - खबर मंदिरो से होने वाली आय पर है। श्री हरी जोशी जी क्या कहते हैं .. पढियेगा जरूर | जिन खोजा तिन पाइयाँ इस ब्लॉग पर विद्यार्थियों के साथ संवाद होगा। हिन्दी साहित्य से जुड़े अभ्यासक्रमों में जो कुछ वर्ग में अध्यापन के दौरान अनकहा, अनसमझा रह जाएगा उस पर बातचीत होगी। कुछ अतिरिक्त जानकारी भी। जैसे HIN-404 लोकजागरणकालीन काव्य खामोश दिल की सुगबुगाहट में शेखर सुमन जी कहते हैं कि वो लम्हे जो याद ना हों वो पहली बार, जब माँ ने गले से लगाया, वो लम्हा जब पापा ने गोद में उठाया | कुंवर कुसुमेश जी कहते हैं उठ रहा है तेरे चेहरे से दिखावे का नकाब …… ज़ल्म को शोरिशे-हंगाम से जाना जाता आदमी पैकरे-अन्दाम से जाना जाता... |
पढते पढते में नाओमी शिहाब न्ये की कविता में “ एक लड़के ने बताया मुझे , मेरे पैरों में बसता है संगीत .. मनोज पटेल जी का ब्लॉग कुछ दिल ने कहा में मंजुला जी कहती हैं साहस एक बार फिर कर के देखो संभव नहीं है प्रेम में मोहित हो उड़ना निर्द्वंद आकाश है सीमित , रिवायतों और रिवाजों में मेरे एहसास में खरे जी कहते है मुझे आज भी याद है … हाँ मुझे याद हे जब में पंजी/दस्सी (५ पैसे, १० पैसे) ज्यादातर इस्तेमाल करता था | सबद में अनुराग वत्स जी कहते हैं कि आज पहले और आखिरी बार २०१० की ६ दिसम्बर है | |
शास्वत सत्य पर संगीत स्वरुप जी क्या कहती हैं ? गीत... मेरी अनुभूतियाँ में | वंदना जी जख्म जो फूलों ने दिए में कहती है कि मुमकिन है तुम आ जाओ | समीर लाल जी अपनी पोस्ट पहाड़ी ओहदे में अपनी बात किस तरह कह जाते है उनका संस्मरण उनके ब्लॉग उड़न तश्तरी में | ताऊ जी ताऊ डॉट इन में कहते है कि एक ब्लोगर सम्मलेन इधर भी जरा आप लोग उधर भी ध्यान रखियेगा | मनोज कुमार जी ने बहुत सुन्दर तरीके से विचार में देश के विकास में भ्रष्टाचार की वजह से होने वाले प्रभाव का विश्लेषण किया है | पढियेगा... मेरी माला -मेरे मोती में डॉ अरुणा कपूर जी के पति की कविता मेरे अधूरे सपने आज कि व्यवस्था पर अच्छा मार करती है .. देखियेगा | आराधना चतुर्वेदी जी के ब्लॉग feminist poem में अभिनेत्री - रघुवीर सहाय की एक कविता पढ़िए | smart विचार में Y K Deepak जी कोलाहल पर क्या कहते हैं.. आधुनिक हिंदी साहित्य में हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं - राकेश रोहित जी को है और वो इस विषय पर क्या सोच रखतें हैं .. अंधड़ में श्री पी सी गोदियाल “ परचेत “ जी क्या कहता है सुण ओए वोट-बैंक सुण ! रचना दीक्षित जी की अंधियारा पर एक कविता ..ब्लॉग रचना रविन्द्र रश्मि प्रभा जी के ब्लॉग वटवृक्ष में काग के भाग बड़े सजनी यह लेख लिखा है Dr. R . Ramkumar ji ने | चिंतन मेरे मन का में श्री प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल जी क्रोध को किस सुंदरता से अभिव्यक्त करते हैं - देखिये | डॉ मोनिका शर्मा कहती है अभावों से जन्मते हैं जीतने का भाव अपने ब्लॉग परवाज ... शब्दों के पंख में | श्री के एल कोरी जी मेरे जज्बात में कहतें हैं किसी सहर की ताजगी तुम हो | श्री ज्ञान चन्द्र जी के शब्द साधक मंच पर मुक्तक पढ़िए | निर्मला कपिला जी की धारावाहिक कहानी सुखांत - दुखांत - भाग ३ पढ़िये उनके ब्लॉग वीर बहुटी में | डॉ दिव्या श्रीवास्तव जी अपने ब्लॉग Zeal में कहती हैं कि इंसानियत फिर से शर्मसार हुवी - पत्नी के ७२ टुकड़े किये | जाकिर अली रजनीश जी अपने ब्लॉग मेरी दुनिया मेरे सपने में दिल्ली के दो दिलवाले ब्लोगेर्स के बारे में बता रहे है | कविता रावत जी अपने गांव को याद करते हुवे कहती हैं अब सिर्फ कुछ यादें बची हैं मन में | संजय भाष्कर जी आदत .. मुस्कुराने की में माँ की परिभाषा पर एक कविता कह रहें है .. यूँ तो माँ के प्यार को शब्दों में बाँधना और परिभाषित करना किसी के भी बस में नहीं | |
अंत में मैं एक स्वरचित कविता का लिंक दे रही हूँ जिसका आशय है कि हम देखते है कि लोगों का नजरिया हमारे प्रति बदल गया है जबकि हम बेखबर होतें है कि हमारा नजरिया ही उनके प्रति बदल गया है तुम बदले ? न हम ब्लॉग का नाम है अमृतरस | उच्चारण ब्लॉग में एक बहुत सुन्दर रहस्यमयी अंदाज में सरस्वती पर गीत के साथ डॉ .रूप चन्द्र शास्त्री "मयंक"जी ने लिखा है , छोड़ देंगे, - क्यूंकि अब चर्चा की बारी आपकी है - यहाँ पर आप चर्चा कीजिये .. धन्यवाद और शुभकामनाएं डॉ नूतन गैरोला - http://amritras.blogspot.com |
अच्छे लिंक्सों से सुसज्जित अच्छी चर्चा के लिए आभार !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया रही आज की चर्चा!
जवाब देंहटाएंथैंक्स गॉड...!
आप नियमित तो हुईं!
आज मेरी कविता तो नहीं है ..
जवाब देंहटाएंमगर मैं इस मंच का मुरीद हूँ //
aaj ki charcha- chay bahut hi kadak rahi .maja aa gaya .aabhar .
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा के लिए आभार !!!
जवाब देंहटाएंअच्छे सुन्दर लिंक्स.
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान दिया कृतज्ञ हूँ
आपकी आज की चर्चा भाई
जवाब देंहटाएं१७ दिसंबर की एक बात हमें भी याद आई
राइट बंधुओं ने जिस इंजन चलित हवाई जहाज को १७ दिसंबर १९०३ को उड़ाया था उसका नाम किट्टी हॉक था।
मंच पर हमारे ‘विचार’ को स्थान देने के लिए आभार।
अभी मैंने संगीता जी , समीर लाल जी और संजय भाषकर जी को पढा है, बहुत अच्छे लिंक्स,
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी चर्चा। आभार।
नूतन जी मेरी कविता को चर्चामंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा है, बहुत लिंक मिले...चिट्ठाजगत के अभाव में सब ब्लॉग पर जा पाना संभव नहीं लग रहा था.....आपकी इस चर्चा से थोडा रास्ता दिखा है...
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जवाब देंहटाएंडॉ नूतन ,
बहुत अच्छे लिनक्स से सजाई है वार्ता । अभी पढना बाकी है बहुत से लिंक्स। पहले आपका आभार कह दूँ यह सोचकर लिखा । इतने श्रम से इतनी सुन्दर सजी चर्चा के लिए आपका आभार।
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आदरणीय डा.नूतन जी,
जवाब देंहटाएंआज का चर्चा मंच अच्छे लिंकों के साथ अपनी नई छटा बिखेर रहा है !
आपके सुप्रयास का रंग निखर कर उभरा है !
मेरे मुक्तक को स्थान देने के लिए धन्यवाद !
साभार,
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
नूतन जी बहुत ही सुन्दर लिंक्स लगाए है और चर्चा का अन्दाज़ भी बहुत अच्छा लगा……………काफ़ी मन से चर्चा की है………………आभार्।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर आधुनिक हिंदी साहित्य और आलेख- हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं शामिल करने के लिए आपका आभार. आपकी सदाशयता और आपका मनोयोग चर्चा मंच को महत्वपूर्ण बनाता है.
जवाब देंहटाएंनूतन जी सर्वप्रथम आपका आभार मेरी रचना चर्चा मंच में शामिल करने के लिए और साथ ही एक सुन्दर चर्चामंच सजाने के लिए भी !
जवाब देंहटाएंआज के दिन का ऐतिहासिक दृष्टि में महत्व को दर्शाते हुए आपने बहुत अच्छे लिंक्स देते हुए बहुत सुन्दर ढंग से चर्चामंच सजाया है ... मेरी कविता को चर्चामंच में सम्मिलित करने हेतु आपका बहुत बहुत आभार ..
जवाब देंहटाएंMehant se ki hai aapne charcha ..bahut sundar.
जवाब देंहटाएंsundar charcha!
जवाब देंहटाएंसुदर चर्चा के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपके चर्चा करने का अंदाज़ ना सिर्फ़ खूबसूरत है...ज्ञानवर्धक भी है...
जवाब देंहटाएंहृदय से धन्यवाद...
बहुत सुन्दर , अच्छे लिंक्स से सजी चर्चा ....मेरी प्रविष्टी लेने के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंvery well copiled, Dr.Nutan, and thx for including my creation in the special "tea breakfast"
जवाब देंहटाएंbeautiful links, congrate
नूतन जी इस चर्चा मे हमे शामिल करने के लिये शुक्रिया!!! हर लिन्क और उसके संदेश और भाव - सभी में एक अलग सा अहसास...... शुभकामनाये सभी ब्लागरो को!!!
जवाब देंहटाएंनूतन जी, आपकी चर्चा का यह अंदाज पसंद आया। बधाई।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग को चर्चा लायक समझने का शुक्रिया।
नूतन जी क्षमा प्रार्थी हूँ आपकी चर्चा पर देर से पहुंची. बहुत अच्छी रही कल की चर्चा.बहुत अच्छे लिंक्स मिले. मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिय आभार
जवाब देंहटाएंआपने 22 मार्च 2009 के धनवान को खोज निकाला...जय हो आपकी
जवाब देंहटाएंनूतन जी मेरी कविता को चर्चामंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंबहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
बहुत ही अच्छी चर्चा। आभार।
जवाब देंहटाएंसभी चर्चाकारों को शुभदिवस और हेप्पी क्रिसमस... धन्यवाद आपका ...हार्दिक अभिनन्दन.. |
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी चर्चा सजाई आपने. मेरी कविता 'कोलाहल' को स्थान देने के लिए धन्यवाद. मैं यात्रा पर होने के कारण चर्चा में शामिल नहीं हो सका. माफी चाहूँगा. आपने बहुत हौसला दिया है आगे लिखने के लिए. कोटिश: धन्यवाद.
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