अब ढलते सूरज को प्रणाम।
जाकि रही भावना जैसी...उसने मूरत देखी वैसी।। नए साल में गणपति बप्पा… इनसे रौशन चप्पा-चप्पा।। -- कह झंझट झन्नाय...
दो कुण्डलियाँ
' राजा ' ने तो कर दिया दूर दूर संचार |
करूणानिधि का हाथ है फिर क्या सोच-विचार |...
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घोटालों का दौर है घपलों की भरमार |
हर कुर्सी पर जमे हैं रंगे हुए सियार |...
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सार ही तो सार है बल आपकी हुंकार में।
----------- लौटते हुए
लौटते हुए
मेरे साथ मैं नहीं था छूट गया था वह... |
समझ जाएगा स्वयं ही
धार का तू सिलसिला
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देता निठुर संसार है
कैसा अनोखा प्यार है?
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तमसो मा ज्योतिर्गमय, कथा,
श्रुति-रोहित की अभिभूत व्यथा।।
----------- सामाजिक सरोकार से जुड़ के सार्थक ब्लोगिंग किसे कहते हैं ?
सबसे पहले तो यह जानना आवश्यक है की ब्लोगिंग है क्या? हकीकत मैं यह डायरी लिखना है. डायरी लिखने की आदत से सभी वाकिफ हैं और वर्षों से पढ़े लिखे अपनी डायरी के माध्यम से अपने विचारों को, पेश करते रहे हैं और आगे आने वाली उनकी नस्ल उसका फ़ाएदा भी लेती रही है. फर्क इतना है की पहले की डायरी सार्वजनिक डायरी नहीं हुआ करती थी और ब्लोगिंग कहते है सार्वजनिक डायरी लिखने को जिसका सही इस्तेमाल समाज को अपनी विचारों, तजुर्बों के ज़रिये तुरंत फ़ाएदा पहुँचाया कर किया जा सकता है..
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जो भी प्यार से मिला
हम उसी के हो लिए।।
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इनको कैसे
अपनी वाणी में
ज्यों का त्यों धरूँ।।
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ओम् शान्ति।।
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मिटटी ... नर्म होती है जब गीली होती है पक जाती है वह जब आग पर रंग ,रूप आकार नहीं बदलती // बांस ... जब कच्चा होता है जिधर चाहो ,मोड़ दो ..
यही तो है-
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कर्म ही है देवता
और कर्म ही तो धर्म है।
झाँक कर दिल में तो देखो
क्यें छिपाया मर्म है?
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कबीर मनु मूंडिआ नही केस मुंडाऐ कांऐ॥
जो किछ कीआ सो मनि कीआ मूंडा मूंडु अजांऐ॥
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देख प्रकृति की छटा, खोया खोया उसमे ही , जा रहा था अपनी धुन में , ध्यान गया उस पीपल पर , था अनोखा दृश्य वहां , पत्ते खडखडा रहे थे , आपस में बतिया रहे थे ,
Akanksha के मन में-
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आज मैं अपनी डायरी से दो दिनों को मिटाऊंगा* *बीता हुआ कल और आने वाला कल...* * * *बीता हुआ कल सीखने के लिए था,* *आने वाला कल नतीजा होगा उसका,*
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- बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt www.bamulahija.com
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लिखत -पढ़त की साझेदारी के इस ठिकाने पर आप विश्व कविता के अनुवादों की सतत उपस्थिति से परिचित होते रहे हैं। इसी क्रम में आज बीसवी शताब्दी की तुर्की कविता के...
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ब्लांग परिवार... Blog parivaar - आप सब को मेरा नमस्कार,
सलाम,
सतश्री अकाल
और जो जो वाक्या स्वागत मे कहे जाते हे, वो सब मेरी ओर से जोड ले,बहुत समय से देख रहा हुं कि साथी लोग ऎग्रीगेट्र ...
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न महत्त्व दो किसी को इतना , तुम्हारा अस्तित्व मिट जाए |
न पूजो किसी को इतना , वह पत्थर बन जाए | ..
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कहते हुए सुनते हुए वक़्त हो चला है सपने बुनते हुए अब चलने की बारी है गति और विश्वास साथ हों फिर निश्चित ही जीत हमारी है! हँसते हुए रोते हुए वक़्त हो...
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स्तन कैंसर का खतरा दोगुना - चिकित्सकीय शोध के मामले में देश की सबसे ब़ड़ी सरकारी संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ...
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बासमती की महक - सतिन्द्र कौर “क्या हुआ?” “एक्सीडेंट! ट्रक वाले ने एक आदमी को नीचे दे दिया।” वह भीड़ में आगे बढ़ा। खून से लथपथ लाश उससे देखी न गई। “चावल तो बासमती लगते है?” ...
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जमीने कम पड़ी जबसे बटवारों में,जगह दिलों में इंसान के, रही नहीं। चले आप भी मंदिर में नया देवता बनाने ,क्या मन में कोई मूरत, रही नहीं। ...
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आज छोटा बेटा दिल्ली से लौटा है!
कह रहा था कि वहाँ भयंकर सरदी और कुहरा पड़ रहा है!
मगर खटीमा में तो बहुत अमन-चैन है!
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यहाँ न ही कुहरा है तथा न ही भयंकर सरदी है!
दिन में खूब खिली हुई धूप निकलती है!
इस गुनगुनी धूप को सेंकने में तो दोपहर में पसीना आ जाता है!
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तो फिर असमंजस किस बात का 9 जनवरी को आइए न खटीमा!
8 जनवरी को सेकेण्ड सटरडे है और 9 जनवरी को सण्डे है!
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'कहीं तुम वही तो नहीं हो जाना ' - वो जोगी अलख जगाता रहा पूजन अर्चन वंदन करता रहा तप की अग्नि में खुद की आहुति देता रहा देवी दर्शन की चाह में लहू से अपने तिलक लगाता रहा चौखट पर देवी की 'स्व' ...
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- प्रिय दोस्तों, आप सभी को नव वर्ष २०११ की शुभ-कामनाएं!
काफी दिनों के बाद मैं फिर से अपने वियोग-रस के साथ हाज़िर हूँ! आशा करता हूँ आपको मेरी ये रचना पसंद आयेगी...
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*छत्तीसगढ़ में कवर्धा से 80 किलोमीटर दूर पंडरिया के ग्राम अमनिया में जहां बाघ को मौत के घाट उतारा गया है वह इलाका अचानकमार व कान्हा नेशनल पार्क के गलियार...
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- आह्वान मत करो
नए साल में खुशियों का
क्योंकि खुशियाँ तो महज़ धोखा हैं । आह्वान करना है तो करो - ख़ुद से ख़ुद को मिलने का नए संकल्प करने का ये वक्त मदम...
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नव वर्ष आ ! - *... नव वर्ष आ ... * *** **ले** **आ** **नया** **हर्ष** * *नव** **वर्ष** **आ** !* * **आजा** **तू** **मुरली** **की** **तान** **लिये** ' **आ** !* *अधरों** **प...
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- *प्रिय ब्लॉग मित्रो,* * तो आज प्रस्तुत है पहेली संख्या -३ का परिणाम और विजेता का नाम-उत्तर हैं:-* *१-कबीर* *२-तुलसीदास* *३-बिहारी* * और विजेता हैं*...
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पैसा -
ये साल अपने सांध्य बेला की ओर अग्रसर है और नया साल नई खुशियों के साथ उदय होने वाला है। इस साल के साथ साथ हम इस सदी का एक दशक भी पुरा कर लेगें। इन सालों में...
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आस्था -- या अंधविश्वास ? आस्था की इन तस्वीरों को देखकर आपका दिल दहल सकता है । -हमारे देश में विभिन्न धर्मों , जातियों और समुदायों के लोग मिलकर रहते हैं । सबकी अपनी अपनी धारणाएं , मान्यताएं और धार्मिक विश्वास हैं ।
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- सभी साहित्य रसिकों को सादर प्रणाम| हिन्दुस्तानी छंद विधा के क्षेत्र में कुछ प्रयास करने हेतु एक नया ब्लॉग शुरू किया है| आप सभी कला प्रेमियों से सविनय निवेदन...
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अब दीजिए आज्ञा!2011 में फिर मिलेंगे!! |
सुन्दर सुन्दर लिंक्स .
जवाब देंहटाएंढलते सूरज को नमन
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा शीर्षक ॥
और बहुत ही अच्छी चर्चा के साथ आपका आमन्त्रण /
अपनी कविता " मिटटी ,बांस और हम "॥ तीनों का साथ जिंदगी भर का
आदमी के व्यक्तित्व में झाकने की कोसिस की थी //
सभी मित्रों को नए साल की बधाई
good links and very good presentation.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और अच्छे लिंक्स मिले……………आभार्।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सुव्यवस्थित चर्चा ...बहुत से उपयोगी लिंक्स मिले ..आभार
जवाब देंहटाएंbhut hi sundar charcha....ache links mile...
जवाब देंहटाएं*काव्य-कल्पना*
ढेर सारे काम के लिंक्स मिले जहां जाना नहीं हो पाया था। हमारे ब्लोग को मंच पर स्थान देने का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंcharchamanch par ek baar fir se meri rachna ko jagah dene ke liye dhanyawaad. Vandana ji, Sangeeta ji pahle se bata deti thi ki aapki yah rachna manch par hogi aapto batate hi nahi par yah bhi ek acha anubhaw hai charchamanch par aati hun dusron ki rachna dekhne aur apni rachna ko dekh kar dhire ka jhatka jor se lagta hai(khusi wala jhatka) hahahahahah
जवाब देंहटाएंbeautiful charchaa.
जवाब देंहटाएंasha
मेरी कविता "मेरे घर मेरे लोग " को २८/१२/२०१० मे यहाँ जगह देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ..यहाँ आकर बहुत से नए लोगो को मैंने पढ़ा .अब बार बार आउगी.....बहुत अच्छा प्रयास...
जवाब देंहटाएंbahut achchhe links mile.
जवाब देंहटाएंsarthak charcha ..
meri rachna ko sthan dene yogy samjha..bahut-bahut aabhar shastriji!
बहुत बढ़िया चर्चा .... आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत अच्छे लिंक्स से सजी सुंदर एवं सार्थक चर्चा. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
स्वास्थ्य-सबके लिए ब्लॉग की पोस्ट को स्थान देने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया डाक्टर साहब।
जवाब देंहटाएंshastri ji aapko badhai aur shubhkaamnayen pustako ke vimochan aur blogger meet ayojit karne ke liye...charcha acchi hai kintu link pe jana nahi ho paa raha... saadar
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच का यह अंक प्रापर लिंक नहीं मिल पाने के कारण छूट गया था । याद दिलाने के साथ ही मेरी पोस्ट की लिंक भी इसमें सहेजने के लिये आपका आभार...
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