नमस्कार , हाज़िर हूँ आज मंगलवार की साप्ताहिक काव्य चर्चा लेकर … कल संसद पर हमले की नौवीं बरसी थी …बस हम यूँ ही बरसी मनाते रहेंगे और आतंकवादी अपनी योजना पूर्ण कर लेंगे ..सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती …न आतंकवाद के खिलाफ न भ्रष्टाचार के खिलाफ …जनता की आवाज़ नक्कार खाने में तूती की तरह रह जाती है … और पक्ष और विपक्ष के नेता इक दूसरे पर आरोप -प्रत्यारोप लगाते रहते हैं ….खैर मैं ले चलती हूँ आज की चर्चा पर… जहाँ ले कर आई हूँ लोगों के मन में धधकती भावनाओं को ….आज की चर्चा में हर रंग की रचनाएँ शामिल हैं ….आशा है यह इन्द्रधनुष पसंद आएगा …लिंक पर जाने के लिए चित्र पर भी क्लिक कर सकते हैं …तो चर्चा शुरू करते हैं प्रवीण जी की कोमल भावनाओं से ----- |
![]() बहुत खूबसूरत और कोमल भावों से भरी रचना …. करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी |
![]() हमारी ज़िम्मेदारी |
वंदना गुप्ता जी कह रही हैं कि लोंग मिलते हैं अपनी अपनी कहते हैं और सपने दिखा कर चलते बनते हैं ..आखिर वो क्या कह रही हैं पढ़िए उनकी रचना … क्या यही मुहब्बत होती है ? | मनोज ब्लॉग पर अनिल प्रसाद श्रीवास्तव जी सुख और दुःख की विवेचना कर रहे हैं ..दुखी व्यक्ति को सांत्वना स्वरुप कहा जाता है दुःख के बाद सुख आएगा ….और सुख दुःख किसका बड़ा है और किसका कम …जानना है तो पढ़िए उनकी कविता - दुःख |
![]() विस्तृत रूप से पढ़ें .. दोस्त ! प्रेम के लिये वर्ग दृष्टि ज़रूरी है | ![]() करते हुए कह रही हैं कि तुम विचार हो और मैं एक शब्द …और शब्द ही विचार को अभिव्यक्त कर सकता है …इस रिश्ते को समझने का निर्णय हमारा है …कोई संकीर्ण सोच से नहीं समझ सकता … प्यार में नहीं होतीं परिस्थितियाँ ना अहम् ना दायरे प्यार को रूह से यूँ हीं नहीं जोड़ता भगवान् ... विस्तार से पढ़िए .. दो महारथी |
![]() अनावश्यक और अतिरिक्त |
![]() बे - ख्वाब | ![]() नाकामी को ढंकते क्यूं हो, नए बहाने गढ़ते क्यूं हो ? बाकी की बातें आप खुद ही गज़ल पढ़ कर जाने नया ज़माना |
![]() नवगीत- हम भारत वाले! (रिमिक्स |
![]() बहुत सुन्दर उपमाएं ली हैं …आप भी पढ़ें वक्त से -- | ![]() आज मीठा हुआ ज़हर देखो |
![]() विद्रोही का ब्रह्मज्ञान और कविता |
![]() अंजना जी एक बहुत महत्त्व पूर्ण बात बता रही हैं कि यदि मन में कुछ नाराज़गी हो तो उसे जल्दी से जल्दी बता कर निकाल देनी चाहिए … देर तक नाराज़ रहने से क्या नुक्सान होता है पढ़िए उनकी कविता में .. नाराज़गी जितनी दिल में रखी जाए, उतनी ही भारी हो जाती है | सीख मुझसे आतिश- फिशां में गुल- फिशां होना युहीं नही रुखसार पे तजल्ली ओ जलाल आता है बस इक 'हाँ' भर का फैसला था जो लिया ना गया उमरों का फासला हुआ रह रह के मलाल आता है पर क्या करे 'ज़ोया', माज़ी बनके मिसाल आता है |
आखर कलश पर पढ़िए नन्द किशोर आचार्य की पाँच कविताएँ .. ![]() १-फिर भी यात्रा में हूँ २-पानी कहता हूँ ३-लहरा रही है बस ४-क्या पा लिया तुमने ५-हो नहीं पाती है |
![]() स्त्री ! स्त्री होना चाहती है | ![]() डा० जे० पी० तिवारी जी आग्रह कर रहे हैं कि हो सके तो दर्पण में तुम अपना अर्पण और मेरा समर्पण देखो …पढ़िए उनकी रचना -- दर्पण देखो |
इक नज़र ज़िंदगी |
![]() आज का अखबार | ![]() मुझे आता है.. |
उसके जाने के बाद |
न ही मंदिर न ही मस्जिद न गुरुद्वारे न गिरिजा में दिलों में झाँकता है जो ख़ुदा को देख पाता है। दिवारें गिर रही हैं और छत की है बुरी हालत शहीदों का ये मंदिर है यहाँ अब कौन आता है। हराया है तूफानों को | ![]() हरे पत्तों और दरख्तों में गुम हुआ चेहरा था सब्ज़ अहसास वर्ना कहाँ गया चेहरा जिस्म में उतर आया था वो धीरे धीरे वो तो इक महताब था मैंने समझा चेहरा |
कितनी बेज़ार है ये दुनिया | ![]() निज मन की व्यथा |
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![]() पथ गमन कर चले ,तज सजे दो फलक ; स्मृतियों में बसे वेदना बन चले ----------- प्रवाह |
![]() और अफ्ज़लों की सजा बदल रही है |
राजभाषा ब्लॉग पर श्री श्याम नारायण मिश्र की कविता प्रस्तुत की गयी है जो अगहन मास के प्राकृतिक सौंदर्य को बखूबी बता रही है …पढ़िए उनकी रचना .. अगहन में | ![]() साहिल जी अपनी गज़ल में अपने मन की कशमकश ले कर आये हैं …क्या मालूम जहाँ जिस पत्थर के आगे इंसान सिर झुकाता है वो भगवान है यह किसे पता ? कब दोस्त दोस्ती छोड़ खंजर निकाल ले किसे पता ? पूरी गज़ल ही पढ़िए न …. क्या पता .... |
![]() पढ़िए ---- गुलाबी ख्वाब |
चलते चलते ----- ![]() ![]() सड़क दुर्घटनाओं में लोंग घायल की मदद नहीं करते और इस मदद के बिना घायल मौत की गोद में समा जाता है …इंसानियत दम तोड़ रही है ….यही बात कैलाश सी० शर्मा जी अपनी कविता में कह रहे हैं …इंसानियत की मौत |
चलते – चलते चर्चा कुछ विस्तृत हो गयी ….अब आपकी प्रतिक्रियाओं और सुझावों का इंतज़ार है … आपका दिन मंगलमय हो ….नमस्कार ----संगीता स्वरुप |
आपके इस सलाम में हम भी अपना स्वर मिला देते हैं!
जवाब देंहटाएं--
परिश्रम से की गई इस चर्चा को भी नमन करते हैं!
आपकी चर्चा दर्शाती है आपकी लगन और परिश्रम...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी..
हृदय से आभारी हैं हम सभी...
@ चलते – चलते चर्चा कुछ विस्तृत हो गयी
जवाब देंहटाएंचर्चा विस्तृत नहीं हुई है ... सही है। मंगलवार का इंतज़ार तो हम इसी तरह की चर्चा के लिए करते रहते हैं ताकि सप्ताह भर का खुराक मिल जाए और आपके संकलित न सिर्फ़ बेहतरीन पोस्ट बल्कि उत्तम ब्लोग्स की भी यात्रा हो जाए।
हमारे ब्लॉग्स को इस मंच पर स्थान देने के लिए आभार।
निवेदन :: ब्लॉग संचालक और आज के चर्चाकार से -- इतने उत्तम लिंक का चयन कर जैसे मंगलवार को कविता की प्रस्तुति की जाती है वैसे ही संगीता जी यदि रविवार को अन्य विधा (लेख, कहानी आदि) का संकलन प्रस्तुत करें तो हम जैसे पाठकों को एग्रीगेटर की कमी महसूस नहीं होगी और हमें राहत ...!
nice
जवाब देंहटाएंsarthak charcha v bahut sare....links .bahut mehnat ke sath prastut charcha .aabhar .
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा पर आने के बाद ऐसा लगता है जैसे बिखरे सितारे एकत्रित हो गए है. आपके अथक परिश्रम को प्रणाम . आभार मेरी श्रद्धांजलि को चर्चा में शामिल करके लिए .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मंच सजाया है आपने,संगीता जी.
जवाब देंहटाएंमुझे भी स्थान दिया , आभारी हूँ.
आज आपने सबसे ऊपर टाँग दिया है, नज़र में आ गये तो और कवितायें लिखनी पड़ेंगी। कई और अच्छे लिंक मिले।
जवाब देंहटाएंबहुत करीने से संजोया हुआ है
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच
आभार है गीत जी
शब्द तो चर्चा मंच पर चले गए
क्या कहू
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी के शब्दों में
'क्या लिखू'
बहुत अच्छी चर्चा है संगीता जी विशेषतया "शहीद की कविता..............."
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सभी पाठकों का आभार ...
जवाब देंहटाएं@@ मनोज जी ,
आपने मेरा नाम सुझा कर कृतार्थ किया ...इस बात के लिए आभार ...
लेकिन आपके निवेदन को मानना संभव नहीं है ...इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ....
बढ़िया बढ़िया लिंक सुंदर चेहरों के साथ देने के लिए आभार मैम :-)
जवाब देंहटाएंफिलहाल दीपक बाबा से शुरू कर रहा हूँ देखता हूँ इनके पिटारें से क्या निकला है !
पंच परमेश्वर ... कुछ ऐसा ही लगता है इस मंच पर
जवाब देंहटाएंइस ख़ूबसूरत संकलन के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंआपके परिश्रम और लगन से संजोयी गई चर्चा बहुत ही सार्थक एवं सराहनीय है ...शुभकामनाओं के साथ बधाई ....।
जवाब देंहटाएंबहुत ही करीने से सजाया गये गज़लों के गुलदस्ते से
जवाब देंहटाएंचर्चा मच का यह कमरा बरसो बरस यूं ही गुलज़ार रहे , संगीता स्वरूप ( गीत ) जी मुबारक बाद के मुस्तहक़ हैं । साथ ही मेरी ग़ज़लों को शामिल करने के लिये तहे-दिल आभार।
ऊपर जो इस टिप्पणीकार द्वारा बात कही गई है वह चर्चाकार के चयन और मेहनत के प्रति उद्गार और ब्लोग संचालक से इस मंच की सार्थकता और भी बढाने की एक पाठक की हैसियत से की गई अपील है, कि रविवार की जो चर्चा होती है उसकी जगह यदि ऐसी ही चर्चा हो तो सप्ताह भर की अच्छी खुराक मिल जाए।
जवाब देंहटाएंइतने खूबसूरत इन्द्रधनुषी चर्चामंच की जितनी प्रशंसा की जाए शब्द बौने ही साबित होंगे ! आभारी हूँ आपने मेरी रचना को इसमें स्थान दिया ! बहुत सुन्दर इस चर्चा के लिये आपको अनेकानेक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंvenus ke blog tak pahuchaane kaa shukriyaa.
जवाब देंहटाएंबेहद विस्तृत और सुन्दर चर्चा आपके परिश्रम को दर्शाती है…………जो लिंक्स रह गये थे काफ़ी पढ लिये………आभार्।
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा ने बहुत से नए लिंक दिए हैं ... मुझे शामिल करने का भी बहुत बहुत धन्यवाद ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सारगर्वित बढ़िया चर्चा ... काफी बढ़िया लिंक मिले ...आभार
जवाब देंहटाएंअच्छा लगता है चर्चा मंच पर आकर ....इस बार कुछ बदला-बदला सा लग रहा है कलेवर ........कुछ नया....कुछ आकर्षक ......कई लोगों की रचनाओं से रू-ब रू होने का अवसर मिलता है ...और यह सब चर्चा मंच के कारण ....आभारी हूँ ......वीनस की नज्में वाकई रोम-रोम को झंकृत कर देने वाली होती हैं.
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा .. लुभावनी भी और सुन्दर रचनाओं के लिंक्स दिए संगीता जी ने .. संगीता जी आपका हार्दिक अभिनन्दन
जवाब देंहटाएंसंगीता जी,
जवाब देंहटाएंआभार । चर्चा मंच को जिस तरह को से आप ने सजाया है वो काबिले तारीफ है। हर तरह के लिंक मिलेँ है। सुन्दर चर्चा।
सुंदर लिंकों से सुज्जजित ये चर्चा मंच ........ और उपर से बाबा को भी शामिल किया......
जवाब देंहटाएंह्रदय से आभार.
सम्मानीय संगीता जी , को ह्रदय से ध्न्यवाद मेरी रचना ’वटवृक्ष’ के माध्यम से इस मंच पर प्रस्तुत करने के लिये। आदरनीय,रश्मिप्रभा जी का भी अभार, मेरी रचना को अपने सुन्दर ब्लौग पर स्थान देने के लिये!
जवाब देंहटाएंआप सब का सम्मान व प्रेम अमूल्य है!
इतनी सुन्दर लिंक्स का संकलन और विवेचन आपके अथक परिश्रम को दर्शाता है..मेरी रचना को चर्चा में सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद..आभार
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआदरणीय संगीता जी, एक और दिलकश पेशकश आपकी तरफ से हम जैसे साहित्य पिपासुओं के लिए|
जवाब देंहटाएंपरंतु भाई कुँवर कुसुमेश जी का लिंक नहीं खुल पा रहा|
सभी पाठकों का आभार ,
जवाब देंहटाएंनवीन जी ,
यदि लिंक से नहीं खुल रहा है तो चित्र पर भी आप क्लिक करके खोल सकते हैं ...वैसे यहाँ लिंक खुल रहा है ...
सहयोग के लिए आभार
सबसे पहले तो मनोज जी के स्वर में एक बड़ा सा स्वर मेरा भी मिला लीजिए.
जवाब देंहटाएंअब चर्चा
चर्चा ऐसी ही होनी चाहिए..लिंक्स भी और कुछ जानकारी भी, जिससे पाठक को अपनी पसंद की पोस्ट पर जाने में आसानी हो.सच में मंगवार की चर्चा का इंतज़ार पूरे सप्ताह रहता है..
" वंदना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो "इतना ही कहना चाहूंगी. बहुत दिल काश नज़ारा और प्रतिक्रियाएं हैं. मैं भी सहमत हूँ. मेरी पोस्ट को साप्ताहिक मंच पर सुशोभित करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सारगर्भित चर्चा है। आपका चर्चा प्रस्तुतिकरण बहुत ही शानदार है। मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए तहेदिल से शुक्रियाँ दी।
जवाब देंहटाएंसुसज्जित चर्चामच प्रस्तुत करने के लिए आपके प्रति हृदय से आभार।
जवाब देंहटाएंआपके परिश्रम के फलस्वरूप हम काव्यप्रेमियों को एक साथ एक से बढ़कर एक रचनाएं पढ़ने को मिल जाती हैं।
मेरा ग़ज़ल को इस मंच पर स्थान देने के लिए आपको शत-शत धन्यवाद।
charcha ko aapne jo bhumika di hai vo sarahneeya hai...isse apni abhiruchi tak pahunchna aasan ho jata hai....bahut sunder charcha...shamil karne ke liye dhanyavad...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंरोज की तरह सुन्दर, विश्लेषित और विस्तृत चर्चा के लिए आभार संगीता जी !
जवाब देंहटाएंबहुत विस्तृत चर्चा .. बहुत सारे पठनीय लिंक मिले !!
जवाब देंहटाएंसंगीता दी ..
जवाब देंहटाएंआप नही जानती..आज कितना अच्छा लग रहा है मुझे ..एक तो आपकी इस चर्चामंच पे आपने मेरी ग़ज़ल (अधपकी सी ) को स्थान दे के ..मुझे बहुत हौंसला और ख़ुशी दी है....और...बहुत achche achche लिखने वालों तक पहुंची .बहुत achche लिनक्स दिए हैं आपने,...और आपने बहुत ही khoobsurat तरीके से चर्चा की है,......चयन ...presentation ..सब बहुत ही खूबसूरत... . कई...पुराने चेहरे फिर से देखने को मिले .......और बहुतों का प्यार भी....
आपका तह ए दिल से शुर्किया.......
इतनी खूबसूरत चर्चा के लिए बधाई
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unkavi December 14, 2010 11:21 AM
venus ke blog tak pahuchaane kaa shukriyaa.
Kaushalendra December 14, 2010 12:34 PM
अच्छा लगता है चर्चा मंच पर आकर ....इस बार कुछ बदला-बदला सा लग रहा है कलेवर ........कुछ नया....कुछ आकर्षक ......कई लोगों की रचनाओं से रू-ब रू होने का अवसर मिलता है ...और यह सब चर्चा मंच के कारण ....आभारी हूँ ......वीनस की नज्में वाकई रोम-रोम को झंकृत कर देने वाली होती हैं
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ह्म्म्मम्म ...आप दोनों का शुर्किया कैसे करूं....आप के शब्दों ने दिल को बहुत सकूं और ख़ुशी दी...आप दोनों का तह ए दिल से शुर्किया...[:)]
sundar charcha!!!
जवाब देंहटाएंaapki charcha achhi lagi....achhe links mile
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में जहां मेहनत है वहां संकलन का रंग भी बहुत अलग है. साधुवाद.
जवाब देंहटाएंचर्चारुपी इन्द्रधनुष बहुत ही अच्छा लगा... जितने लिनक्स देखे सारे अच्छे लगे! और आपका प्रोत्साहन सबसे अच्छ लगा :-) सादर
जवाब देंहटाएंअच्छे सार-संकलन के साथ सुंदर प्रस्तुतिकरण. आभार .
जवाब देंहटाएंApki mehnat ko dil se salaam. sunder rango se susajjit acchhe acchhe links se aalokit shaandaar charcha hai apki.
जवाब देंहटाएंaabhar.
बेहतरीन कड़ियों के साथ सजी इस सुंदर चर्चा के लिए आभार और मेरे ब्लॉग को भी इसमें स्थान देने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंइस बार तो काफी लिंक्स के चटखे है. आभार!
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