आइये दोस्तों चलें चर्चामंच की ओर
मरुभूमि कितना.........
कोई अंत नहीं
ये दरवाजे !!
ये भी बोलते हैं
इन दिनों...
कहाँ कहाँ से गुज़र गये
प्याज बन कर रह गया है आदमी
कितना ही परतें हटाते रहो उसको कभी नही जान पाओगे
वो चलती रही निरन्तर ...
दर्पण झूठ ना बोले
कल नहीं रहेगी देह
अटल सत्य है
कैफ़ियत
अधूरेपन की भी अपनी कैफ़ियत होती है
जिन्हें मंदिर की पहचान नहीं, वो रंग महल कह देते हैं ...
कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना मरुभूमि कितना.........
कोई अंत नहीं
ये दरवाजे !!
ये भी बोलते हैं
इन दिनों...
कहाँ कहाँ से गुज़र गये
प्याज बन कर रह गया है आदमी
कितना ही परतें हटाते रहो उसको कभी नही जान पाओगे
वो चलती रही निरन्तर ...
दर्पण झूठ ना बोले
कल नहीं रहेगी देह
अटल सत्य है
कैफ़ियत
अधूरेपन की भी अपनी कैफ़ियत होती है
जिन्हें मंदिर की पहचान नहीं, वो रंग महल कह देते हैं ...
(गज़ल ) दिन भी वैसे नहीं रहे !
दिन कब एक जैसे रहे हैं ?
नहीं होती
बहुत कुछ बदलता रहता है
तेरे बगैर : सुमन 'मीत'
ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं
तेरे बगैर ज़िन्दगी भी लेकिन ज़िन्दगी नहीं
अछूत हूँ मैं
बच के रहना
मैं अपनी साँस का मोहताज नहीं हूँ !
ज़िन्दा हूँ मगर ज़िन्दगी का मोहताज़ नहीं हूँ
ख़ामोशी
एक पर्दा भी है
नदी
एक ऐसी भी
नव वर्ष के शुभ संदेशे
आपको क्या हैं अंदेशे
मौन की परिणति
बर्बाद मोहब्बत का मेरा ये कलाम ले लो
मोहब्बत ने किसे आबाद किया है
रूई का बोझ...पहली किस्त...खुशदीप
उठा सकते हैं क्या ?
किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार
और ज़िन्दगी को कर कुर्बान
भारतेन्दु युग की कविता
सशक्तता का परिचायक
हरिभूमि में प्रकाशित एक व्यंग्य हरी बत्ती हो गयी
वो तो होनी ही थी
अन्य धर्म और भारतीय सम्प्रदायों का तुलनात्मक चिंतन
ये भी कर लीजिये
सुखान्त दुखान्त--- आखिरी कडी { story}
एक सन्देश
गोवर्धन परिक्रमा .........
जय हो बिहारी जी की
पंडित महामना मदनमोहन मालवीय
अपनी पहचान आप हैं
डॉ अमर कुमार के लिए प्रार्थना - सतीश सक्सेना
आप भी शामिल हों इसमें
मॉल में एक दिन
असलियत से रु-ब-रु हो जाओगे
रामप्रताप गुप्ता का आलेख - देश में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और उनकी बढ़ती उपेक्षा
दयनीय स्थिति
200 फोलोवर ...सभी ब्लोगेर साथियों और ब्लॉगस्पॉट का तहे दिल से शुक्रिया .संजय रहेगा सदा कर्जदार आपका। ...संजय भास्कर
बढे चलो
दशक शुभकामना!
आपको भी
फुल बदतमीजी .
जरूर करिये
शाम के साए में कोई बादल जैसे
क्या सरूर है
जिंदगी इतनी भी नहीं बेमानी!
कुछ तो है इसकी भी कहानी
यहां वहां से उठाकर रखे कुछ अधूरे पूरे सफ्हे
यही तो ज़िन्दगी है
सिर्फ और सिर्फ मैं
बिल्कुल जी सिर्फ़ आप और आप
क्या हम कुछ दिन प्याज खाना बंद नहीं कर सकते..?
क्यूँ करें जी आखिर प्याज़ खाना तो वोट देने से ज्यादा कीमती है
२१ वी सदी का फलसफा
न जीयो न जीने दो
"कुहरा छाया नील गगन मे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
यही तो सर्दी का फलसफा है
रामशंकर चंचल की लघुकथा - अलाव
जलते ही रहेंगे
प्रेमांजलि
भावांजलि
"पंजाबी ऐसे ही होते हैं" सही कह रहे हैं पाबला जी
सही कह रहे हैं
चलिए दोस्तों हो गयी आज की चर्चा ...............अब आपकी बारी है
बहुत बढ़िया और विस्तृत चर्चा के लिए आभार!
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर चिट्ठों को बोस्टों का शतक लगाइए ना!
प्रतीक्षा रहेगी!
--
आज तो चिट्ठाजगत भी वापिस आ गया है!
--
अब तो बस ब्लॉगवाणी का ही इन्तजार है!
चर्चा मंच अब पाठक मंच भी हो गया है
ReplyDeleteमुझे भी पाठको का ज़बर्ज़ास्त समर्थन मिल रहा है /
कल तो यह पेज खुल ही नहीं पाया ..
ReplyDeleteअच्छे लिंक्स....
आभार !
बहुत -बहुत धन्यवाद. अच्छा लगा आपका यह प्रस्तुतिकरण .
ReplyDeleteबहुत अच्छे लिंक्स.. हर बार की तरह विविधता मिली. नए blogs पढ़े और उन्हें fb वाल पर शेयर भी किया ताकि अधिक से अधिक पाठकों तक सुरुचि से सजाये blogs पहुँच सकें.
ReplyDeleteवंदना जी , इन सभी सुन्दर blogs को पढ़ाने के लिए शुक्रिया.
ख़ूबसूरत तौर चर्चा का , अच्छे लिंक्स , आभार व बधाई।
ReplyDeleteविविधता लिए हुए सुन्दर लिंक्स.
ReplyDeleteमैं हाजिर हूँ वंदना मैम , बढ़िया पढाया आपने आज ...
ReplyDeleteसुरुचिसम्पन्न समीक्षा। एक लाइना भी सटीक। हमें सम्मान देने के लिए शुक्रिया।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति वन्दना जी !
ReplyDeletebadhiyaa charcha ... apni charcha ke darwaaje mere blog ke liye kholne ke liye dhanyawaad
ReplyDeletebhut hi sundar charcha aaj ki...........bhut ache ache links mile......thnks
ReplyDeleteबहुत अच्छी चर्चा ..सारे लिंक्स देख लिए ....इतने सारे लिंक्स तक पहुंचाने के लिए शुक्रिया
ReplyDeleteचर्चामंच में अपनी पसन्द की सभी छूटी हुई पोस्ट सिलसिलेवार पढने को मिल जाती है । आपके चयन-प्रक्रिया के प्रयासों हेतु आभार...
ReplyDeleteयहाँ पर आकर अच्छी पढ़ने की चाह पूरी हो जाती है।
ReplyDeleteबढ़िया और विस्तृत चर्चा
ReplyDeleteआभार!
सुन्दर सार्थक चर्चा!
ReplyDeleteआभार!
बेहरतीन चर्चा
ReplyDeleteआनन्द आ गया
बहुत बढ़िया और विस्तृत चर्चा के लिए आभार
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक लिंक दिए आपने....
ReplyDeleteकठिन परिश्रम के लिए बहुत बहुत आभार आपका....
शुक्रिया वंदना जी मेरे पोस्ट को चर्चा में शामिल करने के लिए..
ReplyDeleteशुक्रिया वंदना जी मेरे पोस्ट को चर्चा में शामिल करने के लिए..
ReplyDeleterachna shamil karne ke liye dhanyawad..
ReplyDeletebahut achhi prastuti hoti hai aapke charchamanch ki is se blog ko traffic bhi mil jata hai aur bahut sari rachnawo tak pahuchne ka madhyam bhi mil jata hai..
aage bhi mujhe aise hi jagah milti rahegi isi vishwas ke sath..
aapka hi
आदरणीय वन्दना जी ! नमस्कार। चर्चा मंच के लिए आपने मेरी कविता ‘कल नहीं रहेगी देह’ का चयन किया, आभारी हूँ। चर्चा मंे सम्मिलित सभी रचनाएँ स्तरीय एवं पठनीय हैं। आप चर्चा मंच के माध्यम से बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। आभार।
ReplyDeletebahut achchi cheezen padhne ko mili.mujhe lene ke liye aabhari hoon.
ReplyDeleteकुछ मज़ेदार कुछ चटखीला ...
ReplyDeleteaaj bahut dino baad computer devta ki naarazgi khatam hui hai to charcha manch par bhi aana ho paya.
ReplyDeletekoshish ki hai kuch links ko cover karne ki.
sunder sashakt charcha.
बहुत बढ़िया चर्चा और अच्छे लिंक्स! phir se aapke protsahan ke liye shukriya :-)
ReplyDeletesraraajya jee kee ghazal tak pahuchaa.shukriyaa saahab.
ReplyDeletesanjay bhaskar jee ke badhte number dekh kar eershyaa ho rahee hai.unhein shubhkaamanaaein.
बहुत अच्छे लिंक्स दिये है । चिठ्ठाजगत के वापस आ जाने का समाचार सुखद है ।
ReplyDeleteवंदना जी .... वंदन
ReplyDeleteआपने मेरे व्यंग्य को स्थान दिया उसके लिए आभारी हूं। उसे अलग से रंग देकर विशेष आकर्षण दिया है, इसके लिए अतिआभारी हूं।
आपकी मेहनत और समय देने कि लिए आपकी तारीफ तो होनी ही चाहिए। मुझे समय कम मिल पाता है, इस वजह से आपसे ईर्ष्या भी हो रही है। बुरा न मानो, होली 'नहीं' है।