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यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है | ये घटना तब की है जब उत्तराखंड आन्दोलन होने पर कर्फ्यू लगा दिया गया था | मैंने उसका विस्तार अपनी सोच से किया है पर मूल में सच्चाई है..पहाड़ की एक सीधी साधी वृद्ध महिला कर्फ्यू लगा है, कर्फ्यू एक मेला होता है ऐसा समझ -----
अकथ प्रेम स्निग्धा ने उसका नाम खारिज कर दिया है . उसके लिए वह अ ब स द है . प्रश्नों का क्रम या वस्तुनिष्ठ व्यक्तित्व . अ ब स द के साथ वह उसी तरह जुड़ी है जैसे एक सिर से जुड़े जुड़वां , जिन्हें अलहदा देखना नामुमकिन है . पर जुड़वां नहीं हैं . न तो समाज का मान्यता प्राप्त रिश्ता हैं वे और न ही उसकी आँखों की किरकिरी
‘अकथ कहानी प्रेम की’ में कबीर के जीवन, चिंतन, उनकी साधना, और उनके काल से संबधित सभी पहलुओं पर विशद चर्चाएं हैं। आछरियां
नए साल की नयी सुबह थी| पौड़ी की सर्दियाँ बहुत खूबसूरत होती हैं, और उससे भी ज्यादा खूबसूरत उस पहाड़ी कसबे की ओंस से भीगी सड़कें| सुबह उठते ही एकदम सामने चौखम्भा पर्वत दिखायी देता है| कौन रहता होगा वहां? इंसान तो क्या ही पहुंचा होगा? क्या कोई देवता?
सुग्गा कहता है लिखता हूँ किसी और दुनिया में रहता हूँ , कोई जीवन हो तो सुनाओ , लिख दूँगा उसे
मैं कहती हूँ जाओ जाओ किसी की जान अटकी है , हरी मिर्च खाओ और किसी और को बहलाओ
सियाबर बैद जी के रेज़ीडेन्स-कम-औषधालय का बरामदा शामों को मोहल्ले के बड़े लोगों के बीड़ी फूंकने और गपबाज़ी का सबसे प्रिय स्थान था. इस स्थान हमारा वास्ता बस तभी पड़ता था जब कभी कभार क्रिकेट की गेंद के वहां चली जाया करती. बैद जी को देखकर लगता था कि वे पैदा भी गांधी टोपी पहन कर हुए होंगे | श्रद्धा के बाँध भैया मेरी साईकिल मत ले जाओ मेरे भाई ने मुझसे रोते हुवे कहा | शेख चिल्ली और कुत्ते पाकिस्तान से एक लोक कथा | कितना अंतर है एक छोटी सी कथा के माध्यम से दो परिवेशो की कहानी | सुनील गज्जाणी जी की दो लघुकथाएं कॉफ़ी हॉउस की घडी पंकज उपाध्याय की लेखनी से
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एक आदमी के मन में कितनी इच्छाएं होती हैं, शायद इसे कभी जान लिया जाएगा लेकिन इस रहस्य से कभी पर्दा नहीं उठ सकेगा कि दिल्ली, लखनऊ समेत देश में डेंगू से अब तक कितने मनुष्य मर चुके हैं। गच्चा देना, चूना लगाना!!
कि सी को ठग लेने या आर्थिक नुकसान पहुंचाने के अर्थ में हिन्दी में अक्सर चूना लगाना जिसका काम उसी को साजे
ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι | Source: Khuda Khair kare
: वाणी गीत | Source: ज्ञानवाणी
बच्चे जब छोटे होते हैं तो तोतली आवाज़ में उन्हें जाने कितने से बुलाते हैं कि उनका वास्तविक नाम ही भूलने सा लगता है ...देखिये बच्चों को कितने खूबसूरत नाम दिए जा सकते हैं , खुद बच्चों की मीठी आवाज़ में ही ..
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और कंटीली झाडियाँ हैं भीतर वजूद में जिनमें घुसने में
: babanpandey | Source: " 21वीं सदी का इंद्रधनुष "
ओ !... नभचरों सारा आकाश है तुम्हारा मगर .... तुमने बनाया मात्र एक घोसला अपने रहने के लिए...
amit-nivedita | Source: बस यूं ही
यूं तो जाता नही कोई, जाता भी है पर रुलाता नही कोई, होठों पे तेरे इतनी हंसी थी कैसे, दूर जाने से इतनी खुशी हो जैसे, माना कि दरिया के दो छोर थे हम, ना मिलें ना सही पर, जीवन के बहाव को, दे सकते थे गति साथ साथ, दूर से ही सही, पर तुमपे तो अभी "पर" हैं, उड़ो और ऊंचा उड़ो, मेरे "पर" तो बोझिल हैं, मेरे ही आंसुओं से, जो जब कभी भी निकले चुपके ..
Aashu | Source: ENDEAVOUR, एक प्रयास
चंद रोज़ बेगारी के, कुछ पल कामचोरी के,
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आज के लिए इतना ही---!
अगले शुक्रवार को स्वास्थ्य ठीक हो जाने पर फिर मिलूँगी- |
nice
जवाब देंहटाएंबढिया
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स की जानकारी हेतु आभार,
जवाब देंहटाएंमेरी ग़ज़ल "क्या भरोसा ज़िन्दगी का" को स्थान देने के लिये धन्यवाद।
waah waah !
जवाब देंहटाएंनूतन जी साहित्यिक जागरूकता को समर्पित ओबिओ के दूसरे महा इवेंट को इस बार के चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद| १ से ५ दिसंबर तक चलने वाले इस साहित्यिक महा इवेंट में सभी रचनाकारों का सहर्ष स्वागत है| आप साहित्य के किसी भी फ़ॉर्मेट यानि ग़ज़ल, गीत, आधुनिक कविता, छंद, हाइकु, लघु कथा, हास्य-व्यंग्य वग़ैरह वग़ैरह में अपनी-अपनी रचनाओं को प्रस्तुत कर सकते हैं| ६०+ पोस्ट्स सहित ८००+ रिप्लाइस के साथ ये अपनी तरह का अनूठा आयोजन आज तीसरे दिन में प्रवेश कर चुका है| तो दोस्तो आइए आप लोगों से मिलते हैं महा इवेंट में. लिंक तो नूतन जी ने दे ही रखी है|
जवाब देंहटाएंएक बार फिर से नूतन जी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद|
चर्चामंच में अपनी कविता के चुने जाने ख़ुशी से फुले नहीं समा रहा हूँ // नूतन जी पारखी नज़र को सलाम //
जवाब देंहटाएं'मेला कर्फ्यू का' 'अकथ कहानी प्रेम की' 'लपूझन्ना' , 'एक दिन माराकेश' सभी अच्छे रचनाएँ हैं आज| मेरी रचना 'आछरियां' को शामिल करने के लिए भी शुक्रिया|
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति ...कुछ ब्लोग्स तो बिलकुल नए हैं मेरे लिए ...अच्छा चयन किया है ..आभार
जवाब देंहटाएंnutan, bahut sundar guldasta kahaniyon aur kathaon ka .. alag-alag kalevar; alag-alag rang ....
जवाब देंहटाएंbadhai! Nutan ji ..
पठनीय लिंक चर्चा में मिले ... आभार
जवाब देंहटाएंsaarthak ewam sundar charcha..!
जवाब देंहटाएंhriday se aabhari hun..
dhanywaad..!
अच्छी चर्चा ...
जवाब देंहटाएंशीघ्र स्वस्थ हों ...
चर्चा में चुने जाने के लिए बहुत आभार !
काफ़ी नये लिंक्स के साथ बहुत ही सुन्दर व सुगठित चर्चा की है……………बहुत आभार्।
जवाब देंहटाएंआज की सतरंगी चर्चा बहुत बढ़िया रही!
जवाब देंहटाएंआज के लिंक्स से काफी अच्छी पठनीय सामग्री मिली...धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंमेरी कहानी "श्रधा के बाँध टूटे" को इस मंच पर प्रस्तुत करने के लिए नूतन जी को मेरा सादर चरण स्पर्श । बहुत ख़ुशी हुई बाकी सभी लेखनी को पढ़ कर ।
जवाब देंहटाएं===================================
आप सभी का मेरे ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है । मेरी लेखनी पढ़ कर मुझे अनुग्रहित करें ।
www.ygdutt.blogspot.com
आशीर्वाद की उत्सुकता में , आपका ,
यज्ञ
bahut hi sundar tareeke se prastut charcha .be careful about your health .may god make you healthy !best of luck !
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर कविता - माँ की संदूकची - की समीक्षा सम्मिलित करने के लिए आपका आभारी हूँ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया.
जवाब देंहटाएंachha karya kabhi kabhi bina bhoomika bandhe bhi ho sakta hai ye aapne aaj sabit kiya hai.
जवाब देंहटाएंmeri kavita sahi kaha na ko sthan dene ko dhanyawad.
anya links ka chayan bhi aapki yogyata pradarshit karta hai.
gyan aanand se sarabor rahi charcha...
बहुत बढिया चर्चा. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुन्दर चर्चा विविधताएं समेटे हुए!
जवाब देंहटाएंआभार!
डॉक्टर साहिबा आपके अभिनन्दन का शुक्रिया भले ही मैं औरों की तरह बुद्धिजीवी नहीं हूँ. :)
जवाब देंहटाएंऔर शुक्रिया इस बार आपने हम पर भी अपनी नज़रें इनायत की और मेरी रचना को यहाँ स्थान दिया.
सुंदर और अच्छे लिंकों से सुसज्जित है आज की आपकी चर्चा.
यदि मन में दृढ़ निश्चय व विश्वास है तो विजय निश्चित है। अगर संकल्प कमजोर हैं तो पराजय होगी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विचार- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद - भारतीयता के प्रतीक
चर्चा अपने आप में नवीनता लिए हुए है....बढिया!
जवाब देंहटाएंहमारी पोस्ट को आपने चर्चा में सम्मिलित हेतु चुनाव किया....आभार्!
चल रहे हैं हम
जवाब देंहटाएंदिल्ली की ओर
और आप
आओ बंधु, गोरी के गांव चलें
बेहतरीन लिंक्स
जवाब देंहटाएंबधाईयां
ब्लागिंग पर राष्ट्रीय कार्यशाला आधिकारिक रपट
@डा. नूतन-नीति जी,मेरी पोस्ट को अपनी चर्चा परिधि में आपने लिया इसके लिये बहुत बहुत आभार। साथ साथ अन्य तमाम श्रेष्ठ रचनाएं पढ़ने का अवसर मिला उसके लिये भी धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स की, अच्छी चर्चा ...आभार
जवाब देंहटाएंsabhi kaa charchamanch par abhinandan.. aur dhanyvaad..
जवाब देंहटाएंआप सभी को शुभकामनायें और धन्यवाद.. शास्त्री जी को भी विशेष धन्यवाद.. उनकी मदद के बिना चर्चा अधूरी थी स्वस्थ खराब होने के वजह से चर्चा पूरी नहीं बना पाई थी..
जवाब देंहटाएं