फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, दिसंबर 06, 2010

सफ़रनामा ……दिलों की धडकन का (चर्चा मंच-360)





दोस्तों,
चलिए आज मेरे साथ चर्चामंच के सफ़र पर ..............आज 
चर्चामंच को एक साल हो गया और आज हम सभी चर्चामंच की इससफलता के साक्षी बने हैं तो क्यूँ ना इसके सफ़रपर एक दृष्टि डाल लें 

यूँ तो रोज नए नए चिट्ठे खुलते ही रहते हैं मगर बिना किसी अवरोध,के जिस तरह से चर्चामंच ने हम सबके दिलों में जगह बनाई और एक मंच पर नए नए लिंक्स से अवगत कराया वो सब डॉक्टर रूप चन्द्र शास्त्री 'मयंक" जी की मेहनत ,लगन , परिश्रम और कर्तव्यनिष्ठा का ही परिणाम है .
  
इस सफ़र की शुरुआत शास्त्री जी ने अकेले अपने दम पर की और सबसे पहली चर्चा में ११ लिंक लगाये ...........११ शुभ अंक होता है ना किसी भी शगुन के लिए...........बस उसके बाद शास्त्री जी बिना किसी बाधा के एक से एक मुकाम तय करते गए और चर्चामंच को हम सब के दिल की धड़कन बना दिया .

धीरे धीरे शास्त्री जी आम जन  को चर्चामंच से जोड़ते गए ........इस सफ़र में बहुत से चर्चाकार  आये और चले गए मगर चर्चामंच अपनी रफ़्तार से अपना सफ़र तय करता रहा बेशक चर्चाकार  जो भी जुड़े. उन्होंने पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्य को निभाया मगर फिर भी चर्चामंच की जिम्मेदारी तो सिर्फ शास्त्री जी के कन्धों पर थी इसलिए किसी को भी कोई काम होता तो शास्त्री जी को कह कर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री
कर लेता मगर शास्त्री जी उसी निष्ठा से , उसी लगन से उस चर्चाकार के स्थान पर चर्चा लगाते रहे ..........ये उनका बड़प्पन है कि  कभी किसी को कुछ नहीं कहा और अपने दम पर आगे बढ़ते रहे .

जब ब्लोगवाणी बंद हो गया तब भी चर्चामंच ने अपना कर्तव्य 
बखूबी निभाया .........सबको ऐसा लगने लगा था कि अब लिंक्स कहाँ से पढ़ें उस वक्त चिट्ठाजगत के बाद चर्चामंच ही ऐसा माध्यम सिद्ध हुआ जहाँ सबको काफी हद तक लिंक्स मिलने लगे और चर्चामंच एक मुकाम हासिल करता रहा.

आज चर्चामंच किसी पहचान का मोहताज नहीं है .........हर दिल 
की धड़कन बन चुका है और हम यही चाहते हैं कि ये धड़कन हमेशा यूँ  ही धडकती रहे औरसफ़र यूं ही चलता रहे.


------------------


चलिए अब तक के चर्चामंच के सफ़र की तरफ आप सबको ले चलती हूँ!



चर्चामंच की पहली पोस्ट और उसके  बाद अगले एक महीने तक की 

चर्चाओं की पहली पोस्ट देखिये ............ 


PRAKAMYA
 में पढ़िए लड़की होने की वेदना!

*लड़की की इच्छा क्या है ,
बस इक पानी का बुलबुला है
बनना चाहती है बहुत कुछ,
करना चाहती है बहुत कुछ !
जाना चाहती हैं यहाँ वहां,
देखना चाहती है सारा जहाँ कल्पन...


------------------



दूसरी चर्चा की पहली पोस्ट नए रंग के साथ



जरा इन नए ब्लॉगर्स की भी सोचें …. !!!!--- --- मनोज कुमार


तीसरी चर्चा में मौसम का रंग


चौथी चर्चा का रंग उड़न तश्तरी के संग 

उडन तश्तरी .... हाय री ये दुनिया? मौसम ठंडा है या गरम?


पांचवीं चर्चा की पहली पोस्ट 

"गुजरो न यूँ करीब से खयाल की तरह।



सातवीं चर्चा

श्रीमती लावण्या शाह की प्रथम और अद्यतन पोस्ट देखिए-
अनिश्चितता में.... - ट्रेन धडधडाती हुई प्लेटफार्म से आ लगी थी।
ट्रेन के आते ही लोगों की गहमागहमी अचानक ही बढ़ गई थी।
यहाँ से वहां लाल यूनिफार्म में दौड़ते कुली , डिब्बे में जगह...


------------------


यहाँ से ललित शर्मा जी शामिल हो गए चर्चा करने के लिए----------इनका सफ़र चर्चा मंच पर २७ दिसम्बर से ६  फरवरी तक रहा और ये थी उनकी पहली चर्चा की पहली पोस्ट  







अविनाश वाचस्पति को मिल गई यमुना

ने सारे रिकार्ड तोड़े!

साल 2009 की मेगा पहेली (158) : आयोजक उडनतश्तरी आज सुबह 5 बजे तक 1139 COMMENTS:


वर्ष २००९ का आखिरी दिन  अर्थात ३१ दिसम्बर 



वर्ष २०१० का पहला दिन और पहली चर्चा का पहला  लिंक 



प्राथमिक विद्यालय, बिहार का विकास , सच या झूठ (ग्राम प्रवास -३ )


कपडे तो उतर गए ,अब मैडल भी छिनेगा!!

निःसंदेह दम तोड़ देगी हमारी गरिमा.....

कार्टून :- पिज्ज़ा खाउंगा...


mahendra mishr
क्या यही स्वतंत्र अभिव्यक्ति का मंच है की किसी पर भी कुछ भी थोपो .... क्या ब्लागिंग जीनियस करते है आदि आदि ....क्यों न अब ब्लागिंग को राम राम कर ली
यहाँ तक एक महीने के चर्चामंच की हर पहली पोस्ट 

की चर्चा की गयी .


------------------

इसके बाद ये थी शतकीय चर्चा की पहली

पोस्ट------यहाँ चर्चामंच ने मील का पहला पत्थर 

गाढ़ा था

विज्ञान का वास्‍तविक तौर पर प्रचार प्रसार काफी मुश्किल लगता है !!


और इसके बाद शामिल हुए रावेन्द्र रवि जी ४ अप्रैल से १० जुलाई तक के सफ़र में और ये है उनके द्वारा की गयी पहली चर्चा की पहली पोस्ट 

पाखी की दुनिया

और ८ अप्रैल से २१ मई तक के सफ़र में अदा

जी चर्चा मंच से जुडी और ये है उनकी पहली

चर्चा की पहली पोस्ट

अरविंद मिश्रा जी हाईप तो सानिया मिर्ज़ा को किया गया है न कि महफ़ूज़ को
और ११ अप्रैल को मनोज कुमार जी ने पहली चर्चा लगायी और आज तक अपने दायित्व को बेहद कर्तव्यनिष्ठा और लगन से निभा रहे हैं .........इनके द्वारा की गयी चर्चा ने चर्चामंच को एक नया आयाम दिया ...........मनोज जी की समीक्षात्मक चर्चा हर पाठक को पढने के लिए मजबूर करती है 


और २६ अप्रैल को मैं यानि वन्दना गुप्ता चर्चा मंच से जुडी और अपनी तरफ से कोशिश कर रही हूँ अच्छे से अच्छे लिंक्स पाठकों तक पहुँचाने की 


१ मई से ४ नवम्बर तक पंडित डी के शर्मा वत्स जी 

चर्चा मंच की शान बने और ये थी उनके द्वारा की गयी 

पहली चर्चा की पहली पोस्ट 
अब डेटिंग से पहले ब्लड-ग्रुप करवाने का क्या नया लफड़ा है ?
और फिर २४ मई को संगीता स्वरुप जी चर्चा मंच से जुडी और साप्ताहिक काव्य मंच लेकर आयीं ..........संगीता जी के आने के बाद चर्चामंच ने एक नया रूप लिया जहाँ संगीता जी पूरे सप्ताह की कवितायेँ लेकर आती हैं .........बहुत ही मेहनत और लगन से अपने कार्य को अंजाम देती हैं जो उनकी चर्चा में परिलक्षित होता है .........ये है उनके द्वारा की गयीपहली चर्चा की पहली पोस्ट 


४ जून से १ अक्टूबर तक अनामिका जी चर्चा मंच से जुड़ीं रहीं और अपने कार्य को बेहद लगन से अंजाम देती रहीं मगर कुछ मजबूरियों के चलते इन्हें चर्चामंच को विदा कहना पड़ा मगर जब भी चर्चा की इतनी खूबसूरत की कि पढने वाले मुग्ध हो गए .........ये है उनकी पहली चर्चा  की पहली पोस्ट


ऐसा क्यों होता है !


---------

२१ अगस्त  को २५२ वे चर्चा मंच को अपनी माटी  के संपादक मानिक जी ने सजाया 

हिंदी पत्र -पत्रिकाओं की बढ़ती  हुई संख्या इस बात कि तरफ इशारा करती है कि हमारे देश में पाठकवर्ग बड़ी तेजी से बढ़ रहा है,ऐसे में ख़ास-ख़ास पत्रिकाओं की मोटी-मोटी जानकारी देने का काम इटारसी, मध्य प्रदेश के हमारे साथी अखिलेश शुक्ल  कर रहे हैं,जो ''कथा चक्र'' के नाम से ब्लॉग पर पत्रिकाओं का  समीक्षात्मक परिचय पोस्ट करते हैं. आप उन्हें लगातार पढ़ते हुए अपना  कुछ ज्ञान तो बढ़ा पायेंगे ही साथ ही बेमतलब के प्रकाशन सामग्री के इस युग में ख़ास की पहचान आसानी से कर पायंगे.अखिलेश पिछले पांच सालों से ''कथा चक्र'' नामक पत्रिका का सम्पादक का दायित्व  भी संभाले हुए हैं.यथासंभव कथाएँ,सस्मरण और रेखाचित्र लिखा करते हैं.उनकी नवीनतम समीक्षा यहाँ  पढी जा सकती है.

४ सितम्बर से २३ अक्टूबर तक  दीपक मशाल  जी ने चर्चा की और एक नए अंदाज़ में जिसे सबने बहुत पसंद किया मगर ये भी ज्यादा समय तक चर्चामंच का साथ ना दे सके ...........ये है उनकी पहली चर्चा की पहली पोस्ट

पुलिस की अधूरी जानकारी के विरूद्ध पत्रकार राजीव कुमार ने सीआईसी की शरण ली ये हाल है हमारी राजधानी दिल्ली में पुलिस ज्यादती का..



५ नवम्बर को  चर्चा नूतन गैरोला जी शामिल हुयीं और उनका सफ़र अब तक कायम है बेहद खूबसूरत अंदाज़ में चर्चा करती हैं जिसका पढने वाले पर काफी असर होता है...........ये है उनकी पहली चर्चा की पहली पोस्ट 

------------------

३ नवम्बर से १७ नवम्बर तक शिखा कौशिक जी ने चर्चामंच पर कदम रखे और उनकी पहली चर्चा की पहली पोस्ट थी



दीपाली जी से ही पूछते है क़ि आखिर जिन्दगी क्या है?

------------------


तो दोस्तों ये था चर्चामंच का एक साल का सफरनामा ...........अगर किसी भी चर्चाकार का नाम यदि रह गया हो तो गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ...........अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है कि चर्चामंच की उपलब्धियों और चर्चाकारों की मेहनत ,लगन और निष्ठा के साथ न्याय कर पाऊँ .............अब यही दुआ है ................हम रहें ना रहें चर्चामंच चलता रहे.

28 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन और नए अंदाज़ के लिए शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  2. वन्दना जी आपने तो पूरे सालभर का लेखा-जोखा ही प्र्स्तुत कर दिया इस पोस्ट में!
    --
    आपका श्रम और समर्पण स्तुत्य है!

    जवाब देंहटाएं
  3. bahut hi mehnat ke sath prastut ki gayee charcha.charcha manch ka safar yoon hi shan se chalta rahe.badhai.....

    जवाब देंहटाएं
  4. मेहनत सफल रही और आगे भी रहे ...
    बहुत बधाई व शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  5. चर्चामंच का यह सफर बहुत अच्छा लगा ! आपकी मेहनत, लगन और इस सफरनामे को पाठकों तक पहुँचाने की दूरदृष्टि को सलाम ! बहुत बढ़िया चर्चा ! आभार एवं शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  6. चर्चा-मंच की कामयाबी का एक वर्ष पूर्ण होने पर बधाई और आगे की यात्रा के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  7. कमाल है भाई आप लोग कहां से यह सब नया-नया आइडिया लाते हैं?
    आभार!
    शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  8. वंदना जी
    नमस्कार
    कमाल कर दिया आपने , चर्चा मंच के सफ़र को इन शब्दों में वयां कर ...बहुत - बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. लिंक्स और साल भर का तरतीब से लिखा लेखा जो्खा आपकी मेहनत और लगन की गवाही दे रही है।

    जवाब देंहटाएं
  10. चर्चामंच का सफरनामा बहुत मेहनत से सजाया है ...चर्चा मंच कि वर्षगाँठ पर शास्त्री जी और चर्चा मंच से जुड़े सभी साथियों को बधाई ....जो लोंग भी चर्चा मंच से जुड़े उन लोगों ने इस सफर को खूबसूरत बनाया ....
    इस सफरनामे को सजाने के लिए आभार ..

    जवाब देंहटाएं
  11. चर्चामंच को बधाई, लगे रहिये ....

    जवाब देंहटाएं
  12. चर्चा मंच को एक वर्श पूर्ण होने पर बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  13. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  14. पूरे वर्ष का सुंदर लेखा जोखा ...... यूँ ही चर्चा मंच सफलता के पड़ाव पार करता रहे ........ अच्छी चर्चा के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  15. वंदना जी!आपने बहुत ही मेहनत से चर्चामंच की एक साल की यात्रा से रु ब रू कराया है.
    एक वर्ष पूरा होने पर शास्त्री जी सहित आप सभी चर्चा कारों को ढेर सारी बधाई .
    चर्चामंच का ये सफ़र यूँ ही चलता रहे यही कामना है.

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  16. मिली जुली होने के साथ साथ पोस्टों में नयापन भी है आज

    जवाब देंहटाएं
  17. एक साल का उम्दा चर्चा का सफ़र रहा है ... बहुत सुन्दर सार गर्वित चर्चा के लिए आभार .... मेरे ब्लॉग निरंतर की पोस्ट का उल्लेख करने के लिए शुक्रिया ...

    जवाब देंहटाएं
  18. आप सभी के परिश्रम को प्रणाम। वर्षगाँठ पर शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  19. चर्चा मंच की यात्रा से परिचय कराने के लिए बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  20. चर्चामंच को बधाई!!!
    बहुत सुंदरता से इस सफर की चर्चा की है आपने!!
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  21. चर्चा मंच एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म है। इसके एक वर्ष तक पालन-पोषण में सहायक तमाम चिट्ठाकारों का शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  22. चर्चा मंच को उसकी पहली वर्षगांठ पर मेरी हार्दिक शुभकामनाये ।
    चर्चा मंच परिवार मे मुझे भी एक दो बार स्थान लगा , उसका ये अपनापन मुझे और अच्छा लिखने को हमेशा ही प्ररित करता रहा ।
    वंदना जी इतने अच्छे सफर पर ले जाने के लिये आपका शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
  23. बहुत सुंदर और मेहनत से की पूरा लेखा जोखा ही पेश कर दिया आपने. बहुत उम्दा.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  24. बहुत सुंदर और मेहनत से की पूरा लेखा जोखा ही पेश कर दिया आपने. बहुत उम्दा.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  25. वंदना जी आपकी मेहनत वन्दनीय है. सफरनामे का यह आइडिया जबरदस्त रहा. आप सब की मेहनत और लगन अवश्य ही इस चर्चा मंच के लिए नए कीर्तिमान स्थापित करवाएगी.

    आभार.

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।