चर्चा मंच प्रस्तुत करने का दिन आज डॉ.नूतन गैरौला का है, परन्तु वह किसी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कानपुर गयी हुई हैं। इसलिए उनके अनुरोध पर मैं आज शुक्रवार का अंक लेकर आया हूँ! आशा है कि आपको पसंद आयेगा! --------------- मटर छीलते हुएछीलते हुए मटर गृहणियां बनाती हैं योजनायें कुछ छोटी, कुछ लम्बी कुछ आज ही की तो कुछ वर्षों बाद की पीढी दर पीढी घूम आती हैं इस दौरान....... |
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हाथ मजबूत नहीं होता ..... हाथ मिलाने से और दोस्तों की संख्या बढ़ाने से.... |
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दोस्तों जोहार. मेरठ से जमशेदपुर आ गया हूं. झारखंड की औधोगिक राजधानी. उर्फ टाटानगरी. यहां आकर और प्रभात खबर से जुड़कर अच्छा लग रहा है. आपन माटी, आपन बोली, आपन लोग. खुश हूं. कुछ-कुछ अंतर है मेरठ और जमशेदपुर में. बोली-विचार, रहन-सहन, खान-पान. हर चीज थोड़ा अलग सा है यहां. ... जोहार दोस्तों |
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परम हंस योगानंद ने क्रिसमस के अवसर पर अपने अमेरिका श्रोतओं से कहा था की ' इस ब्रह्माण्ड मै क्राइस्ट- चेतना विशेष रूप से सक्रीय हो जाती है ! सच्चे साधक मै विश्वयापी क्राइस्ट की भावना जन्म लेती है ! ध्यान के माध्यम से अज्ञान के बादल छितरा जाते हैं और बंद आँखों के पीछे के अंधकार मै देवी आल ... अपने अपने क्रास |
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तुम्हारी याद........ जाने किन बीते हुए लम्हों में ले जाती है ....... वो तुमसे पहली मुलाक़ात..... इतनी भीड़ के बीच खड़े तुम......... सबसे जुदा दिखते तुम..... तुमको देखा तो तुममें ही खो गयी...... |
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कुहरा करता है मनमानी।"जाड़े पर छा गयी जवानी" |
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स्मृतियाँ नीला गाढ़ा रसायन रचती है.
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रवीन्द्र प्रभात | Source: नुक्कड़ नि:संदेह भारत ने एक संप्रभुता संपन्न राष्ट्र के रूप में बड़ी-बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की । आई टी सेक्टर में दुनिया में उसका डंका बजा । चिकित्सा,शिक्षा, वाहन, सड़क, रेल, कपड़ा, खेल, परमाणु शक्ति, अंतरिक्ष विज्ञान आदि क्षेत्रों में बड़े काम हुए । परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र का रुतवा भी हासिल हुआ । तेजी से यह देश आर्थिक महाशक्ति बनने को अग्रसर है । मग ... |
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PREM GUPTA"MANI" उफ़ ! भयानक अनुभव से गुजरते हुए...( 3 )( किस्त - बाईस ) पी.जी.आई के नर्कवास के दौरान एक और ऐसा अनुभव हुआ जिसने उस क्षण मन में एक अजीब सी दहशत पैदा कर दी थी...। दिन के यही कोई ग्यारह-साढ़े ग्यारह बजे रहे होंगे । रोज भाई-बहन और भतीजा अंकुर टैक्सी से कानपुर से लखनऊ अप-डाउन करते थे...। जब ये लोग सुबह आ जाते तो रात को मेरे साथ रुका सदस्य या तो होटल चला जाता या वापस कानपुर...। स्नेह के पास हर वक़्त हम तीन-चार लोग बने रहने की कोशिश करते थे । उस दिन भी यही तैयारी थी कि अचानक हमारी मंजिल के वेटिंग रूम के पास मुझे भीड़ दिखी...। उत्सुकतावश मैं वहाँ गई तो सन्न रह गई...। |
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venus****"ज़ोया"बचपन की वो छोटी सी पोटली...... अच्छे थे बचपन के वो पल मेरी वो जिंदगानी अच्छी थी बचपन की वो छोटी सी पोटली मेरे ब्रांडेड लैदर पर्स से अच्छी थी |
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Ratan Singh Shekhawat | Source: ज्ञान दर्पण लगभग एक सप्ताह पूर्व ही श्री श्रवणसिंहजी शेखावत का सन्देश आ गया था कि 19 दिसम्बर को महामहिम राष्ट्रपति जी का जन्म दिन है और आपको उन्हें जन्म दिन की शुभकामनाएँ देने हेतु राष्ट्रपति भवन पहुंचना है | श्री श्रवणसिंहजी शेखावत दिल्ली राजपूत समाज के सक्रीय कार्यकर्ता है उनका दिल्ली में रहने वाले राजस्थान के लगभग 1500 राजपूत परिवारों से सीधा संपर्क है ... |
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चन्दन | Source: नई बात ( सम्वाद की परम्परा में भरपूर यकीन रखने वाले शशिभूषण अपनी कहानी “फटा पैंट और एक दिन का प्रेम” के लिये जाने जातें हैं. कवितायें लिखते रहें हैं पर उन्हे प्रकाश में लाने का कार्य अब शुरु किया है और उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए उनकी यह कविता...) तपती गर्मी में जैसे पानी का ठंडक पेड़ों की छाँव वैसे मेरे दिल में तुम्हारा प्यार.... |
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लाख दुःखों की एक दवा ये, आके आजमा तू आजा आजमा.... |
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मो सम कौन ? | Source: मो सम कौन कुटिल खल कामी ? दसवीं के बोर्ड की परीक्षायें थीं और परीक्षा केन्द्र मेरे घर से करीब पांच किलोमीटर दूर था। परीक्षा-केन्द्र पर छोड़कर आने की जिम्मेदारी मेरे छोटे मामाजी की लगाई गई, जो लगभग उसी समय अपनी दुकान पर जाया करते थे। अंग्रेजी का पेपर था, थोड़ी सी टेंशन थी लेकिन जैसा हमारी सरकार हमेशा कहती है कि स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है, वैसे ही अपन भी ... |
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शब्दों के अर्थ बदल गए अर्थों के शब्द बदल गए आलोकिता | Source: DEKHIYE EK NAJAR IDHAR BHI |
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वर्तमान दौर लघुकथा लेखन का है। पूर्व में किसी भी पत्रिका में सद-विचार या चुटकुले प्राथमिकता से पठनीय होते थे। लेकिन आज इनका स्थान लघुकथाओं ने ले लिया है।... |
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पिछली पोस्ट में आपने शादियों का एक पिछड़ा हुआ रूप देखा । आजकल शादियों में ऐसी बद इन्तजामी देखने में नहीं आती । क्योंकि आजकल शादियाँ भी एक इवेंट मेनेजमेंटहो ग... |
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संकीर्ण व्यक्ति अपने सीमित दायरे के अन्दर रह कर कुढ़ता, खींजता, चिडचिड़ाता रहता है और ऐसे व्यक्तित्व के धनी तरह तरह की त्रासदी भुगतते रहते है.... |
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बचपन के संग मर्यादित रेखाएं रिश्तों की अर्थहीन हो चुकी हैं ! बचपन का हुलिया देख अब कहानी सुनाने की हिम्मत नहीं होती बल्कि दिमाग में आता है कि..... मेरी भावनायें... कलयुग का बचपन |
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गुड़गांव में मिलेगा अपने जैसा कृत्रिम घुटना - गु़ड़गांव स्थित मेदांता मेडिसिटी अब घुटना बदलने की सर्जरी करने वाले दुनिया के उन चंद केंद्रों में शुमार हो गया है जहां हर पांव के लिए कृत्रिम घुटने की खास |
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अभी कुछ दिन पहले ही अपनी 'नानी के घर' मसूरी से वापस लौटी हूँ फिलहाल वहाँ की कुछ तस्वीरें लगा रही हूं। वृतान्त फिर लिखूंगी.. |
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- इस क्रिसमस पर फिर याद आया, इक धुँधला धुँधला सा साया।** यादों की जुबानी, बचपन की कहानी, उपहार लिये वो आता, चाक्लेट्स, मिठाईयाँ देता सबको, बस प्यार ही प्यार ल... |
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लावा - लगता है कभी कभी मेरे भीतर एक लावा सा बहता है खून नहीं तब ओढती हूँ बर्फ , और सो जाती हूँ एक ठण्ड का एहसास दे कर अपने दिल को बहलाती हूँ पर ज्वाला मुख... |
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- मंच पर बैठे कुछ बुजुर्ग नेताहिसार में सम्मलेन, सम्मलेन युवाओं का, और अगर इस बीच कुछ बुजुर्ग पहुँच जाये तो यही गाना *"मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है"*.... |
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पेश ए खिदमत है "अमन के पैग़ाम' पे सितारों की तरह चमकें की सत्रहवीं पेशकश हर दिल अज़ीज़ जनाब सतीश सक्सेना जी. *हक के साथी ज़रा सा जज्बाती ,बस अधिक कुछ नहीं ... |
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आज ..यहाँ सिर्फ़ 0ne Rupee क्लब की शुरूआती जानकारी देना चाहती हू--- हमें प्रति व्यक्ति से एक रूपये रोज जमा करना है जिससे माह में प्रति व्यक्ति ३० रूपये होते ... |
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- मम्मी मुझको प्याज दिला दो, प्याजप्रसन्न हो जाऊं मैंप्याज चाहिए प्याज लो एक हिन्दी ब्लॉग बनाओ एक प्याज पाओ एक पोस्ट लगाओ एक प्याज पाओ एक टिप.. |
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- कोई तो है जो रूह बना लहू बन रगो मे बहा फिर कैसे कहूं कोई नही है कोई तो है जो अहसास जगा गया अरमानो को दीप दिखा गया फिर कैसे कह दूं कोई नही है कोई तो है जो... |
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*आँच**-**49* *‘**मवाद**’** पद का गुण दोष निरूपण*** ** हरीश प्रकाश गुप्त अनामिका जी द्वारा विरचित 'मवाद' कविता पर आँच का अंक 9 दिसम्बर को आया था। उस.. |
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रूई का बोझ...कल तक बताई कहानी से आगे...दो बड़े बेटों के राजी न होने पर बूढ़े पिता को छोटे बेटे-बहू के साथ रहना पड़ता है...थोड़े दिन तो सब ठीक रहता है...लेक... |
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*पिछली कड़ी- दिल्ली में डेरे की शुरुआत [141]* …गोपाल जी ने मुझे जेल में रहने का पूरा शास्त्र समझाया। बताया कि किस तरह यहां अकारथ जाती जिंदगी की जबर्दस्ती ब... |
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अविनाश वाचस्पति | Source: नुक्कड़ चिट्ठाजगत आया, ब्लॉगर खुश जी हां अब स्वस्थ है आनंदित है आप भी आनंदित हो आयें --------- नहीं साहिब जी! लगता है कि चिट्ठाजगत आज शाम से फिर बीमार हो गया है! मेरे यहाँ तो खुल नहीं रहा है! कामना करता हूँ कि चिट्ठाजगत जल्दी से स्वस्थ हो जाए। -- तब निवेदन करूँगा कि डोमेन पर शिफ्ट हुए मेरे सभी ब्लॉगों को आपने यहाँ भी नये पते के साथ स्वीकार कर ले! मेरे नये ब्लॉगों का पता है- (उच्चारण) http://uchcharan.uchcharan.com (शब्दों का दंगल) http://uchcharandangal.uchcharan.com (मयंक) http://powerofhydro.uchcharan.com (नन्हे सुमन) http://nicenice-nice.uchcharan.com (बाल चर्चा मंच) http://mayankkhatima.uchcharan.com (चर्चा मंच) http://charchamanch.uchcharan.com (अमर भारती) http://bhartimayank.uchcharan.com (पल्लवी) http://kittupallavi.blogspot.com/ E-MAIL rcshashtri@uchcharan.com |
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अन्त में बहुत भारी मन से यह दुखद समाचार आप तक पहुँचा रहा हूँ! अभी कुछ देर पहले ही खबर मिली कि काव्य मंजूषा वालीं स्वप्न मंजूषा शैल 'अदा' जी के पिता श्री वीरेन्द्र नाथ कुंवर (76) का देहावसान आज, 23 दिसम्बर की सुबह हो गया ह.. परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वह दिवंगत आत्मा को सदगति प्रदान करें और परिवारीजनों को इस वज्र दुःख को सहन करने की शक्ति दें! इस दुःख में चर्चा मंच भी आपका बराबर का साझीदार है! |
सुन्दर चर्चा शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंआभार।
सुन्दर चर्चा शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंआभार।
My heart-felt condolences on the sad demise of the father of Ada ji.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा हैं ..काफी बढ़िया लिंक मिलें ....मेरी पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए आभारी हूँ ...
जवाब देंहटाएंकई महत्वपूर्ण लिंक आपने दिए। स्वास्थ्य-सबके लिए ब्लॉग की चर्चा शामिल करने के लिए भी आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और विस्तृत चर्चा ....अभी आधे ही लिंक्स पर जाना हो पाया है ....
जवाब देंहटाएंस्वप्न मंजूषा जी के पिताजी को विनम्र श्रद्धांजली
upar se links dekhte dekhte acha lag raha tha. apni kavita ka link dekhkar bahut khusi hui mujhe pata nahi tha ki aaj yah bhi charcha manch par lekin aakhir tak pahuchte pahuchte man drawit ho gaya. maut ami hai fir bhi sunkar jane kyun man bhar aata hai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा……………आभार्।
जवाब देंहटाएंसार्थक और विस्तृत चर्चा!!!
जवाब देंहटाएंस्वप्न मंजूषा जी के पिताजी को श्रद्धांजली...
बहुत ही सुंदर चर्चा....शास्त्री जी बहुत बहुत धन्यवाद...मेरी कविता "सांता क्लाज की काया" को आज के चर्चा मंच का हिस्सा बनाने हेतु। यूँही हरदम मेरा उत्साह बढ़ाते रहे....बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्री जी, मेरी पोस्ट को शामिल किया गया।
जवाब देंहटाएंअदा जी के साथ हम सब लोगों की संवेदना है।