दोस्तों
आज एक नया अंदाज़ लेकर आई हूँ आप सबके समक्ष मनोज जी की फरमाइश पर ...........उम्मीद करती हूँ आप सबकी आशाओं पर खरी उतरूंगी और ना भी उतरूँ तो भी होंसला अफजाई तो कर ही देना ............आखिर पहली कोशिश है ............मनोज जी का कहना था कि एक साप्ताहिक मंच ऐसा होना चाहिए जहाँ सप्ताह भर के आलेख, कहानियां एक ही जगह मिल जाएँ तो बहुत अच्छा रहे जैसा कि काव्य मंच पर सप्ताह की कवितायेँ मिल जाती हैं ...........तो आज ये उसी दिशा में एक प्रयास है अगर पसंद आएगा तो इसे आगे जारी रखने की कोशिश करेंगे ............चलिए अब चलते हैं आज की साप्ताहिकी की ओर ............
एस. के. पाण्डेय की लघुकथा : उलझन
कैसी कैसी उलझने इंसान को फ़ंसा देती हैं………सोचिये ऐसे मे आप क्या करते?
कैसी कैसी उलझने इंसान को फ़ंसा देती हैं………सोचिये ऐसे मे आप क्या करते?
साहित्यकार :: आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
अपने आप मे एक पूर्ण साहित्य
सही मार्केटिंग हो जाए तो लोग मौत से भी प्यार करेंगे Source: -पं. विजयशंकर मेहता
फिर तो मौत भी उत्सव बन जाये
मुद्दई सुस्त , गवाह चुस्त -- Neha -The innocent victim.
बताइये कैसे कहें कि इंसानियत ज़िन्दा है?
रस्म अदायगी क्यों ?
आजकल तो सिर्फ़ रस्म अदायगी ही रह गयी है ………अब कहाँ वो जज़्बात रहे।
नए पुराने ब्लोगरो हेतु ब्लोगिंग टिप्स...नरेश जी के ब्लॉग से पहुंचा रहे है.... संजय भास्कर
मंत्रसिक्त हवाओं में नई राहो की तलाश
आप भी कीजिये
विजय हमेशा पुरुषार्थी की ही होती है ...
इसमें तो कोई शक ही नहीं
आपका ब्लॉग स्वयं बोलेगा अपने बारे में इस विश्लेषण के दौरान
नमन है इस जीवन्तता को
अभावों से जन्मते जीतने के भाव......!
बिल्कुल सही कहा ...........जानना है कैसे तो खुद ही पढ़िए ना
रंग और समुद्र
ज़िंदगी के कैसे कैसे रंग ?
'.गे' का रोल करना क्या कोई अपराध है??
नजरिया अपना अपना
समझदारी का तकाजा
ये कैसा समझदार?
प्रेम, दया, शांति, संतोष, क्षमा आदि स्वर्ग प्राप्ति के मार्ग का निर्धारण करते हैं ...
जानिए कैसे ?
प्रमोद भार्गव का आलेख : एड्स के बहाने ग्रामीण महिलाओं के साथ छल
आंखे खुल जायेगी।
व्यंग्य - सतयुग का आगमन अर्थात कलियुग का अन्त - अजित गुप्ता
सही कह रही हैं
आखिर कब तक सहूंगी......
जब तक मानसिक जागरुकता नही आती
लघुकथा :: बड़ा अपराधी
कौन? यही सबसे बडा प्रश्न है।
आज की कविता का अभिव्यंजना कौशल
मंदिर में लड़कियों-महिलाओं के प्रवेश पर रोक क्यों...खुशदीप
आखिर क्यूँ ये दोषदृष्टि ?
बीजेपी, रातदिन नोटछपाई और IBN-7 चैनल !
चैनल तेरे रूप निराले
भगवान निरीह बनाकर क्यों भेजते
सही कह रही हैं आप
किसी रोते को हंसाना इससे बढकर और क्या होगा।
किसी रोते को हंसाना इससे बढकर और क्या होगा।
" संस्मरण शृंखला-1" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
ये हुयी ना बात
गंतव्य की दुविधा
तर्क अपने अपने
'दि ट्रैम्प' और 'दि ग्रेट स्टोन फेस'
अपनी पहचान आप है
प्रपंच कथा......... तुम्हारा जीवन 90% व्यर्थ है
अरे 100% व्यर्थ है
गो गोवा
एक बार जरूर जाइए
धूप का टुकड़ा
एक खूबसूरत ख्याल
भ्रष्टाचाररूपी महामारी : असहाय लोकतंत्र !
विस्फ़ोट करना ही पडेगा
ऑटोग्राफ
वो यादो के दिन
वो किताबो के दिन
खतरे की घंटी और हम कुम्भकर्ण !
यही तो यहाँ की रीत है
sukhaant dukhaant --- 3
ज़िन्दगी कैसी ये पहेली!
हिन्दुस्तान का दर्द
क्या सच है और क्या झूठ क्या कहें
'देवदासी'...'ईश्वर की सेविका'
एक कुरीति
टेलिकॉम घोटाला और छापे
देखे क्या होता है ?
तंग आ चुके लोगों ने भिखारी को ही बनाया नेता
यहाँ जो ना हो कम है
धूम्रपान से हुई मौत के लिए तीन सौ करोड़ रुपए का हर्जाना
वाह! क्या निर्णय है ।
देह की आज़ादी के पीछे से बेटियों के लिए खतरा
कैसे कैसे खतरे!
भारत में ऐसा भी
तभी तो मेरा देश महान है
विचार-८७ :: आम नागरिक, महिलाएं, बच्चे और .... भ्रष्टाचार
जिम्मेदार कौन ?
आंच-४८ (समीक्षा) पर इक नज़र जिंदगी...
यही तो होती है असली समीक्षा
सवाल : “अभी मृत्यु और जीवन की कामना से कम्पित है यह शरीर!”
शाश्वत प्रश्न !
मोहन राकेश की कहानी - जीनियस
वाह ! क्या खूब कहा और मौन कर दिया
काग के भाग बड़े सजनी
सच ही तो कहा
आप भी रखना चाहेंगे रेसट्रैक मेमोरी.....
क्यों नही जी
लौट रहा है गुजरा वक्त !
लग तो रहा है अब
हम उत्तर भारतीय क्या दे सकते हैं ,इन सवालों के जबाब ??
इसका जवाब तो किसी के पास नही होगा।
पहले मेरी माँ है !
सच तो कहा
ऐसा भी क्या?
जिम्मेदार कौन ?
आंच-४८ (समीक्षा) पर इक नज़र जिंदगी...
यही तो होती है असली समीक्षा
सवाल : “अभी मृत्यु और जीवन की कामना से कम्पित है यह शरीर!”
शाश्वत प्रश्न !
मोहन राकेश की कहानी - जीनियस
वाह ! क्या खूब कहा और मौन कर दिया
काग के भाग बड़े सजनी
सच ही तो कहा
आप भी रखना चाहेंगे रेसट्रैक मेमोरी.....
क्यों नही जी
लौट रहा है गुजरा वक्त !
लग तो रहा है अब
हम उत्तर भारतीय क्या दे सकते हैं ,इन सवालों के जबाब ??
इसका जवाब तो किसी के पास नही होगा।
पहले मेरी माँ है !
सच तो कहा
ऐसा भी क्या?
जानिये क्यूँ ?
ब्लोगवाणी संचालकों को एक पत्र, एक अनुरोध के साथ -सतीश सक्सेना
आज इसकी बहुत जरूरत है
उफ, तेल का कुआँ न हुआ
बल्कि भाग्य हुआ……
मां के हाथों की झुर्रियां और छाले...खुशदीप
जीवन का सच
संकलकों की असमय मौत पर एक शोकांजलि .....!
आप भी शामिल हों
ब्लोगर मीटिंग,ब्लॉग जगत का एक खूबसूरत चेहरा - सतीश सक्सेना
आइये देखिये खुद ही
आप ब्लागर हैं ! तो यह जानकारी आपको भी होनी ही चाहिये.
बिल्कुल होनी चाहिये
थक गये चलते-चलते, लेकिन पहुंचे कहां?
यही तो बता पाना मुश्किल है………
सतीश चन्द्र श्रीवास्तव की लघुकथा - प्रेम
आज का सच
अमर शहीद लाहिड़ी जी के ८४वें बलिदान दिवस(१७ दिस.२०१०) पर....
शहीद को नमन
यादों के भँवर जब बनते हैं तो शब्द कहाँ-कहाँ टकराते हैं? - अजित गुप्ता
यादो के भँवर कैसे कैसे?
इस आतंकवाद को भी समझना होगा !
ब्लोगवाणी संचालकों को एक पत्र, एक अनुरोध के साथ -सतीश सक्सेना
आज इसकी बहुत जरूरत है
उफ, तेल का कुआँ न हुआ
बल्कि भाग्य हुआ……
मां के हाथों की झुर्रियां और छाले...खुशदीप
जीवन का सच
संकलकों की असमय मौत पर एक शोकांजलि .....!
आप भी शामिल हों
ब्लोगर मीटिंग,ब्लॉग जगत का एक खूबसूरत चेहरा - सतीश सक्सेना
आइये देखिये खुद ही
आप ब्लागर हैं ! तो यह जानकारी आपको भी होनी ही चाहिये.
बिल्कुल होनी चाहिये
थक गये चलते-चलते, लेकिन पहुंचे कहां?
यही तो बता पाना मुश्किल है………
सतीश चन्द्र श्रीवास्तव की लघुकथा - प्रेम
आज का सच
अमर शहीद लाहिड़ी जी के ८४वें बलिदान दिवस(१७ दिस.२०१०) पर....
शहीद को नमन
यादों के भँवर जब बनते हैं तो शब्द कहाँ-कहाँ टकराते हैं? - अजित गुप्ता
यादो के भँवर कैसे कैसे?
इस आतंकवाद को भी समझना होगा !
आतंकवाद तेरे रूप अनेक
आप भी रु-ब-रु होइये
क्रांति नहीं की,लेकिन कुछ किया तो है....
बदलाव की पहल
एक हवाई जहाज की अनोखी यात्रा.....
सच्ची मुच्ची अनोखी है……………
" 19 दिसम्बर की वह सुबह "------------मिथिलेश दुबे
खुद ही देखिये
दिल छोटे और झोलियाँ बडी.......
यही तो दुनिया की रीत है
उम्मीद करती हूँ कुछ तो प्रयास पसंद आया होगा ............अपने विचारों से अवगत कराकर कृतज्ञ कीजिये .
आदरणीय वन्दना जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
...... चर्चामंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....
बहुत ही अच्छी चर्चा सजाई आपने.
जवाब देंहटाएंपने बहुत हौसला दिया है आगे लिखने के लिए. ...... धन्यवाद.
.....हेप्पी क्रिसमस.....
अरे वाह आज तो ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत दोनों की कमी पूरी कर दी!
जवाब देंहटाएं--
बहुत सुन्दर और विस्तृत चर्चा!
निःसंदेह अच्छा सजा है मंच , बधाई । चर्चामंच में आपने खबरों की दुनियाँ को भी स्थान दिया , आपका आभार ,अच्छे लिंक मिले धन्यवाद । शुभकामनाएं मंच सदा सुसज्जित रहे। -आशुतोष मिश्र
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स ....
जवाब देंहटाएंआभार !
नयी पुरानी पोस्ट्स को संजोकर एक बेहतरीन चर्चा!!
जवाब देंहटाएंवंदना जी, चर्चा का ये अंदाज बहुत भाया, मेरी पोस्ट के लिंक देने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
बहुत अच्छा सार-संकलन . आपने मेरे आलेख को भी जगह दी ,इसके लिए आभार .
जवाब देंहटाएंसुन्दर और विस्तृत चर्चा,वन्दना जी !बाई दी वे: ये आजकल चिट्ठाजगत को क्या हो गया साईट ही नहीं खुलती !
जवाब देंहटाएंचिठ्ठाजगत की अनुपस्थिति खल नहीं रही है, आपने बड़े सुन्दर लिंक्स दिये हैं। यह सुप्रयास चलता रहे।
जवाब देंहटाएंहां गद्य समीक्षा की कमी खल रही थी. साप्ताहि समीक्षा का श्रीगणेश शुभ, समीचीन और मंगलकारी है, साध्वाद सलाह्देने वाले और क्रियान्वयन करने वाले दोनों को. क्योकि योजना केवल विचार मार है क्रियान्वयन के अभाव में उनका मोल कुछ नहीं.........इसे जारी रखना होगा....
जवाब देंहटाएंवंदना जी, आपका यह प्रयास बेशक बेहद उम्दा है ... आगे भी जारी रखें ! शुभकामनायो सहित !
जवाब देंहटाएंवंदना जी, इस शानदार चर्चा के लिए आपको हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंइस चर्चा में 'रेसट्रैक मेमोरी' को शामिल करने के लिए आभार।
अच्छे लिंक्स के साथ बेहतरीन लिख रही हैं, एक लाइन के स्थान पर थोड़े संछिप्त विचार और दे दें तो आनंद आ जाए !
जवाब देंहटाएंसादर
adarniya vandanaji ,
जवाब देंहटाएं'charcha manch' par har vidha ko shamil kiya evam sarthak-sateek chrcha ki. achchhe links diye.
meri post ko sthan diya.
bahut sundar...
hardik aabhar...
vandna ji
जवाब देंहटाएंbahut hi achchhe tareeke se aaj saaptahik charcha manch ki shruvat hui hai .shubhkamnaye .
NICE
जवाब देंहटाएंवन्दना जी, आपका ये प्रयास पसन्द आया...बढिया रही चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार्!
बहुत सुन्दर संकलन!
जवाब देंहटाएंश्रेष्ठ चर्चा!
आपकी चर्चा का नया अंदाज़ बहुत अच्छा लगा। बेहतरीन लिंक्स भी मिले।
जवाब देंहटाएंआभार वंदना जी ।
पठनीय सामग्री. उपलब्ध कराने हेतु धन्यवाद.....................!
जवाब देंहटाएंshandar prayas-jandar prastuti .aabhar
जवाब देंहटाएंsunder charcha kafi sare link mile laga kisi aggregater jaisa chal raha hai kuchh..........
जवाब देंहटाएंधन्यवाद वन्दना जी, आपने "आखिर कब तक सहूंगी...." पोस्ट को चर्चा मंच पर स्थान दिया पर इस विषय में गम्भीरता से विचार भी हो तभी यह पोस्ट लिखने की सार्थकता भी है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा चिट्ठा चर्चा का यह अंक !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, आभार और शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंशहर से बाहर था इसलिए देरी हुई आने में।
जवाब देंहटाएंहमारी मांग पूरी हुई शुक्रगुज़ार हूं।
एक सुझाव - लिंक के साथ नाम भी दीजिए तो सोनो में सुगंध वाली बात, मतलब चर्चा तो सोना है ही।
हमारे ब्लोग्स एवं पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार।
bahut jatan se sawara gaya hai yah ank. kafi vividhta dekhne ko mili. dhanyawad
जवाब देंहटाएंवंदना जी ,
जवाब देंहटाएंग्राम चौपाल के आलेख " धूम्रपान से हुई मौत के लिए तीन सौ करोड़ रुपए का हर्जाना " को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए धन्यवाद . अफसोस है की आपसे दिल्ली के ब्लोगरों के साथ भेंट नहीं हो पाई .
...... चर्चामंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....
वन्दना के इन लिंक्स में एक लिंक मेरा मिला लो.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और विस्तृत चर्चा...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंशुक्रिया वंदना जी। मेरी पोस्ट को प्रमुखता के साथ यहां चर्चा के लिए शामिल करने के लिए आभारी हूं। पोस्ट लिखना सार्थक हुआ। आपका यह अंदाज भी अच्छा लगा। अगर पोस्ट के साथ ब्लागर का नाम भी हो तो बेहतर रहेगा।
जवाब देंहटाएंवंदना जी.. नमस्कार.. देर से आई हूँ ... बहुत सुन्दर चर्चा मिली ..सभी रंग यहाँ पर मिले है ... आपका आभार... किन्तु दिसम्बर में बहुत ज्यादा बिजी सीडिउल रहता है , जैसे डोक्टोर्स के कांफेरेंस, मीट, और वर्कशॉप ..सो बहुत कम ही नेट पर आ पा रही हूँ.... अभी शाश्त्री जी और आप लोगो पर ही मेरी चर्चा का भार होगा... आपका आभार ..
जवाब देंहटाएंअच्छा फ़ारमेट , बदलाव जीवन में ज़रूरी है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुत की, पता नहीं कब के बाद आज बहुत सारा पढ़ने को मिला. बहुत सारी उपयोगी चर्चा और बहस से भी रूबरू हुई. इसके लिए पूरा श्रेय आपको जाता है और आप को बहुत बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रही यह साप्ताहिकी ....काफी कुछ छुट जाता है वो पढने का अवसर मिलेगा ...सुन्दर चर्चा ...
जवाब देंहटाएंआदरणीय वन्दना जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
सारे लिंक पढने मे समय ही निकल गया.
सार्थक सँकलन हुआ.
साथ ही चर्चामंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!!!
आज व्यस्तता के बीच आपकी टिपण्णी पर ध्यान देकर यहाँ आये तो वाह! वाह! कहे बिना नहीं रहा जा सका. प्रयास साधुवाद का पात्र है और आपके प्रयास को नमन.
जवाब देंहटाएंजय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड