नमस्कार , आज हाज़िर हूँ आपके सामने शनिवार की चर्चा ले कर …. कुछ विशेष कारण से आज की चर्चा करने का मुझसे आग्रह किया गया …..तो मैं तो ले आई हूँ आपके लिए अपने हिसाब से लिंक्स …अब झेल लीजियेगा आप …झेलने के लिए आभार … |
जनपक्ष पर रघुवीर सहाय जी की कुछ कविताएँ पढ़ीं .औरत की ज़िंदगी कई कोठरियाँ थीं कतार में ,उनमें किसी में एक औरत ले जाई गई,थोड़ी देर बाद उसका रोना सुनाई दिया ,उसी रोने से हमें जाननी थी एक पूरी कथाउसके बचपन से जवानी तक की कथा. जी , बहुत दम ख़म है हममें लेकिन शांति ही नहीं है ..न मन में न मस्तिष्क में .. एक नज़र क्यों ? भरपूर डालिए ओस, कुहरा और सर्दी की रात का एक झगडा लो , अब ओस कुहरा भी झगड लिए ? खेल -खेल में ज़िंदगी पार सोच के दीप जला कर देखो मन में उजाला ला कर देखो अजी मर मर कर कहते हैं … मुँह छिपाना पड़ता है! अरे ऐसी भी क्या लाचारी है ? "गइया और बछड़ा"इनकी भी सुनिए ज़रा व्यथा कथा .. … ब्लॉग गायब हो रहे हैं, सावधानी बरतें : फिर मत कहियेगा खबर न हुई सावधानी बरत ही लें …|यह तो बिलकुल सही है ... नोट वोट का पर्याय है .सत्ता है टकसाल खूब नोट कमा रहे हर नेता हर साल श्श्श्श्श्श्श्श्श! किसी से न कहना!ओह्ह बिलकुल नहीं कहेंगे जी .. उपस्थित हो कर पढ़ें हौसले की उड़ान : तस्लीम ! राहत की कहकशां हौसला बुलंद हो तो कदमों में होगा जहाँ सारे राज़ खुल जाते हैं , अपने ही चेहरे बदल से जाते हैं .. तू छोड़ दे जन्नत मेरे ख़ुदा.. हाँ एक बार ज़रा धरती पर आ कर तो देख … अकेले किशोर होते हैं खराब सेहत का शिकारआज कल किशोर अकेले होते ही कहाँ हैं ?तुम्हारा कहा क्या टाला मैंने.ज़रा टाल कर देखो ….शायद.. ……………अरे ! नहीं पक्का … आज कल तो दोस्त ही मुसीबत पैदा करते हैं …. |
हम्म्म्म ……..चलिए बहुत हो गए लिंक्स अब …आशा है आपको पसंद आये होंगे ….फिर मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ….मंगलवार की चर्चा के साथ ….नमस्कार ….. |
चर्चा पर आपकी पूरी पकड़ है. सुन्दर लिंक्स और पढने को मसाला एक ही स्थान पर आपने उपलब्ध करा दिया.
जवाब देंहटाएंअन्दाज आपकी चर्चा का बहुत अच्छा
चर्चा मंच में मेरी रचना सम्मलित करने के लिए आभार , ऐसा तो सोचा ना था .
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा करने के लिए आभार!
जवाब देंहटाएं--
आपने बहुत ही बढ़िया लिंक्स का चयन किया है!
संगीता दी!जहाँ जहाँ जाता हूँ ब्लॉग के गलियारे में, आपके पदचिह्न दिख जाते हैं... और आपकी इस चर्चा से तो यही लगता है कि
जवाब देंहटाएंकहाँ कहाँ न गए हम जुनूँ के आलम में
कहीं कहीं तो फरिश्तों ने भी सलाम किया.
सार्थक चर्चा ने दिन बना दिया!!
संगीता जी,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना ’श्श्श्श्श्श्श किसी से न कहना’ को इस मंच पर प्रस्तुत करने के लिये ह्रदय से धन्यवाद!
मैंने विशेष करणवश अपने ब्लॉग को चर्चामंच में शामिल करने का आग्रह किया था..... खैर....
जवाब देंहटाएंमैंने अपना पुराना ब्लॉग खो दिया है..
कृपया मेरे नए ब्लॉग को फोलो करें... मेरा नया बसेरा.......
पाठकों का आभार ...
जवाब देंहटाएं@@ शेखर सुमन जी ,
मुझे आपके आग्रह का पाता नहीं था ...और मैं समझ सकती हूँ कि नया ब्लॉग बनाने कि वजह से काफी परेशानी हो रही होगी ...मैंने आपके ब्लॉग कि सूचना चर्चा मंच पर लगा दी है ....शुक्रिया
संगीता जी बहुत बहुत धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंचर्चा को बहुरंगी बनाने का प्रयास साफ नज़र आता है। आभार।
जवाब देंहटाएंभाषा,शिक्षा और रोज़गार ब्लॉग की पोस्ट लेने के लिए भी धन्यवाद।
ब्लॉगों को बचाएं
जवाब देंहटाएंअविनाश मूर्ख है
चर्चा मंच में मेरी रचना सम्मलित करने के लिए आभार..!
जवाब देंहटाएंsundar charcha
जवाब देंहटाएंअच्छी बौद्धिक तथा बावनात्मक खुराक के लिए धन्यवाद। इस तरह के उन्नत मधु संचय के लिए, धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसंगीताजी , बहुत ही सुन्दर गुलदस्ता बनाया आपने उपवन से अलग अलग रंग के फूलों को चुन कर . बहुत कुछ नया पढने को मिला . और इस सतरंगी गुलदस्ते में एक कोना आपने मेरी रचना को भी दिया उसके लिए आभारी हूँ .
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा हमेशा की तरह . कई नए लिंक्स मिले .
जवाब देंहटाएंजोरदार! असरदार!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन! लजवाब!
चर्चा।
हमारे ब्लोग ‘विचार’ को स्थान देने के लिए आभार!
आज तो बहुत ही सुन्दर चर्चा लगाई है…………काफ़ी पढने को मिल गया और कुछ फ़ोलो भी कर लिये……………आभार्।
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जवाब देंहटाएंखूबसूरत लिंक के साथ मनोहारी फोटो, आपने सबको हीरो का दर्ज़ा दे दिया !
आखिर तक ढूँढता रहा मेरा कहीं नहीं मिला,
देख लूँगा आपको :-(
हार्दिक शुभकामनायें संगीता जी
saarthak sundar charcha!!!
जवाब देंहटाएंaabhar!!!
sangeeta ji,
जवाब देंहटाएंcharcha manch par jagah dene keliye mann se aabhar. anya kuchh charchaaye bhi padhi, bahut achhi lagi. ye title bada achha laga... "श्श्श्श्श्श्श्श्श! किसी से न कहना! फिर कैसे कहते हो जिंदा है आदमी ? bahut shubhkaamnaayen charcha manch ki unnati keliye.
गज़ब के लिंक्स लगाये हैं ..उसपर आपकी टिप्पणियाँ तो माशाअल्लाह...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चर्चा.
चर्चा मंच पर आपकी मेहनत दिख रही है । बढ़िया अंदाज़ ।
जवाब देंहटाएंआभार ।
मेहनत का रंग लिये अच्छी चर्चा , बहुत सारे अच्छे लिंक्स। आभार।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी, बहुत ही सुन्दर और रोचक ढंग से प्रस्तुत चर्चा ...
जवाब देंहटाएंरचना को शामिल करने के लिए शुक्रिया !
Adarniya Sangeet Di,
जवाब देंहटाएंaapka sneh aur vishvaas nirantar mujhe prapt hota raha hai. charcha munch men meri rachna shamil karne ke liye bahut bahut abhar..
charcha munch to sahitya ki khaan hai. main chah kar bhi apni upastithi darz nahi karva pata iske liye kshamaprathi hun..
punah abhar...
बहुत खूब आपकी मेहनत स्पष्ट दिख रही है संगीता जी । इस श्रम साध्य चर्चा के लिए बहुत बहुत साधुवाद आपको
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और विशद चर्चा, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
श्रम से किया गया हर काम अच्छा होता है जिसका उदाहरण आपकी चर्चा है.
जवाब देंहटाएंमेरे लेख को स्थान देने के लिए धन्यवाद.
संगीता दी……
जवाब देंहटाएंबहुत खूब महफ़िल सजायी है आपने ब्लॉग्स की…… कुछ बहुत उम्दा ब्लॉग मिले फिर से…
साधुवाद आपको। और मेरे ब्लॉग को अपनी चर्चा में स्थान के लिये अशेष धन्यवाद ।
संगीता जी
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के लिए विषय तलाशने में आपका जवाब नहीं... एक जगह कई अच्छी तहरीरें पढ़ने को मिला जाती हैं... आज की चर्चा में आपने हमारी पोस्ट को शामिल किया, उसके लिए हम आपके शुक्रगुज़ार हैं...
संगीता जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की पोस्ट चर्चामंच पर लेने के लिए आपका आभार|