नमस्कार मित्रो!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर हाज़ित हूं रविवासरीय चर्चा में मेरे द्वारा चुने हुए कुछ लिंक्स और एक लाइना के साथ।
१. Sadhana Vaid प्रस्तुत मां किरण जी की
चतुर मोर, दादुर बँधा धीर उसको सुनाने लगे प्रेमियों की कहानी!
२. सत्यम शिवम बता रहें हैं
कई दिन बीता, कई रात हुई, बादल उमरे, बरसात हुई। कितने मौसम यूँ आये गये, पर बेटे से ना बात हुई।
३. अपर्णा त्रिपाठी "पलाश" का कहना है
मेरा इन्तजार करना
मुझपे ऐतबार करना
मै बसता हूँ तेरे दिल में
मुझे कभी बेघर ना करना!
४. अजय मूड़ौतिया बता रहे हैं
५. dhiru singh {धीरू सिंह} के शादी का सोलहवा साल- पो पो की झईम झईम :: घर के सामने से निकलती बारात मुझे चीखने को मजबूर कर देती!!
६. शिक्षामित्र की सूचना :: जाट आरक्षणः संसद में विधेयक पेश :: संवेदनशील मुद्दे पर केंद्र सरकार ने आखिरकार संसद में पेश अपने जवाब में संशोधन कर दिया है।
७. सागर ये क्या कह रहे हैं, हम पी भी गए छलका भी गए... :: सामने गहरी खाई थी और उसके बाद दूसरा पहाड़... नीचे देखने पर दिल धक् से हो आता था!!
८. कुमार राधारमण बता रहे हैं खतरनाक रोगों से ज्यादा दर्द दे रहीं दवाएं :: जिदंगी की हर सांस के लिए जूझता रोगी। दवा से दुआ तक की मांग, लेकिन दवा कंपनियों और डॉक्टरों के नापाक गठजोड़ को चिंता है तो सिर्फ मुनाफे की।
९. विरेन्द्र सिंह चौहान का कहना है जब तक हमारा ज़मीर नहीं जागेगा! :: अपराधी इन बलात्कार, हत्या, भ्रष्टाचार की घटनाओं और दूसरे कई अपराधों को अंज़ाम देते होंगे!!
१०. कुँवर कुसुमेश पिला रहें हैं पी लीजिए क्योंकि आज मीठा हुआ ज़हर देखो ::
इस सदी का यही तो हासिल है,
क़िस्मतों का लिखा 'कुँवर'देखो.
११. अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी की
१२. Vijai Mathur ने बिताए क्रांतिनगर मेरठ में सात वर्ष (२ ) :: अन्ततः बाबूजी क़े आफिस क़े एक सरदारजी मोगिया सा :ने अपने मकान में दो कमरे किराये पर दे दिए ! !
१३. क्या आपने पढी है सबसे छोटी बहर की ग़ज़ल? अगर नहीं तो पढिए Navin C. Chaturvedi ठाले बैठे: सब से छोटी बहर की ग़ज़ल ::
फिकर |
अगन |८|
कुमति |
पतन |९|
सफ़र |
जतन |१०|
१४. बेचारा !
पं.डी.के.शर्मा"वत्स" ::
हाथी की विशालता देख-देख मच्छरों का झुंड हँसे जा रहा है—!!
१५. Sunita Sharma कर रही हैं
१६. mahendra verma पूछ रहें है क्या होता है नया जमाना में ::
रस्ते तो बिल्कुल सीधे हैं, टेढ़े-मेढ़े चलते क्यूं हो ?
१७. पढिए
१८. Kusum Thakur की प्रस्तुति विद्यापति गीत (अभिनव पल्लव) :: कवि कंठहार कहते हैं कि इसका रस शिव अवतार राजा शिव सिंह समझते हैं.
१९. Rangnath Singh जी से सीखिए कि कैसे छोटी सी चाबी से बड़ा सन्दूक खोला जा सकता है :: जब काफी देर तक दौड़ लो तो दम लेना चाहिए!
२०. रवीन्द्र प्रभात जी लेकर आए हैं वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण-२०१० (भाग-२) :: ब्लॉगिंग के इस 'ठंडा ठंडा कूल कूल' को बिल्कुल मत भूलें और न किसी को भूलने दें। ब्लॉगिंग के झूले में सदा ही झूलें।
२१. नवीन रांगियाल जी कहते हैं अश्वथामा ने कहा था ::
रात के ठहाके जरुरी है .. कांच के गिलासों के साथ!
२२. सुनिए अनुपमा पाठक के
निराशा के भंवर में
डूबना क्या-
यहाँ ऐसे ही
चलता है व्यापार..
विश्वास मात्र भरम है!
२३. Mired Mirage का कहना है
२४. रश्मि प्रभा लगा रही हैं रहस्यों की बाज़ी ::
हथेली खोलता और बन्द करता
दस उँगलियों के मध्य घूमता
२५. महेन्द्र मिश्र की बात मानें अज्ञानी को ज्ञान देने से ज्ञान का ही अपमान होता है .... :: मैं इतनी दूरी तक अब उड़ कर नहीं जा सकता हूँ और तुम मुझे जहाँ से लेकर आये थे वहीँ वापिस छोड़ दो .
२६. Nirmesh का नया जीवन ::
ख़ुदकुशी की असफल कोशिश के बाद !
२७. वन्दना जी
कभी देह की
कभी साँसों की
कभी बातों की
कभी नातों की
कभी भावो की
२८. गिरिजेश राव की प्रस्तुति महाकवि फत्ते के बेढंगे दोहे ::
चलता राही देख के, कउवा रहा हर्षाय
कपड़ों पर बीट की, जोरू पीटे दौड़ाय।
हैप्पी ब्लॉगिंग।
sarthk charcha v bahut achhche links mile .aabhar.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा लगी मनोज जी, हरेक पोस्ट के साथ परिचय भी भला लगा..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद..
बहुत ही अच्छे लिंक्स से सजायी आपने आज की चर्चा ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिये आपका आभार
आपने रविवासरीय चर्चामंच बहुत ही बढ़िया ढंग से सजाया है।
जवाब देंहटाएं--
आभार!
आज के चर्चामंच पर मुझे स्थान दिया ,कृतज्ञ हूँ .
जवाब देंहटाएंबहुत ही उत्कृष्ट चर्चा .. इतने अच्छे अच्छे लिंक्सों के लिए आभार !!
जवाब देंहटाएंbahut achhe links mile dhanyavad..............
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा ....धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंसुन्दर तौर से की गई चर्चा , अच्छे लिंक्स , आभार।
जवाब देंहटाएंमहत्त्वपूर्ण लिंक्स से सजी सुन्दर चर्चा ....
जवाब देंहटाएंभाई मनोज जी, मेरे जुनून को इस चर्चा का हिस्सा बनाने के लिए दिल से आभार| पिछली बार सभी लिंक्स को नहीं पढ़ पाया था इवेंट के चलते| आज तो ज़्यादातर को पढ़ने की कोशिश है|
जवाब देंहटाएंkusumesh jee se milaane kaa shukriyaa.
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स के साथ बहुत ही सार्थक चर्चा ! सभी लिंक्स बहुत ही सुघरता के साथ चयनित ! बधाई एवं आभार !
जवाब देंहटाएंदेखने मे ही लिंक अच्छे लग रहे है पढूँगी बाद मे …………ये अन्दाज़ भी अच्छा लगा चर्चा का……………आभार्।
जवाब देंहटाएंमनोज भाई मज़ा आया| अंत में आपने हंसाने का सुअवसर भी प्रदान कर के इस रविवार को और भी मजेदार बना दिया| बधाई|
जवाब देंहटाएंमेरे जुनून "सबसे छोटी बहर की ग़ज़ल" को मंच पर लाने के लिए एक बार फिर से शुक्रिया|
Thanx for the wonderful links !
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा बेहतरीन है ...अच्छे लिंक मिले ... पोस्ट को शामिल करने के लिए आभारी हूँ ....
जवाब देंहटाएंDhanyawad..manoj ji..aaj ki charcha bhut hi achi hai..meri kaavya kalpna "pita ka dukh" ko aaj ki charcha ka ansh bnane hetu bhut bhut dhanyawad...yu hi humesa apna sneh mujhpar banaye rakhe....
जवाब देंहटाएंसंतुलित व्यवस्थित और सार्थक चर्चा.
जवाब देंहटाएंacchhe links se saji sunder charcha.
जवाब देंहटाएंsundar charcha!!!
जवाब देंहटाएंsaadar!
धन्यवाद, मनोज सर....बहुत बहुत आभार....मेरी रचना को प्रोत्साहन देने हेतु। यूँही हमेशा आप मेरा मनोबल बढ़ाये...........
जवाब देंहटाएंlinks chayan ki apoorva yogyata.sunder prastuti..aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत ही उत्कृष्ट चर्चा...
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स हैं भाई ।
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा --धन्यवाद
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