नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा में कुछ अपनी चुनी हुई पोस्टों और एक लाइना के साथ। साल समाप्ति की ओर अग्रसर है और हम बड़े दिन और नये वर्ष के स्वागत की तैयारियों में।
- शिवम् मिश्रा याद दिला रहें हैं अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान के बलिदान दिवस पर विशेष :: 19 दिसंबर 1927 को फांसी के फंदे पर लटका दिए गए अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान को नमन अशेष !
- पारुल "पुखराज" कह रही हैं फ़ितरतन :: हमने सपनों को ज़िंदों की तरह रौंदा, रुलाया फिर भी न कर सके तृप्त अंदरूनी अना !!
- अनुपमा पाठक का समय! अहा!! -- वाक्य में विराम सा .. विस्मृत किसी नाम सा .. गढ़ता नयी कहानी .. कोई समय चलायमान रहा!
- ज़ारी है रवीन्द्र प्रभात का वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण-२०१० (भाग-५ ) :: साझा संवाद, साझी विरासत, साझी धरोहर, साझा मंच आप जो मान लीजिये हिंदी ब्लॉग जगत की एक कैफियत यह भी है ।
- राज भाटिय़ा पूछ रहे हैं अधनंगेपन की बेशर्मी पर नाज कैसे? :: औरों की आंखें शर्म से झुक जाएं पर उनके मन में लाज का ख्याल भी न आए।
- Poorviya की अवाज़ आई धडाधड महाराज के कोमे में जाते ही परेशान ये ब्लोगर भाई.:: ऐसा लगता है किसी पान की दूकान को नगर निगम का दस्ता गिरा गया हो, जब धडाधड महाराज ही नहीं हैं तो बहुत से लोगों तक अपनी बात पहुँचाना भी दुष्कर कार्य है!
- Indranil Bhattacharjee ........."सैल" की उलझन आईने के पीछे रहता कौन है दिल्लगी में दिल लगाता कौन है :: जब भी नैनो के झरोखे बंद हो , ‘सैल’ को बोलो कि ऐसा ना करे !!
- Vijai Mathur बता रहे हैं विद्रोही स्व-स्वर में.... क्रांति नगर मेरठ में सात वर्ष (४ ) :: एक छात्र ने स्याही की दवात डा .भट्टाचार्य पर उड़ेल दी और उनका धोती-कुर्ता रंग गया ,उन्हें घर जाकर कपडे बदलने पड़े.
- babanpandey कह रहे हैं आपके आ आने से ---- तितलियों को सरसों फूल खिलने का धोखा हो गया ! जब आ धमकी मधुमखियाँ तो मौसम का रंग चोखा हो गया !!
- रंजीत बता रहे हैं एक गाथा का समापन :: नहीं रहे हमारे बीच प्रसिद्ध समाजवादी नेता, विचारक और चिंतक सुरेंद्र मोहन! समाजवाद के इस योद्धा को नमन।
- Mukesh Kumar Sinha यद करते कह रहे हैं मेरी "मैया" ---- समेट लेती मुझे अपनी आंचल के साये में मैं भी अपनी छोटी छोटी उँगलियों को उसके ढीले सलवटों से भरे पेट पर प्यार से लगता फिराने!
- आ गया चौराहा और अब Kailash C Sharma को ---- कोई रास्ता चुनने में लगता है बहुत डर, शायद यह मोड़ भी गलत न हो!
- Nirmal Kumar को एक भय है :: काले से रास्ते सफ़ेद धुआं डर हो रहा गुंजायमान लोग भागते अनगिनत दिशाओं में लिए अपने चेहरे अपने हाथों में!!
- ajit gupta जी की पोस्ट यादों के भँवर जब बनते हैं तो शब्द कहाँ-कहाँ टकराते हैं? - अजित गुप्ता :: पिताजी की डांट और मार क्यों याद आने लगती है? क्यों वो माँ याद आती है जिसने जिन्दगी में हमें केवल डरना ही सिखाया।
- इष्ट देव सांकृत्यायन बता रहे हैं यात्रा वृत्तांत भर नहीं है पूश्किन के देश में :: एक कुशल यात्रा लेखक की तरह महेश दर्पण ने बदले हुए रूस को देखते हुए भी बताया है कि अब भी रूस में बहुत कुछ बाकी है।
- शशांक मेहता का मानना है घर लौटने की वजह होती है बीबी :: शादी के बाद घूमना-फिरना, दोस्तों के साथ गप्पेबाजी, ये सब बकबास लगने लगता है.
- Anita जी का कहना है झलक दिखायेगा तब राम :: मात्र मौन है जिसकी भाषा शब्दों से क्या उसको काम, फुसफुसाहट सुन ले उसकी पा जायेगा मन विश्राम !
- जेन्नी शबनम लेकर आयी हैं जादू की एक अदृश्य छड़ी... ":: जिसे घुमा कर / करते हो / अपनी मनचाही / हर कामना पूरी, / और रचते हो / अपने लिए / स्वप्निल संसार !
- वन्दना जी ये प्रेम के कौन से मोड आ गये :: जहाँ लम्हे तो गुजर गये, मगर हम बेजुबाँ हो गये / कहानी कहते थे तुम अपनी, और हम बयाँ हो गये!!
- प्रवीण पाण्डेय कहते हैं उफ, तेल का कुआँ न हुआ :: क्या भगवन, किसी को कुयेँ में तेल दिया, किसी को गाल में तिल दिया और हमें भाग्य में ताला। यह तो अन्याय हुआ प्रभु!
बस आज इतना ही।
अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।तब तक हैप्पी क्रिमस!
मन लगा कर मनोयोग से की गई रविवासरीय चर्चा के लिए आभार!
जवाब देंहटाएं--
बहुत ही बढ़िया लिंकों का चयन किया है आपने!
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हैप्पी क्रिसमस!
बहुत ही बढ़िया लिंकों का चयन
जवाब देंहटाएंप्रस्तुतीकरण बहुत मन लगाकर और बहुत ही शालीन तरीके से किया गया है.मन चाहे अनचाहे चर्चा मंच की और खिंचा जा रहा है .बधाई.
जवाब देंहटाएंhappy christmas !! .. बहुत सुन्दर चर्चा और अच्छे लिंक्स.. धन्यवाद मनोज जी..
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा बहुत सुन्दर , सुगठित और उपयोगी ...अच्छी चर्चा के लिए आभार
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स , अच्छी चर्चा। बधाई।
जवाब देंहटाएंआज तो बहुत ही बढिया और उपयोगी चर्चा की है …………एक से बढकर एक लिंक लगाये हैं…………आभार्।
जवाब देंहटाएंहैप्पी क्रिसमस!
अच्छा है जी. कुछ नया पाया पढ़ने को. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआपको भी हैप्पी "क्रिमस" :)
जवाब देंहटाएंचर्चा बढिया रही.....
चिट्ठाजगत के कोमा पर जाने के बाद........ अब चर्चा मंच की उपयोगिता बढ़ गयी है....
जवाब देंहटाएंआभार ...
बढ़िया चर्चा की है .... जब चिटठाजगत अतिम साँस ले रहा है... और संचालक मंडल भी कड़कड़ाती ठण्ड में रजाई ओढ़कर सो रहा है कोई ध्यान नहीं दे रहा है तब इस स्थिति में ऐसी चर्चाओं का महत्त्व बढ़ गया है ... निरंतर जरी रखें ...आभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा की है .... जब चिटठाजगत अतिम साँस ले रहा है... और संचालक मंडल भी कड़कड़ाती ठण्ड में रजाई ओढ़कर सो रहा है कोई ध्यान नहीं दे रहा है तब इस स्थिति में ऐसी चर्चाओं का महत्त्व बढ़ गया है ... निरंतर जरी रखें ...आभार
जवाब देंहटाएंपढ़ने का मसाला मिल गया धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंManoj ji bahut achche links the dhanyawaad. Anupma ji ke 'samy' aur mukesh ji ki maiyaa ne man moh liya
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा लिंक्स लगाये हैं .बहुत उपयोगी चर्चा.
जवाब देंहटाएंऐसे ही कुछ लेख और सन्देश यहाँ भी देखें
जवाब देंहटाएंकर्बला मैं ऐसा क्या हुआ था की इसकी याद सभी धर्म वाले मिल के मनाते हैं.
हिन्दू शायर दिलगीर लखनवी (झंडू लाल)-"घबराए गी जैनब
हिलती है ज़मीन , रोता है फलक : सौज : ज्योति बावरी
क्या कहते हैं संसार के बुद्धीजीवी, दार्शनिक, लेखक और अधिनायक, कर्बला और इमाम हुसैन के बारे
मिलिए इस हिंदू भाई से जो मौला अली और इमाम हुसैन को मुसलमानों से भी ज्यादा चाहते हैं
बढ़िया चर्चा की है ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा लिंक्स लगाये हैं .बहुत उपयोगी चर्चा.
जवाब देंहटाएंमनोज दा, आपका बहुत बहुत आभार ... मेरी पोस्ट को इस सार्थक ब्लॉग चर्चा का हिस्सा बनने के लिए !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा ... बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंbhut achaa charchaa........
जवाब देंहटाएंbhut achaa charchaa........
जवाब देंहटाएंबहुत खुब जी सुंदर चर्चा. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
आपके माध्यम से कितना कुछ पढ़ने को मिल रहा है।
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