लीजिये साप्ताहिक ख़बरों में आपका स्वागत है .............यहाँ आपके पसंद के लेख,कहानियां ,संस्मरण , व्यंग्य सभी का मिश्रण है .........अब आपको पूरे सप्ताह का खज़ाना मिल गया है तो मोती चुनते रहिये और गुनते रहिये.
चलिए चर्चा की ओर -------
१)
ये है १२५ वर्ष (एक सौ पच्चीस साल) पुरानी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी .शायद इस १२५ करोड़ (एक सौ पच्चीस करोड़) की जनसँख्या वाले भारत महान में एक भी व्यक्ति..
२)
कई दिन से पढ़ रहा है सरल। डेढ़ साल से ज़्यादा हुआ, टी.वी. नहीं देखा। रिकॉर्डिंग मिल जाएगी यूट्यूब पर। देख सकता है। नेट की सुविधा तो है न उसके पास। अपने शो में राखी ने किसी को नामर्द कह दिया। लक्ष्मण नाम बता...
३)
व्यवस्था परिवर्तन से ही आयेगी नव वर्ष में खुशियॉं
व्यवस्था परिवर्तन से ही आयेगी नव वर्ष में खुशियॉं अरविन्द विद्रोही मानव सभ्यता का एक और वर्ष व्यतीत हो गया ।पुरानी यादें, कडुवाहटें जेहन में बसाये,नव वर्ष के स्वागत में पलक-पावंडे बिछाये,हर्षोल्लास में...
४)
वो मेरे सामने खड़ा था, सर झुकाए हुए, पेरिस का मशहूर गैंगस्टर, जोनाथन रिवेट उर्फ़ ली टिरेयर (दी शूटर) | "जोनाथन रिवेट, आप पर मुकदमा चलाया गया था, 12-06-1956, जगह ल्योन, तीन पुलिसवालों की हत्या का | आप दोषी स...
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५)
देसिल बयना – 61 *हर जगह की अपनी कुछ मान्यताएं**, **कुछ रीति-रिवाज**, **कुछ संस्कार और कुछ धरोहर होते हैं। ऐसी ही हैं**, **हमारी लोकोक्तियाँ और लोक-कथाएं। इन में माटी की सोंधी महक तो है ही**, **अप्रतिम ...
जीवनकाल को बांटने के लिए *ब्रह्मचर्य, ग्रहस्थ, वानप्रस्थ* और *संन्यास* के खांचों के बारे में आप सब जानते ही हैं...लेकिन ये अवस्थाएं संयुक्त परिवार के लिए बनी थी...आज के दौर में सभी मान्यताएं टूट रही हैं तो...
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बहुत पुरानी बात है। एक रानी के दरबार में राजा नामक एक मुंहलगा दरबारी था। रानी साहिबा मायके संबंधी किसी मजबूरी के चलते गद्दी पर बैठ नहीं सकीं। बेटा छोटा...
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*कितने कृष्ण और मोहम्मद तुम्हारे साक्षी रहे हें !कितने ईसामसीह और नानक तुम्हारे साथ चले हें !कितने महावीर और बुद्ध तुम्हारे जीवन में आये !कितनी गीता और बाइबल तुम्हे स्पर्श करके निकल गईं !कितने वेद -ग्रन...
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यूं तो स्कूलों को बच्चों के वर्तमान और भविष्य गढ़ने का केन्द्र माना जाता है. लेकिन बीते कुछ सालों से स्कूलों के भीतर से बच्चों के शोषण और उत्पीड़न की...
१०)
दुनिया उसे खुशबुओं के सबसे बड़े संग्रहकर्ता के रूप में जानती थी. हर साल वो एक महीने के लम्बे टूर पर निकलता और दुनिया के अनछुए कोनों तक सफ़र करता...तरह तरह के इत्र इकठ्ठा करता. उसका इत्र खरीदने का तरीका भी ...
१०)
दुनिया उसे खुशबुओं के सबसे बड़े संग्रहकर्ता के रूप में जानती थी. हर साल वो एक महीने के लम्बे टूर पर निकलता और दुनिया के अनछुए कोनों तक सफ़र करता...तरह तरह के इत्र इकठ्ठा करता. उसका इत्र खरीदने का तरीका भी ...
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"बस अब इस बहस को विराम मिलना चाहिए", उसने सोचा लेकिन वैसा हुआ नहीं.. जैसा उसने चाहा.. हर दिन की तरह, अल्सुबह की नरमी आँखों में भारती रही, दोपहर का सूरज चटकता रहा और सुरमई शाम का जाता उजाला स्वाद बन जीभ पर...
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जयकुमार जलज की लघुकहानी : हासिल
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लघुकहानी हासिल — डॉ. जयकुमार जलज, रतलाम उस तरफ नाला और उजाड़ मैदान होने से गली बंद हो गई थी। लोगों ने काँटेदार तार लगाकर उसे और भी बंद कर लिया था। दोनों तरफ बने मकानों के लिए अब वह एक आँगन जैसी थी। ...
*विनय बिहारी सिंह* कल मां काली के एक भक्त से भेंट हुई। मैंने कहा- ठंड थोड़ी सी बढ़ी है। वे बोले- मां जैसे रखें, वही ठीक है। मैंने पूछा- आजकल आप रात में जाग कर जप इत्यादि कर रहे हैं कि नहीं? वे हंसे और ब...
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१६)
१४)
कंप्यूटर का ज्यादा इस्तेमाल करने वालो :सावधान
ए हमें चाहिए कि हम कंप्यूटर पर ज्यादा देर तक कार्य करते है तो इसके इस्तेमाल का सही व सुरक्षित तरीका अपनाएं |ज्यादा देर तक कंप्यूटर काम करते समय यदि हम अपने बैठने का, माउस पकड़ने का तरीका व कि-बोर्ड का इस्तेमाल करने का सही तरीका नहीं अपनाते है तो Carpal Tunnel Syndrome नामक रोग के शिकार हो सकते है अतः इस रोग से बचने के लि
एक गाँव में एक पंडितजी रहते थे . वे एक दिन गाँव के किनारे नदी के तट पर प्रातः काल सूर्य को जल अर्पित कर रहे थे . उन पंडित महाशय को मालूम था की इस नदी में ढेरों मगर मच्छ रहते हैं इसीलिए वे सतर्क होकर सूर्य ...
१७)
अखबारों में खबर है कि क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को देश का सर्वोच्च सम्मान 'भारत-रत्न' देने की मांग फिर उठने लगी है . यह हमारी भारत-माता का दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है कि उसकी वर्तमान संतानें अपने उन महानं प...
१८)
*बहुत कविता कर ली, पर चैन नहीं आया..... ख़बरें और आ रही है..... दिल को झंझ्कोर कर रख रही है..... वास्तविकता है ...... चुटकियाँ है.... अरे नहीं आपके लिए नहीं .......... पर दौलतमंद दलालों के लिए तो मात्र चुट...
१९)
*गोवा में मुहर्रम का ये रूप * *_____________________* * * *मुहर्रम के बारे में सभी को ज्ञात है कि ये ख़ुशी का त्योहार नहीं बल्कि पैग़ंबर * *साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) ,उन के परिवार और मित्रों के * *...
२०)
(जब से यह नया ब्लॉग बनाया है,अपनी कुछ पसंदीदा पोस्ट पुराने ब्लॉग से इस ब्लॉग पर पोस्ट करने की सोच रखी थी. ताकि सारी पोस्ट्स एक जगह संकलित रहें और दूसरा ब्लॉग सिर्फ एक्सक्लूसिव कहानियों के लिए ही रहे. स...
२१)
२२)२१)
'जान'...तुम जब यूँ बुलाते हो तो जैसे जिस्म के आँगन में धूप दबे पाँव उतरती है और अंगड़ाइयां लेकर इश्क जागता है, धूप बस रौशनी और गर्मी नहीं रहती, खुशबू भी घुल जाती है जो पोर पोर को सुलगाती और महकाती है. तुम्...
क्लियोपेट्रा का नाम लेते ही मिस्र की खूबसूरत रानी का चेहरा ज़ेहन में कौंध उठता है, जिसका जीवन ही नहीं मृत्यु भी किसी किवदंती के समान है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि क्लियोपेट्रा नाम का एक खूबसूरत गिद्ध भी ...
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२४)आभासी दुनिया की अनमोल खुशिया २३)
* * विनय बिहारी सिंह शबरी की प्रबल इच्छा थी कि वह भगवान राम को अपने हाथों से खिलाए। वह दिन रात राम का आह्वान करती रहती थी। हमेशा उसके मन में एक ही बात उच्चारित होती थी- राम, राम, राम। जब वह बहुत अधिक व्...
बदलते वक़्त के साथ सब कुछ बदलता जाता है .रहने का तरीका ,खाने का तरीका ,त्यौहार मनाने का तरीका, मृत्यु का तरीका और जन्म लेने का तरीका, तो भला जन्म दिन मनाने का तरीका क्यों नहीं बदलेगा .अब देखिये ना जब छ...
२५)
रसीदी टिकट लगभग आज से कई साल पहले लिखी है और यह शायद महात्मा गांधी जी की आत्मकथा के बाद इतनी ईमानदारी ,सच्चाई और निर्भीकता से लिखी गयी दूसरी आत्मकथा है | *मैंने ज़िन्दगी में दो बार मोहब्बत की ........एक बा...
२६)
( गतांक: पती को अपना न्यूनगंड खलता था और इस बात को छुपा के रखने की चाहत में वो दीपा पे बात बेबात बरस पड़ता. उस के लिए ऐसा करना मर्दानगी थी....उस के इसी न्यूनगंड ने एक बार उससे बड़ी ही भयानक बात करवा दी. कम...
२७)
*बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर की तुलना ऑस्ट्रेलियाई महान बल्लेबाज डॉन ब्रेडमैन से करना उचित नहीं लग रहा। उन्होंने कहा है कि जब तक हम अपनी उपलब्धियों पर गर्व करना नहीं ...
२८)
बाबा में दुनिया जीत के भी दिखा दूंगा.... अपनी नज़रों से दूर तो मुझको जाने दे.... तुम सामने हो...या मैं एक ख्वाब देख रहा हूँ......नहीं ये तो शीशा है.......ओह...तो ये एक भरम है....लेकिन तुम तो भरम नहीं हो......
२९)
रूई का बोझ...कल तक बताई कहानी से आगे...दो बड़े बेटों के राजी न होने पर बूढ़े पिता को छोटे बेटे-बहू के साथ रहना पड़ता है...थोड़े दिन तो सब ठीक रहता है...लेकिन फिर... *सबसे छोटी बहू भी पिता के साथ रहने को...
३०)
*आँच**-**49* *‘**मवाद**’** पद का गुण दोष निरूपण*** ** हरीश प्रकाश गुप्त अनामिका जी द्वारा विरचित 'मवाद' कविता पर आँच का अंक 9 दिसम्बर को आया था। उस पर एक पाठक ने 'मवाद' पद को लेकर आपत्ति व्यक्त की...
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३२)३१)
ट्ठाजगत आया, ब्लॉगर खुश जी हां अब स्वस्थ है आनंदित है आप भी आनंदित हो आयें चिट्ठाजगत पर अपनी पोस्टें अपनी नहीं सबकी पोस्टें देखें पढ़ें और टिप्पणियायें आप सभी को चिट्ठाजगत की वापसी की श...
बड़े ही शर्म की बात है की जिस देश की राष्ट्रपति महिला हैं। UPA की अध्यक्ष भी महिला हैं और दिल्ली की मुख्य मंत्री भी महिला हैं, वहाँ भी बच्चियां और महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं और दिनों दिन बलात्कार की घटनाएं ...
३३)
विचार-९० *आत्मविश्वास* - *कालिदास* ने *कुमारसंभवम* में कहा है, *‘प्रायः प्रत्ययमाधत्ते स्वगुणेषूमादरः’* अर्थात् बड़े लोगों से प्राप्त सम्मान अपने गुणों में विश्वास उत्पन्न कर देता है। - ऐस...
३४)मुद्दों पर हिंदी ब्लॉगजगत की रणनीति और वर्ष की हलचलें
३५)
पिछला हफ्ते ब्लॉग जगत में एग्रीगेटरों के शोक के नाम रहा, जिसमें हर सक्रिय और अक्रिय ब्लॉगर ने अपनी-अपनी सामर्थ्य के अनुसार अश्रुओं का योगदान दिया। वाकई ये बात ही चिंता वाली थी। नए और कम चर्चित ब्लाग, जो अपनी...
३६)
दिन गुज़रते, उसकी सजाएं और भी ज्यादा कातिल होतीं जा रही थीं... ---------- वो अपनी स्कूटी मेरे एकदम पास ला कर जोर से ब्रेक मारती और रोकती. हमेशा कहता था कि जिस दिन तुम्हारी गाड़ी के ब्रेक फेल हुए सबसे पहला म...
३७)
कई दिनों से ब्लॉग पढ़ना कम हो गया। लिखना तो औरौ कम। आज भी यही हुआ। एकाध पोस्टें बांची और लोटपोट तहाकर धरने वाले थे कि किसी पोस्ट में अपनी लक्ष्मीबाई कंचन की पोस्ट दिख गई! कल किसी ने इसकी तारीफ़ भी की थी। सो...
३८)
आज कुछ काम से गूगल पर खोजबीन चल रही थी, कुछ चित्रों को देखा तो नेताओं से सम्बंधित बहुत से कार्टून पसंद आये। उनमें से कुछ आपके लिए यहाँ लाये हैं। सभी कार्टून चित्रों के मालिकों, अधिकार रखने वालों के ...
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कुछ राज़ की बातें ३९)
कुछ मित्रों का संदेश देखने के लिए फेसबुक पर गया तो वहां अचानक ही मुलाक़ात हुई मनसा आनंद जी से उनकी पोस्ट का शीर्षक बहुत तेज़ी से बुला रहा था. लिखा था *सोना सर्वाधिक प्राण ऊर्जा को अपनी और आकर्षित करता है...
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*प्रिय ब्लॉगर मित्रो!* *अपार हर्ष के साथ आपको सूचित कर रहा हूँ कि नववर्ष 2011 के आगमन पर देवभूमि उत्तराखण्ड के खटीमा नगर में * *एक ब्लॉगरमीट का आयोजन 9 जनवरी, 2011, रविवार को किया जा रहा है!* *इस अवसर पर आप...
४१)
संकीर्ण व्यक्ति अपने सीमित दायरे के अन्दर रह कर कुढ़ता, खींजता, चिडचिड़ाता रहता है और ऐसे व्यक्तित्व के धनी तरह तरह की त्रासदी भुगतते रहते है और वह कभी प्रगति नहीं कर पाता है ...यह कटु सत्य है . एक कुंआ था...
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खामोशियाँ हमेशा से थी बाहर - भीतर, आस-पास और भीड़ में कहीं ज्यादा.. अपने पिछले जन्म में किसी और रूप में....वो खफा-खफा, मायूस, विरक्त, क्षुब्ध, उपेक्षित ... आपेक्षाओं और सहिष्णुता के जाल में फंसी... खाम...
४४)
यूं तो इस देश में खिलाडियों की उपेक्षा का अपना एक अलग ही खेल के समानांतर ही एक इतिहास है , मगर जब देश के खिलाडी सबको चौंकाते हुए राष्ट्रमंडल... Read more »
४५)
इतना दुख तो प्रेमियों ने प्रेम के खोने पर भी न मनाया होगा, जितना लोगों ने प्याज की याद में मनाया है। कुछ कहने से पहले एक सच बता दूँ कि प्रवचन सुनने से पहले जान लीजिए कि यह भुक्तभोगी का प्रवचन नहीं है। 'जाक...
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*( इस कहानी की शुरूआती पंक्तियाँ आपलोगों को कहीं पढ़ी हुई लगेंगी. अब उस कविता से ये कहानी निकल कर आई या फिर इस कहानी से वो कविता...ये निर्णय आप करें :) )* ताला खोल,थके कदमो से...घर के अंदर प्रवेश किया.....
४७)
जहाँ देखिये नारीवाद का राग अलापते आपको बहुत सी महिलाएं , बहुत से संस्थाए मिल जाएँगी । लेकिन इनका वास्तविक चेहरा क्या है ये कम लोगों को ही ज्ञात होगा । होगा भी कैसे प्रगतिवाद का अँधा चस्मा जो लगा है । फिर भ...
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जब तक पुरुषों पर जवानी ज्यादा छायी रहेगी , महिलाओं की जवानियाँ सड़क पर शर्मसार होती रहेगी। बड़े फख्र से ये बतायेंगे की पुरुष कभी बूढ़े नहीं होते। एक्टिवे ही रहते हैं। कुछ ज्यादा ही hyperactive हैं। आखिर पु...
४९)
*फ़ुरसत में .... * *एक आत्मचेतना कलाकार * *रघुवीर सहाय** * *(पुण्य तिथि ३० दिसम्बर)* *मनोज कुमार* दिसम्बर का महीना आते हुए साहित्य जगत को एक अनमोल रत्न दे गया और जाते-जाते उन्हें हमसे लेता भी...
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TARK
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16 जुलाई को प्रारंभ होने वाली यात्रा के अंतिम चरण की योजना बनाते हम पिता-पुत्री जब नांदेड़ स्थित सचखंड गुरूद्वारे के यात्री निवास में सोए तो *आँख खुली सुबह 7 बजे*। नित्य कर्मों से निपट, कमरे की चाबी लौटा, ...
५१)
यह झंकृत कर देने वाला शीर्षक न रखता, यदि सुना न होता। लिख कर रखा होगा किसी ने, बोलने के पहले, लिखने, न लिखने के बारे में यह उद्गार। बिना अनुभव यह संभवतः लिखा भी न गया होगा। आप पढ़कर व्यथित न हों, मैं सुनकर...
५२)
लिखना मन की परतों को खोलने जैसा है, एक के बाद एक सतह | लिखकर आप लगातार भीतरी सतह पर प्रवेश करते जाते हैं | यह सब मैं पढ़ चुका हूँ, कई बार , कई जगह | शब्द थोड़े बहुत इधर उधर होते होंगे, मजमून नहीं बदलता | शाय...
५३)
फिर एक सवाल मन में घुमड़ा कि इस तरह के सीरियल क्यों दिखाये जा रहे हैं और क्यों देखे जा रहे हैं? सवाल आज नहीं आया है, पहले भी आता...
फिर एक सवाल मन में घुमड़ा कि इस तरह के सीरियल क्यों दिखाये जा रहे हैं और क्यों देखे जा रहे हैं? सवाल आज नहीं आया है, पहले भी आता रहा है और कई बार इसका जवाब पाने का प्रयास भी किया है किन्तु.....। इस बार इस...
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ज्योतिष शास्त्र का प्रमुख स्तम्भ है-----मुहूर्त विचार! मुहूर्त का आशय यह जानने से है कि कौन सा कार्य कब किया जाए, जिससे कि व्यक्ति को उस कार्य में निर्विघ्नता प्राप्त हो. उसे कार्य में सफलता प्राप्त हो सक...
५६)
TARK
विज्ञान और दर्शन मनुष्य ने विज्ञान और वैज्ञानिक अविष्कारों के माध्यम से विकास का एक लम्बा रास्ता तय किया है.क्या विज्ञान और वैज्ञानिक अविष्कारो...
ब्लॉगजगत में एक संत ब्लॉगर, ब्लॉग दर ब्लॉग घूम रहे थे। साथ एक शिष्यब्लॉगर भी था। संतब्लॉगर छांट-छांट कर ब्लॉग्स पर आशिर्वाद टिपाणीयां कर रहे थे। अच्छे विचारों वाले ब्लॉग्स पर आशिर्वाद देते “आपका ब्लॉग न ...
५८)
बाहर शहर भर का उजाला था और भीतर नाईट बल्ब के अँधेरे में सुलगते दो इंसान । पारा अपने सामान्य स्वभाव से लुढ़क गया था । ब्लैंडर स्प्राइड के दो पटियालवी पैग गले का रास्ता नाप चुके थे और तीसरे को अभी कोई जल्दी ...
५९)
बहुत दिन से ये कहानी अधूरी थी, आज इसे अंजाम तक पहुचाया॥ टंकण की त्रुटि के लिए क्षमा करें। ********** *खुशबू जैसे लोग :)* ******************** और अचानक घडी ने आवाज़ दी.. और दो छोटी छोटी चिड़ियों ने अचानक ...
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गाँधीजी का हिन्दू वाद और मुस्लिम वाद ----------------------------------------- 23 दिसंबर 1926 को स्वामी श्रद्धानंद जी की उनके घर में घुसकर हत्या कर दी गयी। स्वामी जी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे...
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posted by रश्मि प्रभा... at वटवृक्ष - 21 minutes agoख़्वाबों में ही सही खेली हमने राजनीति हकीकत में सोचा है लेंगे एक टिकट हम भी आप सब तो साथ होंगे ही ब्लॉग बंधुत्व की भावना लिए क्यूँ है ना ? *रश्मि प्रभा *
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एक वाकया याद आ रहा है। मेरे विवाह का अवसर था और मेरे पिताजी एक युवा डॉक्टर बराती से बहस कर रहे थे। पिताजी – मैं कहता हूँ कि बड़े लोग ज्यादा बदमिजाज होते हैं, छोटों के मुकाबले। डॉक्टर – नहीं, नहीं, आप यह...
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*डॉ अनवर जमाल , * *आपके इस लेख में उठाये प्रश्न और मुझे लिखे पत्र * ".*..मेरी नई पोस्ट देखेंऔर बताएं कि जनाब अरविन्द मिश्र की राय से आप कितना* *सहमत हैं और इस पोस्ट में आप मुझे जिस रूप रंग में देख रहे हैं ,.
६४)
राम के निवेदन का निहितार्थ (भाग-२) * * *(धर्म का सेतु - विज्ञानं*) मैंने एक सत्संग में सुना था, ..वहाँ कथावाचक महोदय '*सेतुबंध' * *की चर्चा और चित्रण* कर रहे थे .... सभी वानर - रीछ शिलाखंड ला-लाकर नल ...
६५)
*विचार-91* गांधी और गांधीवाद-10[image: images (13)] *विलायत क़ानून की पढाई के लिए* - गांधीवाद सिद्धांतों, वादों, नियमों और आदर्शों का संग्रह नहीं वरन् जीवनयापन की एक शैली या जीवन-दर्शन है। यह ए...
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हमारे देश में विभिन्न धर्मों , जातियों और समुदायों के लोग मिलकर रहते हैं । सबकी अपनी अपनी धारणाएं , मान्यताएं और धार्मिक विश्वास हैं । लेकिन एक बात जो बहुत खलती है , वो है समाज में व्याप्त अंध विश्वास । ट...
६७)
एक सज्जन हैं हीरालालजी । नाम ही जब हीरालाल हो तो कुछ काम-धाम करने का तो सवाल ही नहीं बचता । लिहाजा अपने पिता की इकलौती सन्तान होने के अधिकारस्वरुप पिता के गुजरते ही उनकी जिन्दगी भर की बचत को अपने कब्...
६८)
*एक चुस्की जो चाय बन गई * *मन की चाह* *हिमालय की पहाड़ियों के चारों तरफ़ ढालू जमीन से उतरतेहुए कोहरे की परत के बीच नन्ही-नन्ही कोमल पत्तियों से लिपटी ओस की बूँदो पर जब सूरज की पहली किरण पड़ती है,तो प...
६९)
"चिठी आई है आई है चिट्ठी आई है " इस गीत ने कई लोगो कि आँखों को नम किया था| किसी जमाने में चिट्ठी आना ही दिल कि धड़कन को बढ़ा देता था | "डाकिया डाक लाया ,""ख़त लिख दे सावरिया के नाम बाबू "इन फ़िल्मी गीतों ने ...
७०)
*जब *से यह खबर सुनी है कि डॉक्टर विनायक सेन को देशद्रोह के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है तब से मन बहुत बैचेन हो रहा है। मन बार-बार यह सवाल कर रहा है कि क्या हम सचमुच एक लोकतांत्रिक व्यवस्थ...
दोस्तों मेरे ख्याल से ७० आलेख कम नहीं होंगे एक हफ्ते के लिए..........अब इन्हें पढ़िए और अपने विचारों से अवगत कराते रहिये.
bhut klhub jnaab bdhaya ho. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंवंदना जी!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार गर्भित संग्रह जो पढने के लिए उत्साहित तो करता ही है ...पढने के बाद एक अतिरिक्त ऊर्जा भी उत्पन्न करता है जो तन और मन दोनों को परिपुष्ट करता है. ...सच कहूँ तो यदि ऐसी रचनाओं कामनन - मंथन किया जाय तो बहुत सी बिगड़ी आदतें सुधार जाय, ...नैतिकता और कर्मठता स्वाभाविक रूप से दिनचर्या का अंग बन जायेंगे...सोचने ..समझने की दृष्टि ही बदल जायेगी...उन सभी रचनाकारों को प्रणाम जिनसे मुझे बल मिला और आपका आभार मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए......सभी रचनाओं को पढने के बाद और बातें रखूंगा.... .
काफी मेहनत से तैयार प्रस्तुति. मेरे आलेख को भी जगह दी .आपका आभार .
जवाब देंहटाएंवंदना जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत मेहनत से चर्चा सजाई है आपने। बेहतरीन लिंक्स उपलब्ध कराने के लिए आभार। अभी होमवर्क थोड़ी शेष है मेरी , लेकिन दिन भी तो शेष है, पूरा पढ़ लुंगी। वादा है आपसे ।
वाकई इसे संग्रह ही कहना चाहिए , सिर्फ चर्चा मात्र नहीं ...
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ नया पढने को मिलेगा इनमे ...
आभार
वाकई इसे संग्रह ही कहना चाहिए , सिर्फ चर्चा मात्र नहीं ...
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ नया पढने को मिलेगा इनमे ...
आभार
वाह..वाह.. वन्दना जी!
जवाब देंहटाएंआज तो चर्चा मंच के पिटारे में पूरे हफ्ते पढ़ने का इन्तजाम कर दिया!
आपका श्रम सराहनीय है!
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चर्चा मंच की यह आज तक की ऐतिहासिक पोस्ट बन गयी है!
ग़ज़ब!
जवाब देंहटाएंमेहनत, लगन और निष्ठा का नमूना!!
आभार! इस संकलन के लिए।
मेरे ब्लोग्स और पोस्टों को मंच पर स्थान देने के लिए शुक्रिया।
यह अच्छा है कि पढ़े लेख लाल रंग से आ जाते हैं।
जवाब देंहटाएंआज का पाठ लम्बा जरूर है मैम मगर बोरिंग नहीं है ...लगता है आज कैंटीन नहीं जा सकता ! :-(
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चाएँ .
जवाब देंहटाएंबहुत ही श्रम-साध्य कार्य है यह आपका।
जवाब देंहटाएंबहुत लिंक मिले, सबको पढने में सप्ताह बीत जायेगा।
आभार मेरी पोस्ट को सम्मलित करने के लिये।
चर्चा मंच पर आ कर मैं हैरत में पड़ जाती हूं कि इतने सारे लिंक्स पर जाना, उसे पढ़ना,ये निर्णय लेना कि किसे शामिल करना है ,कमाल का धीरज है आप लोगों में
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छॆ लिंक्स मिले !
मुझे भी इस महफ़िल में शामिल करने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया
वन्दना जी को अच्छी चर्चा व अच्छे लिंक्स से रू-ब-रू कराने के लिये धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंवंदना ,
जवाब देंहटाएंआज तो गज़ब कि चर्चा है ...बहुत से लिंक्स छुट गए थे ...बुक मार्क कर लिया है फुर्सत से पढूंगी ..आज तो पढ़ भी नहीं पाउंगी न :):)
एक बार तो लगा कि आज शतक हो ही जायेगा :):)
श्रमसाध्य चर्चा के लिए बधाई और आभार
वन्दनाजी,
जवाब देंहटाएंबिल्कुल ही नये अन्दाज में लग रहा है आज का चर्चामंच । 70 के करीब जो लिंक दिख रहे हैं उनमें सिर्फ उन्हे छोडकर जो पढे जा चुके हैं लगभग प्रत्येक पर जाकर उनका वाचन करना जैसे आवश्यक लग रहा है । आपके द्वारा इस साप्ताहिक खुराक को जुटाने के श्रमसाध्य अभियान हेतु बहुत-बहुत बधाई, और मेरी भी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिये आभार...
वन्दनाजी,
जवाब देंहटाएंबिल्कुल ही नये अन्दाज में लग रहा है आज का चर्चामंच । 70 के करीब जो लिंक दिख रहे हैं उनमें सिर्फ उन्हे छोडकर जो पढे जा चुके हैं लगभग प्रत्येक पर जाकर उनका वाचन करना जैसे आवश्यक लग रहा है । आपके द्वारा इस साप्ताहिक खुराक को जुटाने के श्रमसाध्य अभियान हेतु बहुत-बहुत बधाई, और मेरी भी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिये आभार...
वंदना जी बहुत मेहनत की है आपने । ऐसी बहुत सी पोस्ट नजर आईं जो मैंने नहीं पढ़ीं हैं। यहां उनके बारे में जानकर पढ़ने का मन है। बधाई।
जवाब देंहटाएंअपना एक निवेदन फिर कर रहा हूं कि अगर ब्लागर का नाम भी साथ में आ जाया करे तो बेहतर रहेगा।
परिश्रम पूर्वक तैयार किया गया चर्चा मंच।
जवाब देंहटाएंआपने तो पूरी तरह से एग्रीगेटर की कमी पूरी कर दी. हमारी दोनों पोस्ट यहाँ रखने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंआपका ये प्रयास साधुवाद के काबिल है. आपकी मेहनत को नमन.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
बाप रे बाप ! इतने सारे लिंक ! झूठ नहीं बोलूंगा, अभी तो बिना पढ़े ही आपकी मेहनत की दाद दे रहा हूं। पढ़ूंगा बाद में। उम्मीद है जब तक कुछ क़ाबिले-ज़िक्र लिखता रहूंगा, आपका स्नेह बना रहेगा। बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंवंदन जी बहुत ही विस्तृत चर्चा... बहुत सारे लिकं है.... आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा संग्रह है...
जवाब देंहटाएंइस श्रमसाध्य कार्य हेतु बधाई!
वंदना जी, इस सार्थक चर्चा के लिए हार्दिक शुभकामनाऍं।
जवाब देंहटाएं---------
अंधविश्वासी तथा मूर्ख में फर्क।
मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।
वाह बहुत ही मेहनत से की गयी चर्चा बहुत से लिंक पढने को मिले वंदना जी शुक्रिया
जवाब देंहटाएंवाह..वाह.. वन्दना जी!काफी मेहनत से तैयार प्रस्तुति!आपका आभार .!
जवाब देंहटाएंआपकी बहुत कड़ी म्हणत से सजाई हुई महफ़िल को सलाम.बहुत नए लोगों से मिलने का मौक़ा मिलता है.
जवाब देंहटाएंएक पोस्ट मैंने भी अभी अभी लगाई है.उम्मीद है चर्चा मंच की कसौटी पर खरी उतरेगी.
vandana ji...badi hi sundarta se aaj ki charcha sajayi hai....saare links ek hi jagah,,,,
जवाब देंहटाएं*काव्य-कल्पना*
ओह! ये तो एकदम मैराथन चर्चा थी...बहुत बहुत शुक्रिया ,इतनी सारी लिंक उपलब्ध करवाने का.
जवाब देंहटाएंअपनी पोस्ट तैयार नहीं होती समय पर और वंदनाजी आपने इतनो सारी एकत्रित की हैं आपका आभार मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए और कई अच्छी पोस्ट पढवाने के लिए...
जवाब देंहटाएंbahut maze dar links. acchi lagi aaj ki charcha.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लिंक्स मिलीं
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभ कामनाएं क्रिसमस के शुभ अवसर पर
आशा
इतने लिंक्स ......लगता है छुट्टियाँ नहीं मनाने देंगीं आप :)
जवाब देंहटाएंसार्थक श्रम साध्य चर्चा.
खूब छलका है चर्चामंच बोले तृष्णगी
जवाब देंहटाएंप्यास फिर भी न तृप्ति हो पाई मेरी
एक पठन आस को कर जाए और गहन
खूबसूरत प्रस्तुतियों की छटाएं चितेरी.