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- *अनजाने ही में इक पहचानी सड़क से गुजरी* *यूँ लगा तेज़ हवा ने पुराने पन्ने पलट दिए * *और सालों पहले की इक तारीख* *आँखों के सामने आ गयी * *आज सालों बाद फिर उस... |
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- साथियो ये मेरी इस साल कि अंतिम रचना है ... २३ दिसंबर से १ जनवरी तक दिल्ली, फरीदाबाद की सर्दी का मज़ा लूटूँगा ... आप सब को नया साल बहुत बहुत मुबारक ... त... |
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- ख़ुशी भी दुःख का कारण बनती है आशीर्वाद भी बोझ बन उठता है जीना मुझे है या उसे बहुत बड़ा प्रश्न बनता है |
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जो तुम्हारे लिये लिखा गया जिसे पढने की समझ सिर्फ़ तुम जानते हो जिसकी भाषा का हर शब्द तुम्हारी अंतरआत्मा की अभिव्यक्ति है मगर कहती मै हूँ... |
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अरविन्द जांगिड़ - पुरातन गवाहों से,अमर प्यार को शापित कर,मंदिर को मस्जिद से लड़ा चले, ये हम कहाँ चले। क्षेत्रवाद नहीं,रास्ट्रवाद के नाम पर,कितना खून मासूमों का,यू ही हम बहा... |
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मन की बात कही न उनसे बस मन में ही छिपाए रहे. द्वार कभी न आए वो मेरे, हम पलकें ही बिछाए रहे. ... |
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अब सुनाता हूँ मैं वो कहानी! सुन सकोगे जो मासूम चीख़ें, सूख जाएगा आँखों का पानी! |
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सूर्य का ढलना प्रतीक है इस बात का कि हमेशा नहीं रहता दिन का उजाला .... |
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याद है उस दिन इसी जगह जीभर के हमने देखा था संध्या को अंगड़ाई लेते इक टहनी पर चाँद टंगा था..... |
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ग़लत दिशा मत जा बंधु ! राह सही अपना बंधु ! जग जैसा है, वैसा हैतू कैसा बतला बंधु ! कौन पराया अपना है सोच-फ़िकर बिसरा बंधु !... |
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नीलेश माथुरगुज़ारिशआँसू मत बहाना जश्न मनाना, जिक्र जब भी हो मेरा |
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यह आंसू ....यह फ़क़त पानी के कतरे नहीं आंसू हें मेरे |
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‘ग़र अकेले ऊब जाएं आप भी, आईने से दिल लगाएं आप भी। देखिए शम्आ की जानिब इक नज़र, |
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वो चाँद सा मुखड़ा…जैसे चाँद का टुकड़ा… आँखों में नींदें भरा, अपने “Bag” को सिरहाना बना… सो रही है वो, यूँ नींद की आगोश में, जैसे डूबी हो वो, किसी गहरी सोच में… |
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हिसाबआंखों में आँखें डालकर बोलना६२ साल तक तुमने क्या किया वतन झुलस रहा है , मेरे दोस्त |
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अपणा सगला भगतां री पत राखन हालो, निज भगतां पे गहरी महर लुटावन हालो, माता मोरवी रो लाल खाटू हालो श्यामधणी जी री बात ही सबस्यूं निराली ह... साँचो साँचो म्... |
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समस्या और गोष्ठी ….प्रदूषण की समस्या पर सरकार कितना हल्ला मचा रही है लाउडस्पीकर पर चिल्ला चिल्ला कर ध्वनि प्रदूषण बढा रही है |
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ऐ हवा इतना न इतरा, तू बड़ी नादान है* *आँधियों में भी जलेंगे, जिन दियों में जान है* * * *गूँजती है कोहसारों में, फ़क़त तेरी सदा* *हमनवा कोई नही, तू किसलिए हैरान... |
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वाक्य में विराम सा विस्मृत किसी नाम सा गढ़ता नयी कहानी कोई समय चलायमान रहा! कब कितने पड़ाव छूटे कुछ हुए पूरे कुछ सपने टूटे सारे जोड़ घटाव के बीच समय ही... |
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(समीर लाल "समीर")कैक्टस |
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अन्ना अख़्मातोवा की कविता संध्या समय (अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह) उपवन का संगीत बजता है मेरे भीतर और पूरित कर देता है अवर्णनीय उदासी से उत्तरी समुद्रों से आने वाली तीखी हवा बर्फ में जमी हुई सीपियों में प्रवाहित कर देती है ताजेपन की सुवास. |
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Er. सत्यम शिवम |
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शहर से बाहर रहने के कारण कल कहीं जाना नहीं हो पाया था। आज आपने एक साथ इतने अच्छी पोस्टो और महत्वपूर्ण सामग्री दे दी है कि सारा दिन अच्छा बीतेगा।
जवाब देंहटाएंहमारी ग़ज़ल को मंच पर स्थान देने के लिए आभार।
बहुत ही अच्छा और सारगभित रचनाओ का संकलन है//
जवाब देंहटाएंमयंक जी ,आपका आभारी हूँ ....मेरी कविताओ का पाठक वर्ग बढ़ गया है /
स्नेह बनाए रखे /
sundar charchar
जवाब देंहटाएंaabhar.
बढ़िया लिंक मिले हैं शास्त्री जी , आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा शस्त्री जी.. !! लिक्स अच्छे .. संगीता जी कहाँ ई .. ? शुभदिवस
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंकों से सजा आज का चर्चामंच बेमिसाल है !
मेरी कविता को चर्चामंच के पाठकों के आशीर्वाद के योग्य समझ कर उसे मंच पर स्थान देने के लिए धन्यवाद !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
शास्त्री जी बहुत बहुत धन्यवाद......मेरी कवीता "प्रभु तुमको तो आकर" को आज के चर्चा मंच का हिस्सा बनाने हेतु......बस यूँही अपना आशीर्वाद बनाये रखे।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी बहुत ही सुन्दर काव्य मंच सजाया है जब से आयी हूँ यही पढा है सभी एक से बढकर एक रचनाये हैं…………आभार्।
जवाब देंहटाएंश्री रूप चंद्र शास्त्री जी का पुनः आभार... जिन्हीने राजस्थानी भाषा में श्री श्यामधणी के श्री चरणों में समर्पित हृदय के भावों को चर्चा मंच के माध्यम से सभी प्रभु प्रेमियों तक तक पहुचाया...
जवाब देंहटाएं!! जय श्री श्याम !!
सुन्दर चर्चा, हार्दिक आभार!
जवाब देंहटाएंprastutikaran bahut hi acha hai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पोस्टें पढ़ने को मिलीं.मुझे स्थान देने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंcharcha ka naya andaj bahut hi sarthak laga .bahut sare naye links mile hai .badhai v aabhar .
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
लाजवाब और सुन्दर चर्चा शास्त्री जी ... मुझे शामिल करने का भी शुक्रिया ...
जवाब देंहटाएंपरिश्रम से सजाई गई इस काव्य महफिल में बहुत सी अच्छी रचनाओं को पढ़ने का अवसर मिला।
जवाब देंहटाएंचर्चामंच में मेरी ग़ज़ल को भी स्थान देने के लिए आपके प्रति हृदय से आभार।
परिश्रम से सजाई गई इस काव्य महफिल में बहुत सी अच्छी रचनाओं को पढ़ने का अवसर मिला।
जवाब देंहटाएंचर्चामंच में मेरी ग़ज़ल को भी स्थान देने के लिए आपके प्रति हृदय से आभार।
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ji...bahut pyaare links mile..specially..KK ji..ki rchnaa bahut psnd aayi..
जवाब देंहटाएं@दिगम्बर नासवा ji..aapki post bahut achi hain..aapki sardioyon ki lutf ke liye shubhkaamnaaye...:)
@Vandna ji..मै मौन का वो शब्द हूं ...bahut hii gehree soch dikhaayi dii aapki lekhni me
@Sangeet di....jitnaa marzii cheekh chilaa lo...hmaare desh me jaane kab kaagjon se nikal ke solution asal zameen pr laagu honge...hmaari authority ke paas itna paisa aata he in sab cheezon ke liye pr...jaane wo..kis pradishan ko htaane me nikal jata he..........:X
@Sameer ji.........hmmm.ab kaante draate hain......wowww....kitne kam shabdon me kitni gehari baat keh di aapne......
@Satyam Shivam ji...aapki rchnaa..pr ke chehre pe muskaan ho aayi...aur dil bol uthaa...JAY MATA DI....pyaari bhaawmayi rchnaa..mata rani aapko khushaal rkhe
@Mahesh ji....achi rchna he...pr mujhe in do lines ne bahut aakrshit kiyaa..वो प्यारा सा मुखड़ा,
जैसे चाँद का टुकड़ा...:)..:)
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शस्त्री जी.....
aapne bahut hii bdhiyaa links se mulakaat krwaaayi....aapka tah e d il se dhnaywaad..
mujhe shaamil krne ke liye aabhaari hun...
take care
बहुत सुन्दर चर्चा है ..चर्चा में काफी अच्छे लिंक सहेजे हैं .... आभार
जवाब देंहटाएंतारीफ के लिए शब्द नही है!
जवाब देंहटाएं@venus....bhut bhut dhanyawaad....sab sai kripa hai.......om sai maa...
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
आज की खूबसूरत और सुगठित चर्चा के लिए आभार ....बहुत अच्छे लिंक्स हम तक पहुंचाने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंडॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंजो आपने मेरी कविता को चर्चामंच में स्थान प्रदान किया..
आज मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ कि मेरी कविता पाठकों का दिल जीतने लगी हैं...
कृपया १ बार मेरे ब्लॉग को जरूर पढ़ें... http://mymaahi.blogspot.com/
और
http://meri-mahfil.blogspot.com/
थोडा लेट हो गया मुआफी.....
जवाब देंहटाएंपूरे भाव प्रवणता के साथ प्रस्तुतीकरण के लिए शास्त्री जी को हार्दिक बधाई
चर्चा मंच को पढने के बाद सारे ब्लॉगजगत को पढने की जरूरत नहीं रहती
मुझे भी इस जगह के काबिल समझने का शुक्रिया
शास्त्री जी बहुत बहुत धन्यवाद......मेरी कवीता को चर्चा मंच का हिस्सा बनाने हेतु......बस यूँही अपना आशीर्वाद बनाये रखे।
जवाब देंहटाएंक्षणिका लिखने का पहली बार प्रयास किया और आपने आरम्भ से चर्चामंच में स्थान दिया जिसके लिए आभार लिखने का उत्साह दुगुना हुआ
जवाब देंहटाएं