नमस्कार मित्रों!
ओसमा बिन दुनिया शायद कुछ राहत की सांस ले रही हो।
ओसामा तो मार दिया गया, पर उसके लिए
कहती हैं बाल यौन शोषण एक ऐसा विषय है....जो सबको बहुत चुभता है..पर उस पर चर्चा करने से सब बचते हैं...अगर कहीं इस तरह की घटना देखने को मिलती है तो...बहुत ही extreme reaction होता है, लोगो का... 'ऐसे व्यक्ति को फांसी चढ़ा देना चाहिए....कोड़े लगाने चाहिए.'.वगैरह वगैरह...और कर्त्तव्य की इतिश्री हो गयी. पर इस पर संयत रूप से विचार-विमर्श बहुत कम होता है!
@ कई जगह तो पिता ही ऐसे निकृष्ट कर्म में लिप्त होते हैं.
*** ऐसे लोगों के लिए आपने रश्मि जी बहुत सोच-विचार कर ही पोस्ट का शीर्षक रखा है "सज़ा-ए-मौत भी नाकाफ़ी!"
यह मन को उद्वेलित करने वाली पोस्ट है। रश्मि जी
आपसे पूरी तरह सहमत हूं।
और ये श्रीमान जी जो काला कोट पहनते हैं और कहते हैं “It takes us back to the stone age. I wholly disagree with it.”
की बात पर यही कहूंगा कि जब US, UK और Germany अगर इसे implment करता है तो बेहतर है कि हम पाषाण युग में चले जाएं।
शायद इस तरह के लोग उस युग में नहीं रहे होंगे।
ऐसा विकृत प्राणी, बच्चों को मारता तो नहीं, पर उन्हें सारा जीवन मरते रहने के लिए छोड़ देता है, और दुख तो ये है कि वह उसके परिवार का सदस्य है, जिससे उसका वास्ता दिन-रात का है।
इसलिए ऐसे मनोविकार वालों का यदि castration कर दिया जाए तो वह मुझे उचित ही दीखता है क्योंकि इनके लिए "सज़ा-ए-मौत भी नाकाफ़ी!" है।
कुछ लोग दिमाग से इतने पैदल होते हैं कि इन्हें हम उन्हें कह सकते हैं
Dadi maa ki kahaniyan पर Patali-The-Village बता रही हैं अगर इस गधे के पास दिमाग होता तो क्या यह मरने के लिए हमारे पास आता| इस गधे के पास तो दिमाग ही नहीं था|
मदर्स डे पर सभी माँओं को मेरा हार्दिक नमन एवं शुभकामनायें ! आज का साधना जी का यह आलेख आधुनिक युग की
को समर्पित है ! आदियुग की माँ के हाथों में शंख, पद्म, गदा, चक्र, त्रिशूल, धनुष, खड्ग और आठवें हाथ में देने के लिये आशीर्वाद हुआ करते थे ! बच्चों के लिये अनंत अथाह प्यार, आशीर्वाद और शुभकामनायें तो उसके हृदय में कभी कम होती ही नहीं हैं ! ऐसी माँ को मेरा भी शतश: नमन ! जय माँ अम्बे भवानी !
सुपर मॉम के साथ एक प्रश्न और है कि इस जग में
बड़ा कौन है? इस आलेख में पुरविया. बताते हैं भगवान भोलेनाथ के इस आशीर्वाद के चलते भगवान सत्यनारायण की कथा पूरे विश्व में सर्व व्यापक रही है। किसी भी पुण्य कार्य से पूर्व भगवान सत्यनारायण की कथा अनिवार्य रूप से सुनने व सत्य आचरण का संकल्प लेने का विधान रहा है।
कभी-कभी मैं सोचता हूं कि यदि ये विज्ञापन न होते तो हमारा जीवन कैसा होता? विवेक जी की पोस्ट पर एक नज़र डालिए क्योंकि ये दिखा रहे हैं
पिघले मोम की तरह उतरे तेरे सांचे में
तेरे नज़रिए से खुद को तराशते गए
उन्ही सोज़-ए-लम्हों में वजूद मेरा कायम है [सोज़ = जलना, प्रेम ]
जो लम्हे तेरी पनाह के होते हैं...
अब एक ग़ज़ल पढ़िए
।
जिंदगी उनकी चाह में गुजरी
मुस्तकिल दर्दो आह में गुजरी
सबकी नजरो में सर बुलन्द रहे
जब तक उनकी निगाह में गुजरी
ज़रा
यह ग़ज़ल पढ़िए
ज़िंदगी जब समझ में कुछ आने लगी
ज़िंदगी छोड़कर हमको जाने लगी
जब किनारा नहीं तो भंवर ही सही
अपनी कश्ती कहीं तो ठिकाने लगी
अब तो सोने दे ऐ दिल घड़ी दो घड़ी
देख तारों को भी नींद आने लगी।
चांदनी का झाग औरत के मुंह में
घोड़े की रास खींचते-खींचते
आदमी पसीना-पसीना।
इस कविता को पढ़िए। समझने की कोशिश कीजिए, और इस मंच पर शेयर कीजिए।
आइए अब चलें एक अज़नबी गली
में।
गली के कोंने पर
दुकान वही थी,
पर चेहरा नया था
जिसमें था
एक अनजानापन.
वह मकान भी वहीं था
और वह खिड़की भी,
पर नहीं थीं वह नज़रें
जो झांकती थीं
पर्दे के पीछे से,
जब भी उधर से गुज़रता था.
और ये है वन्दना जी की
पूर्णता को पाने को आतुर
हर काल में
सूरज और सूरजमुखी सा
अपना मिलन और विछोह
यही शाश्वत सत्य है
प्रेम कभी नही बदलता
शायद इसीलिए
प्रेम का कोई छोर नहीं होता
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
आधियों ने गिराये
किचन गार्डेन में लगे
अकेले आम के वृक्ष से
ढेर सारे टिकोरे
मैने हंसकर कहा...
कुदरती खेल।
अजित गुप्ता का कोना पर ajit gupta
यह मन भी क्या चीज है, न जाने किस धातु का बना है? लाख साधो, सधता ही नहीं। कभी लगता है कि नहीं हमारा मन हमारे कहने में हैं लेकिन फिर छिटककर दूर जा बैठता है। अपने आप में मनमौजी होता है “मन”। ना यह हमारी परवाह करता है और ना ही हम इसकी परवाह करते हैं। जीवन के घेरे में ना जाने कितनी बार मन को परे धकेल देते हैं! इस मन की कीमत हम कभी नहीं लगा पाते। नौकरी और व्यापार से कमाए धन की गणना हम खूब कर लेते हैं, लेकिन मन की खुशियों की कीमत का हम आकलन कर ही नहीं पाते।
अक्षर जब शब्द बनते हैं पर सुशील कुमार
घर वह नहीं
जहाँ आदमी रहता है
घरों में आदमी अब कहाँ रहता है
जिसे तुम घर कहते हो
वह तो एक तबेला है
लानतों के सामान यहाँ
लीदों की तरह पसरे रहते हैं
"मेरे बग़ैर मत जाना" !!
"मेरे बग़ैर मत जाना" !!
मैं फूलों को सहलाता हूँ ...
तेज़ साँसों से
उस गर्म रात को जीता हूँ ....
कविगुरु की 150वीं वर्षगांठ पर
कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर के जन्म दिन पर …
काँटों से गुज़र जाना शोलों से निकल जाना…सागर आज़मी
gyanvardhak links samet kar aapne aaj ki charcha ko sarthak swaroop diya hai.badhai.
जवाब देंहटाएंअच्छी लिंक्स बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
Sunder links liye charcha....Dhanywad
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा!!
जवाब देंहटाएंवाह जी बल्ले बल्ले चर्चा रही आज संडे की तो :)
जवाब देंहटाएंसभी बेहतरीन पोस्ट पर एक दिक्कत यह होती है कि लिंक बाहर नहीं खुलते इससे पढ़ने में दिक्कत होती है। कृप्या इसमें सुधार करें ताकि सभी लिंक को पढा जा सके।
जवाब देंहटाएंacche links aur gambhir vishayon par charcha hui..aapka aabhaar manoj ji..
जवाब देंहटाएं@अरूण साथी जी- Right क्लिक करके Open in new window चुनें पोस्ट नये विन्डो में खुलेगी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा ।
आज मात्र दो पोस्ट ऐसी थी जो नहीं पढ़ी थीं।
जवाब देंहटाएंसार्थक और सारगर्भित लिंक्स के साथ शानदार चर्चा।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा .
जवाब देंहटाएंलखनऊ से अनवर जमाल .
लखनऊ में आज सम्मानित किए गए सलीम ख़ान और अनवर जमाल Best Blogger
बहुत अच्छे लिंक्स से सुसज्जित चर्चा ... आभार
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा.
जवाब देंहटाएंविभिन्न आयामों की बहुत ही रुचिकर पठन सामग्री .....आभार.
जवाब देंहटाएंकाफी -कुछ पढना बाकी है....बहुत सारे बढ़िया लिंक्स मिले....शुक्रिया
जवाब देंहटाएंअत्यंत सार्थक व अच्छी लिंक्स | पढ़कर आनंद आ गया....
जवाब देंहटाएंसार्थक और सारगर्भित लिंक्स के साथ शानदार चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार
Nice links.
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार जी आपने चर्चा में बहुत सुन्दर लिंको का चयन किया है!
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत सुन्दर लिंक्स..सार्थक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएं‘गागर में सागर’ अच्छे और सारगर्भित लिंक्स के लिये आभार। धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिनक्स -आभार ..!!
जवाब देंहटाएंक्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ. आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें
जवाब देंहटाएंचर्चा निश्चित रूप से बढ़िया होती है आपकी ! आज कुछ अधिक व्यस्तता की वजह से देर से आ पाई चर्चामंच पर ! मेरे आलेख को इसमें स्थान देने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएं