जैसे खेतों में खर पतवार उग आते है,
जो फसल के लिए नुकसानदेह होते हैं
और उनकी निराई की जाती है,
कंप्यूटर में कुकीज़ बन जाती हैं और उन्हें समय-समय पर ...
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आगरा से
अपने बारे में लिखती हैं!
पर देखिए इनकी रचना!
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रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"
कह रहे हैं! आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें
हम आज के बाद हिंदीलिपि और अन्य लिपियों के ब्लोगों को पढने के बाद भी
अपनी टिप्पणी हिंदीलिपि में ही करेंगे और हिंदी लिपि ब्लॉगिंग जगत को
ऊँचाईयों पर पहुँचाने के लिए हिंदी लिपि के प्रति ईमानदार बने रहेंगे।
अपने ब्लॉग का नाम (शीर्षक) हिंदी लिपि में लिखेंगे.
जय हिंद!
जैन साहब! आपका उद्देश्य तो बहुत पवित्र है
लेकिन
अपनी वर्तनी में सुधार लाइए!
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बानगी देख लीजिए!
जोड़ों में आयरन के इकट्ठा होने से आर्थराइटिस होता है।
चूंकि मीट में आयरन की मात्रा ज्यादा होती है।
लिहाजा मांस का सेवन करने वालों में आर्थराइटिस का खतरा ज्यादा होता है।
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बता रहीं हैं!
*ये कैसी भूख* *है* ?
किसी को फूट्पाथ में भी गहरी नींद सोते देखा,
किसी को नरम गद्दों पर करवट बदलते देखा ।
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रश्मि प्रभा जी के ब्लॉग
मेरी भावनायें...पर देखिए!
समय कहता रहा
मैं सुनती रही
समझा तब -
जब सुनामी से बचे
अपने विचारों से मेरी पहचान हुई !...
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यहाँ बी,एस.एन.एल. के नेट वर्क ने धोखा दे दिया!
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अब एयरटेल के मोबाइल सिम से फटाफट चर्चा लगाता हूँ!
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अब बी.एस.एन.एल के ब्रॉडबैण्ड ने काम छोड़ दिया है!
एयरटेल के मोबाइल से फटाफट चर्चा करने को बाध्य हूँ! |
Author: RAJEEV KUMAR KULSHRESTHA | Source: सत्यकीखोज/आत्मग्यान/ SEARCH OF TRUTH/KNOW YOUR SOUL
सत श्री अकाल ! राजीव जी ! मैं अमृतर से रुप कौर की मौसी सुखदीप कौर । मेरे पिछ्ले वाले लेख में आपने 2 प्रश्नों का उत्तर छोड दिया था । और कहा था कि इसका जवाब फ़िर कभी देंगे । काफ़ी दिन हो गये थे । तो मैंने सोचा । आज पूछ ही लेती हूँ । दरअसल ये 2 प्रश्न । और इससे सम्बन्धित प्रश्न मेरे नहीं है । मैंने आपके ब्लाग के बारे में 1 बार अपनी किट्टी पार्टी ...
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Author: Pakhi | Source: पाखी की दुनिया
(अख्तर खान 'अकेला' अंकल ने अपने ब्लॉग Akhtar Khan Akela पर आशीर्वचन रूप में मेरे लिए जो कुछ भी लिखा है, बड़ा प्यारा लगा. 'अकेला' अंकल के इस स्नेह और प्यार से अभिभूत हूँ और उनकी यह पोस्ट यहाँ पर साभार आप सभी के साथ शेयर कर रही हूँ)
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Author: Sadhana Vaid | Source: Unmanaa
आज आपको अपनी माँ द्वारा रचित अपनी पसंद की सबसे खूबसूरत रचना पढ़वाने जा रही हूँ ! उज्जैन से शाजापुर की यात्रा के दौरान बस में इस रचना ने उनके मन में आकार लिया था ! रास्ते में एक दृश्य ने उन्हें इतना विचलित कर दिया कि उनका संवेदनशील हृदय स्वयं को रोक नहीं पाया और इस रचना का जन्म हुआ ! इस यात्रा में मैं भी उनके साथ थी !
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Author: राजीव शर्मा | Source: कलम कवि की
चादर ओढ़ अमावस की चमक बिखेरे थी हर आँख मुस्कुराते अधर थे उनके पूर्णिमा में जिनके फाँस अँधेरा उनका रौशनी हमारी जग की जगाती आस आया था क्या जाने को धूल को धूल मिलाने को भूल कर अपनी डगर यूँ जग को डगर दिखाने को पहले पा फिर तू दिखा रौशनी भीतर, डग चमका तू मिथ्या तेरी, मै त्याग अमावस में जुगनू चमका दिखा अँधेरे पथ में चलते राहगीरों को भी ...
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Author: गगन शर्मा, कुछ अलग सा | Source: कुछ अलग सा
भगत सिंह, राजगुरु तथा सुखदेव ने हर्ष ध्वनी के साथ अपनी फांसी की सजा सुनी थी। अंग्रेज भी इनकी दिलेरी पर आश्चर्यचकित रह गये थे। फांसी का दिन आ पहुंचा था। नियमानुसार जेलर ने भगतसिंह से उनकी अंतिम इच्छा जाननी चाही तो भगतसिंह ने कहा कि मैं अपनी बेबे के हाथ की रोटियां खाना चाहता हूं। पहले तो जेलर ने समझा कि भगत अपनी मां के हाथ की रोटी खाना चाहते ह ...
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Author: cmpershad | Source: कलम
अभी कुछ दिन पहले मैंने दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद में हुए अज्ञेय जी के जन्मशती समा‘रोह में न जा पाने की बात कही थी। बहुत से शुभचिंतकों ने मेरे स्वास्थलाभ की कामना के साथ यह भी कहा था कि इस समरोह की जानकारी दें। इस सफल समारोह की रिपोर्ट के साथ ध्यान देनेवाली बात यह है कि मुम्बई से आए प्रो. त्रिभुवन राय ने अज्ञेय की जटिल रचनाओं को ...
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Author: babanpandey | Source: " 21वीं सदी का इंद्रधनुष "
कभी जीवन है धूप कभी पीपल की छावं कभी जीवन है झरना कभी कौवे की कावं-कावं
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Author: Rajesh Kumari | Source: HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
माँ कैसे कर्ज चुकाऊँ दूध तेरा मेरी रग रग में कैसे भूल जाऊं ! तेरी व्याधि हर ल़ू मै या जीवन औषधि बन जाऊं मैं कैसे कर्ज चुकाऊँ !! सूख रही हैं जड़े तरु की जिसका म्रदुल फल हूँ मैं नीर भरी बदरी बन बरसूं या जमीं की सिंचन बन जाऊं ! आग उगलते सूरज को कैसे ज्योत दिखाऊँ माँ कैसे कर्ज चुकाऊँ!! कतरा कतरा घटता बदन तेरा ,निस्तेज होता वदन तेरा ...
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Author: मनोज पटेल | Source: कबाड़खाना
कल का दिन अशोक भाई के सौजन्य से पॉल रॉब्सन के साथ गुजरा तो मुझे अपने कबाड़ में पड़ी नाओमी शिहाब न्ये की इस कविता का ध्यान आया. आपके सामने यह कविता प्रस्तुत है इस सन्दर्भ के साथ कि 1952 में पॉल रॉब्सन को वैंकूवर, कनाडा में गाने के लिए आमंत्रित किया गया तो स्टेट डिपार्टमेंट ने उन्हें देश छोड़ने की इजाजत नहीं दी थी, बावजूद इसके कि अमेरिका से कनाडा ..
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Author: अमीत तोमर | Source: योगी भारत
सबसे बडा झूठ इतिहास मे डाला गया आर्य भारत में बाहर से आये थे | सारी दुनिया में शोध हो चुका है, डीएनए परीक्षण से सिद्ध हो गया कि आर्य भारत के मुल निवासी थे| फ़िर भी इतिहास में आज भी यह पढाया जाता है |इतिहास मे भारतवासी गाय का मांस खाते थे आज भी वर्णित है जिसे नहीं हटाया | जिस देश में गौ रक्षा आंदोलन ...
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Author: Arvind Mishra | Source: क्वचिदन्यतोअपि..........!
आज परशुराम जयन्ती है और इस अवसर पर राजकाज से मेरा अवकाश भी ...सो इसका सदुपयोग करते हुये आज आपसे परशुराम चरित पर तनिक चर्चा का मन है -परशुराम अमर माने गए हैं -यह श्लोक देखिये - अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभिषण: कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविनः मतलब अश्वत्थामा,राजा बलि ,व्यास ,हनुमान ,विभीषण ,कृपाचार्य और परशुराम ये सातों विभूतियाँ ...
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Author: रजनीश तिवारी | Source: रजनीश का ब्लॉग
उतरने लगी है किरणें सूरज से अब आग लेकर जबरन थमा रहीं हैं तपिश हवा की झोली में , सोख रहीं हैं हर जगह से बचा-खुचा पानी छोड़ कर अंगारे जमीं के हाथों में ,
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Author: आशा | Source: Akanksha
तुझ से लिपट कर सोने में जो सुकून मिलता था तेरी थपकियों का जो प्रभाव होता था वह अब कहाँ | जब बहुत भूख सताती थी सहन नहीं कर पाती थी तब रोटी में नमक लगा पपुआ बना जल्दी से खिलाती थी मेरा सर सहलाती थी | वह छुअन वह ममता अब कहाँ | जब स्कूल से आती हूँ बेहाल थकी होती हूँ कुछ खाने का सोचती भी हूँ पर मन नहीं होता तेरे हाथों से बने खाने का ...
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Author: Sunil Kumar | Source: दिल की बातें
एक दिन अचानक हमारे एक मित्र ने ब्लागिंग से सम्बंधित कुछ प्रश्नों के उत्तर जाननें के लिए हमसे संपर्क किया | उनकी जिज्ञासा टिप्पणियों के प्रतीकों और उनके आकार को लेकर थी | जैसे .....
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Author: Khushdeep Sehgal | Source: देशनामा
सोचा तो था ज़ुबान सिए रखूंगा...लेकिन कहते हैं न कोई बात दिल में दबाए रखो तो वो नासूर बन जाती है...इसलिए अंदर की सारी आग़ बाहर निकाल देने में ही सबकी भलाई है...तो आज आप भी दिल थाम लीजिए, ऐसा सच बताने जा रहा हूं, जिसकी आपने कल्पना-परिकल्पना कुछ भी नहीं की होगी...न नुक्कड़ पर और न ही चौपाल पर...अब यही सोच रहा हूं, कहां से शुरू करूं...ज़्यादा पीछे ...
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अन्त में देखिए!
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बहुत सुंदर लिनक्स लिए चर्चा ...... आभार
जवाब देंहटाएंएक भावपूर्ण और सुंदर लिंक्स लिए चर्चा |बहुत ही अच्छी लगी आज की चर्चा |
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आभार |
आशा
shastri ji sabse pahle meri post v muzaffarnagar ka naam pramukhta se lene ke liye aabhar.satyam ji kee anupastithi aapne mahsoos nahi hone dee bahut sundar v sarthak charcha prastut kee hai aapne.badhai.
जवाब देंहटाएंsidhhahast hanthon dwara , bade ytna se sajaya gaya pushp-kalash saumy & aakarshak ban pada hai , badhayiyan ji .
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी सादर नमस्कार। मेरी रचना को अपनी चर्चा मे शामिल किया इसके के लिये बहुत –बहुत धन्यवाद । चर्चामंच हम जैसे नविन लेखकों के लिए उर्जा का काम कर रही है, येसा मेरा विश्वास है । आभार सहित…….
जवाब देंहटाएंश्रीसत्यम-शिवमजी का स्वास्थ्य जल्दी ठीक हो जाए, इसी शुभकामना के साथ उम्दा चर्चा के लिए आपको बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंमार्कण्ड दवे।
http://mktvfilms.blogspot.com
बहुत ही सुन्दर चर्चा की है ……शानदार लिंक्स संजोये हैं……………बहुत सुन्दर्।
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा.....अच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंआभार.....
बहुत सुंदर आपने सजाई है ये चर्चा की महफ़िल --क्या बात है --अच्छे लिंक है ...धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और सार्थक चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सार्थक चर्चा और लिंक्स के लिए आपका आभार |
जवाब देंहटाएंसबसे पहले बहुत बहुत धन्यवाद की मेरा लेख "पीढ़ियों का अंतराल " आपने चर्चा-मंच मैं शामिल किया /सारे ही लिंक आपने बहुत अच्छे शामिल करके चर्चा-मंच को एक गुलदस्ते की तरह सजाया है /आपको बहुत -बहुत बधाई /सादर
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