आपके समक्ष पिछली बार की तरह ही
इस शुक्रवार को भी चर्चा- मंच लेकर आई हूँ---
आपका प्यार चाहती हूँ ---
आज मैं कुछ जाने -माने दोस्तों को लेकर उपस्थित हुई हूँ
" दोस्ती फूलो की तरह न हो जो
एक बार खिले और मुरझा जाए !
दोस्ती तो काँटों की तरह हो जो
बार-बार चुभे और बार-बार याद आए!!"
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सबसे पहले शास्त्री जी की रचना
-उच्चारण के माध्यम से
"मेरे लिए उपहार है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
जड़जगत पर आपका माता बहुत उपकार है।
आपके आशीष ही, मेरे लिए उपहार है।।
"पिकनिक में मामा-मामी उपहार में मिले" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") मामा-मामी की यादों के सुंदर संस्मरण "यादे उस हिना की तरह होती है जो सुख जाने के बाद ही रंग लाती है" *क्यों नैन हुए हैं मौन,* *आया इनमें ये कौन?* *कि आँसू रूठ गये हैं...!* *सितारे टूट गये हैं....!!* *थीं बहकी-बहकी गलियाँ,* *चहकी-चहकी थीं कलियाँ,... "सितारे टूट गये हैं...." (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") |
डॉ. सा. लेकर आए है ..
"शराफत छोड़ दी मैने"
शराफत का जमाना अब लद चूका है क्यों न गुंडा बनकर कुछ किया जाए पर जनाब डॉ सा.शराफत छोड़कर भी कुछ हासिल नही हुआ न ?
'अंतर मंथन' से डॉ. दराल सा.
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केदार नाथ -तुंगनाथ का कुल खर्चा- 1600 रुपये
' मुसाफिर हँ यारों ' के नीरज जाट
नीरज बता रहे है अपनी यात्रा का कुल हिसाब
अजी जनाब हम तो हजारो रूपए उड़ा देते है ..
हेमकुंड साहेब में मेरे घोड़े का खर्चा ही 1400 रुपया था ...नीरज ???
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हरी शर्मा साहब
जिसके कहने से कोई बात घर मे होती है
वो मेरा प्यार चुपचाप है दम तोड़ रहा
कैसे लौटे मोहब्बत बस यही सोच रहा...
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* सबसे पहले मेरी एक कोशिश का लुत्फ़ उठाए *
मेरी ही एक कविता
कभी -कभी इंसान चाहता कुछ है और मिलता कुछ है?
" मेरे अरमान मेरे सपने "
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मेरी भावनाए ..
रश्मि प्रभा जी लाई है
प्रेम मौन कभी
प्रेम मुखर कभी
परिचय सुनना चाहता है
शब्दों की लहरों में बहना चाहता है
आत्मा के समर्पण की भाषा में
खुद को पाना चाहता है ....
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संगीता जी लाई है
जब भी मन के चूल्हे पर मैने ख्वाबो की रोटी सेकी
तेरे दंश भरे अंगारों ने उसे जला डाला
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साहित्य प्रेमी संध
सत्यम शिवम् द्वारा
नहीं नौकरी ,पढ़े लिखे हो ,है बेकारी
तो फिर तुमको ,सच्ची,अच्छी,राय हमारी बहुत धर्मप्रिय है जनता ,तुम लाभ उठाओ छोडो सारे चक्कर ,तुम बाबा बन जाओ
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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'सभी चोर'
' रिमांड '
रूप शर्मा जी की दो लघु क्षणिकाए..
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चमड़े का कम से कम उपयोग करना समझा रहे है
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यहाँ सुरेंदर साहेब के झटके है
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बी. ऐस पाबला साहेब
पाबला साहेब एक खुशदिल इंसान है सबको दुसरो का जन्म दिन याद करवाने वाले इंसान..
बताइए खुशदिल इंसान हुए न ?
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वन्दना गुप्ता जी
वो आग नही मिली जो जला सके मुझे !
वो रेत न मिली जो दबा सके मुझे !
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इनके ब्लोक पर जाने से पहले तैयार होना पड़ता है जनाब, बहुत गम्भीर बातो का संकलन है ..दिमागी कसरत हो जाती है ...
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शालिनी कोशिक
साहित्य प्रेमी संध पर
शालिनी कोशिक जी की एक रचना
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आज आपका परिचय अपने बेटे से कराती हूँ
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अन्त में देखिए ये दो पोस्ट!
मनोज जी लेकर आये हैं! शिवस्वरोदय – 44 --
* जब तोड़ रही थी दम तेरे क़दमों में मेरी वफ़ा *
* हिज्रेगम से भरी मेरी उन आँखों की वीरानी तो याद होगी !* * * *
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@ अगले 2 शुक्रवार आपके सामने नही हाज़िर हो पाउंगी
भाई की लडकी की शादी मै शामिल होना है .. 2 शुक्रवार शास्त्री जी सञ्चालन करेगे ..
अपनी अदना- सी कोशिश के साथ
आपकी अपनी
|| दर्शन कौर धनोए ||
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nice
जवाब देंहटाएंबहुत ही मेहनत से सजाया है आपने चर्चा मंच का गुलदस्ता.
जवाब देंहटाएंआभार.
कई अच्छी लिंक्स देखने को मिली |अच्छी चर्चा |
जवाब देंहटाएंबधाई
अगले दो सप्ताह आपको मिस करेंगे |
आशा
परिश्रम से तैयार की गई बढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएं--
चर्चा में नवोदित ब्लॉगरों को भी
सम्मिलित किया करें!
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इससे उनका भी उत्साहवर्धन होगा!
आप निश्चिन्त होकर वैवाहिक समारोह में जाइएगा!
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मच को सम्भालने के लिए
बहुत से समर्पित सहयोगी आपके साथ हैं!
बहुत ही सुंदर चर्चा........"साहित्य प्रेमी संघ" पर ये रचना मेरी नहीं जबकि मदन जी की है..........मेरी रचना "काव्य कल्पना " पर देखे।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स के साथ चर्चा मंच सजाया है।
जवाब देंहटाएंसच में इस बार का चर्चा मंच कुछ हट कर है। व्यंग, कविताएं और कहानियों से भरा ये चर्चा मंच। बधाई।
जवाब देंहटाएंहां एक बात और कहनी थी... वैसे तो यहां बहुत वरिष्ठ साहित्यकार है और भाषा को समझने वाले हैं। बस मुझे यूं ही लग रहा है कि "चर्चाकारा" गलत शब्द है। यहां स्त्री पुरुष का कोई भेद नहीं है। शायद चर्चाकार ही होना चाहिए। अगर मैं गलत हूं, तो मुझे क्षमा कर दीजिएगा। मेरा उद्देश्य किसी को आहत करने का कत्तई नहीं है।
@ mahendra srivastava
जवाब देंहटाएंशायर का शायरा हो सकता है तो व्बॉगर का ब्लॉगारा क्यों नहीं हो सकता?
क्या हम हिन्दी बालों को विदेशी शब्दों का हिन्दीकरण करने का भी अधिकार नहीं है?
धन्यवाद चर्चामंच की इस दिलकश प्रस्तुति के साथ ही मेरी पोस्ट को भी यहाँ स्थान देने के लिये । आभार सहित...
जवाब देंहटाएंbahut badiya charcha ke liye aabhar
जवाब देंहटाएंआपकी तैयार चर्चा के अच्छे अच्छे नए लिंक मेरी लिए तो नियामत ही है. आपके परिश्रम के लिए आपको बहुत बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा रहा! उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ढंग से चर्चा मंच की प्रस्तुति ....बड़ी मनमोहक लगी
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स ......मेरी पोस्ट को भी स्थान देने का बहुत-बहुत आभार
बहुत ही सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएं......मेरी पोस्ट को भी स्थान देने का बहुत-बहुत आभार
बेहतरीन चर्चा..
जवाब देंहटाएंek pyari si charcha....pyare se post ke saath......:)
जवाब देंहटाएंThanks Mom... Its Simply Stupendously Fantastic!
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