दोस्तों
सोमवार की खट्टी मीठी
चर्चा में
चर्चा में
आपका स्वागत है
अब हमने क्या कहना है
हम तो कह चुके
शायद कुछ खट्टा लगे
और कुछ मीठा
अब चख कर बताइए
कैसा लगा
दोस्तों हमारे साथ एक नए
चर्चाकार अरुणेश सी दवे जी जुड़
रहे हैं उनका तहेदिल से स्वागत है
आशा है वो चर्चामंच को
नयी ऊँचाइयाँ देंगे अच्छे से करना
अरे वाह ! तो फिर जानते हैं कैसे
हाय हाय .........क्यों झोंक रहे हैं चूल्हे में
जो किसी ने न जानी
कहाँ मिलता है आज ?
किसी ने नहीं कहा जी
कितनी भोली कितनी प्यारी
नवगीत गाये जा
ज़िन्दगी महकाए जा
मेरी ज़िन्दगी
क्यों जी ..........इसे किस्मत मत बनाओ
निकाल बाहर फेंको
इसमें क्या शक है
क्या आपको पता चल गया ?
पता नहीं
आपने पढ़ लिए ?
कितनी देर लगी ?
कैसे कोई हमें भी बता दे
नमन है
जरूर मिलेगा
श्याम का तराना
तो क्या करती जी ?
जरूर देखते हैं जी
हम हैं ना
ऐसी डांट ही लगानी चाहिए .........शायद तब समझे वो
इतना क्यों डरा रही हो
सत्य वचन
जिस पर बीते वो जी जान सकता है
चलिए दोस्तों आज के लिए इतना ही
अगले सोमवार फिर मिलेंगे
तब तक आप अपने विचारों से
हमें अवगत कराते रहिये
हमारा हौसला बढ़ाते रहिये
चर्चा अच्छी लगी |पर खट्टा क्या है और मीठा क्या जब तक पूरा ना पढ़ पाएं कैसे बताएं |अभी तो दो ही पढ़ पाए है मेरा शहर मेरी जिंदगी और परीक्षा की तैयारी अच्छे से करना |नए चर्चाकार अरुणेश सी दवे
जवाब देंहटाएंजी के स्वागत में हमें भी शामिल कर लीजिए |
आशा
jitne links pade saare bahut achche lage... vaise ab darne ki baat nahi hai... aap ne aakar intezaar, andhera aur akelapan sab door kar diya :-) :-)
जवाब देंहटाएंआपने मेरा पोस्ट लिया उसके लिए आपको धन्यवाद तथा बहुत सारे लिंक्स देखने को मिले।आपके बारे मे मै जानता हूँ आप एक परम विदुषि एवं सच्चे दिल की ममतामयी स्त्री है।माता आपको जीवन मे ढेरों सारी खुशियाँ प्रदान करें.....
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक हैं,
जवाब देंहटाएंआभार
वंदनाजी
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चाएँ सिर्फ खट्टी मीठी ही नहीं,
चरपरी भी होती है. बढ़िया
घोटू
Vandna ji aapki charcha ke maadhyam se kuch achche link mil paye uske liye bahut bahut shukriya.
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा, बढ़िया लिंक्स, नए चर्चाकार का स्वागत एवं बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंVandna ji hamesha ki tarah ek bahut sarthak charcha prastut ki hai aapne .aapka parishram naman karne yogy hai .badhai .
जवाब देंहटाएंbahut achchhi charcha.meri kavita ''meri beti ''ko charcha me sthan dene ke liye hardik dhanywad .
जवाब देंहटाएंmeri post ko charchamanch par laane ke liye bahut bahut aabhaar
जवाब देंहटाएंsabhi link ek se badkar ek hain
Nice post.
जवाब देंहटाएं‘टिप्पणी के भ्रष्टाचार‘ से मुक्त होता है बड़ा ब्लॉगर
badhiya charcha hamesha ki tarah ...badhai
जवाब देंहटाएंsunder charcha
जवाब देंहटाएंdave ji ko bdhaai
मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल करके आपने जो सम्मान दिया है और उत्साहवर्द्धन किया है, उस के लिए मैं आपकी की अत्यंत आभारी हूं.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स मिले और चर्चा भी शानदार रही.बहुत मेहनत लगन से चर्चा करती हैं आप..
वंदना जी,
जवाब देंहटाएंनमस्कार
सुंदर चर्चा के लिए धन्यवाद।
मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आभार।
Bahut bahut dhanyavaad meri rachna charcha manch par shamil karne ke liye
जवाब देंहटाएंabhaar
सत्य बचन---दुख ही दुख का कारण है---
जवाब देंहटाएंमूलत: असत्य/ भ्रमित/अग्यान पूर्ण बचन है....
---- दुख ..दुख का कारण कैसे हो सकता है? फ़िर ...पहले दुख का क्या कारण है...और उससे पह्ले...एक अन्तहीन उत्तर हीन प्रश्न होता रहेगा...
--वस्तुत:तथ्य विपरीत है-- कथन है "सर्व सुखम दुख:"-- सारे सुख ही दुख की मूल हैं जो न प्राप्त होने पर दुख की उत्पत्ति करते हैं।
---हमें...कवि..कथाकारों, साहित्यकारों को तथ्यों का ध्यान रखना चाहिये....
बहुत स्वादिष्ट चर्चा ... सुन्दर लिंक्स मिले ..आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा..
जवाब देंहटाएंवंदना जी, बहुत सुन्दर है आज की चर्चा खट्टा मीठा सब कुछ है यहाँ... बढ़िया लिंक्स, नए चर्चाकार का स्वागत एवं बधाइयाँ.....
जवाब देंहटाएंइन सब में मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार...
चर्चा मंच पर आने में थोड़ी देर हुई इसके लिए क्षमा चाहती हूँ...
आदरणीया वंदना जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रयास आप का सुन्दर रचनाओ और सरल ह्रदय से रूबरू करवाने के लिए आप का धन्यवाद -मेरी भी एक रचना आप के मन को छू पायी-दुःख ही दुःख का कारण है -और लोगों की प्रतिक्रिया और समीक्षा के लिए आप ने अपने दर्पण में भ्रमर के दर्द और दर्पण से चुनी इस रचना को रखा -आभार आप का
जवाब देंहटाएंइस चर्चा मंच और साथ ही आप को और जोशो खरोश से काम करने हेतु शुभ कामनाये -
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
bhut hi sundar charcha..sundar linkso se saji hue........khubsoorat charcha
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक के साथ बढ़िया खट्टी-मीठी चर्चा के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंयह खट्टी-मीठी चर्चा तो बहुत बढ़िया रही!
जवाब देंहटाएं--
बढ़िया लिंकों का चयन किया है आपने!
surendrshuklabhramar5 ने कहा…
जवाब देंहटाएंप्रिय श्याम जी -जैसा आप ने लिखा यदि दुःख दुःख का कारण है तो पहला दुःख कहाँ से आया ? ये तो वही अंडा पहले आया या मुर्गी वाली बात है जिसका समाधान कर पाना हमारे आप के बस की बात शायद नहीं -दुःख ही दुःख का कारण है अंतहीन और उत्तरहीन प्रश्न तो हमारे सामने ऐसे कई होते है -जिसे समझ अपने मस्तिष्क को समझाना होता है -आज अरबों साल खरबों साल पहले ये हुआ वो हुआ शायद आप सुनते हैं मानते भी होंगे ?
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सुख ही दुःख का कारण नहीं है अगर आप के पास सुख है तो दुःख की कामना क्यों ? कौन चाहेगा दुःख भोगना और उसे लाना ? हां आप की और आगे सुख भोगने की लालसा -आगे के स्वप्न दुःख का कारण हो जायेंगे -यदि आप अपने सुख से संतोष नहीं प्राप्त करेंगे तो -संतोषम परम सुखं -इसलिए सुख सुख नहीं है संतोष ही सुख है -और यादे संतोष है तो आप को दुःख कैसा ?
दुःख ही दुःख का कारण है -कोई गरीब पैदा होता है जिसने सुख देखा ही नहीं -कल्पना भी नहीं किया सुख का -सूखी रोटी मिली जिन्दा लाश -दुःख पनपता गया बुरे कर्म शुरू -अनाथ-आवारा-अच्छे बनने का ख्वाब तक नहीं -कोई उसे सहारा देने वाला नहीं -कोई दिशा देने वाला नहीं की दुःख के पीछे मत भाग हे मानव -संतोष के पीछे भाग -गतिशील बन -धनात्मक बन -जितनी चिंता करेगा दुःख का अनुभव करेगा दुखी होगा -निराश होगा -तेरे हाथ पैर की ये ठठरी कंकाल सी बिस्तर पर बस पड़ी रहेगी -दो जून का भोजन तक नहीं नसीब होगा -सुख की बात तो दूर सुख की बात तू क्या करेगा , सुख तेरे पास फटकेगा भी नहीं फिर दुःख कहाँ से आएगा ??
इसलिए सुख से ही दुःख नहीं आता श्याम जी -सुख की लालसा ,लालच ,तमन्ना भूखी प्यास बढ़ते जाने से दुःख पनपेगा -
इसलिए हे प्यारे दुःख मत कर दुःख के पीछे मत भाग -जितना उसकी सोचेगा उसके पीछे भागेगा दुःख बढेगा -रौशनी के पीछे भाग उजाला कर उजाला पा -सुख की कामना कर ले -पा ले -जो अपना हाथ पैर चला पाए खड़ा हो पाए तो -
आदरणीय श्याम जी इस मुद्दे पर लम्बी प्रतिक्रिया फिर होती रहेगी ---हमें समाज की वस्तु स्थिति देख भी कुछ करना है न की धर्म शास्त्र में लिखा ही केवल उद्धरति करते रहने से -
आभारी है हम आप की समीक्षा के लिए -
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
बहुत स्वादिष्ट (अच्छी) चर्चा रही।
जवाब देंहटाएंवंदना,
जवाब देंहटाएंकविता को चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद. तुम्हारे परिश्रम का फल मुझे मिल जाता है और वह भी नायब लिंक के रूप में.इस के लिए धन्यवाद दूं क्या? नहीं देती खुद ले लेना.
--
charcha umda rahi aur sabhi link bhi .aapki mehnat rang lai .
जवाब देंहटाएं@ रेखा जी
जवाब देंहटाएंआपसे तो सिर्फ़ प्यार चाहिये ये धन्यवाद जैसी चीज़ के लिये तो मेरे पास कोई जगह ही नही है कहाँ रखूँगी इतनी भारी भरकम चीज़ को।
बहुत बढ़िया चर्चा हमेशा की तरह.
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल करके आपने जो उत्साहवर्द्धन किया है, उस के लिए मैं आपकी की अत आभारी हूं| उम्दा लिंक हैं....
जवाब देंहटाएंmai yaha kaafi dino baad aaya hu ... achha laga .. par thoda samaj se jude ganbheer aur raajnaitik muddo ko bhi jagah mile to majaa aa jaaye..
जवाब देंहटाएंDear Vandana ji , Many thanks for this beautiful 'charcha'
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स मिले शानदार चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा थी , बहुत अच्छे लिंक्स थे । खट्टा कुछ नहीं लगा सब मीठा मीठा था ! मेरी रचना को भी शामिल किया आपने , आभारी हूँ। धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा...
जवाब देंहटाएंखट्टी और मीठी का संगम - खट मिट्ठा स्वाद हमेशा उदासियों को दूर करता है ,उमंग में वृद्धि करता है.आभार..
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachnaye hain saari :)
जवाब देंहटाएंmeri post ko shamil karne ke liye dhanyvad
शानदार चर्चा
जवाब देंहटाएंलिंक और उन पर आपकी बातों का मसाला... हमेशा मन मोह लेता है...शुक्रिया
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं@- रजनीश तिवारी जी ,
आपकी ब्लॉग का लिंक नहीं मिल रहा । 'profile not found' ऐसा मेसेज मिल रहा है । कृपया अपना लिंक दे दें।
वंदना जी ,
रजनीश जी की पोस्ट कौन सी है , यदि यहीं कमेन्ट बॉक्स में उसका लिंक दे दें तो आभार होगा.
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