आज पहली बार चर्चा के इस मंच पर आपके सामने उपस्थित हुई हूँ कुछ अपनी पसंदीदी रचनाओं के साथ कोई गलती हों तो नौसिखिया समझकर माफ कीजिएगा! आपका सहयोग चाहती हूँ ... |
यही तो हम हिन्दुस्तानियों की मानसिकता है! |
माधवी जी का ेक अनुवाद जल्द इकट्ठे करो वो तमाम गीत जो याद हैं तुम्हें उछालो उन्हें सूरज की तरफ इससे पहले कि पिछल जायें वो बर्फ़ की तरह। (अनुवाद : माधवी) |
vandana द्वारा एक प्रयास बहुत अच्छा है यह प्रयास- *कैसे धार्मिक हैं हम ? * * हमने धार्मिकता सिर्फ ओढ़ी हुई है मगर अपनाई नहीं है . अगर अपनाई होती तो आज ये हालत ना होती ........... आज आप देखिये हमारे देवी-देवताओं और बड़े- बड़े साधू संतों की तस्वीरें ... |
संजय भास्कर द्वारा पर पोस्ट किया गया ** * * *किसी के साथ होने का और किसी के साथ * *नहीं होने का विशवास करता है अहसास * * * *जब कभी हम टूट जाते है * *तब जिन्दगी का अर्थ समझाता है अहसास * * * *जब कभी लिखने की उमंग जागी * *कल्पनाओ के दर्शन कर... |
Author: Akhtar khan | Source: दोस्तों सब जानते हैं, के किसी भी कामयाबी के मामले में, कुछ अपनों ,और कुच्छ, परायों की कई बार नज़र लग जाती है,, मुझे गलत फहमी हुई ,मेरा ब्लॉग थोड़ा बहुत अच्छा चलने लगा है ,मेरे ब्लोगर भाईयों और बहनों की जिंदगी और हाल के बारे में जब में लिखने लगा तो मुझे कई मुबारकबाद भी मिली, कई उलाहना भी मिली ,लेकिन अचानक, मेरे ब्लॉग की रीडर शिप ठप्प हो गयी, मे .. |
पढ़िेए यह रोचक दास्तान! Author: papoo | Source: नदी डूब गयी: यही कम नहीं है अअरे रामकुमर देख ऊ आवत आ जवन कलिहा तोहे अस तोरान तोड़े रहा तबियत से तोहे पीटे रहा चल ओके बतावा जाये तब न ओके समझ में आइये कि तोडाय पर कैसा दर्द होइए नाही त ऊ हम गाँव वालन के बौचट समझिये.. |
कार्टून : राहुल गाँधी को ढूँढना मुश्किल ही नहीं...Cartoon by Kirtish Bhatt (www.bamulahija.com) |
हाँ आजकल यही कर रहें हैं ये सियासती फकीर Author: कस्बा | Source: कस्बा qasba |
बिल्कुल यही तो हो रहा है इस दुनिया में आजकल Author: Nishant | Source: कविता-एक कोशिश |
.'"बड़ी सूनी-सी है.. आँगन की चारपाई.. बड़ी सहमी-सी है.. खलियानों की जुदाई.. पेश हुआ ना नज़राना.. कीमत-ए-दगाबाजी.. नादां था..समझ ना सका तेरी |
भाषा,शिक्षा और रोज़गार में है यह खुशखबरी |
परिकल्पना में रवीन्द्र प्रभात जी लेकर आये हैं |
वटवृक्ष में पढ़िए! |
आनन्द लीजिए सवैय्या छन्द का |
Computer Duniya |
यह सुनहरी बारिश जब कंचन मेह बरसता है वह भीग जाता है जितना अधिक लिप्त होता है कुछ ज्यादा ही भारी हो जाता है | उस बोझ तले जाने कितने असहाय दब जाते हैं निष्प्राण से हो जाते है... |
पूछा मैने खामोशी से तुम यूं ही चुपचाप सी क्या सोचती हो वो बोली मैं सिर्फ दिखने में खामोश रहती हूं ... मेरी बोली सुनता मेरा अन्तर्मन पढ़ता है गुजरे पलों क... |
पर पढ़िए! *निष्ठुर हाथों ने बचपन छुड़ाया* * *अभी खिसकना सीखा था * *वक़्त ने कैसे बड़ा किया * *कुछ कठोर सच्चाई ने *.... |
उस माँ के वास्ते साल के ३६५ दिन भी है कम उस माँ कें लिए कितने, कष्ट और पीड़ा सहकर देती है... |
मनोज ब्लॉग पर *समीक्षा*** *आँच-68* *सिस्टम के अन्दर : अन्ना हजारे* *हरीश प्रकाश गुप्त* जब से बाबा रामदेव और उनके समूह ने भ्रष्टाचार के |
अमलतास को जान लीजिए! अप्रैल को the cruellest month कहा जाता है लेकिन मैं प्राय: इसमें थोड़ा संशोधन-विस्तार करने की छूट लेते हुए मई माह को भी जोड़ लेता हूँ... |
अदा जी फरमा रहीं हैं! |
उनकी भूली-बिसरी वो कैसी यादें थीं, यादें क्या थी ख़ुद से मुलाकातें थी, मन की गहराई में डूबी देखती रही, सीप में मोती से महँगी उनकी बातें थी ! |
बिखरे मोती में सजे हैं इनके |
चलते -चलते .देख लीजिए क्या कह रहे हैं केवल राम Author: : केवल राम : | Source: चलते -चलते ....! |
दर्शन जी नमस्ते और पहली चर्चा के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंअच्छी और सार्थक चर्चा |
मेरी रचना को आज के चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए आभार |
आशा
Darshan kaur ji sarv pratham main aapko meri kavita par tippani ke liye haardik dhanyavaad dena chahti hoon.aaj pahli baar charcha manch par aai hoon aur pahli baar aap bhi apni charcha prastut kar rahi hain.yah ek sanyog hi hai.apna link charcha manch par dekh kar bahut khushi hui.aapka bahut aabhar.aapki mumbai ki sair ka bhi khoob lutf uthaya.bahut achchi prastuti pesh ki hai aapne.dhanyavaad.
जवाब देंहटाएंविस्तृत और सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंदर्शन जी पहली चर्चा के लिए हार्दिक बधाई..बहुत ही सुंदर लिंकों का चयन किया है आपने..विस्तृत चर्चा........चर्चा मंच में आपका बहुत बहुत स्वागत है.........
जवाब देंहटाएंअमन का पैग़ाम शामिल करने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंपहली पारी कामयाब पारी
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को आज के चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंआभार |
पहली चर्चा इतनी सुन्दर तो क्या कहे .. शुभकामनायें ... और बधाई ..चर्चामंच में शामिल होने के लिए...
जवाब देंहटाएंये तो सिर्फ़ आपकी बेहतरीन शुरुआत है, आपको आगे तो और ज्यादा मेहनत करनी होगी,
जवाब देंहटाएंदर्शन कौर जी आपका आपकी पहली चर्चा मे स्वागत है…………बहुत ही सुन्दर, संयत और शालीन चर्चा लगाई है…………पहली ही चर्चा ने मन मोह लिया…………बधाई और आभार्।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा चर्चा ...आभार
जवाब देंहटाएंदर्शन जी पहली चर्चा ही आपकी बहुत आकर्षक रही ! सुन्दर एवं सार्थक लिंक्स का आपने चयन किया है ! आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंदर्शन कौर धनोए जी,
जवाब देंहटाएंचर्चामंच पर भी आपका हुनर देखा,अच्छी चर्चा प्रस्तुत की.बधाई आपको.
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जवाब देंहटाएंदर्शन जी ,
ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए , या फिर एक गाल पर चांटा मिले तो दूसरा भी आगे कर देना चाहिए ?
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सुन्दर चर्चा के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंदर्शन जी,
जवाब देंहटाएंपहली चर्चा के लिए हार्दिक बधाई..!
आभार...!
बहुत खूब 'दर्शी'जी,क्या 'चर्चा'की है.
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर आपकी प्रस्तुति सहज और रोचक है.
आप 'नौसिखिया' कहाँ,आप नौ नौ को सीख दे रही हैं.आपकी पोस्ट पर मेरी टिपण्णी दिखलाई नहीं पड़ रही है.क्या जादू मंतर किया है आपने ?
शुक्रिया ...वाचन पसन्द करने के लिए...
जवाब देंहटाएंबड़ी मेहनत से तैयार की गई रंग-बिरंगी चर्चा।
जवाब देंहटाएंदर्शन जी!
जवाब देंहटाएंआपने बहुत सुन्दर चर्चा की है!
बस बीच में धोखा मत दे देना!
यह क्या कह दिया शास्त्री जी?
जवाब देंहटाएं'दर्शी'जी और धोखा ?
ऐसा हों ही नहीं सकता.
दर्शन जी, सार्थक और सारगर्भित चर्चा के लिए बधाई ।
जवाब देंहटाएंकृपया मेरा भी ब्लॉग देखें और मेरी रचनाओं पर उचित मार्गदर्शन करें ।
Www.pradip13m.blogspot.com
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जवाब देंहटाएंराकेश जी,शास्त्री जी का मतलब था की चर्चा -मंच को बिच में ही मत छोड़ देना ....मै क्यों छोड़ने लगी ....सम्मान देकर ही सम्मान पाया जाता है जनाब ..
जवाब देंहटाएंbhut hi suder.. abhar...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
चर्चामंच पर पहली चर्चा की बहुत बधाई.सुन्दर चर्चा लगे है आपने.
जवाब देंहटाएंmaa....pehli pehli charcha manch lagane ke lie...badhai kare siwkar....bahut khubsurat sajaya charcha manch...bahut bahut badhai...
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को आज के चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए आभार |