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रविवार, मई 15, 2011

रविवासरीय (15.05.2011) चर्चा

नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा के साथ। गर्मी अपने चरम पर है। पसीने से सराबोर इस चर्चा की शुरुआत करते हैं।


My Photo१. पढ़िए

सवैया 1&2 मदन मोहन बहेती 'घोटू' की।

सीस पर सुहाय रहे ,केसन के दल पर दल,
फेसन के मारे वा में तेल नहीं डारो है
मुखड़े पर पोत लियो ,मन भर के पाउडर,
गरदन को रंग मगर ,दिखे कारो कारो है
फेशन की रोगिन ने ,जोगिन को रूप धरयो,
पहन लियो भगवा सो कुर्तो ढीरो ढारो है
My Photo२. Laxmi N. Gupta के साथ सुनिए

बिन लादन पत्नी विलाप

तेरे बिन लादन लागे न जीया हमार।
बार बार तोहें का समझाऊँ, गोलिन की भरमार।
तुमका मिलिहैं बहत्तर हूरैं, हमरी का दरकार।
तेरे बिन लादन---
तुम्हरे परी ओसामा, ओबामा की मार।
पाँच बीवियाँ, चालिस बच्चा, अब का करिहैं यार।
सबकै माटी पलीद कराई, करि जिहाद को वार।
तेरे बिन लादन---
EDITOR३. माता-पिता ने उस बेटी की इस उम्मीद के साथ शादी करवाई थी कि उसका भी अपना घर-परिवार हो और उसकी संतानें वृद्धावस्था में उसकी सेवा करें परंतु पति की बेरूखी ने उसकी तमाम उम्मीदों को धूल धूसरित कर दिया। शादी के कुछ ही दिनों के बाद पति द्वारा अपने हाल पर छोड़ दी गई डूंगरपुर जिलान्तर्गत सागवाड़ा पंचायत समिति के खड़गदा गांव की जीवी का अपना घर-परिवार सजाने का सपना ताउम्र सपना ही रह जाता अगर सरकार ने उसे इंदिरा आवास की सौगात न दी होती। फलस्वरूप

खड़गदा की जीवी को मिला जीने का आसरा … बता रहे हैं chandan singh bhati।
My Photo४. सुधीर बता रहे हैं समाज का सीडी सत्य । पौष्टिकता और मूल्य में कोई सीधा संबंध होता तो अर्थशास्त्र भी विग्यान होता। चीजों की कीमत उसकी पौष्टिकता से कम और लोगों के रुझान से ज्यादा तय होती है। यही हालत हमारे समाज में सत्य की है। सत्य भी एक रुझान है। इसी रुझान में आजकल नया ट्रेंड जुड़ा है सीडी सत्य का। यह सत्य भी फोरेंसिक साइंस के सत्यापन से अलग रुझान के सत्यापन से सत्यापित होता है। रुझान तय कर देता है कि बात सच है या नहीं, साइंस के फेर में पड़ते हैं तो सत्य को तलाशते-तलाशते भी शक दूर नहीं होता और प्याज के छिलकों की तरह कुछ हाथ नहीं आता।
My Photo५.Ashok Pande बता रहे हैं मुमिआ अबू-जमाल पर नोम चोम्स्की के विचार। कहते हैं हमें यह बात ध्यान में रखनी होगी कि इस मामले का महत्व प्रतीकात्मक रूप में काफ़ी व्यापक है. सारी दुनिया में अमेरिका उन गिने-चुने देशों में से एक है जहां अभी भी मृत्युदण्ड का प्रावधान है. मैं उन देशों का उल्लेख भी नहीं करना चाहता जो इस मामले में अमेरिका का अनुसरण करते हैं. अनेक कारणों में से यह भी एक कारण है जिसकी वजह से यूरोप किसी अभियुक्त का अमेरिका को प्रत्यार्पण नहीं करता.
मेरा फोटो६. जमीन का जन्म नहीं होता, लेकिन जमीन की मौत होती है। बिहार के कोशी अंचल में जब कोई जमीन बंजर हो जाती है तो किसान कहते हैं- जमीन मर गयी। कुछ इसी आशय के विचार लेकर आए हैं रंजीत और सुना रहे हैं खेत को खाता खाद। कहते हैं वैज्ञानिकों ने पाया है कि पिछले एक दशक में इलाके की जमीन में क्षारीयता यानी सैलिनिटी साढ़े तीन प्रतिशत ज्यादा हो गयी है। अगर यह सिलसिला यूं ही चलता रहा तो अगले पांच दशकों में इलाके की साठ फीसद उपजाऊ जमीन बंजर हो जायेगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी मुख्य वजह रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध इस्तेमाल तो है ही, साथ ही ॠतु चक्र में बदलाव, तापमान असंतुलन भी इसके लिए जिम्मेदार है।
मेरा फोटो७. Vijai Mathur जी की चिंता है भारत में कम्युनिज्म कैसे कामयाब हो ? हमारे देश में कम्यूनिज्म को विदेशी अवधारणा मान कर उसके सम्बन्ध में दुष्प्रचार किया गया और धर्म-भीरु जनता के बीच इसे धर्म-विरोधी सिद्ध किया जाता है. नतीजतन जनता गुमराह होती एवं भटकती रहती है तथा अधार्मिक एवं शोषक-उत्पीडक लोग कामयाब हो जाते हैं.आजादी के ६३ वर्ष एवं कम्यूनिस्ट आंदोलन की स्थापना के ८६ वर्ष बाद भी सही एवं वास्तविक स्थिति जनता के समक्ष न आ सकी है.
My Photo८. डॉ॰ व्योम कह रहे हैं हीरामन ! कुछ भी कर लेना लेकिन गाँव नहीं आना

खुशियों की चिड़ियों ने
पहले ही मुँह मोड़ा था
अब वो गाँव नहीं है
जिसको तुमने छोड़ा था
खेतों में अब फसल नहीं
बंदूकें उगती हैं
आतंकित हैं सहमी-
डरी हवाएँ चलती हैं
भूखे रह लेना या
आधी खकर सो जाना ।

मेरा फोटो९. शकील "जमशेदपुरी" की गज़ल पढ़िए

ईद पर भी सवईयों में तेरी खुशबू नहीं होती

तेरी तस्वीर भी मुझसे रू-ब-रू नहीं होती

भले मैं रो भी देता हूँ गुफ्तगू नहीं होती

तुझे मैं क्या बताऊँ जिंदगी में क्या नहीं होता 

ईद पर भी सवईयों में तेरी खुशबू नहीं होती
AIbEiAIAAAAjCNut-8ux2cTvmQEQroWd49T5ifTRARjUjdXGmbLy8pwBMAFkA3w0g-7cypY8vgzrpx6GNnUxZQ१०. कुमार राधारमण बता रहे हैं

देश का पहला पॉयजनिंग केयर सेंटर चंडीगढ़ में

जहर खाकर खुदुकशी करने के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रशासन ने चंडीगढ़ के गवर्नमेंट मल्टी स्पेशियलिटी हास्पिटल सेक्टर १६ में पॉयजनिंग केयर सेंटर खोलने का प्रस्ताव तैयार किया है।

प्रशासन के प्रस्ताव में दावा किया गया है कि भारत में यह अपनी तरह का पहला सेंटर होगा, जहां पर जहर खाने वाले मरीजों के बेहतर इलाज की व्यवस्था होगी।
My Photo११. प्रतिभा मलिक की समस्या है

इस अंतराल का अंतर्द्वंद … बताती हैं .. जब से हिन्दी सबके लिए ब्लॉग शुरू हुआ है तब से इतना लंबा अंतराल हावी नहीं हुआ। मैं खुद हैरान-परेशान हूँ कि क्यों टंकण करने वाली दो अंगुलियाँ कुछ भी लिखने / टंकित करने के विचार भर से ही दुखने लगती हैं! क्यों विभ्रम जैसी मनोदशा है? क्यों, कुछ भी लिखने के ख्याल से मन में अजीब सी गहरी उदासी भर जाती है?
मेरा फोटो१२. संगीता पुरी जी बता रही हैं फिलहाल ज्‍योतिष का अध्‍ययन छोडने का मेरा कोई इरादा नहीं !! कहती हैं कोई भी विषय बिना नींव का नहीं होता , उसमें गहराई तक जाने की आवश्‍यकता है। कितने विषय और कितने प्रोफेशन को लोग छोड दिया करते हैं , जबकि उसमें मौजूद लाखो लोग अच्‍छी कमाई कर रहे होते हैं। बहुत सारे लोग शेयर बाजार को जुआ का घर कहते हैं , जब‍कि दुनियाभर में सम्मान के साथ आज वारेन बफेट का नाम लिया जाता है. वे अकूत धन-संपदा के मालिक है और ये कमाई उन्होंने शुद्ध शेयर बाज़ार से की है. वे अब कई कम्पनियों के मालिक जरूर है किंतु पेशा अब भी निवेशक का ही है। इसलिए कोई भी विषय या प्रोफेशन बुरा नहीं होता , बस उसमें ईमानदारी से चलने की आवश्‍यकता होती है। इसलिए फिलहाल ज्‍योतिष का अध्‍ययन छोडने का मेरा कोई इरादा नहीं।
My Photo१३. अब घूमा जाए Manish Kumar के साथ .. वो सुना रहे हैं किस्से हैदराबाद से भाग 3 : जब महामंत्रियों के शौक से वज़ूद में आया एक अद्भुत संग्रहालय ! निचले तल से प्रथम तल की ओर बढ़ने से पहले एक जगह भारी भीड़ को देख कदम ठिठक जाते हैं। अगल बगल खड़े दर्शकों से पूछने पर पता चलता है कि संगीतमय घड़ी में तीन बजने की प्रतीक्षा हो रही है। हम सभी सोच में पड़ जाते हैं कि एक घड़ी की संगीतमय तान सुनने के लिए इतना बवाल क्यूँ? तीन बजने के पहले इंग्लैंड से आई इस घड़ी के ऊपरी बाँए सिरे से एक खिलौनानुमा आकृति उभरती है जो तीन बार घंटे को बजा कर वापस चली जाती है।
My Photo१४. आइए अब देखते हैं काजल कुमार के - कार्टून:- तो आपको क्या लगता था... नाम केवल ब्लागर बदलते हैं !
मेरा फोटो१५. रेखा श्रीवास्तव बता रही हैं परिवार के महत्त्व को विश्व परिवार दिवस ! के अवसर पर। हमारी संस्कृति और सभ्यता कितने ही परिवर्तनों को स्वीकार करके अपने कोपरिष्कृत कर ले, लेकिन परिवार संस्था के अस्तित्व पर कोई भी आंच नहीं आई। वह बने और बन कर भले टूटे होंलेकिन उनके अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता है। उसके स्वरूप में परिवर्तन आया और उसके मूल्यों मेंपरिवर्तन हुआ लेकिन उसके अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न नहीं लगाया जा सकता है।
My Photo१६. anshumala दे रही हैं सिविल सर्विसेस और राजनीति में सफलता पाने वाली सभी नारियो को बधाई! इन सभी नारियो को मेरी तरफ  बधाई और शुभकामनाये इस उम्मीद के साथ की ये भ्रष्टाचार की गन्दगी से दूर रह कर ईमानदारी से अपना काम करेंगी और लोगो की सेवा करने के अपने कर्तव्यों को अच्छे से पूरा करेंगी |
My Photo१७. ailash C Sharma को नहीं चाहिए मन्दिर मस्ज़िद

नहीं चाहिये मंदिर मस्ज़िद,

न  गिरिजाघर , गुरुद्वारा.

मेरा  ईश्वर  मेरे  अन्दर,

क्यों मैं फिरूं मारा मारा ?


धर्म यहाँ व्यापार हो गया,

भुना रहे हैं नाम राम का.

सीता कैदमुक्त न अब तक,

जोह रही है बाट राम का.
मेरा फोटो१८. Anita जी के साथ चलें

इंद्रधनुष सतरंगी नभ में

पल भर पहले जो था काला 
नभ कैसा नीला हो आया,
धुला-धुला सब स्वच्छ नहाया
प्रकृति का मेला हो आया !
इंद्रधनुष सतरंगी नभ में
सौंदर्य अपूर्व बिखराता,
दो तत्वों का मेल गगन में
स्वप्निल इक रचना रच जाता !

My Photo१९. कह रहे हैं जयकृष्ण राय तुषार -

मेरे दो नवगीत

चलो फिर 

गुलमोहरों के होंठ पर 

ये दिन सजाएँ |

आधुनिक 

संदर्भ वाले 

कुछ पुराने गीत गाएं |

झिंगूर दास 198२०. पढ़ें

फ़ुरसत में ..... ‘अरे! ये कैसे कर सकते हैं आप?’
अंग्रेज़ जब इस नामाकरण को उच्चारण करने में कठिनाई महसूस करने लगे तो उन्होंने अपनी ज़ुबान की सुविधानुसार इसका नामाकरण ऊटी कर दिया। और हम तो उनके ग़ुलाम थे ही ... तब शरीर से थे, आज मन से और वचन से हैं। पर्वतों की रानी नीलगिरी की सुरम्य वादियों के 36 वर्ग किलो मीटर में बसे ऊटी पर्वतीय प्रदेश में एक खास काम से जाना था। अपने एक ब्लॉगर मित्र को बताया तो उन्होंने पूछ ही दिया, ‘अरे! ये कैसे कर सकते हैं आप?’
My Photo२१. ब्लॉग जगत में ग़ज़ल के बादशाह कुँवर कुसुमेश की एक बेहतरीन ग़ज़ल - हिफ़ाज़त की नज़र से जो जगह महफ़ूज़ थी कल तक का आनंद लें!

हिफ़ाज़त की नज़र से जो जगह महफ़ूज़ थी कल तक.

उसी मंदिर ,उसी मस्जिद में रक्खे आज बम निकले.

जिसे अल्लाह के बन्दे इबादातगाह कहते थे,

फ़सादों की जड़े लेकर वही दैरो-हरम निकले.

अदब में भी बड़ी बू-ए-सियासत आ गई साहब,

कहें सच तो 'कुँवर' दो-चार ही अहले-क़लम निकले.

२२. हिंदी-विश्व की पेशकश है

वर्चस्‍वकारी तबका नहीं चाहता है कि हाशिये के लोग मुख्‍यधारा में शामिल हों। आज मल्‍टीनेशनल्‍स के आधिपत्‍य में हाशिये और भी शोषित होते जा रहे हैं। एक जिम्‍मेदार नागरिक के रूप में स्‍त्री, दलित, दमित, शोषित की पहचान करनी पड़ेगी। आदिवासियों, दलित, अतिपिछड़े वर्ग को अपने अधिकारों के लिए एकजुट होना पडे़गा तभी ये सब मुख्‍यधारा में आ सकेंगे वर्ना प्रभु वर्ग हाशिये से भी धकेलते रहेगा। अध्‍यक्षीय वक्‍तव्‍य में से.रा.यात्री ने कहा कि हमें आखिरी पायदान के व्‍यक्ति को पहले पायदान पर लाने का प्रयास करने की जरूरत है।
मेरा फोटो२३. राजेन्द्र स्वर्णकार कहते हैं कभी बुझती नहीं है तिश्नगी कुछ रेग़जारों की !

कभी बुझती नहीं है तिश्नगी कुछ रेग़जारों की !

ज़माने भर की अग़्यारी मेरेही साथ गुज़रेगी

पता करता हूं मैं कितनी निशस्तें और बाकी हैं ?!

मेरी तक़्दीर में शायद शिकस्तें और बाकी हैं !!

शिकस्तें और बाकी हैं
मेरा फोटो२४. वन्दना जी …

कुछ मर कर देखा जाये …. “?!”

जीकर बहुत देख लिया
कुछ मर कर देखा जाये
इक बार मौत को भी
गले लगाकर हंसाया जाये
My Photo२५. Nirmal Kumar की कविता

विस्मृत और ....

मैं जा कर अपने अतीत में

खोजता हूँ हर कोना, हर लम्हा,

ऐसा कोई शख्स 

जो मेरे पास तो था

पर निकट नहीं था

जो मेरा था

मगर अपना नहीं था
My Photo२६. ashish ने देखा

सूजा चाँद

बिम्ब में दिखता है कविता का घनत्व
बेरुखी  में भी हम  देख लेते है अपनत्व
बैठ कर हम  छिछली  नदी   तट पर
ढूँढ लेते है जलधि गर्भ से अनमोल  तत्व

२७.

कार्टून: अमरसिंह का हक बनता है ये तो ....
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२८. शिक्षामित्र बताते हैं आम छात्रों के लिए डीयू में दाखिले की राह मुश्किल आवेदन फॉर्म की अनिवार्यता खत्म कर सीधे कटऑफ के आधार पर दाखिले देने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से लागू डॉयरेक्ट एडमिशन पॉलिसी (डीएपी) उन छात्रों के लिए मुसीबत बनने जा रही है जो कटऑफ की रेस में पीछे रहेंगे। इन छात्रों को पहले कटऑफ और फिर आवेदन प्रक्रिया के लिए निर्धारित अवधि की मुश्किल झेलनी होगी।
मेरा परिचय२९. कह रहे हैं "विपदाओं में भूल न जाना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

सुख-दुख के इस चक्रवात में,

साथी हरदम साथ निभाना।
गठबन्धन के वचनों को तुम,

विपदाओं में भूल न जाना।।

ओम आर्य३०. ओम आर्य की प्रस्तुति

मेरे किनारे मेकोंग नदी लेटी है

रात भर सूरज डूबा रह कर
भले हीँ लौटता हो ठंढा होकर सुबह-सुबह
नदी सूखती जाती है थोड़ी-थोड़ी रोज
My Photo३१. डॉo कुमारेन्द्र सिंह सेंगर की प्रस्तुति

अशोक जी की कविता – बेटियाँ

ओस की बूंदों सी होती हैं बेटियाँ !

खुरदरा हो स्पर्श तो रोती हैं बेटियाँ !!

रौशन करेगा बेटा बस एक ही वंश को !

दो - दो कुलों की लाज ढोतीं हैं बेटियाँ !!
My Photo३२. देखिए mahendra verma जी का

रंगमंच

हित रक्षक भक्षक बन जाए क्या कर लोगे,
सुख ही दुखदायक बन जाए क्या कर लोगे।
बहिरंतर में भिन्न-भिन्न व्यक्तित्व सजाए
मित्र कभी निंदक बन जाए क्या कर लोगे।
मेरा फोटो३३. Minakshi Pant का प्रश्न

दोषी कौन

कितना आसां है ... यह कहना कि 

युवापीढ़ी बिगड़ रही है |

हाथ पकड़ कर चलना तो , 

उसने हमसे ही सीखा  है |
मेरा फोटो३४. मुदिता का

रूपांतरण

जुड़ते ही स्वयं से


दल जाती है

गुणवत्ता

जीवन की मेरे

पनपने लगती है

समझ

ज़िंदगी की घटनाओं की

बिना निर्णायक हुए ..
३५. फ़ुरसतिया लेकर आए हैं

ये पीला वासन्तिया चांद
बिना प्यार किये ये जिन्दगी तो अकारथ हो गयी। कौन है इस अपराध का दोषी। शायद संबंधों का अतिक्रमण न कर पर पाने की कमजोरी इसका कारण रही हो। मोहल्ला स्तर पर सारे संबंध यथासंभव घरेलू रूप लिये रहते हैं। हम उनको निबाहते रहे। जैसे थे वैसे।
मेरा फोटो३६. वो आये और .............केवल राम …. कहते हैं जीवन एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है . हमारा जीवन कितना है इस बात को कोई भी नहीं जानता लेकिन फिर भी हम सब अपने - अपने ढंग से जीवन के लिए कुछ न कुछ निर्धारित करते हैं . कई बार हमें सफलता मिलती है तो कई बार असफलता लेकिन फिर भी हम अनवरत रूप से जीवन की गति को बनाये रखते हैं और यह होना भी चाहिए .
My Photo३७. देवेन्द्र पाण्डेय …. दूर देश का शिकारी

दूर देश का शिकारी
घुस गया
एक दिन
जहरीले सर्पों के देश
बदलकर भेष
एक बड़े विषधर को मार
चीखने लगा..
मैने उसे मार दिया जिसने मुझे काटा था !
स्वर सृजन३८. डा. मेराज अहमद की प्रस्तुति

जुनून-ए-शौक़ अब भी कम नहीं है…मजाज़

जुनून-ए-शौक़ अब भी कम नहीं है
मगर वो आज भी बरहम नहीं है
बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना
तेरी ज़ुल्फ़ों के पेच-ओ-ख़म नहीं है
My Photo३९. योगेन्द्र मौदगिल का

स्टेटस-सिम्बल'

एड्स विश्व की

सर्वाधिक विकृत बीमारी है

किन्तु फिर भी

सारा विश्व इसका आभारी है

Member Picture४०. Nishant की प्रस्तुति

एक बेमेल इंसान ….
रात में नकली चाभियों के गुच्छे और लालटेन के साथ सभी लोग अपने-अपने घर से निकलते और किसी पड़ोसी के घर में चोरी कर लेते. सुबह जब माल-मत्ते के साथ वे वापस आते तो पाते कि उनका भी घर लुट चुका है.

मेरा फोटो४१. Udan Tashtari

सीखो कुछ तो इस भीषण कांड से....
मात्र १०-१२ घंटों के लिए गुगल का ब्लॉगस्पॉट क्या बैठा कि मानो हर तरफ हाहाकार मच गया. छपास पीड़ा के रोगी ऐसे तड़पे मानो किसी हृदय रोगी से आक्सीजन मास्क खींच ली गई हो. जिसे देखा वो हैरान नजर आया. एक सक्रिय ब्लॉगर होने के नाते चूँकि हमारी हालत भी वही थी तो गाते गाते फेसबुक, ट्विटर,  बज़्ज़, ऑर्कुट पर डोलते रहे।
४२. प्रवीण पाण्डेय का कहना है हर दिल जो प्यार करेगा
अब आप बोल उठेंगे कि गाना गायेगा। कैसा विचित्र संयोग है कि पहला कवि तो वियोगी था, कविता लिख गया, अब उस कविता को गाने के लिये वही आगे आयेगा, जो प्यार करेगा। प्रकृति में यह नियम कूट कूट के घुला है कि हर प्रभाव अपने स्रोत के विरोध की दिशा में होता है।
आज बस इतना ही।


अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।


तब तक के लिए हैप्पी ब्लॉगिंग!!

22 टिप्‍पणियां:

  1. सभी रचनाओं से गुज़रना अच्छा लगा। कार्टून भी रोचक लगे। आभार ।

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  2. सुँदर लिंक्स से सजी बेहतरीन चर्चा . आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए .

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  3. बहुत अच्छे लिंक्स पढ़ने को मिले.मुझे चर्चामंच पर स्थान दिया,कृतज्ञ हूँ.

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  4. गूगल का ढहना हुआ पर बहुत कुछ आपके यहाँ से मिल गया।

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  5. विस्तृत और अच्छे लिंक्स को संजोये उम्दा चर्चा

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  6. बहुत विस्तृत और सार्थक चर्चा की है……………बेहतरीन लिंक संयोजन्।

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  7. सुन्दरता से सजा हुआ है आज का गुलदस्ता ---भाँती-भाँती के फुल खिले है और खुशबु भी ...

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  8. आभार बहुत सुव्यवस्थित और सुन्दर चर्चा के लिए.बहुत सुन्दर लिंक्स मिले.

    जवाब देंहटाएं
  9. सुँदर लिंक्स सुव्यवस्थित चर्चा .

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर लिंक्स से सजी ख़ूबसूरत चर्चा..आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. अच्छी चर्चा के लिए आभार
    अनवर है आपका शुक्रगुज़ार

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  12. हिंदी ब्‍लॉगिंग का दीवाना
    इस चर्चा में पहचाना जाएगा

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  13. बहुत उम्दा लिंक्स और बहुत अच्छी चर्चा । मनोज जी कृपया मेरे ब्लॉग में भी आए और मेरी कविताओं को पढ़कर उचित मार्गदर्शन करें ।
    www.pradip13m.blogspot.com

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  14. चर्चामंच से जुड़े सभी लोगों का मेरे ब्लॉग www.pradip13m.blogspot.com में सादर आमंत्रण है ।
    कविता के क्षेत्र में मैं बहुत मंजा हुआ तो नही हूँ पर आप सबका प्रोत्साहन, शुभकामनाएँ और मार्गदर्शन चाहता हूँ ।

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  15. बहुत सुन्दर सिंकों से सजी-सँवरी शानदार चर्चा के लिए आभार!

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  16. विस्तृत चर्चा ...बेहतरीन लिंक्स!

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  17. बहुत अच्छे लिंक्स मिले आपकी आजकी चर्चा में । धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ ।

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  18. bahut achchhi charcha ..achchhe links mile ..3 to maine follow b kar liye....

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  19. सुंदर चर्चाए,मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद

    घोटू

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  20. हमेशा की तरह सारगर्वित सटीक चर्चा .बेहतरीन लिंक मिलें ...आभार

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