नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा के साथ। गर्मी अपने चरम पर है। पसीने से सराबोर इस चर्चा की शुरुआत करते हैं।
१. पढ़िए
सीस पर सुहाय रहे ,केसन के दल पर दल,
फेसन के मारे वा में तेल नहीं डारो है
मुखड़े पर पोत लियो ,मन भर के पाउडर,
गरदन को रंग मगर ,दिखे कारो कारो है
फेशन की रोगिन ने ,जोगिन को रूप धरयो,
पहन लियो भगवा सो कुर्तो ढीरो ढारो है २. Laxmi N. Gupta के साथ सुनिए
तेरे बिन लादन लागे न जीया हमार।
बार बार तोहें का समझाऊँ, गोलिन की भरमार।
तुमका मिलिहैं बहत्तर हूरैं, हमरी का दरकार।
तेरे बिन लादन---
तुम्हरे परी ओसामा, ओबामा की मार।
पाँच बीवियाँ, चालिस बच्चा, अब का करिहैं यार।
सबकै माटी पलीद कराई, करि जिहाद को वार।
तेरे बिन लादन--- ३. माता-पिता ने उस बेटी की इस उम्मीद के साथ शादी करवाई थी कि उसका भी अपना घर-परिवार हो और उसकी संतानें वृद्धावस्था में उसकी सेवा करें परंतु पति की बेरूखी ने उसकी तमाम उम्मीदों को धूल धूसरित कर दिया। शादी के कुछ ही दिनों के बाद पति द्वारा अपने हाल पर छोड़ दी गई डूंगरपुर जिलान्तर्गत सागवाड़ा पंचायत समिति के खड़गदा गांव की जीवी का अपना घर-परिवार सजाने का सपना ताउम्र सपना ही रह जाता अगर सरकार ने उसे इंदिरा आवास की सौगात न दी होती। फलस्वरूप
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खुशियों की चिड़ियों ने
पहले ही मुँह मोड़ा था
अब वो गाँव नहीं है
जिसको तुमने छोड़ा था
खेतों में अब फसल नहीं
बंदूकें उगती हैं
आतंकित हैं सहमी-
डरी हवाएँ चलती हैं
भूखे रह लेना या
आधी खकर सो जाना ।
९. शकील "जमशेदपुरी" की गज़ल पढ़िए
तेरी तस्वीर भी मुझसे रू-ब-रू नहीं होती
भले मैं रो भी देता हूँ गुफ्तगू नहीं होती
तुझे मैं क्या बताऊँ जिंदगी में क्या नहीं होता
ईद पर भी सवईयों में तेरी खुशबू नहीं होती १०. कुमार राधारमण बता रहे हैं
जहर खाकर खुदुकशी करने के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रशासन ने चंडीगढ़ के गवर्नमेंट मल्टी स्पेशियलिटी हास्पिटल सेक्टर १६ में पॉयजनिंग केयर सेंटर खोलने का प्रस्ताव तैयार किया है।
प्रशासन के प्रस्ताव में दावा किया गया है कि भारत में यह अपनी तरह का पहला सेंटर होगा, जहां पर जहर खाने वाले मरीजों के बेहतर इलाज की व्यवस्था होगी। ११. प्रतिभा मलिक की समस्या है
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नहीं चाहिये मंदिर मस्ज़िद,
न गिरिजाघर , गुरुद्वारा.
मेरा ईश्वर मेरे अन्दर,
क्यों मैं फिरूं मारा मारा ?
धर्म यहाँ व्यापार हो गया,
भुना रहे हैं नाम राम का.
सीता कैदमुक्त न अब तक,
जोह रही है बाट राम का. १८. Anita जी के साथ चलें
पल भर पहले जो था काला
नभ कैसा नीला हो आया,
धुला-धुला सब स्वच्छ नहाया
प्रकृति का मेला हो आया !
इंद्रधनुष सतरंगी नभ में
सौंदर्य अपूर्व बिखराता,
दो तत्वों का मेल गगन में
स्वप्निल इक रचना रच जाता !
१९. कह रहे हैं जयकृष्ण राय तुषार -
चलो फिर
गुलमोहरों के होंठ पर
ये दिन सजाएँ |
आधुनिक
संदर्भ वाले
कुछ पुराने गीत गाएं |
२०. पढ़ें
अंग्रेज़ जब इस नामाकरण को उच्चारण करने में कठिनाई महसूस करने लगे तो उन्होंने अपनी ज़ुबान की सुविधानुसार इसका नामाकरण ऊटी कर दिया। और हम तो उनके ग़ुलाम थे ही ... तब शरीर से थे, आज मन से और वचन से हैं। पर्वतों की रानी नीलगिरी की सुरम्य वादियों के 36 वर्ग किलो मीटर में बसे ऊटी पर्वतीय प्रदेश में एक खास काम से जाना था। अपने एक ब्लॉगर मित्र को बताया तो उन्होंने पूछ ही दिया, ‘अरे! ये कैसे कर सकते हैं आप?’
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हिफ़ाज़त की नज़र से जो जगह महफ़ूज़ थी कल तक.
उसी मंदिर ,उसी मस्जिद में रक्खे आज बम निकले.
जिसे अल्लाह के बन्दे इबादातगाह कहते थे,
फ़सादों की जड़े लेकर वही दैरो-हरम निकले.
अदब में भी बड़ी बू-ए-सियासत आ गई साहब,
कहें सच तो 'कुँवर' दो-चार ही अहले-क़लम निकले.
२२. हिंदी-विश्व की पेशकश है
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कभी बुझती नहीं है तिश्नगी कुछ रेग़जारों की !
ज़माने भर की अग़्’यारी मेरेही साथ गुज़रेगी
…
पता करता हूं मैं कितनी निशस्तें और बाकी हैं ?!
मेरी तक़्दीर में शायद शिकस्तें और बाकी हैं !!
शिकस्तें और बाकी हैं… २४. वन्दना जी …
जीकर बहुत देख लिया
कुछ मर कर देखा जाये
इक बार मौत को भी
गले लगाकर हंसाया जाये २५. Nirmal Kumar की कविता
मैं जा कर अपने अतीत में
खोजता हूँ हर कोना, हर लम्हा,
ऐसा कोई शख्स
जो मेरे पास तो था
पर निकट नहीं था
जो मेरा था
मगर अपना नहीं था २६. ashish ने देखा
बिम्ब में दिखता है कविता का घनत्व
बेरुखी में भी हम देख लेते है अपनत्व
बैठ कर हम छिछली नदी तट पर
ढूँढ लेते है जलधि गर्भ से अनमोल तत्व
२७.
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२८. शिक्षामित्र बताते हैं आम छात्रों के लिए डीयू में दाखिले की राह मुश्किल आवेदन फॉर्म की अनिवार्यता खत्म कर सीधे कटऑफ के आधार पर दाखिले देने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से लागू डॉयरेक्ट एडमिशन पॉलिसी (डीएपी) उन छात्रों के लिए मुसीबत बनने जा रही है जो कटऑफ की रेस में पीछे रहेंगे। इन छात्रों को पहले कटऑफ और फिर आवेदन प्रक्रिया के लिए निर्धारित अवधि की मुश्किल झेलनी होगी।
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सुख-दुख के इस चक्रवात में,
साथी हरदम साथ निभाना।
गठबन्धन के वचनों को तुम,
विपदाओं में भूल न जाना।।
३०. ओम आर्य की प्रस्तुति
रात भर सूरज डूबा रह कर
भले हीँ लौटता हो ठंढा होकर सुबह-सुबह
नदी सूखती जाती है थोड़ी-थोड़ी रोज ३१. डॉo कुमारेन्द्र सिंह सेंगर की प्रस्तुति
ओस की बूंदों सी होती हैं बेटियाँ !
खुरदरा हो स्पर्श तो रोती हैं बेटियाँ !!
रौशन करेगा बेटा बस एक ही वंश को !
दो - दो कुलों की लाज ढोतीं हैं बेटियाँ !! ३२. देखिए mahendra verma जी का
हित रक्षक भक्षक बन जाए क्या कर लोगे,
सुख ही दुखदायक बन जाए क्या कर लोगे।
बहिरंतर में भिन्न-भिन्न व्यक्तित्व सजाए
मित्र कभी निंदक बन जाए क्या कर लोगे। ३३. Minakshi Pant का प्रश्न
कितना आसां है ... यह कहना कि
युवापीढ़ी बिगड़ रही है |
हाथ पकड़ कर चलना तो ,
उसने हमसे ही सीखा है | ३४. मुदिता का
जुड़ते ही स्वयं से
ब
दल जाती है
गुणवत्ता
जीवन की मेरे
पनपने लगती है
समझ
ज़िंदगी की घटनाओं की
बिना निर्णायक हुए .. ३५. फ़ुरसतिया लेकर आए हैं
बिना प्यार किये ये जिन्दगी तो अकारथ हो गयी। कौन है इस अपराध का दोषी। शायद संबंधों का अतिक्रमण न कर पर पाने की कमजोरी इसका कारण रही हो। मोहल्ला स्तर पर सारे संबंध यथासंभव घरेलू रूप लिये रहते हैं। हम उनको निबाहते रहे। जैसे थे वैसे।
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दूर देश का शिकारी
घुस गया
एक दिन
जहरीले सर्पों के देश
बदलकर भेष
एक बड़े विषधर को मार
चीखने लगा..
मैने उसे मार दिया जिसने मुझे काटा था ! ३८. डा. मेराज अहमद की प्रस्तुति
जुनून-ए-शौक़ अब भी कम नहीं है
मगर वो आज भी बरहम नहीं है
बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना
तेरी ज़ुल्फ़ों के पेच-ओ-ख़म नहीं है ३९. योगेन्द्र मौदगिल का
एड्स विश्व की
सर्वाधिक विकृत बीमारी है
किन्तु फिर भी
सारा विश्व इसका आभारी है
४०. Nishant की प्रस्तुति
रात में नकली चाभियों के गुच्छे और लालटेन के साथ सभी लोग अपने-अपने घर से निकलते और किसी पड़ोसी के घर में चोरी कर लेते. सुबह जब माल-मत्ते के साथ वे वापस आते तो पाते कि उनका भी घर लुट चुका है.
४१. Udan Tashtari
मात्र १०-१२ घंटों के लिए गुगल का ब्लॉगस्पॉट क्या बैठा कि मानो हर तरफ हाहाकार मच गया. छपास पीड़ा के रोगी ऐसे तड़पे मानो किसी हृदय रोगी से आक्सीजन मास्क खींच ली गई हो. जिसे देखा वो हैरान नजर आया. एक सक्रिय ब्लॉगर होने के नाते चूँकि हमारी हालत भी वही थी तो गाते गाते फेसबुक, ट्विटर, बज़्ज़, ऑर्कुट पर डोलते रहे।
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अब आप बोल उठेंगे कि गाना गायेगा। कैसा विचित्र संयोग है कि पहला कवि तो वियोगी था, कविता लिख गया, अब उस कविता को गाने के लिये वही आगे आयेगा, जो प्यार करेगा। प्रकृति में यह नियम कूट कूट के घुला है कि हर प्रभाव अपने स्रोत के विरोध की दिशा में होता है।
आज बस इतना ही।
अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।
तब तक के लिए हैप्पी ब्लॉगिंग!!
धन्यवाद मनोज जी एक समग्र चर्चा के लिए.
जवाब देंहटाएंसभी रचनाओं से गुज़रना अच्छा लगा। कार्टून भी रोचक लगे। आभार ।
जवाब देंहटाएंसुँदर लिंक्स से सजी बेहतरीन चर्चा . आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए .
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स पढ़ने को मिले.मुझे चर्चामंच पर स्थान दिया,कृतज्ञ हूँ.
जवाब देंहटाएंगूगल का ढहना हुआ पर बहुत कुछ आपके यहाँ से मिल गया।
जवाब देंहटाएंविस्तृत और अच्छे लिंक्स को संजोये उम्दा चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत विस्तृत और सार्थक चर्चा की है……………बेहतरीन लिंक संयोजन्।
जवाब देंहटाएंसुन्दरता से सजा हुआ है आज का गुलदस्ता ---भाँती-भाँती के फुल खिले है और खुशबु भी ...
जवाब देंहटाएंआभार अच्छी चर्चा के लिये
जवाब देंहटाएंआभार बहुत सुव्यवस्थित और सुन्दर चर्चा के लिए.बहुत सुन्दर लिंक्स मिले.
जवाब देंहटाएंसुँदर लिंक्स सुव्यवस्थित चर्चा .
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सजी ख़ूबसूरत चर्चा..आभार
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा के लिए आभार
जवाब देंहटाएंअनवर है आपका शुक्रगुज़ार
हिंदी ब्लॉगिंग का दीवाना
जवाब देंहटाएंइस चर्चा में पहचाना जाएगा
बहुत उम्दा लिंक्स और बहुत अच्छी चर्चा । मनोज जी कृपया मेरे ब्लॉग में भी आए और मेरी कविताओं को पढ़कर उचित मार्गदर्शन करें ।
जवाब देंहटाएंwww.pradip13m.blogspot.com
चर्चामंच से जुड़े सभी लोगों का मेरे ब्लॉग www.pradip13m.blogspot.com में सादर आमंत्रण है ।
जवाब देंहटाएंकविता के क्षेत्र में मैं बहुत मंजा हुआ तो नही हूँ पर आप सबका प्रोत्साहन, शुभकामनाएँ और मार्गदर्शन चाहता हूँ ।
बहुत सुन्दर सिंकों से सजी-सँवरी शानदार चर्चा के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंविस्तृत चर्चा ...बेहतरीन लिंक्स!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स मिले आपकी आजकी चर्चा में । धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंbahut achchhi charcha ..achchhe links mile ..3 to maine follow b kar liye....
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चाए,मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंघोटू
हमेशा की तरह सारगर्वित सटीक चर्चा .बेहतरीन लिंक मिलें ...आभार
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