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गुरुवार, मई 26, 2011

चर्चा मंच - 525


              आज की चर्चा में आप सबका स्वागत है 
                     
चर्चा आरम्भ करने से पूर्व क्रिकेट प्रेमियों के लिए समाचार . 
खेल पत्रकार शैलेन्द्र जी ने हिंदी में क्रिकेट से जुडी बेवसाईट लांच की है . अब क्रिकेट स्कोर , क्रिकेट से जुड़े समाचार ,क्रिकेट पर लेख और इस खेल से जुडी रोचक घटनाओं की जानकारी आप एक साथ क्रिकेट कंट्री पर देख सकते हैं .
           अब आगे बढ़ते हैं चर्चा की और 
           सबसे पहले बात करते हैं गद्य रचनाओं की 
गद्य में लघु कथा वर्तमान काल की प्रमुख विधा है दोहे की तरह बड़ी मारक क्षमता है इस विधा में . तो चलिए मिलते हैं कुछ लघुकथाकारों से उनकी लघुकथाओं के माध्यम से 
गद्य में डायरी लेखन , संस्मरण , जीवन अनुभव ,विचार विमर्श ब्लॉग जगत के प्रिय विषय हैं .आइए देखते हैं कुछ ऐसी ही रचनाओं को -
  • सबसे पहले ढूंढिए डॉ. दिव्या ( ZEAL ) के प्रश्नों के उत्तर 
  • अब आगे देखते हैं सुशील बाकलीवाल के नजरिये को .
  • लगे हाथ रश्मि जी का आत्म-चिन्तन भी देख लिया जाए .
  • कालेज के दिनों को याद कर रहे हैं केवल राम पढ़िए जो आज़ भी याद है वर्षों बाद 
  • गाँधी और गांधीवाद पर विचार प्रस्तुत कर रहे हैं मनोज जी 
  • IIT&IIM पर पर्यावरणमंत्री जयराम रमेश का बयान और प्रतिक्रिया को पेश कर रहे हैं प्रवीन शाह 
जब लिखने की बात होती है तब कविता सबसे पहले आती है . दुःख में , सुख में , मिलन में , जुदाई में कविता का जन्म अपने आप ही होता है .भावों से विह्वल हो ब्लोगर बन्धु भी अनेक कविताओं , छंदों का सृजन कर रहे हैं . आइए नजर डालते हैं इनकी पद्य रचनाओं पर .
अंत में बात करते हैं 21 -5 -2011 को आए अंधड़ की . इस अंधड़ से जान-माल का नुक्सान भी हुआ . गावों में तीन दिन तक बिजली गुल रही . यह बात यहाँ भारत जैसे देश की स्थिति को दर्शाती है कि कैसे मामूली-सा अंधड़ सब कुछ अस्त-व्यस्त कर देता है , वहीं यह भी बताती है कि मानव प्रकृति के आगे तुच्छ-सा प्राणी है ,लेकिन वह निरंतर प्रकृति से खिलवाड़ किये जा रहा है .मानव नहीं संभल रहा और निरंतर परिणाम भुगत रहा है . मानव से तो कुछ उम्मीद है भी नहीं . हाँ , भगवान से यह उम्मीद जरूर है कि वह विनाश को रोकेगा .
                    आज की चर्चा में बस इतना ही . आशा है चर्चा पसंद आई होगी . सुझावों और प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा .
                      धन्यवाद 
                                    दिलबाग विर्क  

25 टिप्‍पणियां:

  1. भाई दिलबाग वर्क जी आपने बड़े दिलचस्प अंदाज़ में पेश की चर्चा...करीने से सजाये लिंक....धन्यवाद!
    ---देवेंद्र गौतम

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  2. भाई दिलबाग वर्क जी आपकी चर्चा करने का अंदाज बहुत भाया हमें ...मेरे ब्लॉग की पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका आभार ..आशा है आप हमें यूँ ही अनुग्रहित करते रहेंगे ....आपका शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  3. विभिन्न रंगों से सजी खूबसूरत चर्चा.

    जवाब देंहटाएं
  4. सारी रचनाओं के शीर्षक देखे अच्छे लगे और अब चलते हैं इन्हें खंगालने लेकिन ‘मां-बेटी‘ से संबंधित शीर्षक सबसे अच्छे लगे।
    शुक्रिया।
    .
    .
    .
    मौत की आग़ोश में जब थक के सो जाती है माँ
    तब कहीं जाकर ‘रज़ा‘ थोड़ा सुकूं पाती है माँ

    रूह के रिश्तों की गहराईयाँ तो देखिए
    चोट लगती है हमारे और चिल्लाती है माँ

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  5. बहुत उम्दा लिंक का चयन। आपकी चर्चा मंच की टीम ज्वान करने से मंच को एक नई दिशा मिली है।

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  6. अरे वाह …………बहुत ही उत्तम लिंक संयोजन्…………शानदार चर्चा…………आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर चर्चा..अच्छे लिंक्स..आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. इतनी संतुलित चर्चा में तो
    सभी लिंक पढ़े जा सकते हैं!
    --
    बहुत-बहुत आभार!

    जवाब देंहटाएं
  9. प्रचार के लिए धन्यवाद दिलबाग जी

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  10. बहुत बढ़िया लगा आज का ये चर्चा -मंच ,,,

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  11. बहुत प्यारे अंदाज़ में .... संतुलित कलेवर की चर्चा
    बड़ी मनमोहक लगी ..
    मेरी पोस्ट को भी स्थान देने का बहुत-बहुत आभार

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