जबसे चर्चा मंच आरम्भ किया है तब से यह प्रतिदिन अनवरत रूप से निष्काम सेवा में लगा है! इसका प्रतिदान यही है कि आप प्रतिदिन ब्लॉगजगत की ताज़ा-तरीन हलचल को 24 घण्टे में जब कभी भी आपको समय मिले एक नज़र जरूर देख लिया करें। पिछले 500 दिनों में चर्चा मंच पर मेरा साथ देने के लिए कई साथी आते जाते गये। परन्तु सम्मानिता बहन श्रीमती संगीता स्वरूप और श्रीमती वन्दना गुप्ता, अनुज सरीखे मनोज कुमार, पुत्रवत् इं.सत्यम् शिवम् आज तक मेरे साथ कन्धा से कन्धा मिला कर चल रहे हैं। गत सप्ताह मुम्बई महाराष्ट्र की श्रीमती दर्शन कौर धनोए जी का मैंने शुक्रवार की चर्चाकार के रूप में स्वागत किया था। आज मुझे बृहस्पतिवार के चर्चाकार के रूप में श्री दिलबाग विर्क जी का स्वागत और अभिनन्दन करते हुए अपार हर्ष हो रहा है! इनका संक्षिप्त परिचय निम्नवत है- श्री दिलबाग विर्क हरियाणा राज्य में हिन्दी के प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हैं! इनके मुख्य ब्लॉग हैं! |
सबसे पहले पढ़िएअगज़लरोते हुए चेहरों पर बनावटी मुस्कानबस यही है आज के आदमी की पहचानकैसी बेबसी लिख दी खुदा ने तकदीर मेंपिंजरे में रहकर भरना सपनों की उड़ान .लफ्जों के सिवा कुछ फर्क नहीं इनमें बसएक चीज़ के दो नाम हैं - इंसान , हैवान ,.... |
अब हिन्दी साहित्य मंच पर देखिए की यह कशिश और न ही उसकी चोंच में एक चावल का दाना वो तो पंजो में साधे हुए है एक सम्पूर्ण संसार, उसकी चोंच में है............. |
अरे राज भाटिया जी यह कैसी दुआ दे् रहे हो? बुरी नज़र वाले तेरा मुंह काला “रिश्ते में लगता तू साला, बुरी नज़र वाले तेरा मुंह काला.” “बुरी नज़र वाले, तेरे बच्चे जियें, बड़े होकर, देसी शराब पियें”... |
और यहाँ तो भयंकर लू के मौसम में बारिश का मजा लिया जा रहा है! बारिशों के मौसमों में पतंगें उडाई जाएँ चलो के किस्मतें कुछ यूँ आजमाई जाएँ बारिशों के मौसमों में पतंगें उडाई जाएँ उसकी इबादत में खुद को लगा रखो तुम कब जाने खुदा तक, तुम्हारी दुहाई जाएँ .... |
संगीता स्वरूप जी लाईं हैं गीत.......मेरी अनुभूतियाँ पर वक्त के साथ पड़ गयीं हैं झुर्रियाँ मेरे चेहरे पर भी हर झुर्री में जैसे एक तहरीर लिखी है , ज़िंदगी का इतिहास इन लकीरों में दिखता है ,,,, |
एक खामोश सफ़र पर आइए न! श्रीमती वन्दना गुप्ता जी कह रहीं हैं! |
*साहित्य प्रेमी संघ* में भी मंगाई की दुहाई दी गई है! जब तक सत्ता में है,जम कर लूट मचाएं दूध,तेल,पेट्रोल,सब्जियां,आटा,दालें धीरे धीरे करके इनके दाम बढाले क्योंकि जीवन व्यापन को ये बहुत जरूरी... |
जितेन्द्र त्रिवेदी* विवेकानन्द के उस सवाल का उत्तर उस समय गांधी जी ने अपने सत्य के प्रयोगों द्वारा दुनियां को देने की धृष्टता की... पूरा आलेख यहाँ है! भारत में सहिष्णुता -2 |
अंजना कई वर्षों के बाद लौट आयी थी इस शहर मे ... गगनचुम्बी अट्टालिकाएं और उन पर लगे बड़े- बड़े होर्डिंग्स, घुप्प अँधेरी रात में भी रौशनी से जगमगाता निजामों का नगर ... थैंक्स राम ! |
डॉ० डंडा लखनवी बता रहे हैं! प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु का कथन है मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। |
जज़्बात में देखिए! आपाधापी गहमागहमी कभी गरमी तो कभी नरमी अन्धाधुन्ध बिक्री एक के साथ एक फ्री सपनों की दुकान किधर ध्यान है श्रीमान हम बतलाते हैं ... |
ऐसा ही तो होता है! मंजिल दूर है क्या जो वो आई नहीं अभी तक दिल हमारा इंतज़ार और सब्र करते-करते पत्थर का हो गया ... |
Mushayera में पढ़िए! करना है कुछ बड़ा तो कुछ हट के सोचिये| क्या कहेगा कोई हमें , बस यह न सोचिये हैं और भी गम ज़माने में जीने के लिए, हम ही हैं बस इक ग़मज़दा खुद यह न सोचिये्... |
कथा-सागर में रेखा श्रीवास्तव जी लाई हैं यह कथा! पूर्व कथा: एक धनी परिवार की बेटी और धनी परिवार की बहू अनु पारिवारिक षड़यंत्र का शिकार हुई। बच्चों सहित कई साल मायके रही और जब लाया गया टो घर में नहीं घुसने द... |
बच्चों का कोना में है एक बहुत ही प्रेरणादायक बाल कविता *आँखों में हों सपने कल के.* *नहीं उदासी हो आँखों में,* *खुशियाएं बचपन में छलके.* * * *शिक्षा पर बच्चों का हक़ हो, |
दीदी और अम्मा [ममता बैनर्जी और जयललिता ] , की जीत एक हर्ष का विषय है। देश के चार राज्यों में महिला मुख्य मंत्री और देश प्रमुख भी एक महिला । निसंदेह स्त्री ... विपक्ष में बैठना आसान है , लेकिन सरकार चलाना भी उतना ही आसान है क्या ? |
अब कुछ लिंक "पल-पल! हर पल" से! |
Minakshi Pant | Source: दुनिया रंग रंगीली सपने तो थे फूल से , दिल में चुभे शूल से , लूट लिए सारे सपने , बागों के बबूल ने |
बहुत-बहुत बधाई हो! डॉ.रघुवंश- Dr. Raghuvansh चंद्रमौलेश्वर प्रसाद | Source: कलम २२वाँ मूर्तिदेवी पुरस्कार- डॉ. रघुवंश को |
Author: रजनीश तिवारी | Source: रजनीश का ब्लॉग [1] जो चीजें थीं कभी सस्ती होती जा रही हैं वो महँगी जो कभी होती थीं अनमोल गली-गली बिकती हैं सस्ते में... [2] घड़ी तो अब भी है गोल गति भी नहीं बदली उसकी फिर उसी दायरे में चलते-चलते समय कैसे कहाँ कम हो गया ? [3] दिन में तेज धूप , धूल भरी आँधी और शाम को बदस्तूर बारिश दिन भर एक ही मौसम से ... जैसे कायनात ऊब सी गई है ... |
अब तक आपने 'प्रत्यय' का अर्थ suffix के रूप में ही जाना होगा और मैंने भी व्याकरण अध्ययन के समय उपसर्ग के साथ इससे पहचान की थी. किन्तु जब छंद-ज्ञान करने को... |
*सुकून से सांस ले *** *रहे हैं वो *** *समझते हम भूल गए * ** *उनको *** *क्यों खुद सा दूजों को *** *समझते **?* *मोहब्बत को खेल *** *समझ **,दिल से खेलते*** *दि... |
- जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद मेडिकल कॉलेज में पास-फेल की आड़ में सेक्स का खेल जमकर खेला जाता था। राजू खान की नजर जिस लड़की पर होती थी उसे घेरने के काम में कॉल... |
सभी साहित्य रसिकों का सादर अभिवादन आप सभी के सहयोग से कुण्डलिया छन्द पर आधारित तीसरी समस्या पूर्ति ने नई मंजिलें तय कीं| कई पुराने रचनाकार व्यस्तता की वजह ... |
हरिक बीमार को उपचार की नेमत नहीं मिलती| ये दुनिया है, यहाँ सर पे सभी के छत नहीं मिलती |१| इधर बच्चे पिता के प्यार, माँ के दूध को तरसें| उधर माँ-बाप को, औलाद . |
तकनीकी में देखिए! Computer Duniya मेरे ब्लोगर साथियो अगर कुछ फ्री में मिले तो उसे छोड़ना नहीं चाहिए आज मुझे एक ऐसी ही वेब साईट का पता लगा है जिस पर आप रजिस्टर करने के बाद उनके द्वारा दिए ... |
क्या सच है क्या झूठ कहते हैं सब क्षितिज भ्रम है मुझे लगता है एक सच क्षितिज के पास रखा हुआ है ! * रश्मि प्रभा * |
हिन्दी उपन्यासों के विकास के दौर में इतिहास संबंधी एक नए दृष्टिकोण का उदय हुआ। इस कोटि के उपन्यासों... |
जान लिया हूँ सब कुछ अब, जो जाना हूँ वही सही है। ज्ञान ही ज्ञान भर गया है मेरे मस्तिष्क में, अब मै विद्वता के उच... |
ब्लॉगर की मेहरबानी से एक बार फ़िर से ---- (दो सुन चुके होंगे --दो बाकी हैं ) काश सुन पाते---- अनुभव--... |
कवि वसु मालवीय [समय -10-11-1965से 16-05-1997] कवि वसु मालवीय की पुण्य तिथि 16 मई पर विशेष प्रस्तुति कवि /कथाकार वसु मालवीय का जन्म 10 नवम्बर 1965 को कानपु... |
अपने सभी अरमानों को दबा लिया दिल में ही कही और किसी से ना कुछ कहा। कई ख्बाव जो पलते थे आपकी आँखों में दिन-रात उसे आपने मेरी आँखों को सौंप दिया।क्यों किया ऐसा... |
और अब अन्त में- परिकल्पना जैसा कि आप सभी को विदित है कि विगत वर्ष परिकल्पना पर ब्लॉगोंत्सव के नाम से एक सार्वजनिक उत्सव मनाया गया, जिसमें ३०० से ४०० के बीच हिंदी चिट्ठाकार शामिल हुए... |
चर्चामंच पर आकर मेरी ब्लॉग सूची नित निखर रही है।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर दिलबाग विर्क जी का स्वागत है ...
जवाब देंहटाएंआज की विस्तृत और सुन्दर लिंक्स से सजी चर्चा के लिए आभार ...
क्रमवार सार्थक चर्चा
जवाब देंहटाएंदिलबाग विर्क जी को चर्चाकर के रूप में देख कर अच्छा लगा .उनका स्वागत और उन्हें बधाई.उन्होंने चर्चा भी बढ़िया लगाई.ये उनकी योयता का कमाल है भाई.
जवाब देंहटाएंदिलबाग विर्क जी को चर्चाकर के रूप में देख कर अच्छा लगा .उनका स्वागत और उन्हें बधाई.उन्होंने चर्चा भी बढ़िया लगाई.ये उनकी योग्यता का कमाल है भाई.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स सजी विस्तृत चर्चा।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर दिलबाग विर्क जी का स्वागत है
सुन्दर लिंक्स से सजी हुई शानदार चर्चा रहा!
जवाब देंहटाएंस्वागत दिलबाग जी चर्चा मंच पर नए कलेवर में चर्चा प्रस्तुत करने के लिए.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी आपकी निष्ठा और लगन को नमन।
जवाब देंहटाएंनए सदस्यों को शुभकामनाएं।
राजभाषा हिन्दी को मंच पर स्थान देने के लिए आभार।
धन्यवाद चर्चामन्च----
जवाब देंहटाएंकरना है कुछ बडा, तो-
कुछ हट के सोचिये....
चर्चा मंच पर दिलबाग जी का हार्दिक अभिनंदन !
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा बेहद सार्थक रही ...धन्यवाद शास्त्री जी !
अच्छे लिंक देने के लिए ..
चर्चा मंच पर दिलबाग विर्क जी का स्वागत है ...
जवाब देंहटाएंआज की विस्तृत और सुन्दर लिंक्स से सजी चर्चा के लिए आभार
अच्छी चर्चा -अच्छा मंच
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स-बढ़िया
बधाइयाँ
घोटू
बहुत ही सुंदर और विस्तृत चर्चा....
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सजी विस्तृत चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर दिलबाग विर्क जी का स्वागत है
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा meri post ko charcha manch par sthan dene ke liye bahut bahut aabhar.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबेहद सार्थक रही ...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंविस्तृत चर्चा ...
जवाब देंहटाएंआभार !