नमस्कार मित्रों! मैं मनोज कुमार एक बार फिर हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा में अपने पसंद की बीस लिंक्स के साथ। |
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अस्पतालों के वेटिंग एरिया का वातावरण
अस्पतालों के वेटिंग एरिया की तरफ़ शायद इतना ध्यान दिया नहीं जाता। मैंने अपने एक लेख में लिखा था कि अकसर अस्पतालों में आप्रेशन के द्वारा निकाली गई रसौलीयां या ट्यूमर आदि का प्रदर्शन वेटिंग एरिया में किया जाता है। |
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कोलेस्ट्रोल कम करने के लिए किसके लिए ज़रूरी हैं स्तेतिंस ? शोध की खिड़की से छनकर नित नै जानकारी आ रही है .हमारी बुद्धि मत्ता इसमें ही है हम उसमें से सार तत्व निकालें .फोक को छोड़ दें .एक रिसर्च रिपोर्ट का शीर्षक है :हाई -डोज़ स्टे -टीन्स मे रेज़ दी रिस्क ऑफ़ डाय बिटीज़.जब हमने इसे खंगाला तो निष्कर्ष यह निकला :दिल के जिन मरीजों को यह तजवीज़ की गई है उन्हें लेते रहना चाहिए क्योंकि इसके फायदे के बरक्स नुक्सानात बहुत कम हैं । |
18 अल्फ्रेड हिचकाक दुनिया के महानतम फिल्म निर्देशकों में से एक माने जाते हैं। उन्हें मास्टर आफ सस्पेंस कहा जाता है। लेकिन यह उनका अधूरा परिचय ही है। फिल्मों में हिचकाक के योगदान को देखते हुए उन्हें एक फिल्म स्कूल कहना ही ज्यादा उचित होगा। हिचकाक आम दर्शकों को जितना पसंद आते हैं उतना ही वह फिल्म बनाने वालों को भी प्रभावित करते हैं। फिल्मी भाषा में जिसे फिल्म का क्राफ्ट कहते हैं उसमें हिचकाक अन्यान्य हैं। |
17 नही चलेगी ये अन्नागिरी... आज चर्चा के लिए तीन मुद्दे हैं जो मुझे बेहद परेशान कर रहे हैं। कल से यही सोच रहा हूं कि क्या करूं। अन्ना जी का मैं समर्थक हूं, मुझे ही नहीं देश के आम आदमी को उनके आंदोलन से बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं, लेकिन अब मुझे अन्ना को कटघरे में खड़ा करना पड़ रहा है। इस बारे में मैं कल ही लिखना चाहता था, लेकिन कल अन्ना और उनकी टीम को लेकर मैं बेहद गुस्से में था, लिहाजा मुझे लगा कि अभी मैं अपने लेख के साथ न्याय नहीं कर पाऊंगा, क्योंकि मेरे लेख पर मेरे गुस्से का प्रभाव पड़ सकता है। |
16 पूर्वांचल की माटी ने एक से एक साहित्य सृजनकार पैदा किए हैं। वे अपनी प्रतिभा से पूरे विश्व को साहित्य रस में डुबोते हैं। विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को जब बिड़ला फाउंडेशन 2010 का व्यास सम्मान देने की घोषणा हुई तो यहां की प्रतिभा ने एक बार फिर लोगों को चमत्कृत कर दिया। परमानंद श्रीवास्तव के बाद वह पूर्वांचल के दूसरे साहित्यकार थे, जिन्हें इस पुरस्कार से नवाजा गया। |
15 हथेलियों की सतह पर कोई अक्स उभरता है बार - बार दु:ख उन्हें दुलारता है और घटता जाता है दूरियों का अंबार। |
14 हम अहसान जताते उस पर, जिसको अल्प दान दे देते किन्तु परम का खुला खजाना, बिन पूछे ही सब ले लेते ! दो दाने देकर भी हम तो, कैसे निर्मम ! याद दिलाते जन्मों से जो खिला रहा है, क्यों कर फिर उसके हो पाते ? कैसे मोहित हुए डोलते, मैं बस मैं की भाषा बोलें परम कृपालु उस ईश्वर का, कैसे फिर दरवाजा खोलें ! |
13 सुमनों की मुस्कान भुला देती दुखड़े
खिलता गुलशन बहुत दुलारा लगता है
जब मन पर विपदाओं की बदली छाती
तब सारा जग ही दुखियारा लगता है |
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मेरा शहर उदास है आजकल मेरा शहर उदास है|हर गली -मोहल्ले में फैली बेचैनी को अनुभव किया जा सकता है |फिजा में गहरे अवसाद की गंध है|बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित हो चुके हैं |वे मेधावी छात्र जो बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे अंक हांसिल कर फूले नहीं समा रहे थे ,अब हताश हैं|इनमें वे छात्र भी हैं जिनकी अंकतालिकाओं को लेकर वे संस्थान जिनमें ये पढ़ते थे ऐसे प्रचारित करते दिखाई दे रहे थे जैसे कोई शिकारी अपने आखेट के साथ चित्र उतरवाता हुआ गौरवान्वित होता है | |
11 याद आये फिर तुम्हारे केश, मन-भुवन में फिर अंधेरा हो गया पर्वतों का तन घटाओं ने छुआ घाटियों का ब्याह फिर जल से हुआ याद आये फिर तुम्हारे नैन देह मछली, मन मछेरा हो गया |
10 फिल्म समीक्षा : डबल धमाल इन्द्र कुमार की पिछली फिल्म धमाल में फिर भी कुछ तर्क और हंसी मजाक था। इस बार उन्होंने सब कुछ किनारे कर दिया है और लतीफों कि कड़ी जोड़ कर डबल धमाल बनायीं है। पिछली फिल्म के किरदारों के साथ दो लड़कियां जोड़ दी हैं। कहने को उनमें से एक बहन और एक बीवी है, लेकिन उनका इस्तेमाल आइटम गर्ल्स की तरह ही हुआ है। |
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कॉल करती….ना मिस कॉल करती- राजीव तनेजा
“वोही तो….आप क्या चिकन-शिकन या फिर दारू-शारू का कोई शौक रखते हैं?” गुप्ता जी किसी नतीजे पे पहुँचने की कोशिश करते हुए बोले…… “सिर्फ पूछ रहे हैं या फिर खिलाने-पिलाने की भी सोच रहे हैं?” मेरी आँखें चमकने को हुई… “अभी फिलहाल तो सिर्फ पूछ ही रहा हूँ" गुप्ता जी का संयत स्वर… “ओह!….फिर तो मैं इन चीज़ों से कोसों दूर रहता हूँ" मैं संभलता हुआ बोला.. “दैट्स नाईस"… |
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मैं पिट्सबर्ग हूँ [इस्पात नगरी से - 42] पिट्सबर्ग एक छोटा सा शहर है। सच्चाई तो यह है कि यह शहर सिकुड़ता जा रहा है। पिट्सबर्ग ही नहीं, अमेरिका के बहुत से अन्य शहर लगातार सिकुड़ रहे है। घबराईये नहीं, सिकुड़ने से मेरा अभिप्राय था जनसंख्या से। दरअसल पिट्सबर्ग जैसे ऐतिहासिक नगरों की जनसंख्या लगातार कम होती जा रही है। |
7 एक सरकारी कर्मचारी के नाते मुझे यदि किसी कार्यालय आदेश में नियम विरुद्धता नजर आती है तो मुझे इसे सक्षम अधिकारी या प्राधिकारी के संज्ञान में लाना है। यदि फिर भी मुझे नियम विरुद्धता प्रतीत होती है तो मुझे न्यायालय में अपील करनी है। निचली अदालत के निर्णय से संतुष्टि न मिलने पर उससे बड़ी, यहा तक कि सर्वोच्च अदालत तक जाया जा सकता है। सर्वोच्च अदालत की व्याख्या अंतिम और सर्वमान्य है। |
6 मुफ्त एंटीवायरस के क्षेत्र में सबसे लोकप्रिय दो एंटीवायरस प्रोग्राम के नए संस्करण आपके कंप्यूटर को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए अब उपलब्ध है । Avira का AntiVir Personal 10.0.0.650 और AVG का AVG Free Edition 10.0.1388 । |
05 पल रहा अन्याय उर में , तो उसे अभिव्यक्ति भी दो ,
गाँठ मन की खोल दो, अंतःकरण की शक्ति भी दो /
देश यह पालक पिता है और धरती माँ सभी की ,
इसलिए इसको समर्पण भाव दो,अनुरक्ति भी दो / |
04 दो प्रश्न
भविष्य में क्या बनना है, इस विषय में हर एक के मन में कोई न कोई विचार होता है। बचपन में वह चित्र अस्थिर और स्थूल होता है, जो भी प्रभावित कर ले गया, वैसा ही बनने का ठान लेता है बाल मन। अवस्था बढ़ने से भटकाव भी कम होता है, जीवन में पाये अनुभव के साथ धीरे धीरे उसका स्वरूप और दृढ़ होता जाता है, उसका स्वरूप और परिवर्धित होता जाता है। एक समय के बाद बहुत लोग इस बारे में विचार करना बन्द कर देते हैं और जीवन में जो भी मिलता है, उसे अनमने या शान्त मन से स्वीकार कर लेते हैं। धुँधला सा उद्भव हुआ भविष्य-चिन्तन का यह विचार सहज ही शरीर ढलते ढलते अस्त हो जाता है। |
03 कल चाँद संतूर बजा रहा था ; पूजाघर में बूढ़े मन्त्रों के साथ सुनी मैंने कृष्ण की हंसी ! मैं करवट ले रही थी सलवटों से भरा था हवा का बिस्तर |
02 एक नन की आत्मकथा कैथोलिक धर्मसंघो के लिए सिस्टर जेस्मी की आत्मकथा एक भूचाल बन कर आयी। यह विवादास्पद पुस्तक पहले मलयाली फिर अंग्रेजी और अब हिन्दी में आई है। इस आत्मकथा में जेस्मी ने कान्ग्रीगेशन आफ मदर आफ कार्मेल (सीएमसी) के भीतर घर कर चुकी अनियमितताओं के लेकर अपना व्यक्तिगत अनुभव प्रस्तुत किया है। आम मान्यता है कि धर्मसंघों का गठन सात्विक लोगों द्वारा धार्मिक कार्यों के लिए किया जाता है। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद ऐसी मान्यताओं पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं। |
01 क्या बनना है बच्चे को? बच्चा अभी कहाँ जान पायेगा कि ये कुछ एक बनने की लहरदार सीढ़ी चुनाव और रुझान से ज्यादा कब एक जुए की शक्ल ले लेगा जो भाग्य...भविष्य और बदलते बाज़ार की ज़रुरत के दांव से खेला जाएगा |