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सोमवार, जुलाई 11, 2011

ज़िन्दगी रही तो फिर मिलेंगे

दोस्तों
सोमवार की चर्चा मे स्वागत है।आनन्द लीजिये लिंक्स का।


तोसे नैना लड गये जो इक बार

 बस तन मन दीन्हों हार

 

आगरा

 एक अपनी ही कहानी

 

अद्दभुत डेड सी के नज़ारे इस्राएल में And mysterious Masada

जरूर देखेंगे

 

 

गौरैया

 क्या कहती है 


 

प्रसन्न कुमार झा की पहिलौंठी कविताएं

 गज़ब हैं



उन सब बच्चों को समर्पित, जिनका आज जन्म दिन है और जो घर से दूर हैं !

 फिर तो बहुत बहुत शुभकामनायें

 

 

एक गज़ल दुबई से...

 जरूर पढेंगे


 

टॉप हिन्‍दी ब्‍लॉग : Top Hindi Blogs!

 कौन से हैं?


 

शाश्वत शिल्प
पढिये एक गज़ल



 

मैं अपनी योजना में समय को शामिल नहीं करना चाहता

 क्यों?

 

 

स्वरोज सुर मंदिर (3)

 स्वागत है

 

 

स्वर्ग-का-फूल-गुलमोहर

 क्या कहता है?

 

 

तन गई रीढ़

फिर क्या हुआ?



पद्मनाभ मंदिर में मिले धन का असली वारिस हूं मैं

 शुक्र है वारिस तो मिला वरना सरकार के हत्थे चढ गया होता तो?


 

 

यह रात फिर नहीं आयेगी

 सच कहा


 

धर्म-पत्नी का मतलब...खुशदीप

धर्म पत्नी का मतलब खुशदीप कब से होने लगा?


 

  कारे कारे घनघोर बादल, तुम्हारा ये कारा कारा प्यार

 तन मन कर गयो कारो कारो

 

आँखों में तेरी ...

कितने अफ़साने छुपे हैं


 

 

अब अंत में ,

क्या कहना है?


 

अंजुमन-ए-ग़ज़ल - देवी नागरानी

जिनकी गज़ले खुद बोलती हैं


 

 

शांत नदी सी - (शोभना चौरे)

 बहती है मुझमें


सर्व शक्तिमान तो ईश्वर है ...

 इसमे क्या शक है

 

 

किन्नरों की दुवायें और उसकी कीमत

 ऐसा भी होता है

 

आँख का पानी ...ड़ा श्याम गुप्त.....

 कब कैसे बह गया

 

 

वो खुद को सजाये नहीं रख सका

 आखिर कब तक और किसके लिये सजाये

 

जुबान

 खामोश है

 

कुछ शब्द ‘रिश्तों’ के नाम

 ये भी जरूरी हैं

 

‘‘आ गई वर्षा’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

 जी हाँ अब तो आ ही गयी




 

 

अब आज्ञा दीजिये……ज़िन्दगी रही तो फिर मिलेंगे

अगले सोमवार



 


31 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर चर्चा ...... अच्छे लिनक्स लिए

    जवाब देंहटाएं
  2. चिट्ठों के साथ रोचक टिप्पणियां !

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर चर्चा . ....आभार ..''स्वरोज सुर मंदिर'' को स्थान दिया ...!!

    जवाब देंहटाएं
  4. वंदना जी,
    नमस्कार
    मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए आभार।
    नवगीत की जगह ग़ज़ल टाइप हो गया है।

    जवाब देंहटाएं
  5. हमेशा की तरह बढ़िया चर्चा है ...अच्छे पढ़ने योग्य लिंक मिले... साथ ही आभारी हूँ की समयचक्र की पोस्ट को अपने चर्चा में स्थान दिया है ...

    जवाब देंहटाएं
  6. dead sea ko apni charcha me shamil karne ke liye haardik shukriya Vandana ji main to chahti hoon ki meri is post se logon ko is addbhut dead see ki jankari mile.aapne sabhi link bahut achche daale hain.

    जवाब देंहटाएं
  7. SABKEE RACHNAAYEN PADH GYAA HOON .
    BAHUT ACHCHHA LAGAA HAI .CHARCHA
    HO TO AESEE HO ! MUBAARAK .

    जवाब देंहटाएं
  8. करीब करीब सभी लिंक पर हो आये ... सुन्दर चर्चा है ...

    जवाब देंहटाएं
  9. pahli baar charcha manch per aaya..jaankari ke abhava mein ab tak door tha... bibidh bishyon per ek jagah padhne ko milega... sabhi links acche lage... vandana ji aapko hardik shubhkamnaon ke sath

    जवाब देंहटाएं
  10. वन्दना जी आपने लिंक खूबसूरत उठाए हैं।

    जवाब देंहटाएं
  11. वंदनाजी
    बहुत बहुत आभार जो आपने इस चर्चा में शामिल कर और सभी से मिलने का मौका प्रदान किया |

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत रोचक लिंक्स हैं आपके ...वंदना जी,
    शुभ-कामनाएं साथ ही
    मेरी कविता को चर्चा-मंच पर सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  13. सधी हुई और रोचक चर्चा!
    --
    वन्दना जी!
    तुम जिओ हटारों साल,
    साल के दिन हों एक हजार!

    जवाब देंहटाएं
  14. वंदना जी,
    सुंदर चर्चा ...
    बहुत रोचक लिंक्स हैं ...
    शुभ-कामनाएं !
    मेरी रचना "गुलमोहर - चोका" को चर्चा-मंच पर सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं

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