नमस्कार।
मौसम आता है, चला जाता है। हर मौसम के अपने मजे हैं। किसी को बारिश का मौसम अच्छा लगता है तो किसी को ठंड का। गरमी का मौसम शायद ही किसी को भाता है, पर इसका आना भी हर किसी को अच्छा लगता है क्योंकि यही वो मौसम है, जो फलों के राजा यानि 'आम' के आने की आहट देता है। यानि हर मौसम के अपने मजे हैं........
आप भी सुनिए पल्लवी जी की जुबानी विदेशी गर्मियां
लो जी आखिरकार यहाँ भी गरमियाँ आ ही गयीं और हमने यहाँ भी उठाया गर्मियों के मौसम के पहले दिन का भरपूर मज़ा, यूं तो हर जगह धीरे-धीरे मौसम में बदलाव आता है। लेकिन यहाँ एक ही दिन में मौसम रंग बदल लेता है, जैसा कि आज हुआ..........
राजेश सिंह जी याद कर रहे हैं बीते हुए दिन। जानिए कौन है .....वह
एक लंबे अरसे बाद कुछ दिनों पूर्व गृहग्राम जाना हुआ। लोगों से मिलते-जुलते और दुकानों से भर गई सड़कों के दोनों किनारों के बीच स्मृतियों की पतली होती जा रही गलियों में से गुजरते हुए चौक के पास एक दृश्य पर निगाह रुकी....
संध्या शर्मा जी के सवाल कौन करेगा उजियारा...?
अब दीजिए अतुल श्रीवास्तव
को इजाजत। मुलाकात होगी अगले मंगलवार...... पर चर्चा जारी रहेगी पूरे सातों दिन..........
नमस्कार।
मौसम आता है, चला जाता है। हर मौसम के अपने मजे हैं। किसी को बारिश का मौसम अच्छा लगता है तो किसी को ठंड का। गरमी का मौसम शायद ही किसी को भाता है, पर इसका आना भी हर किसी को अच्छा लगता है क्योंकि यही वो मौसम है, जो फलों के राजा यानि 'आम' के आने की आहट देता है। यानि हर मौसम के अपने मजे हैं........
आप भी सुनिए पल्लवी जी की जुबानी विदेशी गर्मियां
लो जी आखिरकार यहाँ भी गरमियाँ आ ही गयीं और हमने यहाँ भी उठाया गर्मियों के मौसम के पहले दिन का भरपूर मज़ा, यूं तो हर जगह धीरे-धीरे मौसम में बदलाव आता है। लेकिन यहाँ एक ही दिन में मौसम रंग बदल लेता है, जैसा कि आज हुआ..........
राजेश सिंह जी याद कर रहे हैं बीते हुए दिन। जानिए कौन है .....वह
एक लंबे अरसे बाद कुछ दिनों पूर्व गृहग्राम जाना हुआ। लोगों से मिलते-जुलते और दुकानों से भर गई सड़कों के दोनों किनारों के बीच स्मृतियों की पतली होती जा रही गलियों में से गुजरते हुए चौक के पास एक दृश्य पर निगाह रुकी....
संध्या शर्मा जी के सवाल कौन करेगा उजियारा...?
खोल नयन देखो पल-पल,
बढ़ता जाये है अँधियारा.
भ्रष्ट हुआ हर दीप सलोना,
अब कौन करेगा उजियारा......
वंदना जी कहती हैं सूली पर सिर्फ और सिर्फ तुम्हे चढना है......
राम तुम्हारा चरित्र
तुम्हारा जीवन
तुम्हारा दर्शन
आज का मानव
समझ न पाया........
मधुरेश जी लाए हैं टैगोर जी की रचना का अनुवाद सखी, भाबोना कहारे बोले?
ये चिंता क्यों सखी?
ये वेदना क्यों सखी?
दिन-रात जो तुम प्रेम के रट लगाती हो,
क्या उसमे भी अपनी पीड़ाएँ ही छुपाती हो? .......
ये वेदना क्यों सखी?
दिन-रात जो तुम प्रेम के रट लगाती हो,
क्या उसमे भी अपनी पीड़ाएँ ही छुपाती हो? .......
महेन्द्र श्रीवास्तव जी की सटीक अभिव्यक्ति निर्मल बाबा का दरबार बोले तो लाफ्टर शो ...
भाई साधु संतो से तो मैं भी डरता हूं, इसलिए मैं पहले ही बोल देता हूं निर्मल बाबा के चरणों में मेरा और मेरे परिवार का कोटि कोटि प्रणाम। वैसे मैं जानता हूं कि साधु संत अगर आपको आशीर्वाद दें तो उसका एक बार फायदा आपको हो सकता है, पर........
संज्ञा टंडन जी के बोलते विचार में सीखिए नौकरी में निष्ठा
अपनी नौकरी के प्रति वफादार होना सबसे बड़े ईमान की बातों में से एक है। कारण यह है कि उसी से व्यक्ति को पेट पालने का स्थिर आधार मिलता है और उसीसे उसका सामाजिक महत्व निर्धारित होता हैं.......
नीरज गोस्वामी जी के ब्लाग में होलियाना मूड की चर्चा बहुत मटका रही हो आज पतली जिस कमरिया को
फागुन चला गया, होली चली गयी तो क्या हुआ ? मस्ती तो नहीं नहीं गयी ना? जिस दिन मस्ती चली गयी समझो सब कुछ चला गया. आज पढ़ते हैं गुरुदेव "पंकज सुबीर" जी के ब्लॉग पर होली के अवसर पर हुए मस्ती से भरपूर तरही मुशायरे में भेजी खाकसार की ये ग़ज़ल......
धीरेन्द्र जी की काव्यमय प्रस्तुति मै तेरा घर बसाने आई हूँ....
चंद कलियाँ निशांत की चुनकर,तेरा आँगन सजाने आई हूँ,
धुल मैके की झाड-फूक के सब, मै तेरा घर बसाने आई हूँ!.......
धुल मैके की झाड-फूक के सब, मै तेरा घर बसाने आई हूँ!.......
सदा जी कह रही हैं सुननी ही होगी आवाज ... वो !!!
तुमने भागने का मन बना तो लिया है
पर खुद से कब तक भाग सकोगे
बहुत मुश्किल है
मैं कोई और नहीं ... तुम्हारी ही परछाईं हूँ
सुननी ही होगी आवाज ... वो !!!..........
पर खुद से कब तक भाग सकोगे
बहुत मुश्किल है
मैं कोई और नहीं ... तुम्हारी ही परछाईं हूँ
सुननी ही होगी आवाज ... वो !!!..........
रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक' जी का सवाल "आशा का दीप जलाया क्यों?"
मन के इस सूने मन्दिर में,
आशा का दीप जलाया क्यों?
मेरे वीराने उपवन में,
सुन्दर सा सुमन खिलाया क्यों? .........संतोष त्रिवेदी जी लाए हैं संवाद। जानिए क्या कह रहे हैं तोता और कौवा !
नीले आसमान में
उड़ते हुए तोते को
कौवे ने टोंका,
तुम इस तरह आसमान में
अतिक्रमण नहीं कर सकते,
उड़ नहीं सकते ! ........
उड़ते हुए तोते को
कौवे ने टोंका,
तुम इस तरह आसमान में
अतिक्रमण नहीं कर सकते,
उड़ नहीं सकते ! ........
विक्रम जी पूछते हैं है कौन कर रहा प्रलय गान....
है कौन कर रहा प्रलय गान
भय-ग्रसित हो गए तरु के गात
हो शिथिल झर रहे उसके पात.........
भय-ग्रसित हो गए तरु के गात
हो शिथिल झर रहे उसके पात.........
देवेन्द्र पांडे जी लेकर आए हैं लेखाजोखा, नाम है महामुर्ख मेला
रविवार एक अप्रैल 2012 अंतरराष्ट्रीय मुर्ख दिवस के अवसर पर बनारस के राजेन्द्र प्रसाद घाट पर हमेशा की तरह इस वर्ष भी 43 वें महामुर्ख मेले का आयोजन हुआ। मेले का शुभारंभ............
अनवर जी दे रहे हैं जानकारी हिंदी वेबसाईट का मजा लीजिए मोबाईल पर
अक्सर आपने देखा होगा कि मोबाईल में कोई हिंदी की वेबसाईट खोलने पर डब्बे डब्बे से बने हुए आ जाते हैं। ये उन फोन में होता है जो हिंदी को सपोर्ट नहीं करते..........
आखिर में नेता जी ज़िंदाबाद !
को इजाजत। मुलाकात होगी अगले मंगलवार...... पर चर्चा जारी रहेगी पूरे सातों दिन..........
नमस्कार।
इतने सुन्दर लिंक सजाये ,फिरता है यह बंजारा ,
जवाब देंहटाएंलेकर चर्चा की धारा ...
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअतुल जी आपका बहुत बहुत आभार एक ऐसे मुद्दे पर निगाह डालने के लिए जिस पर लोगो का ध्यान आजकल लगभग जाता ही नहीं है ! नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को जैसे लगभग मिटाया सा जा रहा है भारत की आज़ादी के इतिहास से ... पर ऐसा हो न पाएगा जब तक हम लोग यूं ही आवाज़ उठाते रहेंगे ... नेता जी ज़िंदाबाद !
जवाब देंहटाएंवैसे मैं यूं अपनी पोस्ट का लिंक देता नहीं हूँ पर यहाँ बात नेता जी की हो रही है और पिछले दिनो मेरा जाना हुआ कलकत्ता के नेताजी भवन इस लिए यहाँ लिंक दे रहा हूँ हो सके तो जरूर देखिएगा :-
"नाज़ - ए - हिन्द सुभाष" पहुंची नेताजी भवन
वंदना जी की कविता पढ़ी ..
जवाब देंहटाएंवाकई राम का सम्पूर्ण जीवन , त्याग ,बलिदान ,सम्माज सेवा एवं जाती विद्वेष को मिटाने के प्रति समर्पित है
वाह भाई देवेन्द्र जी ... मुर्ख लोगो की पहचान में आप माहिर है ... दर लगता है ॥ पता नहीं आप किसे मुर्ख बना दे ॥ हा हा ॥ सुंदर पोस्ट .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा ||
जवाब देंहटाएंबधाई अतुल जी |
बहुत अच्छी चर्चा ...!!
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनायें ...!!
बहुत अच्छा लिंक संकलन... हमारी रचना को स्थान देने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंपकवान जब बहुत हो जाते हैं
जवाब देंहटाएंक्या खायें समझ कहाँ पाते हैं
आप कितने अच्छे हैं जनाब
अच्छों में अच्छे ढूंड कर
एक थाली में परोस लाते हैं
सुंदर रचनाऎं !!!!
बेहतरीन प्रस्तुति..आभार !!
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
अच्छा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंहमारी रचना को शामिल करने के लिए आभार!
http://hbfint.blogspot.in/2012/04/37-truth-only.html
सुन्दर लिंक्स संजोये गए हैं चर्चा में... पढ़कर आनंद मिला, और नए ब्लोग्स की भी जानकारी हुई. रचना सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर,
मधुरेश
बहुत बढ़िया लिंकों का संयोजन,...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए अतुल जी बहुत२ आभार,.....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
बढिया चर्चा,
जवाब देंहटाएंरोचक और साफ सुथरे अंदाज में है आज की चर्चा।
मुझे भी शामिल करने के लिए शुक्रिया
बहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किए हैं आपने आज के चर्चा मंच में ...आभार ।
जवाब देंहटाएंआभार अतुल भाई !
जवाब देंहटाएंहिन्दी के इधर उधर बिखरे पडे अनेकानेक ब्लॉगों में से अतुल भाई कुछ बेहतरीन को ढूंढ कर लाते हैं और हम सबकी मेहनत बचा जाते हैं....हमें फौरन इन स्थानों तक पहुचने के लिंक्स मिल जाते हैं....आभार, धन्यवाद चर्चा मंच को....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंBAHUT SE NAYE BLOGS KA PARICHAY PRAPT HUAA .HARDIK DHANYVAD .
जवाब देंहटाएंYE HAI MISSION LONDON OLYMPIC-LIKE THIS PAGE AND SHOW YOUR PASSION OF INDIAN HOCKEY -NO CRICKET ..NO FOOTBALL ..NOW ONLY GOAL !
बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा... सुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
अच्छी चर्चा ... कोशिश रहेगी सब लिंक्स पर हाज़री लगाने की ... धन्यवाद ... !!
जवाब देंहटाएंacchi charch hai.koshish kar rahi hu sab padh saku
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और लाजवाब चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
आभार आप सबका
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अतुल जी,मेरी रचना को शामिल करने के लिये.
जवाब देंहटाएं