मित्रों! कितनी जल्दी शनिवार आ गया। मैंने भी एक सप्ताह की अवधि में आनन-फानन में अपने काम निपटा लिए और आ गया चर्चा मंच की शनिवार की पोस्ट सजाने के लिए! |
आज मैं सबसे पहले आपको चर्चा मंच की टीम से मिलवाने जा रहा हूँ! |
हमारे चर्चा मंच के सोमवार के साथी- ![]() इनके ब्लॉग हैं- |
हमारे चर्चा मंच के मंगलवार के साथी- ![]() इनके ब्लॉग हैं- |
हमारे चर्चा मंच के बुधवार-शुक्रवार के साथी- इनके ब्लॉग हैं- |
हमारे चर्चा मंच के बृहस्पतिवार के साथी- ![]() इनके ब्लॉग हैं- |
और मुझ पर जिम्मेदारी है- शनिवार और रविवार की! ![]() मेरे ब्लॉग हैं- मेरी अद्यतन पोस्ट है- चल पड़े हैं हम सफर में, कैमरा ले हाथ में। कैद करने को नजारे, हमसफर है साथ में।। |
अब चलते हैं कुछ और लिंकों की ओर- |
*सोचने,सोचने में ही कहीं...समय न निकल जाए! कहते है कि...हर काम सोच-समझ कर ही करना चाहिए... |
छुट्टी लो बैंक हो आओ बचे हुवे काम निपटाओ छोटे बैंक में जा के आओ कोई डिपोसिट मत दे आओ चाय पियो मिठाई भी खाओ आते समय कैलेण्डर ले जाओ ... |
पथराई आँखों में सपने फिर से आयेंगे फिर मौसम के फूल झरेंगे पंछी गायेंगे कभी कभी सपनों को पंख लगाना पड़ता है नए नए बिरवे को तो सहलाना पड़ता है.. |
एक जंग लगा पिंजरा, घर की चौखट से थोड़ी दूर झोपडी की छत से जुडी कड़ी में लटका हुआ है... एक तोता है उसमे शायद, लेकिन उसका रंग बड़ा अजीब... |
![]() मेरी आँसुओं की कीमत तुम न चुका सकोगी, मेरे दिल से दूर रहकर तुम भी जी न सकोगी! |
![]() तो फ्रेंड्स कैसी लगी मेरी वैष्णों देवी की यात्रा ?.... लेकिन एक मिनट रुकिए... मेरी पहाड़ी यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है... |
शब्द कागज़ कलम ही काफी नहीं होता भावों के बीजों का होना भी तो जरूरी है विचारों भावों का हो जाये लोप शब्द भी हो जाएँ अलोप निर्मिमेष दृष्टि.... |
चीरहरण की जब भी बात चलती है तो हमारे सामने *" महापुराण महाभारत " *का वो प्रसंग याद आता है जब युधिष्ठिर द्वारा जुये में हारी " द्रोपदी " *का चीरहरण |
पाँचवां पत्र प्यारी बिटिया, सुखी रहो, दीर्घायु पाओ. इस बार तुम्हारे दोनों पत्र मुझे एक साथ मिले और पढ़ कर... |
अब यह तुमने क्या कह डाला इश्वर को "कल्पित " कह डाला ? सोचो -रचा उसीने तुमको / क्यूँ भूले वह रचता सबको ? तुम अब रूप ही उस का रचते / |
मानव मन के उच्छ्वास को शब्दों में पिरो विचारों को साध कर अनुभव के हलाहल को पी अश्रु की स्याही से उकेर देता है ... |
अगर ग़लत बात को चंद संजीदा लोग मिलकर ग़लत कह दें तो ग़लत आदमी का हौसला टूट जायेगा. सच को सच कहना जितना ज़रूरी है उतना ही ज़रूरी है ग़लत को ग़लत कहना. |
13 अप्रेल को हम ख़ुशी के त्यौहार के रूप में मनाते हैं. इस दिन को लेकर हमारे देश में .... |
![]() भारत से वामपंथ को विदा करने की सही राह पश्चिम बंगाल की तेजतर्रार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पकड़ी है। ... |
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लिखा लकीरों का कभी मिटना नहीं, है वो पत्थर जो कभी पिघलना नहीं, क्या क्या खोना है और क्या पाना है, पत्थर कोई दर्द बनकर रह जाना है। |
कल देखा था मैंने उसे वहीँ उस कोने में बैठा था चुपचाप मुस्काया मुझे देख सोचा होगा उसने कुछ तो करुँगी ... |
दिल में मगर लब सी लिए मैंने, अगर सुन लो तो आज एक बात मेरे दिल में आई है मुहब्बत दुश्मनी में कारगर है रश्क का जज़्बा, अजब रूसवाइयाँ हैं... |
वे शोख़, मासूम और फूल-सी दिखती हैं, लेकिन पर्दे पर उनकी परिपक्वता हैरान कर देती है। वे जितनी बिंदास और अल्हड़ हैं, अ भिनय को लेकर उतनी ही संजीदा भी हैं... |
सुनीता शानू ji kahti hain : *मेरी एक दोस्त ने एक पोस्ट डाल दी और उस पर मेरी जरा सी टिप्पणी ने ऎसा असर किया कि लोग गुप्त रूप से मुझे अश्लील मेल का लिंक भेज... |
आज के लिए केवल इतना ही- शेष भाग कल पढ़िए! |
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ReplyDeleteशनिवार का चर्चाकार
फुर्सत से लाया है आज
नया कुछ चर्चामंच बनाके
चर्चाकारों का दिया है परिचय
पन्ने सजा सजा के
गाफिल अतुल रविकर दिलबाग
रुपचंद्र जी के मिलकर साथ
छलनी लेकर अपने हाथ
थोथा उड़ा रहे दिन रात
सार सार निखार निखार
रोज दे रहे हमको बांट
अश्लील लिंक या नंगापन
करने पर खाओगे तुम डाँठ
धन्यबाद देता है उल्लू
हाथ जोड़ के उनको आज
पुन : एक बार दिया है मौका
उल्लूक चिन्तन को फिर छांट।
सुन्दर बेहतरीन चर्चा आभार
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा |चर्चा मंच प्रस्तुत कर्ताओं से परिचय के लिए आभार |
ReplyDeleteआशा
आज की चर्चा -
ReplyDeleteचर्चाकारों की कुंडलियों समेत |
शानदार प्रयास |
आभार गुरुदेव ||
चर्चामंच पर चर्चाएं बहुत सुन्दर ... जाने क्यों चर्चांमंच की पोस्ट मेरे डेसबोर्ड पर नहीं मिली ...
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा ,
ReplyDeleteक्या चर्चामंच सजाया है शास्त्री जी! आपने बहुत ख़ूब...बहुत-बहुत आभार चर्चाकारों के परिचय के साथ ताज़ा पोस्ट का लिंक देने के लिए
ReplyDeleteहमारी पोस्ट का शीर्षक आपने आज की चर्चा का शीर्षक बनाया,
ReplyDeleteशुक्रिया !
आशा है कि ब्लॉगर्स का ध्यान इस जाएगा और उत्पीड़न करने की भावना कमज़ोर पड़ेगी।
नए अंदाज़ में आज का चर्चा-मंच बहुत ही सुन्दर सजा रखा है आपने डॉक्टर साहब। बहुत-बहुत आभार।
ReplyDeleteआज के चर्चा मंच की सजावट लाजवाब है।
ReplyDeleteमंचपर बैठे हुवे हैं सभी चर्चाकार भी आज हैं ।
sundar charcha,
ReplyDeletemeri post ko charcha manch par laane ke liye aapka aabhar
मंच के चर्चाकारों के परिचय के साथ आपने बहुत सुन्दर रचनाओं को आज के मंच पर स्थान दिया है.
ReplyDeleteहर रचना में नयापन सा लगता है,आपको इस प्रस्तुति के लिए साधुवाद.
आज का चर्चामंच बहुत सुन्दर लिंक्स लिए हुए है!...बहुत सुचारू ढंग से की गई प्रस्तुति!...मेरी पोस्ट आपने शामिल की...बहुत अच्छा लग रहा है...आभार!
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
Charchamanch ki charchakaron se links sahit parichay bahut achha laga..
ReplyDeletebadiya links ke sath sundar charcha prastuti hetu aabhar!
मेरी रचना को चर्चामंच पे जगह दी इस के लिए दिल से आभार
ReplyDeleteइस चर्चा मंच में मुझे शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अंकल!... आप सबका आशीर्वाद और प्रोत्साहन हमेशा मेरा हौसला बढ़ाते हैं..
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा
ReplyDeleteआभार
चर्चा मंच अच्छा लगा पूरी टीम के विचार
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान दिया बहुत२ आभार....
अच्छी प्रस्तुति .....
धन्यवाद शास्त्री जी आपने सही बात को पेश किया है। आभारी हूँ आपकी।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया विस्तृत चर्चा..........
ReplyDeleteसारी टीम को फिर से जानना भला लगा....
सादर.