फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, अप्रैल 14, 2012

"अश्लील मेल का लिंक, नंगेपन का प्रचार " (चर्चा मंच-849)

मित्रों!
कितनी जल्दी शनिवार आ गया।
मैंने भी एक सप्ताह की अवधि में
आनन-फानन में अपने काम निपटा लिए
और आ गया चर्चा मंच की
शनिवार की पोस्ट सजाने के लिए!
आज मैं सबसे पहले आपको चर्चा मंच की
टीम से मिलवाने जा रहा हूँ!
हमारे चर्चा मंच के सोमवार के साथी-
My Photo
इनके ब्लॉग हैं-
हमारे चर्चा मंच के मंगलवार के साथी-
My Photo
इनके ब्लॉग हैं-
हमारे चर्चा मंच के बुधवार-शुक्रवार के साथी-
My Photo
इनके ब्लॉग हैं-
हमारे चर्चा मंच के बृहस्पतिवार के साथी-
My Photo
इनके ब्लॉग हैं-
और मुझ पर जिम्मेदारी है-
शनिवार और रविवार की!
मेरी अद्यतन पोस्ट है-
चल पड़े हैं हम सफर में, कैमरा ले हाथ में।
कैद करने को नजारे, हमसफर है साथ में।।
अब चलते हैं कुछ और लिंकों की ओर-
*सोचने,सोचने में ही कहीं...समय न निकल जाए!
कहते है कि...हर काम सोच-समझ कर ही करना चाहिए...
छुट्टी लो बैंक हो आओ
बचे हुवे काम निपटाओ
छोटे बैंक में जा के आओ
कोई डिपोसिट मत दे आओ
चाय पियो मिठाई भी खाओ
आते समय कैलेण्डर ले जाओ ...
पथराई आँखों में सपने फिर से आयेंगे
फिर मौसम के फूल झरेंगे पंछी गायेंगे
कभी कभी सपनों को पंख लगाना पड़ता है
नए नए बिरवे को तो सहलाना पड़ता है..
एक जंग लगा पिंजरा,
घर की चौखट से थोड़ी दूर
झोपडी की छत से जुडी कड़ी में लटका हुआ है...
एक तोता है उसमे शायद,
लेकिन उसका रंग बड़ा अजीब...
मेरी आँसुओं की कीमत तुम न चुका सकोगी,
मेरे दिल से दूर रहकर तुम भी जी न सकोगी!
तो फ्रेंड्स कैसी लगी मेरी वैष्णों देवी की यात्रा ?....
लेकिन एक मिनट रुकिए...
मेरी पहाड़ी यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है...
शब्द कागज़ कलम ही काफी नहीं होता
भावों के बीजों का होना भी तो जरूरी है
विचारों भावों का हो जाये लोप शब्द भी हो जाएँ
अलोप निर्मिमेष दृष्टि....
चीरहरण की जब भी बात चलती है तो
हमारे सामने *" महापुराण महाभारत " *का
वो प्रसंग याद आता है
जब युधिष्ठिर द्वारा जुये में हारी
" द्रोपदी " *का चीरहरण
पाँचवां पत्र प्यारी बिटिया, सुखी रहो,
दीर्घायु पाओ. इस बार तुम्हारे दोनों पत्र
मुझे एक साथ मिले और पढ़ कर...
अब यह तुमने क्या कह डाला
इश्वर को "कल्पित " कह डाला ?
सोचो -रचा उसीने तुमको /
क्यूँ भूले वह रचता सबको ?
तुम अब रूप ही उस का रचते /
मानव मन के उच्छ्वास को
शब्दों में पिरो
विचारों को साध कर
अनुभव के हलाहल को पी
अश्रु की स्याही से उकेर देता है ...
अगर ग़लत बात को चंद संजीदा लोग मिलकर ग़लत कह दें
तो ग़लत आदमी का हौसला टूट जायेगा.
सच को सच कहना जितना ज़रूरी है
उतना ही ज़रूरी है ग़लत को ग़लत कहना.
13 अप्रेल को हम ख़ुशी के त्यौहार के रूप में मनाते हैं.
इस दिन को लेकर हमारे देश में ....
भारत से वामपंथ को विदा करने की
सही राह पश्चिम बंगाल की तेजतर्रार मुख्यमंत्री
ममता बनर्जी ने पकड़ी है। ...
लिखा लकीरों का कभी मिटना नहीं,
है वो पत्थर जो कभी पिघलना नहीं,
क्या क्या खोना है और क्या पाना है,
पत्थर कोई दर्द बनकर रह जाना है।
कल देखा था मैंने उसे वहीँ
उस कोने में बैठा था चुपचाप
मुस्काया मुझे देख
सोचा होगा उसने कुछ तो करुँगी ...
दिल में मगर लब सी लिए मैंने,
अगर सुन लो तो आज एक बात मेरे दिल में आई है
मुहब्बत दुश्मनी में कारगर है रश्क का जज़्बा,
अजब रूसवाइयाँ हैं...
वे शोख़, मासूम और फूल-सी दिखती हैं,
लेकिन पर्दे पर उनकी परिपक्वता हैरान कर देती है।
वे जितनी बिंदास और अल्हड़ हैं, अ
भिनय को लेकर उतनी ही संजीदा भी हैं...
सुनीता शानू ji kahti hain :
*मेरी एक दोस्त ने एक पोस्ट डाल दी
और उस पर मेरी जरा सी टिप्पणी ने ऎसा असर किया कि
लोग गुप्त रूप से मुझे अश्लील मेल का लिंक भेज...
आज के लिए केवल इतना ही-
शेष भाग कल पढ़िए!

22 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  2. <<<<<<<0>>>>>>>
    शनिवार का चर्चाकार
    फुर्सत से लाया है आज
    नया कुछ चर्चामंच बनाके
    चर्चाकारों का दिया है परिचय
    पन्ने सजा सजा के

    गाफिल अतुल रविकर दिलबाग
    रुपचंद्र जी के मिलकर साथ
    छलनी लेकर अपने हाथ
    थोथा उड़ा रहे दिन रात

    सार सार निखार निखार
    रोज दे रहे हमको बांट
    अश्लील लिंक या नंगापन
    करने पर खाओगे तुम डाँठ

    धन्यबाद देता है उल्लू
    हाथ जोड़ के उनको आज
    पुन : एक बार दिया है मौका
    उल्लूक चिन्तन को फिर छांट।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर चर्चा |चर्चा मंच प्रस्तुत कर्ताओं से परिचय के लिए आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  4. आज की चर्चा -
    चर्चाकारों की कुंडलियों समेत |
    शानदार प्रयास |
    आभार गुरुदेव ||

    जवाब देंहटाएं
  5. चर्चामंच पर चर्चाएं बहुत सुन्दर ... जाने क्यों चर्चांमंच की पोस्ट मेरे डेसबोर्ड पर नहीं मिली ...

    जवाब देंहटाएं
  6. क्या चर्चामंच सजाया है शास्त्री जी! आपने बहुत ख़ूब...बहुत-बहुत आभार चर्चाकारों के परिचय के साथ ताज़ा पोस्ट का लिंक देने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  7. हमारी पोस्ट का शीर्षक आपने आज की चर्चा का शीर्षक बनाया,
    शुक्रिया !

    आशा है कि ब्लॉगर्स का ध्यान इस जाएगा और उत्पीड़न करने की भावना कमज़ोर पड़ेगी।

    जवाब देंहटाएं
  8. नए अंदाज़ में आज का चर्चा-मंच बहुत ही सुन्दर सजा रखा है आपने डॉक्टर साहब। बहुत-बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  9. आज के चर्चा मंच की सजावट लाजवाब है।
    मंचपर बैठे हुवे हैं सभी चर्चाकार भी आज हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  10. मंच के चर्चाकारों के परिचय के साथ आपने बहुत सुन्दर रचनाओं को आज के मंच पर स्थान दिया है.
    हर रचना में नयापन सा लगता है,आपको इस प्रस्तुति के लिए साधुवाद.

    जवाब देंहटाएं
  11. आज का चर्चामंच बहुत सुन्दर लिंक्स लिए हुए है!...बहुत सुचारू ढंग से की गई प्रस्तुति!...मेरी पोस्ट आपने शामिल की...बहुत अच्छा लग रहा है...आभार!

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत बेहतरीन....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  13. Charchamanch ki charchakaron se links sahit parichay bahut achha laga..
    badiya links ke sath sundar charcha prastuti hetu aabhar!

    जवाब देंहटाएं
  14. मेरी रचना को चर्चामंच पे जगह दी इस के लिए दिल से आभार

    जवाब देंहटाएं
  15. इस चर्चा मंच में मुझे शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अंकल!... आप सबका आशीर्वाद और प्रोत्साहन हमेशा मेरा हौसला बढ़ाते हैं..

    जवाब देंहटाएं
  16. चर्चा मंच अच्छा लगा पूरी टीम के विचार
    मेरी रचना को स्थान दिया बहुत२ आभार....

    अच्छी प्रस्तुति .....

    जवाब देंहटाएं
  17. धन्यवाद शास्त्री जी आपने सही बात को पेश किया है। आभारी हूँ आपकी।

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत बढ़िया विस्तृत चर्चा..........
    सारी टीम को फिर से जानना भला लगा....

    सादर.

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।