लिंक नं. 1-
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कविता की कश्ती दरिया में
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बचा लो धरती, मेरे राम! : रविकर की रसीली जलेबियाँ
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कोणार्क सम्पूर्ण चिकित्सा तंत्र -- भाग तीन
डॉ. दाराल और शेखर जी के बीच का संवाद बड़ा ही रोचक बन पड़ा है, अतः मुझे यही उचित लगा कि इस संवाद श्रंखला को भाग --तीन के रूप में " ज्यों की त्यों धरी दीन्हीं चदरिया " वाले अंदाज़ में प्रस्तुत कर दू जिससे अन्य गुणी जन भी लाभान्वित हो सकेंगे|
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"नदी के रेत पर" -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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हैं सबसे मधुर वो गीत, जिन्हें हम दर्द के सुर में गाते हैं!
जब हद्द से गुज़र जाती है खुशी, आँसू भी छलकते आते हैं!!
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कटघरी, कोटमी सुनार और बड़े बखरी अकलतरा -ब्लॉ. ललित शर्मा
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जय हिन्द, वन्दे मातरम् -राजेश कुमारी
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आज के लिए इतना ही, फिर मिलने तक नमस्कार!
सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआभार!
आभार गाफिल जी |
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा ||
दिन भर के लिए पढ़ने को काफी कुछ मिल गया आज की चर्चा में।
जवाब देंहटाएंआभार...!
अच्छे लिनक्स. अभी तो केवल देखा भर है एक नजर. बिना देखे शांति नहीं मिलती. अब तो लगत है जीने के लिए ऊर्जा यहीं से मिलती है, बाद में आराम से बैठ कर पडूंगा चाय के साथ. मेरी रचना को सम्मिलित करने हेतु आभार. चिंतकों समीक्षकों को प्यार भरा नमस्कार.
जवाब देंहटाएंबहुआयामी लिंक्स से सजा है आज का चर्चा मंच |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
चर्चा का यह अंदाज निराला है ..... बेहतर.....!
जवाब देंहटाएंमुजरिम का उन्नयन करा डाला
जवाब देंहटाएंशब्दों की जुगलबंदी का उजाला
रविकर की रसीली जलेबियों से
सुबह का नाश्ता करा डाला
गाफिल तूने गजब कर डाला
दिन भर का दे कर हमे
मिर्च मसालेदार चटपटा मसाला ।
बहुत कुछ सिखाती है गंगा
जवाब देंहटाएंसीखने वाला चाहिए.
ब्लॉगर्स मीट वीकली 40 में आपका स्वागत है.
अच्छे फ़ोटो अच्छी पोस्ट.
सामयिक प्रस्तुतियों से सजा सुंदर चर्चामंच।
जवाब देंहटाएंआभार, आपके प्रति।
सुन्दर मनभावन चर्चा ,विभिन्न आयामों को समेटे ....शुभकामनायें मिश्र जी ....
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्र।
जवाब देंहटाएंगाफिल जी
जवाब देंहटाएंआपके जो पोस्ट शामिल की है उनका अध्यन भी किया है?
जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी
में लेखक ने लिखा है की '' ''जाति के लोग “उर्मिला” कह कर संबोधित करते थे। आशय था भरत एवं उर्मिला का प्रसंग। लोगों का अपना अभिमत था कि उर्मिला भरत जी का घर के चौखट पर फूल और दिया लेकर चौदह वर्ष तक इंतजार करती रहीं लेकिन इन लोगों ने तो चौदह वर्ष से भी अधिक इंतजार किया।'' मैने लेखक को कल ही इस विषय में आगाह किया ,पर मूल पोस्ट में सुधार नहीं किया,वह टिप्पणियों के उत्तर में इसे स्वीकार करते मुझे पांडित्व बघारना बताते है,फिर मूल पस्त में सुधार क्यूँ नहीं ?इस पर . मनोज कुमार जी का कहना है '' एक भाई जी जगह-जगह जाकर आपकी दुष्प्रचार कर रहे हैं।'' सच कहना इतना बुरा है,फिर इन टिप्पणियों का क्या माईने है.
आखं मूद कर मै तारीफ तेरी हूँ करता
मेरी भी तारीफ यहाँ पर करना भ्राता
अल्मारी में सजाकर जो दीवान रखा है,
उसके हर सफे पर उनका ही नाम लिखा है!
कृपया इस शेर का अर्थ समझायेगे ,बहुत माथा पच्ची के बाद भी नहीं समझ सका
संक्षिप्त लेकिन सुन्दर सार्थक चर्चा .कोर्णाक सम्पुर्ण चिकित्सा तंत्र पर गुफ्त- गु को आगे बढाने का मौक़ा आपने दिया ,आभार .
जवाब देंहटाएंsarthak links ..badhai
जवाब देंहटाएंसुसज्जित एवं सुव्यवस्थित चर्चा ! आभार आपका !
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा.
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां चर्चा गाफिल जी!....आभार!
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा में शामिल होकर अच्छा लगा…………आभार गाफ़िल जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सजी रोचक चर्चा...
जवाब देंहटाएंbahut bahut hardi aabhar gafil ji meri rachna jai hind vandemataram ko charcha manch me shamil karne ke liye tahe dil se shukriya.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा मिली--------------धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवाह !!!!!! बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर लिंक्स,....आभार गाफिल जी
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सचित्र लिंक्स प्रस्तुति के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार
जवाब देंहटाएंविजय जी,,,आप अभी और माथापच्ची करे,शायद "ये दिल की बाते" आपके समझ में आ जाये,
जवाब देंहटाएंगाफ़िल साहब, बहुत मेहनत करते हैं आप मंच को सजाने में।
जवाब देंहटाएंgaafiljee aapke parishram ko salaam,har baar pahle se
जवाब देंहटाएंadhik rochak charcha
gaafiljee aapke parishram ko salaam,har baar pahle se
जवाब देंहटाएंadhik rochak charcha
आपक चर्चा मंच पर अपना पोस्ट एवं फोटो देख कर काफी खुशी होती है एवं मनोबल भी बढ़ता है । आपका यह प्रयास प्रशंसनीय है । धन्यवाद ।
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