(१)प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच -BHRAMAR KA DARD AUR DARPANरहता रविकर मस्त, गधे से दुनिया जलतीबेसुरम्नई-गलती गलत कभी भी ना करें, केवल दो इंसान । महा-आलसी का-हिली, बेवकूफ नादान । बेवकूफ नादान, समझ न पाता गलती । रहता रविकर मस्त, गधे से दुनिया जलती । महा-आलसी काम, करे ना खुद से कोई । फिर गलती बदनाम, कहाँ से क्यूँकर होई ।। |
(२)बालिका से वधूमाथे में सेंदूर पर छोटी दो बिंदी चम्-चम् से पपनी पर आंसू की बूँदें मोती सी शबनम सी लदी हुई कलियों से मादक टहनी एक नरम सी, यौवन की विनती सी भोली, गुमसुम खड़ी शरम सी. |
(४) आंद्रिया ने कहा- ‘‘पोर्नोग्राफी में औरतें, गर्भवती औरतें भी कई प्रकार की वस्तुओं को देह से चिपका कर कामुक प्रदर्शन करती हैं। ऐसा करते हुए वह मनुष्य ही नहीं रह जाती। कोई भी व्यक्ति ऐसी महिला की तस्वीर देख कर नहीं कह सकता कि वह मानव है, उसके अधिकार हैं, उसकी स्वाधीनता, उसका सम्मान है या वह कोई है भी। पोर्नोग्राफी में यही दुरावस्था औरतों की होती है। | (५) डॉ. अनवर जमाल एक समय था जब बच्चों के विवाह संबंधी लगभग सभी फैसले परिवार के बड़े और उनके माता-पिता अपनी सूझबूझ से ले लिया करते थे. बच्चों का विवाह किस उम्र में किया जाना चाहिए और उनके लिए कैसा जीवनसाथी उपयुक्त रहेगा आदि जैसे महत्वपूर्ण निर्णय परिवार वालों पर ही निर्भर होते थे. पढ़ाई और व्यक्तिगत इच्छाओं को ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती थी और ना ही वर-वधु के आयु को महत्व दिया जाता था. जिसके परिणामस्वरूप कम आयु में ही उन्हें विवाह और बच्चों की जिम्मेदारी निभानी पड़ती थी. लेकिन अब समय पूरी तरह बदल चुका है, क्योंकि |
(६) G.N.SHAW cha ---पलक्कड़ से बंगलुरु तक का एक्सप्रेस ट्रेन का किराया १०४ रुपये है , स्लीपर श्रेणी का १७९ तथा वातानुकूलित चेयरकार का ३९० रुपये है ! वही पलक्कड़ से बंगलुरु का बस का किराया ५०० रुपये है ! पैसेंजर गाडियों का किराया तो न के बराबर है ! रेलवे को इतने सस्ते में यात्रियों को क्यों ढोना चाहिए ? आखिर क्यों ? | (७) "हालात"कुसुम लोहानी *मैं हमेशा तो ऎसी न थी बहुत कौशिश की मैंने कि सब कुछ ठीक ठाक रहे घर फैले नहीं हर चीज अपनी जगह पर रहे पर यथास्थिति को कायम करने में असफल हो गई मैं मैने सारे घर को कबाड़खाना बना डाला कपड़े, बर्तन, किताबें खिलौने और अखबारों को फैला डाला अब तुम आओगे तो बैठोगे किस जगह कि कुछ भी तो ठीक नहीं ठहरोगे किस जगह अपने लिये जगह तुम्हें खुद बनानी होगी थोड़ी सी जहमत थोड़ी सी धूल भी हटानी होगी कि सजा सजा कर भी जिंदगी मुझसे नहीं सजती मैने बिखरे उलझे फैले हालातों को घर कर डाला मैने ये क्या कर डाला मैं हमेशा तो ऎसी न थी। * |
(८)जब उतरा मैं घट के भीतर राजेन्द्र स्वर्णकार |
(९)आँच-106 (कविता की भाषा-7)हरीश प्रकाश गुप्त पुलिस द्वारा भगाई गई लड़की बरामद। यह एक समाचार पत्र की हेड-लाइन है। यदि इस हेड-लाइन को यों लिखा जाता - भगाई गई लड़की पुलिस द्वारा बरामद, तो संदिग्धता समाप्त हो जाती। |
(१०)दोस्ती कविता वर्मा |
(११) Aकार्यरत इंजन की आवाजइंजन की यह साम्यता, जीवन की इंजील । कोलाहल अनुनाद की, सुनती देह अपील । सुनती देह अपील, तेज चलने की सोचे । घर्षण बाढ़े कील, ढील हो लगे खरोंचे । गति रहती सामान्य, बजे सरगम मन-रंजन । करते यही प्रवीण, सुनों जो कहता इंजन ।। Bकर्तव्य लौह के अरे !Bअधिकार काँच केनिगम लगे गमगीन से, हर्ष करे संघर्ष । हुआ विषादी जब दबंग, हो कैसे उत्कर्ष । हो कैसे उत्कर्ष, अरुण क्यूँ मारे चक्कर । मेघों का आतंक, तड़ित की जालिम टक्कर । टूट-फूट मन-कन्च, पञ्च तत्वों को झटका । सुख-शान्ति सौहार्द, ग़मों ने गप-गप गटका ।। Cविचार जो रिश्तेदारी निभाते हैं !बैसवारी baiswariकुविचारी के शब्द भी, बदल-बदल दें अर्थ । पूर्वाग्राही है अगर, समझाना है व्यर्थ । समझाना है व्यर्थ, बना सौदागर बेंचे । सुविधा-भोगी दुष्ट, स्वयं ना रेखा खैंचे । चोरी के ले शब्द, तोड़ मर्यादा सारी । द्वंदर अपरस गिद्ध, बड़ा भारी कुविचारी ।। Dप्रेम अभिव्यक्ति कराता कौन ? -सतीश सक्सेनामेरे गीत !उस सत्ता सर्वोच्च की, करते विनय सतीश । लौकिकता के भजन से, होते खुश जगदीश । होते खुश जगदीश , यहाँ जब मरा मरा से । पवन धरा जल चाँद, वृक्ष इस परम्परा से । करे मोक्ष को प्राप्त, हिले प्रभु-मर्जी पत्ता । अंतर-मन भी वास, करे वह ऊंची सत्ता ।। साला निर्मल न सुने, इन्दर का उपदेश । चले चार सौ बीस का, इस साले पर केस । इस साले पर केस , नामधारी सब माने । टूटेगा विश्वास, हुवे जो भक्त दिवाने । खंडित होते आस, बदल लेंगे वे पाला । पर पत्नी हड़काय , जेल काटे क्यूँ साला । Fयाद रखना चाहतें हैं देखे गए सपने को ?ram ram bhaiटपने की कोशिश कई, सपने में बेकार | बाधित करती रास्ता, हुई हार पर हार | हुई हार पर हार, राह में कांटे ठोकर | टूट हार का सूत्र, बोलती सजनी जोकर | छट-पट करती देह, भीग सपने में अपने | फोड़ी मटकी लात, मिला तब भी ना टपने || Gक्या केवल मानव ही धरना दे सकता है ?शिखा कौशिक at (विचारों का चबूतराधरना बोलो या कहो, करे अवज्ञा जीव । हो समर्थ की नीति जब, वंचित करे अतीव । वंचित करे अतीव, सांढ़ या जोंटी बाबू । खुद को देकर कष्ट, करे मालिक को काबू । गर्मी से हो तंग, आप ए सी में सोयें । सबसे वह अधिकार, बैठ के आँख भिगोये ।।H " झपट लपक ले पकड़ ""उल्लूक टाईम्स " पाँच साल से पैक है, इक नौ लखा मशीन । नई योजना ली बना, हो प्रोजेक्ट विहीन । हो प्रोजेक्ट विहीन, मिलेंगे पुन: करोड़ों । सात पुश्त के लिए, सम्पदा जम के जोड़ो । ड्राइवर माली धाय, खफा हैं चाल-ढाल से । पत्नी पुत्री-पुत्र, बिगड़ते पाँच साल से ।। I मन्त्र-शक्ति से था बसा, पहले त्रिपुर-स्थान । लटक गए त्रिशंकु भी, इंद्र रहे रिसियान । इंद्र रहे रिसियान, हुए क्रोधित त्रिपुरारी । मय दानव का मान, मिटाई कृतियाँ सारी । बसते नगर महान, आज फिर तंत्र-शक्ति से । पर पहले संसार, सधा था मन्त्र-शक्ति से ।। |
संतोष जी त्रिवेदी से प्राप्त लिंक (१२) आधा हम आधा न जाने कौनयह रात है आधी बात आधा मौन यह रात है आधा हम आधा न जाने कौन ! ---- |
संतोष जी त्रिवेदी से प्राप्त लिंक १३.गुलमोहरराजेश जी उत्साहीकी प्रस्तुति मुद्दतों बाद लौटी है कविता |
संतोष जी त्रिवेदी से प्राप्त लिंक |
(१५) बड़ा ही खूबसूरत... वो सरकार दीखता हैं...नजरो के शीशो के पार दीखता हैं.... बड़ा ही खूबसूरत... वो सरकार दीखता हैं... न गुफ्तगू ही रही.. न कोई पहचान का तजुर्बा... फिर भी मेरे फ़साने का... अहम किरदार दीखता हैं |
सास ने चहक चहक कर पूरे बिरादरी में कहा मैने बहु नहीं बेटी पायी है दहेज में संस्कार लायी है विवाह के तीन महिनो में ही बहु का संस्कार सामने आया उसने सास ससुर को वृध्दाश्रम भिजवाया ! |
सामान्यत: विश्वास या भरोसे पर ही हमारा जीवन चलता है। हमारे आसपास कई लोग होते हैं, जिन पर हम विश्वास करते हैं। इंसानों के साथ ही कई अन्य जीव भी हैं जिन पर हम विश्वास रखते हैं। आचार्य चाणक्य ने बताया है कि हमें किस-किस पर भरोसा नहीं करना चाहिए ताकि जीवन सुखमय बना रहे। आचार्य चाणक्य कहते हैं- नदीनां शस्त्रपाणीनां नखीनां श्रृंगीणां तथा। विश्वासो नैव कर्तव्य: स्त्रीषु राजकुलेषु च।। इस संस्कृत श्लोक का अर्थ यही है कि हमें नदियों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। शस्त्रधारियों पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। |
"देहरादून यात्रा-दस दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") (१८) बड़े पुत्र के सदन में, किया अल्प विश्राम। फिर दर्शन करने गया, नारायण के धाम।३। मिलता है सौभाग्य से, पंडित जी का साथ। सियासती वटवृक्ष से, हुई बहुत सी बात।४। |
उसकी नज़रों ने देख ली ज़मींदोज़ हो चुके उस हरे भरे आम के पेड़ की गति और इंसान को कोसती हुई वो कोयल उड़ गयी नये ठिकाने की तलाश में ! (काल्पनिक ) |
(२०)माया बाई का मुजरा-कब रूकेगा स्त्री का अपमान?शिखा कौशिक |
देखिए! आज हम उल्फ़त का असर देखेंगे।
इश्क़ के ज़ेरेक़दम हुस्न का सर देखेंगे।।
हैं अभी फ़ासले, नज़्दीकियां भी होंगी, तब!
तेरे आरिज़ पे भी अश्क़ों का ग़ुहर देखेंगे।
इश्क़ के ज़ेरेक़दम हुस्न का सर देखेंगे।।
हैं अभी फ़ासले, नज़्दीकियां भी होंगी, तब!
तेरे आरिज़ पे भी अश्क़ों का ग़ुहर देखेंगे।
(२२)
बैसाखी और सतुआनी - हाइगा में
ऋता शेखर मधु
दिलबाग विर्क जी, खीवरेन्द्र विर्क जी एवं रविरंजन जी के हाइकुओं पर आधारित हाइगा दिलबाग विर्क जी खीवरेन्द्र जी रवि रंजन जी सारे चित्र गूगल से साभार
आज कुछ विशेष दिख रही है चर्चा
जवाब देंहटाएंरविकर कर गया लगता है जम के खर्चा
गधे से अपने दुनिया को जला रहा है
उल्लू दिखा के किस को चिढ़ा रहा है
दीमक से खम्भे चटवाना शुरू कर
पंडित तिवारी के दर्शन भी करवा रहा है
शिखा का गुस्सा जायज नजर आ रहा है
पन्ना चर्चामंच का आज वाकई में इतरा रहा है।
!!!!!!
आभार है प्रभू
आपकी जयजयकार है प्रभू
सुंदर तरीके से सजाया गया है आज का चर्चामंच ।
जवाब देंहटाएंचर्चामंच में मेरे लेखन को जगह देकर आपने मेरा जो उत्साहवर्धन किया है उसके लिये मैं दिल से आपकी आभारी हूँ।
वाह!
जवाब देंहटाएंइस चहकती-महकती, रंग-बिरंगी चर्चा का जवाब नहीं।। इसीलिए तो चर्चा मंच नम्बर-1 है!
रंग बिरंगी लिंक्स से सजा है आज का मंच |
जवाब देंहटाएंआशा
शिखा का गुस्सा जायज नजर आ रहा है
जवाब देंहटाएंपन्ना चर्चामंच का आज वाकई में इतरा रहा है।
!!!!!!
http://blogkikhabren.blogspot.com/2012/04/bol-hindi-poetry.html
बहुत ही प्रभावी सूत्र
जवाब देंहटाएंविकिलिक्स:एक सैंडल के लिए मायावती लगवाती हैं विमान को चक्कर
जवाब देंहटाएं5 सितंबर 2011
दिल्ली। विकिलिक्स इन दिनों भारतीय राजनीति में हर रोज़ एक नया भूचाल लेकर आ रहा है। ताज़ा खुलासा उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के बारे में किया गया है। इस खुलासे में भारतीय अमेरिकी दूतावास के हवाले से मायावती को सीधे सीधे एक अंहकारी मुख्यमंत्री की दर्जा दिया गया है जिनपर प्रधानमंत्री बनने का धुन सवार है। इसके अलावा विकिलिक्स ने मायावती से संबंधित ऐसी दिलचस्प जानकारियों को साझा किया है जो आम तौर पर लोगों को पता नहीं चल पाता है।
विकीलीक्स के दस्तावेज़ के अनुसार भारत में अमरीकी दूतावास ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को 'अव्वल दर्जे की अति अहंकारी' बताया है जिन पर प्रधानमंत्री बनने की धुन सवार है। अमरीकी कूटनयिकों की ओर से भेजे गए इस दस्तावेज़ में मायावती के धन एकत्रित करने के तरीक़ों पर चर्चा की गई है और साथ ही उनके व्यवहार की भी।
मायावती से जुड़ी दिलचस्प जानकारियां -
शौक -
विकिलिक्स पर ये जानकारियां वर्ष 2007 से 2009 के बीच भेजे गए केबल संदेशों के आधार पर है। एक दिलचस्प खुलासे के अनुसार 23 अक्टूबर 2008 को भेजे गए एक केबल में कहा गया है कि "जब उन्हें सैंडिल की ज़रुरत थी तो उनका निजी विमान खाली मुंबई भेजा गया जिससे कि वह उनके पसंदीदा ब्रांड की सैंडिल ला सके।"
शक -
इतना ही नहीं मायावती को अपनी जान की इतनी परवाह रहती है कि वे कोई भी खाना सीधे नहीं खाती हैं। उन्होंने इसके लिए लोगों को नियुक्त कर रखा है जिससे कि उनका खाना वे लोग पहले चखें और तब मुख्यमंत्री इसे खाये। जिससे ये तय हो सके कि उनके खाने में ज़हर तो नहीं मिला है।
सनक-
मायावती की 'सनक उनकी झकपन और असुरक्षा की भावना को विशेषित करते एक केबल में कहा गया है कि "उन्होंने अपने निवास से अपने कार्यालय तक एक निजी सड़क का निर्माण करवाया है और जब भी उनके वाहनों का कारवाँ वहाँ से गुज़रता है, तुरंत इसकी सफ़ाई की जाती है।"
संदेश में जगह-जगह मूर्तियाँ लगवाने के लिए और नोटों की माला पहनने के लिए हुई मायावती की निंदा का भी ज़िक्र किया गया है।
गरूर-
इसमें खुलासा किया गया है कि मुख्यमंत्री अपने अफसरों के चूक को भी बर्दाश्त नहीं करती हैं। वे प्रोटोकॉल की एक मामूली ग़लती के लिए अपने एक मंत्री से अपने सामने उठक-बैठक लगवा चुकी हैं।
धनबल -
लीक हुए दस्तावेज़ों के अनुसार अमरीकी अधिकारियों को मायावती के धन बल के बारे में भी जानकारी थी। एक संदेश में कहा गया है कि मायावती हर साल अपना जन्मदिन मनाती हैं जिसमें उन्हें 'चापलूस पार्टी सदस्यों, नौकरशाहों और व्यावसायियों' की ओर से दसियों लाख रुपए मिलते हैं और अधिकारियों में उन्हें केक खिलाने के लिए होड़ मची रहती है।
इतना ही नहीं अमरीकी दूतावास के अधिकारियों ने वॉशिंगटन को भेजे गए अपने एक संदेश में लिखा है कि 'संस्थागत भ्रष्टाचार' की वजह से उत्तरप्रदेश के हर संसदीय क्षेत्र के उम्मीदवार को 2.50 लाख डॉलर (लगभग एक करोड़ रुपए) देने होते हैं।
यदि ऐसे नेताओं के विरुद्ध व्यंग बाण नहीं किये जायेंगे, तो ये तानाशाह बन जायेंगे।
ऎनोनिमस जी जिस तरह
जवाब देंहटाएंआप बता रहे हैं यहां
इस तरह लिखने पर
ऎतराज किसे होगा कहॉ
व्यंगबाण जरूर किये जाने चाहिये
थोड़ा भाषा और मर्यादा का ध्यान
क्या नहीं देना चाहिये?
चलिये आप ही बताइये?
़़़़़
केवल संयत, शालीन और विवादरहित टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी!
लेखन पर क्या ये लागू नहीं होना चाहिये?
चर्चा मंच-848
जवाब देंहटाएंएट फोर फिर एट है ,वन टू का ना फोर
चित्त चुराकर ले गये, फिर रविकर चितचोर
फिर रविकर चितचोर , हमारे फैजाबादी
लेकर बाइस लिंक , चर्चा खूब सजा दी
कुछ नियमों को तोड़, कुँडलिया करी सेट है
क्या करता जब अंक , एट फोर एट है.
यह चर्चा खुब सजा दी , द्विअर्थी है मित्र |
जवाब देंहटाएंकुछ को लागे अति भला, कुछ को लगे विचित्र |
कुछ को लगे विचित्र, मजा बहुतों को आया |
सहे सजा वे लोग, हृदय जिनके न भाया |
रविकर स्वागत करत, सभी जो यहाँ पधारे |
बहुत बहुत आभार, हमारे पाठक प्यारे ||
चर्चामंच पर चर्चा के लिए शुक्रिया। शुक्रिया आपका भी और भाई संतोष त्रिवेदी का भी।
जवाब देंहटाएंबैसाखी की छटा है आज मंच पर.
जवाब देंहटाएंबैसाखी की हार्दिक शुभकामनाएं !
वाह! जी वाह! बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंबैशाखी की शुभ कामनाएं!...बहुत सुन्दर है चर्चामंच!....
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी!...नमस्कार!...'उच्चारण' का पेज खुलने में प्रोब्लम आ रही है!...खोलने की कोशिश करने पर प्रोग्राम को 'एंड-अप' करने की सूचना आ जाती है!...कृपया मेरे ब्लॉग पर पधार कर बताएं!
सुंदर चर्चा...
जवाब देंहटाएंहाइगा शामिल करने के लिए आभार!
आपकी चर्चा का स्टाइल बड़ा अनूठा, अलग और मनोहारी होता है।
जवाब देंहटाएंकाफी अच्छे लिंक्स दिख रहे हैं.आभार.
जवाब देंहटाएंगुप्ता जी बहुत ही खुश नुमा लिनक्स ! काबिले तारीफ
जवाब देंहटाएंsunder charchao se saja charcha manch..abhar..http://kavita-verma.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंsarthak links .meri post ko sthan dene hetu aabhar .
जवाब देंहटाएंप्रिय रविकर जी प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच के लिए आप का स्नेह यूं ही बरसता रहे ये अवध का बेला यूं ही महकता रहे ..हमारे कवि महोदय मस्त मौला रविकर जी को बधाइयां
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स ....बहुत ही श्रम भरा कार्य
आभार
भ्रमर ५
चर्चा का नया अंदाज़ पसंद आया
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको .
धर्म और विज्ञान का करता जो उपहास ,
जवाब देंहटाएंचांदी कूटे रात दिन nirmal saadhu vesh .मीटर रविकर जी पूरा करेंगे .बढ़िया लिंक्स वाले रविकर जी .
पहली बार इस तरह की एक्सटेंडेड-चर्चा देखी है जिसमें चर्चाकार ने कई लिंक्स से सम्बंधित पूरी-पूरी कुण्डलियाँ बना दीं.शायद ही ब्लॉग-जगत में ऐसे प्रयोग और कोई करता हो !
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को स्थान और मुझे इत्ता सम्मान देने का आभार रविकर भाई. आपकी मेहनत को सलाम !
आप सभी का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंवीरू भाई की पंक्तियाँ --
यूँ पूरी हुई हैं --
शायद कुछ अर्थ निकल पाए--
धर्म और विज्ञान का, उड़ा रहा उपहास |
चांदी कूटे रात दिन, बन माया का दास |
बन माया का दास, धरे निर्मल- शुभ चोला |
अंतर लालच-पाप, ठगे वो रविकर भोला |
धरे ढोंग पाखण्ड, वेश भले इंसान का |
मिलना निश्चित दंड, बुरा अंत शैतान का ||
जो फुदके इधर उधर ,
जवाब देंहटाएंवो घोडा कहलाता है,
धोबी घाट से दरिया वाला ,
तो गदहा कहलाता है :D
सुन्दर चर्चा ..
ravikar ji -bahut sarthak links ko naye andaz me yahan sajaya hai .meri post ko sthan dene hetu hardik aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंलिंक्स देने का आपका अंदाज़ बहुत मस्त है सर!
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
सादर