300 ब्लॉगों के अनुसरण-कर्ता
का आकलन
बत्तिस प्रतिशत दर्द है, केवल दो उपचार ।
तीन फीसदी ब्लॉग पर, होती केवल मार ।
होती केवल मार, रूठना गाली-गुप्ता ।
केवल प्रतिशत एक, ब्लॉग पर पाठक हँसता ।
दर्शन धर्म अतीत, यात्रा नीति सिखाती ।
दो प्रतिशत ये ब्लॉग, साठ पर साढ़े-साती ।।
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अपनी कमली बना लो ना मुझे भी |
एक असामान्य प्रसव :जब मुरगी ने सीधे- सीधे चूजा पैदा किया |
घर के ज़रूरी लेकिन अरुचिकर रोजमर्रा के साधारण कामों में उलझे रहना अल्जाइमर्स से बचाए रह सकता है .खाना बनाना ,रसोई करना ,बर्तन भांडे साफ़ करना रसोई की साफ़ सफाई रखना उम्र दराज़ ८० साला और इससे भी ज्यादा उम्रदराज़ लोगों के लिए अल्जाइमर्स रोग के खतरे के वजन को कम कर सकता है एक नवीन अध्ययन ने यही दावा प्रस्तुत किया है . |
धूप मेरे हाथ से जब से फिसल गई
जिंदगी से रौशनी उस दिन निकल गई
लोग हैं मसरूफ अंदाजा नहीं रहा
चुटकले मस्ती ठिठोली फिर हजल गई
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दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंकखुद अपने आप से है बेखबर...हमलोग!
डा. अरुणा कपूर
जिम्मेदारी के तले, ऐसे गए दबाय ।
बेसुध की यह बेखुदी, कर ना पाई हाय ।
कर ना पाई हाय, गधे सा खटता रहता ।
उनको रहा सराह, उन्हीं की गाथा कहता ।
खुद को ले पहचान, होय खुद का आभारी ।
कर खुद की तारीफ़, उठा ले जिम्मेदारी ।।
आभार: Thank you :) |
बैठे बैठे... फल पाऊंगा .. अमां क्या कहती हो...
मैं ही बदल जाऊँगा... अमां क्या कहती हो ...
नए रंग ढल जाऊंगा.. अमां क्या कहती हो..... गोया एक तनहा ही तो नहीं मैं रंज-ओ-ग़म का मारा.... फिर मैं ही ऐसे मर जाऊंगा... अमां क्या कहती हो... आलोक मेहता... |
विमल चन्द्र पाण्डेय की कहानी | *आज प्रस्तुत है कवि-कथाकार विमल चन्द्र पाण्डेय की कहानी 'खून भरी मांग'. इन दिनों लमही के कहानी विशेषांक में प्रकाशित विमल की कहानी "उत्तर प्रदेश की खिड़की" अपने अनूठे शिल्प, कथ्य और काव्यात्मक भाषा के चलते चर्चा में है. भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित उनके कहानी-संग्रह 'डर' को ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार प्राप्त हो चुका है. * * *खून भरी मांग : विमल चन्द्र पाण्डेय * उनकी आंखों में जो मुझे दिखायी देता था वह फिर मुझे कभी और कहीं नहीं दिखा। उसकी परिभाषा देना मुश्किल है लेकिन उन्हें समझना कतई मुश्किल नहीं था। |
तेरी तस्वीर...
...कल उंगली से रेत पर
तेरी तस्वीर बनाई मैंने...
.....एक लहर आई
अपने साथ ले गई..
....फिर क्या था
हर तरफ, हर जगह
बस तुम ही तुम...
.....समंदर में तुम
उमस में तुम
बादलों में तुम
बारिश की बूंदों में तुम
हर फूटती कोंपल में तुम
ताज़ी हवाओं में तुम
साँसों में तुम..........
...आज तुम ही हो
जो मुझ को जिंदा रखे हो...
हर शै को जिंदा रखे हो...
ज़िन्दगी को जिंदा रखे हो...
...कल उंगली से रेत पर
तेरी तस्वीर क्या बना दी मैंने.
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जनकवि कोदूराम “दलित”
कपूत
दाई - ददा रहयँ तभो , मेंछा ला मुड़वायँ
लायँ पठौनी अउर उन , डउकी के बन जायँ
डउकी के बन जायँ , ददा - दाई नइ भावयँ
छोड़-छाँड़ के उन्हला, अलग पकावयँ-खावयँ
धरम - करम सब भूल जायँ भकला मन भाई
बनयँ ददा - दाई बर ये
कपूत दुखदाई.
गोरस काली गैया का अच्छा होता
है
पूजन काली मैया का अच्छा
होता है
काले की
खूबियाँ विशेष जानना
चाहो
तो ‘चाणक्य-चरित्र’ एक बार पढ़ जाओ |
फेरकर चल दिये मुँह, वह था बेख़ता यारों!
आईना अब भी देखता है रास्ता यारों!! नहीं ग़रज़ भी रही और भी है वक़्ते-फ़िराक़, हो तो क्यूँ कर के हो 'ग़ाफ़िल' से वास्ता यारों? |
"स्पॉण्डिलाइटिस" में बरतें सावधानी
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पेशे और देश से ग़ददारी है डाक्टर का विदेश भाग जाना |
कुछ ऐसा आज हुआ यारो
पग जहाँ उठे,रंग बरस उठें
कुछ ऐसा रंग चढ़ा मन पर , हम जहाँ उठे, सब झूम उठे कुछ मौसम ने अंगडाई ली, गुलमोहर ने रंग बरसाए !
कुछ यार हमारे आ बैठे , महफ़िल में सुर झंकार उठे !
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गंगा चित्र |
"होगा जहाँ मुनाफा उस ओर जा मिलेंगे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
इन्साफ की डगर पर, नेता नही चलेंगे।
होगा जहाँ मुनाफा, उस ओर जा मिलेंगे।।
दिल में घुसा हुआ है,
दल-दल दलों का जमघट।
संसद में फिल्म जैसा,
होता है खूब झंझट।
फिर रात-रात भर में, आपस में गुल खिलेंगे।
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जहां रहता हूँ मैं वहाँ कुछ ही वर्षों में कट गए हरे पेड़.
उग आये हैं अब नए - नए पेड़, बाग़, उपवन और बगीचे. सजीव लताओं के नहीं, पत्थरों कक्रित, मौरंग सीमेंट के. यहाँ हरियाली भी है क्योकि लोगों ने पुतवा रखीं हैं दीवारें. |
हनुमान लीला भाग-4मनसा वाचा कर्मणाहनुमान जी का चरित्र अति सुन्दर,निर्विवाद और शिक्षाप्रद है, उन्ही के चरित्र की प्रधानता श्रीरामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड में सर्वत्र हुई है. सुन्दरकाण्ड का पाठ अधिकतर मानस प्रेमी घर घर में करते-कराते हैं.परन्तु ,सुन्दरकाण्ड के मर्म का चिंतन न कर केवल उसका पाठ यांत्रिक रूप से कर लेने से हमें वास्तविक उपलब्धि नहीं हो पाती है जो कि होनी चाहिये. रामायण केवल कथा ही नहीं है.इसमें कर्म रुपी यमुना,भक्ति रुपी गंगा और तत्व दर्शन रुपी सरस्वती का अदभुत और अनुपम संगम विराजमान है. आईये इस् पोस्ट में भी हम हनुमान लीला का रसपान करने हेतु श्रीरामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड का तात्विक अन्वेषण करने का कुछ प्रयत्न करते हैं. |
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परम आदरणीय रविकर जी
प्रणाम !
चर्चामंच में मेरी ताज़ा प्रविष्टि सम्मिलित करने के लिए आभारी हूं …
आपके आशीर्वचन से मेरा परिवार धन्य हो गया …
सबकी ओर से आपको बहुत बहुत धन्यवाद !
चर्चामंच के विशिष्ट पाठकों को मेरी इस घरेलू प्रविष्टि पर आने का सस्नेह आमंत्रण है…
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
ख़ूब सजी-धजी चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंअब आया समझ में कुछ
जवाब देंहटाएंकल क्यों नजर नहीं आ रहे थे
कबिरा को बाजार में खड़ा कर
मुर्गी से सीधे चूजा निकलवा रहे थे
अच्छा काम करना हो तो
ध्यान तो लगाना ही पड़ता है
सुंदर बनी हो चीज तो
लोगों की नजर लगने से
भी तो बचाना पड़ता है
उल्लू इसीलिये जरूरी एक
सामने से लगाना ही पड़ता है
आभार !!
सुन्दर भावनामयी और बहुआयामी रचनाओं का सुगन्धित गुलदस्ता,समस्याओं से रोबरू और गुदगुदाने वाले बोल भी समीलित. भरपूर परिक चित्र देखकर संतोष हुआ की चलो आज भी यह परंपरा अभी अपनी शान से जीवन गुजार रही है. आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए. .
जवाब देंहटाएंरोचक और रंगभरी चर्चा..
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!!
जवाब देंहटाएंउपवन का माली रविकर जैसा हो तो सुन्दर पुष्प खिलने तो अवश्यम्भावी ही हैं। आपकी चहकती-महकती और सतरंगी चर्चा मन को बहुत लुभाती है।
जवाब देंहटाएंआभार....!
Hamesha ki tarah badhiya charcha...
जवाब देंहटाएंHamesha ki tarah badhiya charcha...
जवाब देंहटाएंहोती है श्रम-साधना , तभी निखरते रंग
जवाब देंहटाएंकर्म यदि निस्वार्थ हो,किस्मत देती संग
किस्मत देती संग ,साधना व्यर्थ न जाये
होता कभी विलम्ब, किंतु ये रंग दिखाये
श्रम-सीकर अनमोल ,यही हैं सच्चे मोती
वहीं निखरते रंग, जहँ श्रम-साधना होती.
बेहतरीन सतरंगी चर्चा,....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स का संयोजन किया है आपने ...आभार ।
जवाब देंहटाएंकुछ अलग से लिंक्स भी मिले ..आभार.
जवाब देंहटाएंआपने चुन चुन कर लिंक परोसे है रवि जी!...बहुत अच्छा लग रहा है!...सभी बहुत सुन्दर है!...मेरी प्रविष्टी आपको पसंद आ गई....धन्यवाद,आभार!
जवाब देंहटाएंसर्वश्रेष्ट का ही चयन किया गया है लिंकों में तकरीबन सभी पढ़ें हैं टिप्पणियो भी की हैं .बधाई .
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स आभार....!
जवाब देंहटाएंआभार रविकर भाई। आप कुछ भी करें,सुखद है।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत अछे लिनक्स ... कोशिश करुँगी सब पर हज़ारी लगाने की .. मेरी रचना अपनी चर्चा में शामिल करने के लिए शुक्रिया ...
जवाब देंहटाएंकई काम के लिंक मिले।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सार्थक चर्चा! बहुत-बहुत आभार रविकर भाई!!
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