रामनवमी की ढेर सारी शुभकामनाएँ!!!
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( राम नवमी के पावन अवसर पर
प्रभु श्री राम के चरणकमलों में सादर अर्पित। )
रविकुल तिलक, हे दीप्त भाल ,
मुख कमल नव, लोचन विशाल।1।
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मार्च महीने के अंतिम सप्ताह का शनिवार
मानव को जाग्रत करने का एक विचार ऋतु परिवर्तन के बारे में
जागरूकता बढ़ाने लोगों का ध्यान उनके कर्मों की ओर दिलाने ...
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कभी गले सकता मुझे कहता हैं,
कई रातों से मुझे नींद नहीं आती
फिर अचानक पूछ बैठा..
सपनों में क्यों आती हो!!
बोलती हूँ तो कहता हैं..
आवाज प्यारी लगती है...
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*हसरतें छूने लगी आकाश को
पत्थरों को गीत गाना आ गया है।
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क्या प्यार है माघ में चलने वाली पछुआ हवा
जो तन-मन को सिहरा दे
अपने वजूद के सिवा सब कुछ बिसरा दे...
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बस पुण्य कमा रहा हूँ माता की सेवा कर,
थोडा सा मातृऋण चुका रहा हूँ माँ,
जो बुढ़ापे के कारण,बीमार और मुरझाई है
उनके चेहरे पर संतुष्टि,मेरे...
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ज़रा सोचिये कैंसर रोग समूह पर
अद्यतन हुए काम की जानकारी माहिरों और आम जन के लिए
समान रूप से कितनी कारगर होगी...
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मोहन के बापू मियाँ, कहाँ हाथ से तंग ।।
मिले नसीहत नियमत:, हाव-भाव के संग।
नामा बाढ़े जेब से, बढे तिजोरी होय |
बढ़े तिजोरी से रकम, फॉरेन बैंक सँजोय
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जब युवा मित्र निश्चय कर चुके थे कि
नकल पूर्णतया न्यायसंगत और धर्मसंगत है तो
उन्हें पढ़ने के लिये उकसाने का
तथा कोई महत्वपूर्ण अध्याय पढ़ा देने का अर्थ होगा...
नकल की तैयारी ...
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( समाचारवाचिका सी ) संतुलित संवेदना भी जाहिर होती
तो सहनीय होती
उसकी बौखलाहट शब्द
वाया भावों की थोपी जिम्मेदारियों से
कटघरे में...मेक-ओवर -
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पूर्वी अफ्रिका का एक छोटा सा देश है यूगांडा।
नेपाल की ही तरह चारों तरफ़ से ज़मीनी चादर से घिरा हुआ....।
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कड़ुवा सच को पढ़कर ....
उस शहर में बीपी का मरीज नहीं होगा
जिस शहर में अखबार जाता नहीं होगा। ........
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चुभती-जलती गर्मियों के मौसम में
ठंडक का एहसास पाने के लिए जरूरी है
फलों और सब्जियों में पाए जाने वाले गुणी तत्वों
और उनके सही इस्तेमाल के तरीके का ज्ञान
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उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की बेटर हॉफ
यानी कि डिंपल यादव।
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पिछली बार कानपुर जाने के लिये गाड़ी में बैठे।
चित्रकूट एक्सप्रेस खुली आठ चालीस पर।
इधर गाड़ी खुली उधर शिखा वार्ष्णेय की किताब
“स्मृतियों में रूस”! शुरु...
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धरती के जन्मे को एक न एक दिन मृत्यु का वरण करना ही है-
इसलिए ही पृथ्वी को मृत्युलोक कहा गया है .
मगर मृत्यु चाहता कौन है?
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जन्म लिया फिर होश संभाला
कुछ आदर्श औ' मूल्य मेरे लिए अमूल्य थे
शायद प्रकृति ने भरे थे
जिया उनको पिया हलाहल
इस जगत के विषपायी शायद देख न पाए...
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यूँ तो मुझे सब लोग कहते हैं कि मैं बहुत सुस्त वकील हूँ।
पर मैं जानता हूँ कि जल्दबाजी का नतीजा अच्छा नहीं होता।
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रीढ़ की हड्डी की बीमारी , ज़िन्दगी की रीढ़ तोड़ देती है ।
मजबूरी , इम्तिहान , हौसला है ज़िन्दगी का नाम ...
जा तन लागे सो तन जाने ...
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खामोश
तन्हा
चल रहा है
जिन्दगी का सफर ।
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जिकर करण के लायक नहींऔर चुप रहया ना जावै....
हरयाणवी रागनी
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यह क्या मजाक है सुबह सुबह |
ReplyDelete"उच्चारण" को क्लिक करे,
वहां "मौन" आबाद |
"कुछ कहना है" खोलता,
बोले "आशीर्वाद" ||
रविकर जी देखिए तो जरा....
ReplyDeleteअरे यह क्या रहा है आज!
अपने ब्लॉग पर क्लिक करता हूँ तो
लालू का चेहरा खुल जाता है....
हाहाहाहाहाहाहा..........
सुप्रभात...! रामनवमी के साथ-साथ अन्तर्राष्टीय मूर्ख दिवस की बधाई भी स्वीकार करें।
आह! मेरे दिवस को आप भी मनाते हैं
ReplyDeleteवाह! बधाई लेकिन रविकर जी क्यों पाते हैं
चर्चा आज की वाकई लाजवाब है
छांट छांट के लाये गये सुरखाब हैं
पुन: आभार !
@ वाह! बधाई लेकिन रविकर जी क्यों पाते हैं
ReplyDeleteकल्लू कौआ अति-सुबह, कहे मुबारक मित्र ।
हंसी उडाता जा रहा, हरकत करे विचित्र ।
हरकत करे विचित्र, कहे दिन तेरा भोंदे ।
पा लल्लू का गिफ्ट, सुबह गू-गोबर खोदे ।
और शाम तक सात, बार बन बैठा उल्लू ।
फेस सेम-टू-सेम, दिखे खुद मुझ सा कल्लू ।।
kyaa kahane ...
ReplyDeletebahut sundar ...
ReplyDeleteबेहतरीन ब्लॉग चर्चा ।
ReplyDeleteआभार ।
सुंदर चर्चा
ReplyDeleteआभार
सुंदर चर्चा...आभार!!
ReplyDeleteखूबसूरत है अंदाज़े बयाँ आपका .बढ़िया लाज़वाब चर्चा आपकी .
ReplyDeleteबहुत, बहुत, बहुत...सुन्दर!..क्या बात है!..सभी पोस्ट अवर्णनीय है!...मूर्ख दिवस के सुवर्ण अवसर पर सभी बुद्धिमानों को (सिर्फ एक को छोड़ का...वह मै हूँ!)बहुत बहुत बधाई!
ReplyDelete...आपने मेरा पोस्ट शामिल किया....बहुत बहुत धन्यवाद!
Hkesha ki tarah badhiya charcha...ram navami ki shubhakamanaye ...
ReplyDeletebest
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति है -सभी लिंक्स पढ़े ,मज़ा आज्ञा .
ReplyDeleteबेहतरीन ब्लॉग चर्चा ।
ReplyDeleteआभार ।
मूर्ख दिवस का सही अंदाजा लगाया था मैंने..आपका आभार सुन्दर चर्चा के लिए..
ReplyDeleteआज की चर्चा भिन्न भिन्न प्रकृति की पोस्ट को समेटे हुए है। बहुत खूब !
ReplyDeleteआभार कविवर।
ReplyDeletecharcha men shamil karne ke liye bahut bahut dhanyavad !
ReplyDeleteramnavami kee hardik shubhakamanayen.
शास्त्री जी मेहनत भरा काम ...बधाई ...बहुत सुन्दर लिंक्स ...स्वाभिमान मर जाता है जब हम बड़े होते हैं-मेरी रचना को आप ने शामिल किया बड़ी ख़ुशी हुयी -जय श्री राधे भ्रमर५
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