मित्रों!
आपसे वादा किया था कि रविवार को कुछ नये लिंकों के साथ चर्चा मंच सजाऊँगा। प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ लिंक!
बैशाखी के दिन उर्दू ग़ज़लों के माहिर सुरेन्द्र 'मुल्हिद' जी के घर उनकी बिटिया 'सिफत' ने जन्म लिया है-'सिफत' को शुभाशीष के साथ-साथ,यह रचना भी उपहार में दे रहा हूँ!
दीवार
शब्द वही
बस स्वरूप में
उसके अर्थ बदल जाते हें।
दीवार जब
बन जाती है
किसी छत का सहारा ,
तो
कितनी जिन्दगी उसके नीचे पलती हैं....!
शब्द वही
बस स्वरूप में
उसके अर्थ बदल जाते हें।
दीवार जब
बन जाती है
किसी छत का सहारा ,
तो
कितनी जिन्दगी उसके नीचे पलती हैं....!
पहला सत्य मेरा अज्ञान है इसीलिये खोजी हूँ मैं, सभी को देखती हूँ मैं, सभी को सुनती हूँ मैं, अभी तो खोजी हूँ मैं, तर्क करने की सीमा तक ,अभी नहीं पहुँची हूँ मैं.....! ये तो अपना परिचय आप हैं………"क्षितिज़ा " एक आगाज़ - अंजू चौधरी का प्रथम काव्य संग्रह "क्षितिजा " अंजू चौधरी जी किसी परिचय की मोहताज़ नहीं हैं उनका परिचय मैं क्या करवाऊं बस उनकी उड़ान को नमन करती हूँ....!
तीन दशक और वह, जो शेष है! “वह, जो शेष है!” श्री राजेश उत्साही की कविताओं का प्रथम संकलन है. ज्योतिपर्ब प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का विमोचन अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला – २०१२ में प्रगति मैदान, नई दिल्ली में हुआ. इस कविता-संग्रह में कुल ४८ कवितायें हैं, जो इन्होंने तीन दशक से भी अधिक के कालखंड में रची हैं....!
ऊंट का माँस: लाभकारी एवं स्वास्थ्य वर्धक - माँस प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर है, कुछ दिन पहले ही मै बीकानेर विसिट पे गया था, वहाँ एक बहुत बड़ा कैमल ब्रीडिंग फार्म है, जहाँ ऊँटो कि देख रेख , और उसका...! ब्लॉगिंग का विषय पढ़कर मज़ा आ जाए तो बस आप बन गए बड़ा ब्लॉगर...! सियानी गोठ छत्तीसगढ़ के जनकवि स्व.कोदूराम”दलित” के जीवन काल में प्रकाशित पुस्तक “सियानी गोठ” में छिहत्तर कुण्डलिया संग्रहित ...श्रीमती सपना निगम (हिंदी )-! हम भी चुप थे वो भी चुप थे सब गाफिल थे अपने में , दिल के ज़ख्मों के मरहम को इक जुमला ही काफी था ! किसने किसको कितना चाहा नाप तोल कर क्या होगा....दर्दे ज़हर ! एक जानकारी और भी है-खून की जांच से पता चल सकेगा स्तन कैंसर का ...! सौगात कुशलता की - गीली मिट्टी घूमता चाक आकार देते सुघड हाथ आकृतियाँ जन्म लेतीं हरबार नया आभास देतीं संकेत होता वही हाथों की कुशलता का मनोंभावों की पूर्णता का...! विधि की व्यवस्था - नास्तिकों का एक बड़ा तर्क है, यदि ईश्वर है तो यह अन्याय और अव्यवस्था क्यों? यदि वह ईश है और दयालु है तो किसी को कोई दुख होना ही नहीं चाहिये.....! जाएँ तो जाएँ कहाँ - आजकल एक भ्रष्ट और ठग ने जो खुद को बाबा कहता है, ने दिमाग खराब कर रखा है, लोगो को ठगना ही इसका परम धर्म है, परन्तु लोग हैं कि अंधानुगमन जारी है...! फ़ुरसत में ... इतनी जल्दी नहीं मरूंगा ...! आज *फ़ुरसत में* हूं। पिछले सप्ताह दिल्ली गया था। अरुण चंद्र राय से राधारमण जी के दफ़्तर में ...! दिल की बात ...सिर्फ आप के लिए ...!!! - *माना कि आप जैसा समझदार नही हूँ मैं * *यह भी सच है'अनपढ़' हूँ,होनहार नहीं हूँ मैं * *करनी और कथनी से हमेशा कतराया हूँ मैं * *इस लिए हर तरफ से ठोकर खाया हूँ...! क्या बनेँ -पलायनवादी या आशावादी - जीवन मेँ कई उतार-चढ़ाव आते रहते हैँ। कभी सुखद और अनूकूल परिस्थितियाँ रहती हैँ तो कभी दुःखद और प्रतिकूल। असल मेँ यह उतार-चढ़ाव ही जीवन को रसमय बनाते हैँ...! बदलते रिश्ते - हमराही बन चलते -चलते रिश्ते बदल जाते हैं जाने कब अज़ीज़ भी अजनबी बन जाते हैं.....! रचना शीर्षकों का ध्वन्यार्थ - मै हूँ ऐसा दीप जो सतत स्नेह में जलता रहा. लेकिन मेरी पहचान इस रूप में नहीं हो सकी. सोचा चलो दीवाली अबकी कुछ यूँ मनाते हैं.....! बच्चों को नहीं यहाँ प्रौढ़ों को यौन शिक्षा की जरुरत है! -बच्चों को यौन शिक्षा का अर्थ क्या है? यह अनिवार्य क्यों होना चाहिए? और जिन बच्चों को यौन शिक्षा नहीं दी गयी मतलब आज और कल तक की पूर्ववत प्रौढ़ पीढी, तो ...! *कुछ मिले काँटे मगर उपवन मिला,* *क्या यही कम है कि यह जीवन मिला|* * * *घोर रातें अश्रु बन कर बह गईं,* *स्वप्न की अट्टालिकायें ढह गईं,....! अश्क भी रहन होगा.................. - रक्षकों के हाथों में , किसी का वसन होगा अब तो पैदा होते ही , सर पे कफन होगा. यूँ न गजरे के लिये , तोड़िये कच्ची कली कल तुम्हारे जूड़े में....! हाय-तौबा ... - विशेष टीप :- विगत दिनों एक "बोल्ड कविता" पर खूब हाय-तौबा पढ़ने को मिली ... पता नहीं वह "बोल्ड कविता" है भी या डिलीट कर दी गई ... किन्तु कुछेक बुद्धिजीवियों...! सब्जी-फ़लों के रोग निवारक गुण -*गाजर के गुण:* गाजर मे प्रचुर मात्रा में विटामिन ए होता है। यह विटामिन बीटा केरोटीन के रूप में मौजूद रहता है...! दान देना कितना घातक हो सकता है --जानिए अपने ग्रहों से - *तमाम तथा कथित महात्माओ ,पुजारियों,पुरोहितों से आप आए दिन ये प्रवचन सुनते रहते हैं कि खूब दान करो-दान करना पुण्य कार्य है। लेकिन मै आपको सख्त चेतावनी देना...! निर्मल बाबा की ..................? कृपा - लगभग हर टी वी चैनल पर जब निर्मल बाबा की तीसरी आँख बतौर विज्ञापन दिखाई जाती रही और कमाई होती रही तब तक कोई आलोचना नहीं हुई .और जब लगा कि बिना विज्ञापन के....! तुम ही तुम हो - *यूँ ही नहीं आते हैं जलजले * *धुरी से जमीं अक्सर खिसकी ही मिले * *परेशान है दुनिया सारी * *जाने किस दौड़ में शामिल सी ये लगे....! बाज की अंतिम उड़ान- तितलियां उड़ रही थीं, पूरी रात चली आंधी और असमय बारिश से ठंडी हुई जमीन पर, घासें अपनी धुन में मगन थीं, उनसे सिर्फ दो फुट ऊपर पीली सफेद तितलियां, खेलती हुई नाचती हुई सी उड़ रही थीं...! सावधान इंटरनेट पर सीआईए आपकी जासूसी कर रहा है...! शब्द-बोध, दिशा-बोध- कविता के भीतर कुछ शब्द लगातार कांपते रहते हैं. वे पत्तों की तरह होते हैं. हवा का चलना बताते हैं. दिशा-बोध कराते हैं. कांपते हुए शब्दों का दायित्व है कि वे दूसरे शब्दों को जगाए रखें, जिलाए रखें....! विधायक जी- वे एक बार फिर से विधायक चुन दिए गए हैं. शहर से निकलने वाले अखबार के पेज चार पर छपे हर विज्ञापन में उनकी तस्वीर है. तस्वीर के दोनों तरफ दो और तस्वीरें हैं. इन तीन तस्वीरों के नीचे कुछ और तस्वीरें. जिस तरह से उनकी तस्वीर को बाकी तस्वीरों ने घेर लिया है उसे देखकर लग रहा है कि उनकी तस्वीर कोई तस्वीर नहीं बल्कि गठबंधन वाली कोई सरकार...! निखालिस बचत - सुनिये जी कमप्यूटर कालेज से लाये आप को जमाना हो गया बदल के दूसरा ला दीजिये अब ये पुराना हो गया फ्रिज भी लाये दस साल से ज्यादा हो गये...! उपन्यास का बारहवा पन्ना! - *हसमुख और कोकिला..बिना मंगनी, पट व्याह!* *उपन्यास की कहानी तेज गती से आगे सरकती जा रही है....हसमुख ने मदनसींग को पैसों की ताकत से पछाड़ दिया..! डायरेक्ट गरीबों की सेवा - आज सुबह मैने प्रेस काम्पलेक्स के पास 3 छोटे बच्चों को देखा जिनमें से दो बच्चे नंगे पैर थे जो गंदगी के ढेर से चिलचिलाती धूप में सीमेन्टेड रोड पर पन्नियाँ ...! समस्या का समाधान - एक दिन, एक अदद बच्चों के , एक मात्र एकलौते पिता ने एक गंभीर मसले की गुत्थी सुलझाने के लिए मुझे घर पर बुलाया घर पहुँचते ही नमस्ते के स्वरों से मेरा....! तुम बदली पर प्यार न बदला - तुम बदली पर प्यार न बदला घटाओं से बाल काले आज श्वेताम्बर हुए है गाल चिकने गुलाबी पर झुर्रियां,सल पड़ गए है हिरणी से नयन तुम्हारे....! छलक-छलक आते है ये आँसू..... बिन बादल बरस जाते है ये आँसू....! वह कसाब अब कृष्ण, बाप दो-दो जो पाया - -खाया छप्पन जान खुद, मेहमान शैतान । सत्ता हिन्दुस्तान की, लगती पाक समान । लगती पाक समान, जनक इक इसे जन्मता । पालनकर्ता जनक, दिखाता बड़ी नम्रता....! सपने - दिलबाग विर्क की कविताएँ ...! क्षितिज के पार! - हम करते हैं मानवीयकरण प्रकृति का और कहलवाते हैं किसी पंछी या फिर कल-कल बहती नदिया से अपनी वेदना... अपनी संवेदना क्या कभी सोचा है हमने? चाह होनी चाहिए राह तो खुद-बखुद सामने आ जाती है.. और अन्त में ये कार्टून भी देखिए-
आज के लिए बस इतना ही!
अगले शनिवार-रविवार को फिर मिलूँगा,
अपनी पसंद के कुछ लिंकों के साथ!
कई लिंक्स से सजी चर्चा |
जवाब देंहटाएंउंदा कार्टून्स |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
Nice post.
जवाब देंहटाएं"यौन शिक्षा देता है बड़ा ब्लॉगर":
http://tobeabigblogger.blogspot.com/2012/04/blog-post.html
प्रभावी चर्चा |
जवाब देंहटाएंआभार गुरु जी ||
महत्वपूर्ण लिंक्स से सजा आज का चर्चामंच बहुत आकर्षक है ! मेरी रचना को आपने इसमें सम्मिलित किया आभारी हूँ !
जवाब देंहटाएंनन्ही 'सिफत'
जवाब देंहटाएंहै आज का उपहार
चर्चामंच का रविवार
'मुल्हिद'को बधाई देता
चर्चाँमांच परिवार
खोजी बन के आये हैं
ऊंट के मांस का लिंक
भी ढूंढ लाये हैं
मयंक जी इस बार
लिंक वाले लिंक अपना
यहाँ देख खुश हो
चाहे हजार बार
निवेदन है जायें
भी देखें चुने हुवे लिंको
के व्यंजन कम से कम
चाहे एक ही बार
चर्चामंच के चर्चाकारों
की मेहनत तभी
हो पायेगी साकार
उल्लूक पर कृपा
पुन: करने पर आभार
नमस्कार !!!!!!
'सिफत' तुम्हीं तो हो फुलवारी।
जवाब देंहटाएंघर आयी है राजदुलारी।।
सुंदर रचना .......इस राजदुलारी को मेरी भी बहुत बहुत शुभकामनाएं !
बढ़िया लिंक्स कुछ पढ़े है बाकी जरुर पढूंगी इस चर्चा मंच में मेरी रचना को जगह देने के लिये
बहुत बहुत आभार !
shaandaar-jaandaar charchaa ...
जवाब देंहटाएंसिफत को शुभकामनाऎं
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा चर्चा
धन्यवाद खोजी को
स्थान दिया आपने ।
पोस्ट को इस चर्चा मे स्थान देने हेतु शास्त्री जी का आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार :)
जवाब देंहटाएंbahut badiya sarthak links ke sath sundar charcha prastuti hetu aabhar!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा वाह!
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ने तो गागर में सागर समा दिया है.. आपके अथक प्रयास को नमन.. बेहतर लिंक्स, बेहतरीन कार्टून्स और सार्थक चर्चा!!
जवाब देंहटाएंऔरत को पियक्कड़ शराबियों के दरम्यान छोड़ देने का मतलब है उसे बर्बाद होने के लिए छोड़ देना .
जवाब देंहटाएंGood post.
आज के ब्लॉगों की कहानी..
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
सबसे पहले रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद और उसके बाद कुछ नए लिंक देने के लिए और उससे भी अधिक कुछ बेबाक अभिव्यक्ति के लिए चलने वाली उन कलमों को सलाम जिन्होंने लिखा और बहुत खूब लिखा.
जवाब देंहटाएंप्रभावी लिंक,..सार्थक चर्चा.,,,,
जवाब देंहटाएंवादा पूरा कर दिया , नये लिंक रविवार
जवाब देंहटाएंनिरख प्रफुल्लित मन हुआ, खिला 'रूप' श्रृंगार
खिला 'रूप' श्रृंगार , मिली रोचक सामगरी
जैसे खुश्बू बाग , सभी के हित में बिखरी
घायल हाय ! करता , है सिंगार भी सादा
नये लिंक रविवार , कर दिया पूरा वादा
भांति-भांति के फूल खिले हैं
जवाब देंहटाएंचर्चा हो रही खूब सारी
इन सुधी जनों के बीच
आ गयी अपनी "जुगाली" की भी बारी
sanzidgi aur sajagta se sanklit charcha..kafi kuch naya padhne ko mila..bahut bahut abhar
जवाब देंहटाएंaabhar hai
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बेहतरीन है....कार्टून तो भाई वाह, वाह!...आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स दिए .. सबको खंगाल आया
जवाब देंहटाएंशाष्त्री जी इस मर्तबा तो आप 'बाबा विशेषांक 'ही ले आये .इस त्रिनेत्री को ड्रेगन के सफाए के लिए लगवाओ .एक बार फिर देहरादून जाओ .बहुत मेहनत की है आपने चर्चा जुटाने में लिंक जचाने में .विविधता पूर्ण बढ़िया सामिग्री .आभार .
जवाब देंहटाएंrachna shamil karne ka dhanyvad ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा... बढ़िया लिंक्स...
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
मेरे ब्लॉग की पोस्ट को अपने ब्लॉग पर स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद और आभार।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी व्यस्ताओं के बीच भी शानदार मंच सजाया है।
जवाब देंहटाएंएक से एक जानदार लिंक।
निरामिष के आलेख को जगह देने के लिए आपका आभार!!
सदा की भांति एक उत्कृष्ट चर्चा।
जवाब देंहटाएं