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शुक्रवार, जुलाई 13, 2012

संजीवनी न मिली हनुमान को-रविकर :चर्चा-मंच 939



(1)
युवा -प्रस्तुति

Prem Mandir-Vrindavan Part 2


Few more beautiful pictures of Prem Mandir - Vrindavan!


सप्ताह के टिप्पणीकार :
1. सुशील जोशी जी "उल्लूक टाईम्स "
2. धीरेन्द्र जी काव्यान्जलि ...
3.आमिर जी दुबई मोहब्बत नामा
इस सूची में अगला नाम अर्थात कल के टिप्पणीकार
दो चर्चाकारों (डॉ. रूप चन्द्र शास्त्री जी / रविकर ) की समीक्षात्मक टिप्पणियां
और
1. सुशील जोशी जी "उल्लूक टाईम्स "
2. धीरेन्द्र जी काव्यान्जलि ...
जो पहले से ही सप्ताह के टिप्पणीकार की सूची में हैं ।
कोई भी नया नाम नहीं
निवेदन:
समालोचना करना सीखिए-सिखाइए
कम से कम प्रति-दिन तीन पसंदीदा पोस्टों पर
अपनी समालोचनात्मक टिप्पणी दें ।।

चर्चामंच के नए सदस्य
स्वागत हैं आपका



(2)

ग़ज़ल

(Sanjay Mishra 'Habib')
क्यूँ पसे महमिल ही आए क्यूँ सबा भी दरमियाँ,
लूटने फिर चैन दिल का कुछ सुकूँ छलका गये

इश्क भी है क्या 'हबीब' औहाम के किस्से नहीं?
अश्क में डूबे सुनहरे ख्वाब थे बिखरा गए


(4)

सद्बुद्धि

लोगों ने पूछा कि क्या खोज रहे हो? तो उस युवक नें कहा – बाकी सभी नेग तो पूरे हो गए है बस एक मरी हुई बिल्ली मिल जाय तो कड़ाई से ढक दूँ। लोगों ने कहा - यहाँ मरी बिल्ली का क्या काम? युवक नें कहा – मेरे पिताजी नें अमुक जीमनवार में मरी बिल्ली को कड़ाई से ढ़क रखा था। वह व्यवस्था हो जाय तो भोज समस्त रीति-नीति से सम्पन्न हो।

लोगों को बात समझ आ गई, उन्होंने कहा – तुम्हारे पिता तो समझदार थे उन्होने अवसर के अनुकूल जो उचित था किया पर तुम तो निरे बेवकूफ हो जो बिना सोचे समझे उसे दोहराना चाहते हो।


(5)

घर का वैद्य न बनें बच्चों के मामले में

माहिर बनते जा रहे, नव-दंपत्ति महान | रविकर बामुश्किल हुई, एक अदद संतान |
एक अदद संतान, अगर सर्दी-ज्वर आता |
खोल मेडिसिन बॉक्स, रिस्क पर सिरप पिलाता |
बच्चा मारक कष्ट, नहीं गर करता जाहिर |
ऐंठन,मूर्छा, मृत्यु, कहें हो सकती माहिर ||

सुना है
गति और परिवर्तन जिन्दगी है
और ये भी कि
जिनमें विकास और क्रियाशीलता नहीं
वो मृतप्राय हैं,
फिर मैं?

(7)

सावन के इस मौसम में

मनोज कुमार
विचार


द्वारे सजी रंगोली
रह-रह मुझसे करे ठिठोली,
बूंदे डोल रही हैं
बैठी पत्तों की डोली।
मधुरमिलन की मनोकामना,
फिर फिर इठलाई।
सावन के इस मौसम में
फिर याद तेरी आई।

(8)

खून के रिश्ते पानी होते हमने देखे .

शिखा कौशिक

शिकशिक
खूं-पसीना एक करके बाप पाले-
पड़ा लथ-पथ खून घर में कर दिया है ।
लोथड़े को खून से सींची महीनों -
प्राण पाकर पुत्र ने नौकर किया है ।

(9)

मोबाइल टावर

हमारा भारत पहले टाबरों ( बच्चों ) का देश होता था.अब हमारा भारत टावरों (मोबाइल टावर)का देश हो गया है .सभी को बधाई

10

कविता : बारिश, किताब और गुलाब

धर्मेन्द्र कुमार सिंह

(11)

चाँद का सफ़र

ऋता शेखर मधु
मधुर गुंजन

अपनी ही धुन में वह चला जा रहा था
शम्मा बन के बस वह जला जा रहा था
छोटी सी दुनिया सितारों की बसे बस
ख्वाब इतना सा मन में पला जा रहा था

SADA
मुहब्‍बत की हद़ से
वाक्रिफ़ थी
इसलिए कुछ कहती नहीं थी!!!

(13)

सुरम्या

उन्नयन (UNNAYANA)
बनेंगे गीत ,
सृजनारम्भ होगा ,

कलरव का ,

नवीन कुमुद

का ....

उदय वीर सिंह




फोटो खिंचवाने की अदा के बाद आइये अब जानते हैं , फोटो खींचने की कला के बारे में . यूँ तो हम कोई प्रोफेशनल फोटोग्राफर नहीं . लेकिन लोग कहते हैं , हम फोटो अच्छे खींचते हैं . अब आपने कहा और हमने मान लिया . इसलिए आपके साथ कुछ टिप्स शेयर करते हैं .

(18)

"सावन के दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


जंगल में मंगल हुआ, हरा-भरा परिवेश।
वन की आभा दे रही, हमको ये सन्देश।१।

बालक बैठे ले रहे, वर्षा का आनन्द।
भीनी-भीनी आ रही, पौधों में से गन्ध।२।

(19)

"अब तो समझ "


तितली उड़ कौआ उड़ा, उल्लू उड़ा बताय |
आज उड़ाते पेड़ भी, धरा सफा हो जाय |
धरा सफा हो जाय, पेड़ पर नंबर ज्यादा |
पक्षी सारे आज, बदलने लगे इरादा |
वैसे उड़ते लोग, उड़ाते बाप कमाई |
बच्चों का यह खेल, बड़ी बेईमानी लाई ||

94 टिप्‍पणियां:

  1. तमाम सेतु प्रासंगिक सावन के बयार बहाते रहे ,ब्लोगिंग धारावाहिक पे चल रहे शब्द बाणों खूब चले ,राम के विरह में सीता से ज्यादा राम सुबके ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सूर्पनखा की नाक का, था उनको अफ़सोस |
      लक्ष्मण ने काटी सही, नहीं रख सके होश |
      नहीं रख सके होश , क्षम्य नारी की गलती |
      नारी का क्या दोष, राक्षसों के संग पलती |
      कह रविकर श्री राम, बचे अभियोग जबर से |
      बना रहा अनजान, बड़ा आयोग खबर से ||

      हटाएं
  2. 1
    दारा सिंह की मृत्यु
    एक युग का अवसान
    अमर हो गये मर कर
    रामायण के हुनुमान।

    श्रद्धाँजलि !!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुबह सुबह हनुमान जी, रामायण में आय ।

      शक्ति दिखाके हैं गए, सम्मुख सीता माय ।

      सम्मुख सीता माय, भूख जोरों से लगती ।

      बड़ी वाटिका मस्त , पुष्प-पल्लव फल सजती ।

      गए रुस्तमे हिंद, मिली मैया की अनुमत ।

      आयें लंका जार, बताओ हो न सहमत ।।

      हटाएं
  3. बहुत सुंदर प्रस्‍तुति ..

    अच्‍छी चर्चा !!

    जवाब देंहटाएं
  4. 2. उल्लूक तितली कौआ उडा़ये
    रविकर देख देख कर आये
    समझ गया होशियार कितना
    उल्लू उड़ा आ कर बताये ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत उड़ रहा आज कल, है इसमें क्या राज ।

      राज हुआ उल्लूक का, सारा मस्त समाज ।।

      हटाएं
  5. सुंदर चर्चा... सार्थक लिंक्स...
    सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. 3.वर्षा का आनन्द दुगना किये जा रहे हैं
    मयंक के दोहे रस बरसा रहे हैं ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अल्मोड़ा से उतर के, देख तराई आय ।

      उलटी गंगा न बहे, पी ले रस मस्ताय ।।

      हटाएं
  7. 4.(17) फोटो खिंचवाना एक अदा है , लेकिन फोटो खींचना एक कला है --
    फोटो तो कैमरा
    खींच ले जाता है
    फोटोग्राफी की कला
    तो नहीं बताता है
    थोड़ा सा दिमाग लगाइये
    फोटो खीचे तो कैमरा
    बाजी आप मार ले जाइये।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. फोटो बढ़िया लग रहा, मतलब व्यक्ति खराब ।

      गर फोटो घटिया कहें, है तारीफ़ जनाब ।।

      हटाएं
  8. 5.(16)
    आस एक अनपली रह गयी
    Anita

    आस पालने का सपना दिखाया है
    किस तरह रह गयी अनपली
    बहुत खूबसूरत तरीके से बताया है ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस ब्लॉग पर मिल रहे, संस्कार निर्बाध ।

      चुल्लू से पीते रहो, संस्कार को साध ।।

      हटाएं
  9. 6.(15)
    बाबा भोलेनाथ का दर्शन
    (Arvind Mishra)

    देखिये एक वैज्ञानिक की नजर
    जब ईश्वर पर जाती है
    एक अलग अंदाज होता है
    नजर बोसौन हो जाती है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जय जय जय अरविन्द की, माँ भारती विराज ।

      भक्तों पर करती कृपा, दे सम्यक आवाज ।।

      हटाएं
  10. 7.
    (14)
    न्यू मीडिया अपने उत्तरदायित्वों को न भूले : बालेन्दु शर्मा दाधीच

    सारगर्भित और प्रासंगिक प्रस्तुति
    उन नासमझों के लिये जिन्हे
    समझ में नहीं आता है
    ब्लागिंग करते हैं तो महसूस होता है
    जैसे बंदर उस्तरा चलाता है ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सब के सब हैं पूर्वज, लो श्रद्धा से नाम ।

      बन्दर हैं तो क्या हुआ, गुरु उस्तुरा थाम ।

      गुरु उस्तुरा थाम, बाल की खाल निकालें ।

      हो दूजे का भाव , शब्द में अपने ढाले ।

      हुवे असहमत आप, उस्तुरा मार भगाए ।

      समझदार उल्लूक, उसे बिलकुल न भाये ।।

      हटाएं
  11. 8.रविकर पर थू थू करे, जो खाया इक प्याज
    नुक्कड़ -पर ही

    मदिरा पीने वालों को
    पता चल गया
    खुद ही बोल गया रविकर
    वो प्याज खाता है ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार, आय नुक्कड़ पर बैठा ।

      ले पी ले दो पैग, लगे क्यूँ ऐंठा ऐंठा ??

      हटाएं
  12. 9.(13)
    सुरम्या
    उन्नयन (UNNAYANA)

    उदय के काव्य में
    प्रकृति रही है छलक
    उसी अंदाज में
    उनकी कविता की
    धीमें से खुल रही है पलक !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रोफ़ेसर की टिप्प्णी , गहता सार तुरंत ।

      बड़ी पुस्तिका का करे, चंद मिनट में अंत ।।

      हटाएं
  13. (12)
    वो गूंगी नहीं थी !!!
    SADA
    सुंदर !!!!
    चुप चुप रहती थी
    गूँगी हो जाती थी
    मुहब्बत करती थी
    कुछ नहीं बताती थी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ऐसे लोगों का करे, प्रभु ही अब कल्याण ।

      बच्चे के रोये बिना, नहीं दूध का पान ।

      नहीं दूध का पान, बताओ उसको पूरा ।

      पूरा होवे प्यार, कभी न रहे अधूरा ।

      छोड़े सही प्रभाव, किन्तु यह सदा मुहब्बत ।

      दूजा दे गर दांव, नहीं थी उसमें कुव्वत ।।

      हटाएं
  14. नहीं कभी दंगल में हारा,
    ऐसा महाबलि था दारा।
    नहीं मौत के आगे कुछ वश,
    इसने बड़े-बड़ों को मारा।।
    स्व.दारा सिंह को श्रद्धांजलि।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. लिंक-1
      योगिराज के नाम का, सब करते गुणगान।
      कलियुग में आओ प्रभो, करने को कल्याण।।

      हटाएं
    2. लिंक-2
      बया चहकती नीड़ में, चिड़िया मौज मनाय।
      पौध धान की शान से, लहर-लहर लहराय।

      हटाएं
    3. लिंक-3
      परमशान्ता की कथा, नहीं जानते लोग।
      खोज पुराने तत्य को, हरा हृदय का रोग।।

      हटाएं
    4. लिंक-4
      कुरीतियों के जाल में, जकड़े लोग तमाम।
      खोलो ज्ञानकपाट को, मेधा से लो काम।।

      हटाएं
    5. लिंक-5
      घर-घर में हैं रम रहे, कितने नीम हकीम।
      जहर घोलते जगत में, मीठे-कड़ुए नीम।।

      हटाएं
    6. लिंक-6
      परिवर्तन ही ज़िन्दगी, आयेंगे बदलाव।
      अनुभव के पश्चात ही, आता है ठहराव।।

      हटाएं
    7. लिंक-7
      मक्का फूली खेत में, पके डाल पर आम।
      जामुन गदराने लगी, डाली पर अभिराम।

      हटाएं
    8. लिंक-8
      गैरों से रिश्ता नही, अपनों से है काम।
      नारी जैसे ब्लॉग पर, अपना ट्रैफिक जाम।।

      हटाएं
    9. लिंक-9
      जोगी टावर पर चढ़े, करते खूब कमाल।
      नेटवर्क के वास्ते, हुआ बुरा सा हाल।।

      हटाएं
    10. लिंक-11
      सफर चाँद का कठिन है, फिर भी जाते लोग।
      इक दिन ऐसा आयेगा, बसें जायेंगे लोग।।

      हटाएं
    11. लिंक-10
      बारिश और किताब का, सुन्दर है संयोग।
      वर्षा के आनन्द को, लोग रहे हैं भोग।।

      हटाएं
    12. लिंक-12
      सहते-सहते हो गयी, वो कितनी मजबूर।
      सन्तापों ने कर दिया, उसको सुख से दूर।।

      हटाएं
    13. लिंक-13
      जंगल में मंगल हुआ, हरा-भरा परिवेश।
      वन की आभा दे रही, हमको ये सन्देश।

      हटाएं
    14. लिंक -14
      हर नुक्कड़-हर गली में, पत्रकार की धूम।
      उल्लू सीधा कर रहे, रहे धूल को चूम।।

      हटाएं
    15. लिंक-15
      काँवड़ लेने चल पड़े, भक्त, शम्भु के द्वार।
      बम-भोले के नाम की, होती जय-जयकार।।

      हटाएं
    16. लिंक-16

      चल मनवा उस देश को, जहाँ नहीं हों काम।
      चैन-अमन के साथ में, मन पाये विश्राम।।

      हटाएं
    17. लिंक-17
      फोटो खिंचवाना अदा,कलाकार का नाम।
      पर सबको आता नहीं, करना ऐसा काम।।

      हटाएं
    18. लिंक-18
      बालक बैठे ले रहे, वर्षा का आनन्द।
      भीनी-भीनी आ रही, पौधों में से गन्ध।

      हटाएं
    19. लिंक-19
      काले रंग का चतुर-चपल,
      पंछी है सबसे न्यारा।
      डाली पर बैठा कौओं का,
      जोड़ा कितना प्यारा।

      नजर घुमाकर देख रहे ये,
      कहाँ मिलेगा खाना।
      जिसको खाकर कर्कश स्वर में,
      छेड़ें राग पुराना।।

      काँव-काँव का इनका गाना,
      सबको नहीं सुहाता।
      लेकिन बच्चों को कौओं का,
      सुर है बहुत लुभाता।।

      कोयलिया की कुहू-कुहू,
      बच्चों को रास न आती।
      कागा की प्यारी सी बोली,
      इनका मन बहलाती।।

      देख इसे आँगन में,
      शिशु ने बोला औआ-औआ।
      खुश होकर के काँव-काँवकर,
      चिल्लाया है कौआ।।

      हटाएं
    20. सबको ही टिपिया दिया, निज दोहों के साथ।
      चलते हैं अब यहाँ से, कल को होंगी बात।।

      हटाएं
    21. बहुत बहुत आभार गुरूजी, मिला हमें आशीष |
      नहीं टिप्पणी मानता, पुष्प-प्रसाद ये बीस ||

      हटाएं
    22. बुरा-भला पोस्ट पर,,,,,


      दारा सिंह जी नही रहे,रामायण के हनुमान
      श्रद्धांजलि नमन कर रहा,मिले उन्हें श्रीमान

      हटाएं
    23. लिंक न० - १७ पर....


      टिप्पस ले "दराल" के, फिर तू फोटू खीच.
      फोटोग्राफर बन जाएगा, पहले तू ले सीख,,,,,,

      हटाएं
  15. 11.(11)
    चाँद का सफ़र
    ऋता शेखर मधु
    मधुर गुंजन

    चंदा आसमान सूरज
    और उसकी धुन
    बहुत कुछ समाया है
    कविता में आ के सुन ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अच्छी प्रस्तुति है सखे, बड़े अनोखे भाव ।

      एक एक पंक्ति पढो, बढ़ता जाए चाव ।।

      हटाएं
  16. 12. निवेदन:
    समालोचना करना सीखिए-सिखाइए ।
    कम से कम प्रति-दिन तीन पसंदीदा पोस्टों पर
    अपनी समालोचनात्मक टिप्पणी दें ।।

    इस निवेदन को सब तक पहुँचाना है
    हमें तो अब काम पर जाना है
    बचे हुऎ लिक्स पर अब शाम को आना है ।

    जवाब देंहटाएं
  17. लिंक न० - ४ पर,,,,


    बिना विचारे जो करे सो पीछे पछताए,
    काम बिगाड़े आपनो जग में हॉत हसाय,,,,,,

    परिस्थियों अनुसार रूढ़िवादी परम्पराओं बदलाव में करना चाहिए.

    जवाब देंहटाएं
  18. बढ़िया है अंदाज़...!

    नई व्यवस्था से कमेन्ट करने में पसीने छूट गए....लिंकवा ही नहीं मिल रहा था !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आज सुबह सुबह ही नयी व्यवस्था आई है-
      कमियां शीघ्र ही दूर कर ली जाएँगी |
      सादर

      हटाएं
    2. पोस्ट के नीचे ही तो कमेंटबॉक्स लगा है मित्रवर।
      आपने कमेंट भी तो किया है।
      अब टेम्पलेट सही हो गया है।

      हटाएं
    3. शास्त्री जी के कमेंट्स पर,,,,


      चर्चा मंच का आज तो, बदल गया है सेप,
      कमेंट्स बाक्स को ढूढ़ते, लिए हाथ में टेप

      हटाएं
  19. चर्चामंच पर आपकी प्रस्तुति शानदार है और कमेंटस की भी भरमार है.

    जवाब देंहटाएं
  20. बेहतर लिंक्स
    अच्छी चर्चा

    हां आज एक बात कहनी है, पिछले कुछ दिनों से देख रहा हूं, चर्चा मंच का लेआउट अचानक बदल दिया जा रहा है। आप अपने व्यक्तिगत ब्लाग को जब चाहे जैसे चाहें उसमें छेड़छाड़ कर सकते हैं, पर जहां बहुत सारे लोगों का आना जाना रहता है, उसके कुछ सामान्य नियम होते हैं।
    यानि बिना पूर्व सूचना के आप उसमें फेरबदल नहीं कर सकते।
    आज मैं देख रहा हूं कि कमेंट का आप्सन ही ऊपर कर दिया गया
    काफी देर से तलाश रहा था, तब जाकर देखा..
    ऊपर ऐसा रंग बिंरगा करते जा रहे हैं, लग ही नहीं रहा है कि ये एक चर्चामंच हैं,
    जहां बहुत सारे अच्छे लिंक्स मिलते हैं। ये बेढब रंग आंखो में चुभते हैं।

    ऊपर पांच बार चर्चामंच लिखने का कोई खास मकसद है, मुझे नहीं पता। पर बहुत खराब लग रहा है। सूचना जितना बड़ा बड़ा लिखा है, इसका कोई मतलब नहीं है। क्योंकि ये सिर्फ पांच लोगों के लिए है, जो इसमें पोस्ट लगाते हैं। किस दिन कौन लगाएगा, इतना बड़ा बड़ा लिखा है कि भद्दा लग रहा है। जो लोग भी ये देखते हैं, इसे ठीक करें, और भविष्य में कोई भी परिवर्तन करें तो पहले इसकी सूचना चर्चा मंच पर लगाएं कि फलां तारीख से इसका लेआउट बदल रहे हैं।

    कृपया इसे साफ सुथरा रहने दीजिए।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार |
      आप के विचार से सहमत हूँ-
      आज ही इसे किया गया है-
      शाम तक सुधार कर लिया जायेगा |
      सुझावों का हमेशा स्वागत है |
      सादर -

      हटाएं
  21. वाह ... बेहतरीन लिंक्‍स लिये अनुपम चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  22. रंग बिरंगी चर्चा ! आभार !

    जवाब देंहटाएं
  23. बहुत शानदार चर्चा रविकर जी आपकी और सुशील जी और शास्त्री जी की टिप्पणियों ने समां बाँध दिया हार्दिक बधाई आपको

    जवाब देंहटाएं
  24. बेहतर लिंक्स.....
    बेहतरीन चर्चा.....

    जवाब देंहटाएं
  25. शानदार चर्चा !!!
    बढ़िया लिंक्स...रचना शामिल करने के लिए आभार...
    रचना पर दी गई टिप्पणी के लिए आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  26. 13.

    10
    कविता : बारिश, किताब और गुलाब
    धर्मेन्द्र कुमार सिंह
    वाह !
    क्या गजब सोच़ के आया है
    गुलाब को ले कर सुखाया है
    किताब में भी दबाया है
    उससे ग्रेविटोन भी बनाया है ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. एक दूसरे का विषय , भाव जानते मित्र ।

      इसीलिए प्रोफेसरों, सही खिंचा है चित्र ।।

      हटाएं
  27. 14.
    (9)मोबाइल टावर DR.JOGA SINGH KAIT JOGI

    चिंता नहीं करने का
    टावर ह्टा दिये जायेंगे
    सबके कान के अंदर
    जल्दी ही लगा दिये जायेंगे।

    जवाब देंहटाएं
  28. 15.
    (8)खून के रिश्ते पानी होते हमने देखे .शिखा कौशिक भारतीय नारी

    हो रहे हैं पानी कहीं कहीं
    कहीं भाप बन जा रहे हैं
    हाँ रिश्ते हैं कहीं कहीं
    सूखते भी जा रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. खून-पानी एक करके धर दिया है ।

      गाँव को भी लाश से ही भर दिया है ।

      हर जगह अब चल रही खूनी हुकूमत -

      खून के आंसू रुला सब हर लिया है ।


      खूं-पसीना एक करके बाप पाले-

      पड़ा लथ-पथ खून घर में कर दिया है ।


      लोथड़े को खून से सींची महीनों -

      प्राण पाकर पुत्र ने नौकर किया है ।

      हटाएं
  29. 16.
    (7) सावन के इस मौसम में मनोज कुमार विचार

    बाहर सावन भिगा रहा है
    बादल बूँदे बरसा रहा है
    मनोज जी खो गये हैं कहीं
    उन्हे यादो में याद आ रहा है
    एक सुंदर सी रचना से
    कोई अंदर भी भिगा रहा है ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बारिश की सजती रहे, रंगोली हर शाम ।

      धरती की शोभा बढे, कृषक कर सके काम ।।

      हटाएं
  30. 16.
    (6) जीवन शास्त्र... डॉ. जेन्नी शबनम

    स्थिर और मौन हैं
    जीवन में परिवर्तन
    अब कुछ नहीं
    ना भौतिक
    ना रासायनिक
    सफर लम्हों का
    चल रहा है
    खूबसूरती से ।

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  31. 17.
    (5)घर का वैद्य न बनें बच्चों के मामले में
    veerubhai कबीरा खडा़ बाज़ार में -

    वीरू भाई कुछ ले के आयें
    और वह गजब का ना हो
    ऎसा कैसे हो सकता है।

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  32. 18.
    (4)सद्बुद्धि सुज्ञ
    हम तो अभी भी ढूँढते हैं
    मरी हुई बिल्ली ढकने के लिये
    कई बार बिल्ली मिल जाती है
    कई बार नहीं मिलती
    पर कढांई है अभी
    हमारे पास अपनी जगह ।

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  33. 19.
    (3)

    भगवान् राम की सहोदरा (बहन) : भगवती शांता परम-7
    शिशु-शांता
    जन्म-कथा

    रविकर के पास बहुत ही सुंदर हैं भाव
    बताता नहीं है लेकिन कहाँ से लाता है ।

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  34. 20.

    (2)ग़ज़ल (Sanjay Mishra 'Habib')
    एहसासात... अनकहे लफ्ज़.

    बादल अश्क इश्क चांद
    हबीब कुछ कुछ होता है
    तुम को पढ़ कर ।

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  35. 21.
    (1)
    युवा -प्रस्तुति
    Prem Mandir-Vrindavan Part 2

    बहुत सुंदर वाकई में
    राधा कृ्ष्णमयी
    दिख रहा है
    साफ साफ ।

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  36. 22.

    इस बार संजीवनी न मिली हनुमान को , नहीं रहे दारा सिंह ...
    शिवम् मिश्रा बुरा भला
    बहुत सुंदर आलेख दारा सिंह को श्रद्धाँजलि के रूप में ।

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    उत्तर
    1. सुशील जी यही आप मेरे ब्लॉग पर आ कर कह जाते तो ज्यादा खुशी होती ... खैर ... आपका आभार !

      हटाएं
  37. 23.
    अंत में रविकर का
    तहे दिल से आभार
    सुंदर लिंक्स सजाने के लिये
    उनमें एक उल्लूक को भी
    लाकर बीच में खपाने के लिये ।

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    उत्तर
    1. हुआ यग्य पूरा सखे, दिया टिप्पणी डाल |
      खरा शुद्ध तैयार है, चौबिस कैरेट माल ||

      हटाएं
    2. रुस्तमेहिन्द दारा सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि!

      हटाएं
  38. बहुत बढ़िया लिंक्स सयोजन के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार

    जवाब देंहटाएं
  39. सचमुच सावन का महीना है
    टिप्पणियों की हो रही है बरसात

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चल मेरे मनवा वहाँ, जहाँ मिले आनन्द।
      आने-जाने का जहाँ, दरवाजा हो बन्द।।

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  40. लगभग सारी पोस्ट पढ़ी और बहुत ही अच्छी लगी ..इस सुंदर चर्चा प्रस्तुती के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  41. टेम्पलेट लागू किये, हमने कितने आज।
    किन्तु सफल ना हो सके, नहीं बना कुछ काज।।

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  42. टिपियाने के वास्ते, ऊपर बना विकल्प।
    comment पर क्लिक करो, समय लगेगा अल्प।।

    जवाब देंहटाएं
  43. पोस्टशीर्षक है जहाँ, उसके नीचे आयें।
    कमेंट पर चटका लगा, मनचाहा टिपयायें।।

    जवाब देंहटाएं
  44. मेरी पोस्ट को यहाँ लिंक करने के लिए आपका आभार !

    जवाब देंहटाएं
  45. सावन के महीने में रंगों में सरोबार बहुयामी खूबसूरत चर्चा .

    जवाब देंहटाएं

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