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Sunday, July 08, 2012

"रविवार की चर्चा" (चर्चा मंच-९३४)

मित्रों!
आज मुझे श्री धीरेन्द्र सिंह भदौरिया जी का एक मेल मिला। जिसमें उन्होंने सुझाव दिये हैं-
शास्त्री जी,,,,नमस्कार
१ - प्रतिदिन की पोस्ट पर सारगर्भित अच्छे टिप्पणीकारों में से {एक } को
बेस्ट टिप्पणीकार के रूप से नवाजा जाये।
२ - बेस्ट टिप्पणीकार का नाम दुसरे दिन की चर्चामंच की पोस्ट पर शुरू में
ही फोटो सहित घोषित किया जाये।
आशा है की मेरा सुझाव आपको पसंद आएगा,बाकी आप जैसा उचित समझें ......!
आपका
धीरेन्द्र भदौरिया
मो०न० - 9752685538
---
आ.भदौरिया जी!
आपका सुझाव बहुत अच्छा है। मैं आज से ही इसे चर्चा मंच पर लागू कर रहा हूँ।से अच्छे टिप्पणी दाता रहे "मा. सुशील जोशी"
मेरा फोटो
ये Almora, Uttarakhand, भार में कुमायूँ विश्वविद्यालय में भौतिक-रसायन विभाग में कार्यरत हैं। इनका ब्लॉग है- "उल्लूक टाईम्स "...इन्होंने शनिवार की चर्चा में लगाए गये 25 लिंकों पर बड़ी शिद्दत से 25टिप्पणियाँ की हैं। चर्चा मंच की ओर से आपको शुभकामनाएँ और धन्यवाद!
अब देखिए कुछ अद्यतन पोस्टों के लिंक-
ये तो चली आई है परम्परा सदियों से
जो आया है वो तो समां बीत ही जाएगा.......


आज मै अपनी इस पोस्ट के साथ एक नया कॉलम शुरू कर रहा हूँ,
इस नये कॉलम का नाम होगा ''यादगार''
जिसमे मै कुछ प्रसिद के बारे में आर्टिकल लिखूंगा...

दो नैनो से बोल गई अपने मन की बात,
खुद नैना बंद सो रही, मैं जागूं दिन-रात,
आग लगा कर सुलग रहे, हैं मेरे जज़्बात,
सूखे - सूखे नैनों से, बहे प्रेम बरसात...

पाकिस्तान के कराची शहर में एक मंदिर है।
जिसका रहस्य काफी पुराना और पाताल लोक से है।
शास्त्रों के मुताबिक उस मंदिर में
भगवान राम भी पहुंच चुके हैं। ...

हम कई बार तय नहीं कर पाते कि इस पोस्ट पर क्या कमेन्ट दें ?
मेरे साथ यही हुआ जब मैंने 'ब्लॉग की ख़बरें' देखीं .
*औरतों की मौजूदगी में व्यक्ति....

शासन की डोर न सम्हाल सके

सारे यत्न असफल रहे मोह न छूटा

कुर्सी का क्यूंकि लोग सलाम कर रहे |

ना रुकी मंहगाई ना ही आगे रुक पाएगी

अर्थ शास्त्र के नियम भी सारे ताख में रख दिए

*सोयी सोयी आँखें,*
*सपनो में झांके*
*आ जरा आके,*
*रात सजा दे*
*इस रात को कर दे रंगीन.....
ए मह्जवीं !*
*कोई बात तू कर दे हसीं.... !

ये शहरों की मिट्टियाँ भी
अजीब होती हैं ना
रूप रस गंध सबसे जुदा
देखो आज मेरे क़दमों ने
फिर तुम्हारे शहर की कदमबोसी की है
कोई अनजानी सी हवा छूकर गयी है...

कहते हैं कि बादल धरती की अभिव्‍यक्ति को अपने में समेट लेता है।
धरती अपनी पीड़ा को शब्‍द नहीं देती
अपितु नि:श्‍वास बनाकर उष्‍मा के सहारे बादलों को....


आज वरसे हैं घन टूट के ,
ऊष्मा तिरोहित हो गयी ..
तप्त था आँचल ,
अभिशप्त सा धरातल
दग्ध था हृदय....

री सखी ...
देख न ..
सुहाग के बादल छाये ....
उमड़ घुमड़ घिर आये ...
सरित मन तरंग उठे.... हुलसाये ...


करे बहाना आलसी, अश्रु बहाना काम |
होय दुर्दशा देह की, जब से लगी हराम ।।
अन्न पकाना छोड़ दी, कान पकाना रोज |
विकट पुत्र पति का चरित, अभिनेता मन खोज ।...

*ब*सपा सुप्रीमों मायावती के मामले में
आज अदालत का फैसला हैरान करने वाला है।
हांलाकि कोर्ट ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर
फैसला दिया होगा,
लेकिन देश की आम...

चाहत पूरी हो रही, चलती दिल्ली मेल |
राहत बंटती जा रही, सब माया का खेल |
सब माया का खेल, ठेल देता जो अन्दर |
कर वो ढील नकेल, छोड़ता छुट्टा रविकर | ....

त्याग भोग के बीच कहीं पर
उर्वशी पढ़ने बैठा तो एक समस्या उठ खड़ी हुयी।
पता नहीं, पर जब भी श्रृंगार के विषय पर
उत्साह से लगता हूँ,
कोई न कोई खटका लग जाता है,
कामदेव का इस तरह कुपित ...

आज हिन्दू समाज में जाति या वर्ण व्यवस्था ....
निस्संदेह एक अभिशाप की तरह है.....
और,
एक कलंक है ....!
परन्तु..... क्या सचमुच में ......
वर्ण व्यवस्था का....

चिथरों में लिपटी दिखती है
हर रोज 'वो' कि भीगोती है
सर्द हवाएँ हर रात उसे
नयन कोर पर 'बेबसी' मुस्कुराती है
चेहरे की मुस्कराहट बेबसी छुपा जाती है ...

फ़ुरसत में हूं ...
मन में प्रश्न आता है कि यह ज़िंदगी
हमेशा सरल और सुंदर-सुंदर ही क्यों नहीं होती...

आदमी ही आदमी को खा रहा है दोस्तों ...........
देह की भूख प्यारे, प्यार पथ ले गई,
मजबूरी वश नेह धर्म निभा रहा है दोस्तों...

कौसानी की एक सुबह * * * * * *13 मई 2012:--
रात को हम ऐसे सोये की कुछ पता ही नहीं चला ...
सुबह जल्दी तो उठना नहीं था...

चतुर्थ अध्याय (ज्ञान-योग - ४.२०-३२)
आसक्ति हीन कर्म फल में सदा निराश्रित तृप्त है रहता.
सदा कर्म करने पर भी वह, कुछ भी कर्म नहीं है करता.
त्याग परिग्रह, काम निवृत्त हो, चित्त, शरीर नियंत्रित रखता....


*खुशियों की फुहार..



प्रतीक्षा, मिलन और विरह की अविरल सहेली, निर्मल और लज्जा से सजी-धजी नवयौवना की आसमान छूती खुशी, आदिकाल से कवियों की रचनाओं का श्रृंगार कर, उन्हें जीवंत करने वाली ‘कजरी’ सावन की हरियाली बहारों के साथ...

"सावन आया झूमकर, बम-भोले का नाद।
चौमासे में मनुज तू, शंकर को कर याद।।"

76 comments:

  1. लक्ष्मी प्राप्ति का दिवस, रविकर अब मत चूक |
    सुबह सुबह दर्शन मिले , छाया यहाँ उल्लूक ||

    ReplyDelete
  2. @वीर बहूटी और हरियाली जैसा गहना-‘कजरी’

    वीर बहती के चढ़ा , सावन का रंग |
    भोले बाबा झूम के , पीते जाते भंग ||

    ReplyDelete
  3. वीर बहूटी के चढ़ा , जब सावन का रंग |
    भोले बाबा झूम के , पीते जाते भंग ||

    ReplyDelete
  4. ram ram bhai
    वो जगहें जहां पैथोजंस
    (रोग पैदा करने वाले ज़रासिमों ,जीवाणु ,विषाणु ,का डेरा है )



    बीरुभाई के विषय, सदा रहें उत्कृष्ट |
    स्वास्थ्य समस्या कर खतम, उन्नत करते सृष्ट ||

    ReplyDelete
  5. टिप्पणी जो अच्छी लगी का चुनाव करना भी एक अच्छा प्रयास होगा |आज की चर्चा विभिद लिंक्स लिए |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    ReplyDelete
  6. श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (२०वीं-कड़ी)
    Kashish - My Poetry

    रहे नियंत्रित देहरी, राग द्वेष से दूर |
    प्रस्तुत पोस्ट में सखे, ज्ञान भरा भरपूर ||

    ReplyDelete
  7. बरस रे मेघा
    संस्कार कविता संग्रह


    काले मेघों ने किया, रीना जी को मस्त |
    झूमें, भीगे चीख लें, पर होती न पस्त ||,

    ReplyDelete
  8. @मनोज
    फ़ुरसत में ... दिल की उलझन-

    कथा प्रभावित कर गई, मुकुनी रोटी स्वाद |
    जिभ्या आनंदित हुई, पाया सरल प्रसाद |
    पाया सरल प्रसाद, पेट भी भरा-भरा सा |
    दिल को भाया साथ, खुला पट किन्तु जरा सा |
    जीवन जद्दो-जहद, दिमागी खुराफात ने |
    दिया अडंगा डाल, सरल सी मुलाक़ात में ||

    ReplyDelete
  9. उच्चारण
    "दोहा पच्चीसी"

    दोहे चर्चा मंच से, चोरी हुवे पचीस ।

    दर्ज करता हूँ रपट, दोहे बड़े नफीस ।

    दोहे बड़े नफीस, यहाँ न फीस दे गया ।

    शामिल धीर-सुशील, छोड़ते हैं शरम - हया ।

    रविकर करे अपील, मिले दोहा पच्चीसी ।

    मत दे देना ढील, काढ़ कर पढ़िए खीसी ।।

    ReplyDelete
  10. नैनीताल भाग 10 कौसानी 2
    मेरे अरमान.. मेरे सपने..

    छायांकन खुबसूरती, है मनभावन साथ |
    ताल शिखर घाटी सड़क, सब कुछ प्रभु के हाथ ||

    ReplyDelete
  11. @आधा सच...

    मायावती को "सुप्रीम" राहत ..

    चाहत पूरी हो रही, चलती दिल्ली मेल |

    राहत बंटती जा रही, सब माया का खेल |

    सब माया का खेल, ठेल देता जो अन्दर |

    कर वो ढील नकेल, छोड़ता छुट्टा रविकर |

    पट-नायक के छूछ, आत्मा होती आहत |

    मानसून में पोट, नोट-वोटों की चाहत ||

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  12. अजित गुप्ता का कोना
    अभिव्‍यक्ति को मार्ग दो, नहीं तो वह विष्‍फोट में बदल जाएगी


    टोका-टाकी व्यर्थ की, करता रहे दिमाग |
    अंतर होता उर दहन, दिखे लपट न आग |
    दिखे लपट न आग, दगेगी बम सी काया |
    बुद्धिजीवी जाग, घूमता क्यूँ भरमाया |
    चलो कहें दो बात, जबरदस्ती जो रोका |
    कुछ न कहे समाज, बताओ किसने टोका |

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  13. कुछ नया रूप लेकर आया है
    चर्चामंच बहुत सुंदर आज सजाया है
    रविकर सुबह उठते उठते
    टिप्पणियों का बोरा लेकर आया है ।

    ReplyDelete
  14. टिप्पणी करने वाला
    यहाँ लटका दिया
    जाने वाला है
    किसे पता था
    ऎसा समय भी
    अब आने वाला है
    कोई बात नहीं
    मित्र रविकर
    बचाने वाला है
    कल के लिये
    अपनी गर्दन दे
    जाने वाला है ।

    ReplyDelete
  15. @बुढापा भी खुशी-खुशी बीत जायेगा
    म्हारा हरियाणा

    बुढा़पे के साथ
    हंसने की राय
    दिये जा रहा है
    अच्छी बात है
    हमारा बुढा़पा
    भी नजदीक में
    आ रहा है ।

    ReplyDelete
  16. समृद्ध चर्चा.....
    :):)
    इतबार मुबारक....:)

    ReplyDelete
  17. मोह्ब्बतनामा
    कादरखान दिखे तो याद आया
    बहुत अर्सा हो गया उनको देखे हुऎ
    आपने मिलाया शुक्रिया शुक्रिया !!!

    ReplyDelete
  18. दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की )
    नयन


    नयन ही नयन दिखला रहे हैं
    नयनों में डूब उतरा रहे हैं
    अरूण शर्मा देख लीजिये
    आप भी जाकर
    कि डूब रहे हैं
    या किसी को
    डुबा रहे हैं ।

    ReplyDelete
  19. हमारे तीर्थ स्थान और मंदिर
    प्रवीण गुप्ता पहुँच गये पाकिस्तान
    मंदिर दिखाने हमें पंचमुखी हनुमान !!!

    ReplyDelete
  20. सोने पे सुहागा
    औरतों की मौजूदगी में व्यक्ति बहस से बच नहीं सकता
    एकतरफा बहस भी होती है क्या
    हमें तो पता ही नहीं चला
    अब ये कह रहे हैं तो
    कह रहे होंगें।

    ReplyDelete
  21. @शासन की डोर न सम्हाल सके

    आशा जी आकाँक्षा में
    लगता है मनमोहन
    जी को सुना रही हैं
    बहुत अच्छी कविता
    बना रही हैं ।

    ReplyDelete
  22. Itz me Dp's.........:)
    ए मह्जवीं...
    रंजन रोमाँटिक हुऎ जा रहे हैं
    बस मह्जवीं को बुला रहे हैं ।

    ReplyDelete
  23. ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र
    और तुम वहीँ एक बुत बन जाओ ...........
    शहर मिट्टी और गुलाब
    बहुत सुंदर है अन्दाज !!!

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  24. अजित गुप्ता का कोना
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है
    सटीक लेख
    वाकई हर तरफ चुप्पी है
    कोई कुछ नहीं कहता
    पर विस्फोट भी तो नहीं
    कहीं आसपास मेरे होता ।

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  25. राग और विराग भले ही विपरीत दिशाओं में रहें पर शायद चलते साथ-साथ हैं।

    प्रेम सरोवर के प्रेम सागर सिंह
    जीवन संघर्ष की व्यथा कथा
    वाकई में छू लेती है ।

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  26. उन्नयन (UNNAYANA)
    उदयवीर जी
    भीग गये हैं अंदर तक
    अब भिगा रहे हैं सभी कौ
    सुंदर छंदों की बारिश से ।

    ReplyDelete
  27. anupama's sukrity!

    धर रूप सावन आया ....!!
    धरा पलक पुलक छाया ..
    हिरदय हर्षाया ....!!
    बनरा मोरा ब्याहन आया ....

    बहुत सुंदर रचना
    पोर पोर भिगा रही है ।

    ReplyDelete
  28. @Sushil – (July 8, 2012 9:06 AM)
    टिप्पणी करने वाला
    यहाँ लटका दिया
    जाने वाला है

    मित्र रविकर
    बचाने वाला है
    कल के लिये
    अपनी गर्दन दे
    जाने वाला है ।

    चर्चाकारों का गला, नहीं,नाप का मित्र |
    खुश्बू फैलाते रहो, भेजूं माला इत्र||

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  29. ram ram bhai
    जीवाणुओं विषाणुओं
    से बचाव
    कर ही डालिये
    आने वाली आफत
    को टालिये ।

    ReplyDelete
  30. दिनेश की दिल्लगी, दिल की सगी
    रविकर
    सागर है गागर ले कर नहीं जाउंगा
    वो तो भर लेता है गागर में सागर
    मैं गागर के साथ ही बह जाउंगा ।

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  31. आधा सच
    सार्थक और सटीक लेख !
    जहाँ माया हो वहां सच का क्या काम
    आधा हो या पूरा लगादो उसपर विराम।

    ReplyDelete
  32. बेसुरम में भी
    माया का खेल बता रहे हैं
    रविकर भी माया के मुरीद नजर आ रहे हैं ।

    ReplyDelete
  33. त्याग भोग के बीच कहीं पर
    प्रवीण पाण्डेय जी
    बहुत सुंदर लेख
    त्याग के साथ भोग समझने के लिये
    ये ही समझ में आया कि
    बस ६६ मिनट प्रतिदिन दीजिये, अपने प्रेम को, आप २५ वर्ष के गृहस्थ जीवन में प्रेमसिद्ध हो जायेंगे।

    ReplyDelete
  34. क्या वर्ण व्यवस्था का यही उद्देश्य था.....?????

    जैसे इस देश के नेता
    वैसी ही वर्ण व्यवस्था
    पहले भी थी कथा
    अभी भी कुछ नहीं बदला।

    ReplyDelete
  35. वट वृक्ष
    सुंदर रचना

    'वो' चीखती, चिल्लाती है
    हर रोज कई बार
    पर सुनता कौन है
    देख लो 'तमाशा' यह
    यहाँ हर कोई 'मौन' है

    ReplyDelete
  36. मनोज
    फ़ुरसत में ... दिल की उलझन-

    जीना सरल है,
    प्यार करना सरल है,
    हारना सरल है,
    जीतना भी सरल है,
    --- तो कठिन क्या है?
    “सरल” होना कठिन है।
    .़़़़़़़़़़़़़़़़

    उलझन बहुत आसानी से
    मनोज सुलझा गया
    हर उलझन को सरल
    बना कर जिंदगी को
    समझा गया ।

    ReplyDelete
  37. सबसे पहले तो मै चर्चा मंच के सभी सदस्यों को दिल से मुबारक बाद पेश करता हूँ ,की आपने आज तो चर्चा मंच का नक्षा ही बदल दिया.इस पर तो आज सावन की हरियाली ही हरियाली नज़र आ रही है.फिर खुबसूरत लिंकों से इसे ऐसा सजाया जैसे दुल्हन जवाहरात में हो.फिर रविकर और सुशिल की कवी टिप्पणियों ने इस पर चार चाँद लगा दिए.दूसरा मेरे साथ कादर खान की याद ताज़ा करने का दिल से धन्यवाद.

    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

    ReplyDelete
  38. भारत एकता
    चिता पे बैठ शान्ति गीत गा रहा है दोस्तों

    हम जैसों के लिये अच्छा लिखा है
    नालायक के लिए
    तुझे कैसी शर्म और कैसी हया,
    लाज लिहाज तू करेगा क्या?
    तेरे नयनो का पानी मर जो गया,
    तुझे कैसा डर और कैसी सजा?
    तेरी आँख का पानी मर जो गया

    ReplyDelete
  39. सबसे अच्छी टिपण्णी करने वालों को सराहने का प्रयास अच्छा लगा.
    चर्चा मंच की हरियाली ,खुबसूरत लिनक्स और टिप्पणियों का अंदाज़ अच्छा लगा.






    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

    ReplyDelete
  40. नैनीताल भाग 10 कौसानी 2

    सुंदर यात्रा वृताँत !

    ReplyDelete
  41. कैलाश जी ने वाकई
    गीता को यूँ सरल बनाया है
    हम जैसे नासमझों के
    समझने लायक बहुत
    ही सरल और सारगर्भित
    उसे बनाया है ।

    ReplyDelete
  42. बरस रे मेघा
    रीना सावन की
    रचना सुना रही हैं
    वाकई में बारिश की बूँदे
    जैसे भिगा रही हैं ।

    ReplyDelete
  43. वीर बहूटी और हरियाली जैसा गहना-‘कजरी’

    आकाँक्षा ने दी है बहुत ही सुंदर तरीके से जानकारी कजरी पर
    सार्गर्भित लेख जरूर पढे़ ।

    ReplyDelete
  44. बेहद सुन्दर चर्चा, मेरा ब्लॉग शामिल करने के लिए आभार SIR

    ReplyDelete
  45. और अंत में
    शास्त्री जी के पच्चीस दोहे
    जैसा उपर रविकर भी बता गया है:-

    "दोहे चर्चा मंच से, चोरी हुवे पचीस ।

    दर्ज करता हूँ रपट, दोहे बड़े नफीस ।

    दोहे बड़े नफीस, यहाँ न फीस दे गया ।"

    फीस की आकाँक्षा में ।
    आगे रविकर संभाले ।

    ReplyDelete
  46. रविकर SIR और सुशील SIR आप दोनों टिप्पणियों से कमाल कर देते हैं,

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  47. उड़ा लिया है मंच से, मैंने अपना माल।
    चोरी के इल्जाम से, मुक्त हुआ हर हाल।।

    ReplyDelete
  48. (रविकर जी और सुशील जी ) के लिए
    दोनों मिलके कर रहे टिप्पणियों पर राज,
    चर्चामंच को दे रहे एक नया अंदाज़.

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  49. देंगे "भूषण" फीस को, वो हैं माला-माल।
    लाऊँ कहाँ से फीस मैं, मैं तो हूँ कंगाल।।

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  50. मोहब्बत नामा,के पोस्ट पर

    खानों के खान है, कलाकार ये महान
    पहले थे प्रोफ़ेसर, नाम है कादर खान
    नाम है कादर खान, काम बड़ा मतवाला
    फिल्मो में छागए,फिल्म थी हिम्मतवाला
    हिट फिल्मे थी कुली,याराना और लावारिश
    बालीवुड में अब न रहा,कोई उनका वारिश,,,,,,

    ReplyDelete
  51. बहुत अच्छी शुरुआत...
    बढिया लिंक्स से सजी है आज की चर्चा

    ReplyDelete
  52. शासन की डोर न सम्हाल सके,,,,पोस्ट पर

    नेता गण लगने लगे, जैसे बड़ा गिरोह
    सभी लोग करने लगे, कुर्सी का है मोह,
    कुर्सी का है मोह ,कर रहे आपस में मेल
    चुनाव के लिए हो रहा, आरक्षण का खेल,
    जनता गूंगी हो गई, है संसद भी मौन
    अंधी है सरकार भी, देखन वाला कौन,

    ReplyDelete
  53. चर्चा मंच की यह धजा दिखी बहुत दिन बाद।
    पढ़ने को उम्दा मिला पाए लिंक प्रसाद।

    ReplyDelete
  54. bahut sundar charcha pratuti. Sushil ji ki charchamanch mein lagi links par tipani bhi kaabiletaarif hain..
    bahut sundar charcha prastuti ke liye aabhar!

    ReplyDelete
  55. शास्त्री जी, सभी लिंकों पर नम्बर डाल दे ताकि लिंक नम्बर डालकर टिप्पणी करने में सुविधा होगी,

    मेरे सुझावों को मानकर,मान दिया अपार,,,
    शाश्त्री जी, इसके लिए बहुत बहुत आभार

    ReplyDelete
  56. आधा सच,
    महेंद्र श्रीवास्तव जी के पोस्ट पर,,,,

    सुप्रीम कोर्ट का फैसला,और माया का ये मेल,
    राष्ट्रपति के लिए हो रहा, ये सियासती खेल
    ये सियासती खेल, नकेल में फसी गई माया
    ममता क्यू नाराज, अभी कोई समझ न पाया
    लगता मुलायम संग, सरकार की हो गई डील
    इसलिए ममता नाराज है हो रही उनको फील ,,,,,

    ReplyDelete
  57. वाह कम्मेन्ट्स पढने में तो मज़ा ही आ गया......:)
    to good.:):)

    ReplyDelete
  58. बेहतरीन लिंक्स...
    बहुत बढ़िया चर्चा मंच
    मेरी रचना को शामिल
    करने के लिए..
    आभार:-)

    ReplyDelete
  59. भारत एकता पर,,,

    सरकारी पाले में है मौज करने को वो,
    दिखावे को ही गाल बजा रहा है दोस्तों ..............
    सबके अपने गीत हैं सबकी अपनी प्रीत है,
    पर महफिले दुश्मनी सजा रहा है दोस्तों .

    ReplyDelete
  60. प्रेम सरोवर जी की पोस्ट पर,,,,

    दुनिया में हम आये है जीना ही पडेगा,
    जीवन अगर जहर तो पीना ही पडेगा,,,,,,

    संघर्ष ही जीवन है,,,,

    ReplyDelete
  61. बहुत रोचक चर्चा...आभार

    ReplyDelete
  62. कैलाश जी की पोस्ट पर

    कैलाश जी की पोएट्री, गीता का अनुवाद
    क्रमशः लेखन चल रहा, देता हूँ मै दाद
    देता हूँ मै दाद, हमेशा लिखते रहिये
    गीता का उपदेश सदा पढवाते रहिये
    कृष्णने अर्जुन को दिया गीता का ज्ञान
    सब इसको ग्रहण करे बढती जाये शान

    ReplyDelete
  63. दास्ताने दिल,,पोस्ट पर

    प्राणी समझे न कभी नैनों की हर बात,
    नयना जबभी बोलते लग जाती है आग

    लग जाती है आग, जल जाते परवाने
    लैला मजनू का हाल, सारी दुनिया जाने

    नयनो के ये नीर,तीर से बच कर रहना
    वरना फिर पछताओगे,रुलायेगें ये नयना,,,,,,,

    ReplyDelete
  64. दास्ताने दिल,,पोस्ट पर

    प्राणी समझे न कभी नैनों की हर बात,
    नयना जबभी बोलते लग जाती है आग

    लग जाती है आग, जल जाते परवाने
    लैला मजनू का हाल, सारी दुनिया जाने

    नयनो के ये नीर,तीर से बच कर रहना
    वरना फिर पछताओ,रुलायेगें ये नयना,,,,,,,

    ReplyDelete
  65. म्हारा हरियाणा पोस्ट पर,,,,

    बचपन बीता गई जवानी आ गया आज बुढापा
    बेटा बहू यदि खुश रखे,कट जाय मजे से बुढापा

    ReplyDelete
  66. @ मनोज जी, की पोस्ट पर,,,

    जीवन सुंदर और सरल है,हम लेते उलझाय,
    जटिल बनाकर स्वम ही, फिर पीछे पछताय,,,,

    ReplyDelete
  67. ऐ मह्जवी, पोस्ट पर,,,,,

    तुमको देखा है जब से आँखों ने
    और कोई चेहरा नजर नहीं आता
    तुम हर नजर का ख़्वाब हो,
    हर दिल की धडकन हो
    कैसे तारीफ करता तुम्हारे हुस्न की
    तुम्हारा चेहरा तो किताबी है,
    कहाँ से आया इतना हुस्न....
    जबाब में वे मुस्करा दिए और बोले-?
    कुछ तो आपकी मोहब्बत का नूर है
    कुछ कोशिश हमारी है

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  68. उच्चारण,
    दोहा पच्चीसी,पोस्ट पर,,,,

    लाठी तो चलती रहे, पर आवाज न आय,
    मंहगाई की मार से, जनता मरती जाय!

    जनता मरती जाय, होय काला बाजारी,
    रोते रहे किसान,देखो हँस रहे ब्यापारी!

    नेता व्यापारी, के कारण मंहगाई आती
    होय तभी सुधार, लेय जब जनता लाठी,

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  69. सर मनोज कैलाश द्वय, जीता दंगल आज |
    गीता की नव-सूक्तियां, दिल की उलझन-राज |
    दिल की उलझन-राज, धीर की मस्त टिप्पणी |
    सबसे आगे आज, यथोचित ही सजी खड़ी |
    अरुण बहुत आभार, राय रंजन की सुन्दर |
    चर्चा और प्रगाढ़, चाहता हर दिन रविकर ||

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  70. बहुत शानदार चर्चा बढ़िया लिंक आभार

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  71. आज की चर्चा देख कर मन प्रसन्न हो गया रविकर जी, सुशील जी और शास्त्री जी को बहुत बहुत बधाई और आभार

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  72. आज की चर्चा के लिए धीरेन्द्र जी का विशेष आभार

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  73. शास्त्री जी को 73 टिप्पणियों का यह गुलदस्ता मुबारक़ हो

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  74. करे बहाना आलसी, अश्रु बहाना काम |
    होय दुर्दशा देह की, जब से लगी हराम ।।
    अजगर की तो ऐश है,सदा दिखाये तैश
    मुँह में दबी सिगार है,खेल रहा स्कैवैश |
    अन्न पकाना छोड़ दी, कान पकाना रोज |
    विकट पुत्र पति का चरित, अभिनेता मन खोज ।
    ना पकड़े हैं कान ये, शुक्र मनायें मित्र
    रही बात पति पुत्र की,थोड़ी लगी विचित्र |
    दही जमाना भूलती, रंग जमाना याद |
    करे माडलिंग रात भर, बढ़ी मित्र तादाद ||
    जब तक सिक्का चल रहा,खूब कमा लें कैश
    ढली जवानी फिर करें,बाकी जीवन ऐश |
    पुत्र खिलाना भाय ना, निकल शाम को जाय |
    सदा खिलाना गुल नया,जाय कजिन आ भाय ||
    मॉम सँवर जब क्लब गई,करने को आमोद
    आया से पूछे लला, क्या होती है गोद ?

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  75. राम राम भाई,,,,
    बीरू भाई जी की पोस्ट पर ,,,,,

    वीरू भाई जी सदा, लिखते बढ़िया बेस्ट
    स्वास्थ विषय बतलाते,सदा सुंदर उत्कृष्ट
    सदा सुंदर उत्कृष्ट देते नई नई जानकारी
    अगर उनको अपनाय,होती बहुत लाभकारी
    सझाव इनके मानकर,बचालो अपनी जान
    पीछे पछताओगे, जब कौवा ले गया कान

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