आज की चर्चा में आप सबका हार्दिक स्वागत है
प्रगति मैदान में पुस्तक मेला लगा हुआ है , ज्यादातर ब्लॉग लेखक अब आपको यहाँ मिल सकते हैं क्योंकि काफी की पुस्तकें इसमें शामिल हैं , प्रिंट मीडिया इंटरनेट के आने से कमजोर नहीं मजबूत हुआ है शायद यही संदेश देता है यह ?
चलते हैं चर्चा की और
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दर्द के खामोश समन्दर
रहा देखता राह, किन्तु चुप्पी थी बढ़िया
आज की चर्चा में बस इतना ही
धन्यवाद
दिलबाग विर्क
लिंकों के साथ बहुत सुन्दर चित्रमयी चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार भाई दिलबाग विर्क जी!
विविध लिंक्स लिए चर्चा |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर सूत्र..आभार..
जवाब देंहटाएंsundar link sanyojan
जवाब देंहटाएंदिलचस्प सूत्र संयोजन दिलबाग विर्क जी!
जवाब देंहटाएंआदरणीय दिलबाग सर बहुत ही सुन्दर एवं पठनीय सूत्र दिए हैं आज की चर्चा में, हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा -
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय दिलबाग जी-
बहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ... आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक लिंक्स संयोजन,आभार आपका।
जवाब देंहटाएंविर्क जी धन्यवाद सुंदर लिंक देने के लिए
जवाब देंहटाएं...बहुत सुन्दर लिंक्स,धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्रों में पिरोइ माला के लिए आभार दिलबाग जी
जवाब देंहटाएंगुज़ारिश : ''......यह तो मौसम का जादू है मितवा......''
बहुत ही सुन्दर एवं पठनीय सूत्र,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
बढ़िया चर्चा लगाई है दिल्बाग जी बधाई
जवाब देंहटाएंसुंदर पठनीय सूत्र
जवाब देंहटाएंवाह क्या चर्चा के लिँक लगाइ मैँ तो सारे शिशर्क को ही पढता रह गया
जवाब देंहटाएंऐसे लिँक के साथ चर्चामय संवाद कमाल का हैँ यू ही जारी रखकर ,, इसके रोँमाच कायम रखे धन्यवाद