(विष्णु बैरागी)
एकोऽहम्
सौदायिक बिन व्याहता, करने चली सिंगार |
गहने पहने मांग कर, लेती कई उधार | (भाजपा की ओर इशारा) लेती कई उधार, खफा पटना पटनायक | खानम खाए खार, करे खारिज खलनायक | (जदयू, बीजद , मुस्लिम)
हौदा हाथी रहित, साइकिल बिना घरौंदा |
नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा || (माया-मुलायम)
सौदायिक= स्त्री-धन
नइखे= नहीं
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मायावी दिल्ली किला, जिला-जीत जम जाँय ।
जिला मिला मुर्दा रखें, मुद्दा दें भटकाय ।
मुद्दा दें भटकाय, नजर तख्ते-ताउस पर ।
वोट बैंक का खेल, नजर सबकी हाउस पर ।
पटना पटनाएक, जया ममता बहकाया ।
चूक रहे चौहान, चूकते मोदी माया ॥
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गोरु गोरस गोरसी, गौरैया गोराटि ।
गो गोबर गोसा गणित, गोशाला परिपाटि । गोशाला परिपाटि, पञ्च पनघट पगडंडी । पीपल पलथी पाग, कहाँ सप्ताहिक मंडी । गाँव गाँव में जंग, जमीं जर जल्पक जोरू । भिन्न भिन्न दल हाँक, चराते रहते गोरु ॥
गोसा=गोइंठा / उपला
गोरसी = अंगीठी
गोरु = जानवर
गोराटि = मैना
पाग=पगड़ी
जलपक =बकवादी
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पिस्सू-मच्छर-खटमल Vs जूँ-चीलर
पिस्सू मच्छर तेज हैं, देते खटमल भेज ।
जगह जगह कब्जा करें, खटिया कुर्सी मेज ।
खटिया कुर्सी मेज, कान पर जूँ ना रेंगे ।
देते कड़े बयान, किन्तु विस्फोट सहेंगे ।
चीलर रक्त सफ़ेद, लाल तो बहे सड़क पर।
करके धूम-धड़ाक, चूसते पिस्सू मच्छर।।
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अज़ीज़ जौनपुरी : पाँव की जूतीAziz Jaunpuri |
छंद सरसीअरुण कुमार निगम
छंद सरसी
[16, 11 पर यति, कुल 27 मात्राएँ , पदांत में गुरु लघु] चाक निरंतर रहे घूमता , कौन बनाता देह | क्षणभंगुर होती है रचना , इससे कैसा नेह || जीवित करने भरता इसमें , अपना नन्हा भाग | परम पिता का यही अंश है , कर इससे अनुराग ||
हरपल कितने पात्र बन रहे, अजर-अमर है
कौन |
कोलाहल-सा खड़ा प्रश्न है , उत्तर लेकिन मौन || एक बुलबुला बहते जल का , समझाता है यार | छल-प्रपंच से बचकर रहना, जीवन के दिन चार || |
"मयंक का कोना"
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ज़िन्दग़ी का फलसफा, कोई नहीं है जानता।
ज़िन्दग़ी को कोई भी, अब तक नहीं पहचानता।।
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मन की कह दे, वह कविता है,
सब की कह दे, वह कविता है,
निकसे कुछ कुछ अलसायी सी,
अपने में ही सकुचायी सी,
शब्द थाप बन आप खनकती,
रस सी ढलके, वह कविता है।
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जवाब देंहटाएंआज के चर्चा मंच पर तो लिंको की बहार है!
हर तरफ सुवास ही सुवास है।
धन्यवाद रविकर जी।
कई तरह की रचनाएं आज पढ़ने के लिए है |
जवाब देंहटाएंआशा
रविकर जी ! आपकी गठरी में इतने स्वर्णाभूषण कि लूटने को जी चाहता है .....आपका मुकाम ऊँचा ,काम ऊँचा .....शुभकामनाएं ...
जवाब देंहटाएंलिंक्स का बढ़िया संकलन. मेरा लिंक शामिल करने के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबिभिन्न रंगों से सुसज्जित बहुत ही सार्थक चर्चा,आज तो बहुत कुछ है खजाने में,सादर धन्यबाद गुरुवर.
जवाब देंहटाएंआदरणीय गुरुदेव श्री प्रणाम पुष्प के समान सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित चर्चा मंच का उपवन बहुत ही सुहाना प्रतीत हो रहा है. हार्दिक बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंरविकर जी को मेरा सादर धन्यवाद ....आपने मेरी रचना को जगह दी .....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत सुंदर मंच सजा हुआ है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारे सूत्रों से सजी चर्चा, आनन्दमयी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स से सजी रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंछंद-मय चर्चा ... मज़ा आया ... सुन्दर लिक्स ओर आपकी ताज़ा टिपण्णी अदाज में ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मुझे भी जगह देने का ...
सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित चर्चा
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रसूनों से सुसज्जित गुलदस्ता, मुझे भी सम्मिलित करने हेतु आभार....
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयास रविकर जी! मेरी पोस्ट की भी चर्चा करने के लिए धन्यवाद!
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