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शनिवार, फ़रवरी 02, 2013

वक्त की कमी की वजह से

दोस्तों 
वक्त की कमी की वजह से आज देर से चर्चा लगा रही हूँ इसलिये 
जो लिंक्स लिये हैं आज तो उसी से संतोष करना पडेगा 
उम्मीद है निराश नहीं होंगे
आज सिर्फ़ टाइटल पर ही कमेंट हैं ………नाराज़ नहीं होइयेगा
बहुत जल्दी में लगा रही हूँ चर्चा 


हर कोने में कुछ हैरानियां रख दी हैं ...!!!

 और मैने समेट ली हैं


वही ख्याल: लीक से हटकर.....(3)

आओ सहेजें 

 

जलनखोर कहीं का.....।

ओह ! सच !

कौन कहता है ये इक्कीसवी सदी है..

पता करके बताते हैं 

लारेंस फरलंगएरी : खुशी का नुस्खा

क्या है ?

कांग्रेस की बैसाखी है इस्लाम या फिर इस्लाम की बैसाखी है कांग्रेस ?

आप ही बता दीजिये 

'साहब' और 'वह'.......(लघु कथा)

क्या बात है 

अब केक्टस ही तो उगेंगे !

सच कहा 

अब नहीं आती गौरैया

क्यों आयेंगी?

चुहुल - ४३

कीजिये 

रेप से मौत या कोमा में जाने पर भी होगी फांसी

यही होना चाहिये 

एक हिस्सा मेरे वजूद का - वंदना ग्रोवर की कवितायें

झांक कर देखो तो 

एक दिन में नहीं बन गयी वर्णमाला

सच कह रहे हैं 

जब दिमाग जीत गया तर्क की बाजी...

ये तो उसका हक बनता है 

मैं मरने के पहले एक बार चीखूंगा जरूर

जरूर चीखना चाहिये 

अजामिल

कहो अपनी कहानी

तुझसे मिलने की सज़ा देंगे तेरे शहर के लोग...दानिश अलीगढ़ी

यही है दस्तूर 

बस, बीस मिनट

दे दिये 

उपदेश का सही प्रभाव

स्वंय के आचरण से ही पडता है

दरख्तों ने जीर्ण पत्ते झाड़े हैं

नव पल्लव तभी तो खिलेंगे

गाँधीवादी है-

कौन?

तीन अहसास कुछ अलग से...

कुछ हम भी जी लें

शीला जी को अभी भी वही ग़लतफ़हमी है!

वो तो खुद एक गलतफ़हमी हैं

शोभना फेसबुक रत्न सम्मान प्रविष्टि संख्या - 4

मिलिये इनसे भी

पार्वती योनि ...... नेहा नरुका .

एक विचार ये भी

डॉ. सरोज गुप्ता - http://facebook.com/saroj.delhi50

मिलिये इस शख्सियत से भी

सिद्धांत लागू हो रहा है हम पर

आखिर कब तक नहीं होगा

"सुहाना लगता है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

 लगना ही चाहिये

जरूर कोशिश जारी रखिये
 
यही होता है 

 शगल ....
 ऐसा ही होता है 


लघु कथा -चोरी – लेखक प्राण शर्मा

http://www.pravasiduniya.com/short-story-theft-author-pran-sharma………

इस लिंक को खोलकर पढें

ताजमहल : एक निशानी ?? 

या एक दरिंदगी का मकबरा 

 

 


आज के लिये इतना ही …………अगले शनिवार फिर मिलते हैं 

20 टिप्‍पणियां:

  1. शुक्रिया वंदना जी, फुर्सत से देखता हूँ सारे लिंक्स।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स .....चयनित किये हैं आपने

    आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. शुक्रिया वंदना जी मेरी रचना को इस मंच पर प्रस्तुत करने के लिए...

    जवाब देंहटाएं
  4. जल्दबाजी में भी बेहतर लिक्स दिए हैं।
    अच्छी चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  5. बढ़िया है |
    शुभकामनायें आदरेया ||

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स...............

    जवाब देंहटाएं
  7. हमारी पोस्ट का लिंक शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद!


    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. भले ही वक्त कि कमी से चर्चा देर से आई हो लेकिन सभी लिंक उम्दा है !!

    जवाब देंहटाएं
  9. समयाभाव होते हुए भी इतने अच्छे लिंक्स को उपलब्ध कराने के लिए सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत अच्‍छे लिंक्‍स मेरी सादर ब्लॉगस्ते में पोस्टेड रचना को यहाँ शामिल करने का शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  11. कम समय फिर भी उम्दा चर्चा |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  12. बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....
    आभार...

    जवाब देंहटाएं
  13. शुक्रिया पोस्ट को यहाँ सहेजने का....

    जवाब देंहटाएं
  14. कम समय में भी आपने कई खूबसूरत लिंक्‍स सजा लि‍ए....मेरी पोस्‍ट को शामि‍ल करने के लि‍ए आपका आभार..

    जवाब देंहटाएं
  15. बड़े सुन्दर सूत्र..साथ में प्रतिटिप्पणियाँ भी..

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत बढ़िया लिंक्स संयोजन वंदना जी मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  17. लिंक्स बहुत अच्छे हैं...टिप्पणियाँ सोने में सुहागा...मेरी रचना पर आपका कमेंट बहुत अच्छा लगा...आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  18. वन्दना जी की चर्चा तो नियम से हर शनिवार को प्रस्तुत होती है।
    लिंकों पर वन्दना जी की संक्षिप्त टिप्पणियाँ महत्वपूर्ण होती हैं।
    आभार वन्दना जी आपका!

    जवाब देंहटाएं

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