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सुनीता शानू
सेल की दुकान देखते देखते
एक आदमी
नरक के दरवाजे आ गया
यमराज को देख घबरा गया
बोला हे महाराज
इतनी जल्दी क्यों मुझे बुलाया
अभी तो मेरा समय नही आया
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प्रवीन मलिक
अपने सब बेगाने हो गए , न किसी का साथ मिला !
सब सपने टूट गए , गम का कुछ ऐसा साथ मिला !!
तनहाइयों ने दी पनाह , तो सोचने का अवसर मिला !
अब सोच को देना था रूप , पर न कोई मंच मिला !!
अपने में ही खोये रहे , ना मन का कोई मीत मिला !
अपना बनके जो भी मिला , उसने जी भर के ठगा !!
इंसानों की इस बस्ती में , ना कोई ऐसा इंसान मिला
इंसानियत की तो बात क्या , बस शैतान का ही रूप मिला !!
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मनोज नौटियाल
राजनीति के सिलबट्टे पर घिसता पिसता आम आदमी
मजहब के मंदिर मस्जिद पर बलि का बकरा आम आदमी ||
राजतंत्र के भ्रष्ट कुएं में पनपे ये आतंकी विषधर
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||
क्या है हिन्दू, क्या है मुस्लिम क्या हैं सिक्ख इसाई
प्यारे
लहू एक हैं - एक जिगर है एक धरा पर बसते सारे
एक सूर्य से रौशन यह जग , एक चाँद की मस्त चांदनी
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||
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सुशीला शिवराण ‘शील’
वहाँ..........
वो लाश जो खून से लथपथ पड़ी है
बम के छर्रों ने नहीं छोड़ा पहचान के काबिल
उड़ा दिए हैं शरीर के पर्खच्चे
बाँया हाथ कहीं दूर जा गिरा है
शेष झुलसे, खून से सने अवयव
देते हैं तुम्हें चुनौती
पहचान सको तो पहचानो
कौन था मैं
हिन्दू, मुसलमान या क्रिस्तान
नहीं पहचान सके ना?
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अरुण जी की कुंडली
अनगढ़ मिट्टी पा रही , शनै: - शनै:
आकार
दायीं - बायीं तर्जनी , देती उसे
निखार
देती उसे निखार , मध्यमा संग कनिष्का
अनामिका अंगुष्ठ , नाम छोड़ूँ मैं
किसका
मिलकर रहे सँवार , रहे ना कोई घट -
बढ़
शनै: - शनै: आकार , पा रही मिट्टी
अनगढ़ ||
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रविकर की टिप्पणी
भगदड़ दुनिया में दिखे, समय चाक चल
तेज |
कुम्भकार की हड़बड़ी, कृति अनगढ़ दे भेज
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कृति अनगढ़ दे भेज, बराबर नहीं
अंगुलियाँ |
दिल दिमाग में भेद, मसलते नाजुक
कलियाँ |
ठीक करा ले चाक, हटा मिटटी की गड़बड़ |
जल नभ पावक वायु, मचा ना पावें भगदड़
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Shalini Rastogi
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अशोक सलूजा
मैंने अपनी आँख का आप्रेशन करवाया था
डाक्टर साहब ने दस दिन का रेस्ट बताया था
मेरी आँखों पे काला चश्मा लगवाया था
मुझे लैपटॉप से दूर रहने को जताया था
बस इस लिए आप की पोस्ट न पढ़ पाया था ....
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प्रतिभा वर्मा
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वंदना गुप्ता
मैने तो सीखा ही नही
मैने तो जाना ही नहीं
क्या होता है प्रेम
मैने तो पहचाना ही नहीं
क्योंकि
मेरा प्रेम तुम्हारा होना माँगता है
तुमसे मिलन माँगता है
तुम्हारा श्रंगार मांगता है
तुमसे व्यवहार माँगता है
मेरा प्रेम भिखारी है
मेरा प्रेम दीनहीन है
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अन्त में देखिए..
कार्टून:-आतंकी हमले की गारंटीशुदा सूचना
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मित्रों इसी के साथ मुझे विदा दीजिये, अगले रविवार फिर मिलेंगे एक नई चर्चा के साथ तब तक के लिए प्रणाम. आप सब चर्चामंच पर गुरुजनों एवं मित्रों के साथ बने रहें. | ||
आगे देखिये ------- मयंक का कोना
(१) ख्वाब
बुरे स्वप्न पाकर सदा, मन हो जाता खिन्न।
ख्याल सताते सुमन में, मिटन न उसके चिन्ह।।
(२)
उसकी चुपड़ी देख के, मत सूखी को फेंक।। |
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रविवार, फ़रवरी 24, 2013
"कैसी है ये आवाजाही" - चर्चा मंच-1165
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अरुण भाई बहुत सुन्दर लिंक्स | मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति अरुण जी!
जवाब देंहटाएंआभार!
बढ़िया लिंक्स ने अच्छे ब्लॉग्स पढवाए !
सार्थक प्रयास ....अभिव्यक्तियों को स्वर देता ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंसार्थक लिंकों का सुंदर संयोजन,,,अरुण जी बधाई,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: गरीबी रेखा की खोज
वाह अरुण जी.....
जवाब देंहटाएंसारे दिन का सुन्दर इंतजाम है...
लिंक्स धीरे धीरे देखती हूँ.
हमारी पोस्ट को शामिल करने का शुक्रिया.
अनु
काफी मेहनत की है अरुण। चर्चा काफी सुसज्जित लग रही है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंबढिया
बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
बहुत बहुत आभार अरुण कुमार अनंत जी , की आपने मेरी रचना को मंच पर चर्चा एवं अवलोकन हेतु लगाया | चर्चा मंच एक सार्थक प्रयोग है , युवा कवियों को पढने का और आपस में सीखने का अनुभव बड़ा ही मनोहर है | शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत सुंदर चर्चा सजाई है प्रिय अरुण बहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर और पठनीय चर्चा लिंक !!
जवाब देंहटाएंअरुण,बहुत ही रोचक एवं पठनीय सूत्र जोड़े हैं आपने ,खुश रहिये
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार...बहुत ही सुन्दर, सार्थक , सरस लिंक्स...
जवाब देंहटाएंबढ़िया और सुव्यवस्थित चर्चा |
जवाब देंहटाएंआभार शास्त्री जी ,अरुण जी बधाई !
जवाब देंहटाएंउम्र ढल गई चलते-चलते,
जवाब देंहटाएंलक्ष्य नहीं पाता है राही।
बढ़िया चित्रण कुराज का .शासकी य अव्यवस्था का .
क्या मारा है कनपटी पे सूचना प्रदाता मंत्रालय की .सूचना देकर ये निश्चित हो जाते हैं जैसे ये ही इनका मुख्य काम हो .
जवाब देंहटाएंअन्त में देखिए..
Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
कार्टून:-आतंकी हमले की गारंटीशुदा सूचना
अरुण जी की कुंडली
जवाब देंहटाएंअनगढ़ मिट्टी पा रही , शनै: - शनै: आकार
दायीं - बायीं तर्जनी , देती उसे निखार
देती उसे निखार , मध्यमा संग कनिष्का
अनामिका अंगुष्ठ , नाम छोड़ूँ मैं किसका
मिलकर रहे सँवार , रहे ना कोई घट - बढ़
शनै: - शनै: आकार , पा रही मिट्टी अनगढ़ |
जितनी बढ़िया कुंडली ,उतनी ही रही अनुकुंडली .
पिलपिलाया गूदा है ।
जवाब देंहटाएंछी बड़ा बेहूदा है । ।
मर रही पब्लिक तो क्या -
आँख दोनों मूँदा है ॥
जा कफ़न ले आ पुरकस
इक फिदाइन कूदा है । |
कल गुरू को मूँदा था
आज चेलों ने रूँदा है ॥
पाक में करता अनशन-
मुल्क भेजा फालूदा है ॥
जो कहते हैं ,करके दिखाते हैं ,
ये सूचना प्रदाता ,देखो फिर भी इठलाते हैं .
जवाब देंहटाएंबधाई .सफर ये तुम्हारा बढे यूं ही आगे से आगे .....और आगे
जवाब देंहटाएंबधाई .सफर ये तुम्हारा बढे यूं ही आगे से आगे .....और आगे
my dreams 'n' expressions
आज मेरा ये ब्लॉग एक साल का हो गया.....
अनुलता राज नायर
जवाब देंहटाएंअरुण अनंत शर्मा भाई शुक्रिया हमने चर्चा मंच में बिठाने का .बढ़िया सेतु सजाने नयो को आजमाने का .
बहुत सुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंअरुण जी सभी लिंक्स अछे हैं .....
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को भी आज की चर्चा में शामिल करने के लिए आभार ...
अच्छे लिंक्स से सजा आज का चर्चा मंच |आपकी महानत का क्या कहना |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर लिंक संयोजन.... पूरे सप्ताह के लिए अच्छी खुराक पेश की है अरुण जी... धीरे धीरे इस पोस्ट का रसास्वादन करने में ही आनंद आएगा ... इस मंच पर बुलाने का शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंकल मोबाइल पर देखा , टिप्पणी नहीं कर पाया -
जवाब देंहटाएंबाहर था-
शुभकामनायें प्रिय अरुण ||