Jai Sudhir
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अबूझ है हर शै यहाँ
Anita
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सोच लो !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
तुम अगर हमी को सत्ता देंगे,
तो हम तुम्हें गुजारा भत्ता देंगे।
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*देवम की चतुराई*
आनन्द विश्वास
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खुशबूदार बदलाव ...
Amrita Tanmay
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ग़ज़ल (पहचान)
Madan Mohan Saxena
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कलम तुम उनकी जय बोलो...
DR. PAWAN K. MISHRA
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madhu singh
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सुदामा तुम कहाँ हो ....
Saras
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Er. Shilpa Mehta : शिल्पा मेहता
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हँसी को जिंदा रखना है तो ....
सदा
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'विश्वरूपम' - बिना मतलब का विवाद
Shah Nawaz
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खलक उजरना या उजड़ना और खँडरी नीछना या ओदारना
संजीव
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“महकी हवाएँ” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
सुलगते प्यार में, महकी हवाएँ आने वाली हैं।
दिल-ए-बीमार को, देने दवाएँ आने वाली हैं।।
चटककर खिल गईं
कलियाँ,
महक से भर गईं
गलियाँ,
सुमन की सूनी घाटी
में, सदाएँ आने वाली
है।
दिल-ए-बीमार को, देने दवाएँ आने वाली हैं।।
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"दो मुक्तक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)मुक्त हस्त से गढ़ रहे, मुक्तक गुरुवर आज | नेह रोशनी का मिलन, पढ़ता चले समाज |
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सुन्दर सार्थक व्यवस्थित चर्चा बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर-सार्थक और व्यवस्थित चर्चा।
जवाब देंहटाएंआज देहरादून में हूँ।
बस यही कहूँगा कि इस शानदार चर्चा के लिए आपका आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा का मंच
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने का आभार
जयललिता ने अपनी फ़िल्मी इस्टाईल में law and order की दुहाई देकर अपनी सफाई दे डाली ! वोट बैंक राजनीति अब नहीं चलेगी कांग्रेसियों ! मुसलमान भी अब जागरूक हो रहे हैं ! सलमान रुश्दी, तसनीमा नसरीन इसके ज्वलंत उदाहरण है! फतवा जारी करने वाले अनपढ़-गवारों के दिन अब लद रहे हैं!
जवाब देंहटाएंकमल हसन जैसे सम्बेदन शील कलाकार देश छोडना चाहते है ,सलमान रश्दी को भारत आने नही दिया जाता ,अफरोज जैसा हत्यारा और दरिंदा जिसने दामिनी के साथ दो बार रेप किया इसलिये बचाया जाता है की वह मुस्लिम है,जनरल बी.के .सिंह का स्कूल प्रमाणपत्र गलत हो सकता है क्यूकी उन्होंने देश रक्षा मे अपनी जवानी लगा दिया!!!;प्रज्ञा सिंह को सबूत के आभाव मे कैंसर की अवस्था मे भी जमानत नही दी जा सकती ,
" Innocence of Muslims" के बारे में विद्वानों की क्या राय है ? क्या उस पर विश्व भर के इस्लामिक देशों में मचा बवाल लाज़मी था ?
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आदरणीय रविकर सर प्रणाम, बहुत ही सुन्दर चर्चा लगाई है, हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चर्चा के लिए आभार !!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक रचनाऐं चर्चा-मंच के सजग आयोजकों
जवाब देंहटाएंकी पेंनी नज़र से बच नहीं पाती हैं और वे अथाह सागर में
से अनमोल मोती ढूँढ ही लाते हैं। चर्चा-मंच के सेवा-भावी
आयोजकों के अमूल्य श्रम को नमन।
आनन्द विश्वास
बहुत अच्छे सूत्रों से सजी चर्चा मंच रविकर जी -बधाई
जवाब देंहटाएंNew postअनुभूति : चाल,चलन,चरित्र
New post तुम ही हो दामिनी।
रविकर जी, विविधता लिए लिंक्स..सुंदर चर्चा ! बहुत बहुत आभार मुझे भी इसमें शामिल करने के लिए..
जवाब देंहटाएंलाज़वाब सेतु संयोजन .इस वक्त की आंच लिए प्रासंगिक मुद्दों का उत्कर्ष लिए .वर्जनाओं को तोड़ना ,वर्जनाओं का टूटना आज बहुत ज़रूरी है .साथ ही नवमूल्यों का निर्माण भी ,उस समाज में जहां
जवाब देंहटाएंपुरुष नारी देह का अतिक्रमण कर ऊपर नहीं उठ पा रहा है दैहिक सौन्दर्य से ऊपर उसकी आभा ,प्रभा मंडल (दिव्यता) से साक्षात्कार नहीं कर पा रहा है .आँखों में इंच टेप /सी टी स्केन /लिए घूम रहा है
उसके अंगों का नाप
लेता .निम्नांग से उच्चांग तक उसके वस्त्रों की पैमाइश करता .इवोल्व नहीं हो रहा है मर्द .मैं जानता हूँ और अच्छी तरह से मानता हूँ सामजिक वर्जनाओं के टूटने से अभी इतनी जल्दी कुछ हासिल भी
न होगा लेकिन एक चिंगारी तो उठे एक विचार का पल्लवन तो हो जो नर का आवाहन करता चले -ये मादा तुमसे भिन्न नहीं है .यह भी आधुनिक मानव है .होमोसेपियन है .माँ ,बहन ,बेटी से इतर यह
एक खूब सूरत बिंदास शख्शियत भी है कमल पुष्प सी पूर्ण खिली हुई आत्म विशवास से लबरेज़ .
लाज़वाब सेतु संयोजन
जवाब देंहटाएंFRIDAY, FEBRUARY 1, 2013
(वात्स्यायन के कामसूत्र को एक औरत की चुनौती: चर्चा मंच 1142)
.इस वक्त की आंच लिए प्रासंगिक मुद्दों का उत्कर्ष लिए .वर्जनाओं को तोड़ना ,वर्जनाओं का टूटना आज बहुत ज़रूरी
है .साथ ही नवमूल्यों का निर्माण भी ,उस समाज में जहां
पुरुष नारी देह का अतिक्रमण कर ऊपर नहीं उठ पा रहा है दैहिक सौन्दर्य से ऊपर उसकी आभा ,प्रभा मंडल (दिव्यता) से साक्षात्कार नहीं
कर पा रहा है .आँखों में इंच टेप /सी टी स्केन /लिए घूम रहा है
उसके अंगों का नाप
लेता, .निम्नांग से उच्चांग तक उसके वस्त्रों की पैमाइश करता .इवोल्व नहीं हो रहा है मर्द .मैं जानता हूँ और अच्छी तरह से मानता हूँ
सामजिक वर्जनाओं के टूटने से अभी इतनी जल्दी कुछ हासिल
भी
न होगा समाज रचना इतनी जल्दी नहीं बदलेगी . लेकिन एक चिंगारी तो उठे एक विचार का पल्लवन तो हो जो नर का आवाहन करता चले -ये मादा तुमसे भिन्न नहीं है .यह भी
आधुनिक मानव है .होमोसेपियन है .माँ ,बहन ,बेटी से इतर
यह
एक खूब सूरत बिंदास शख्शियत भी है कमल पुष्प सी पूर्ण खिली हुई आत्म विश्वास से लबरेज़ .
हर तीसरे दिन का किस्सा है हिन्दुस्तान में कभी सानिया मिर्ज़ा की स्कर्ट की ऊंचाई पर विवाद .कहीं किसी महिला कालिज में जींस टॉप
पर पाबंदी .किसी यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के मौके पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में मिनी स्कर्ट पहन के पश्चिमी शैली की
नृत्य पर पा -बंदी .तुर्रा यह कि कार्यक्रम हूट होगा लड़के सीटी बजायेंगे .जबकि सीटी बजाना कार्यक्रम से उत्सर्जित आनंद का ही हिस्सा है
उनकी पसंदगी है .
याद कीजिए नारी मुक्ति आन्दोलन की मुखिया महिलाओं ने प्रतीक स्वरूप चोलियाँ जलाई थीं .यह विद्रोह था समाज के दोहरे पन के
खिलाफ .
पूर्णनग्न होकर महिलाओं ने उत्तरपूर्व के एक राज्य में फौजियों की बदसुलूकी के खिलाफ मार्च किया था उनके कैम्पों के बाहर .
महिला की खुली और बंद स्किन के माप से बाहर निकलिए .दूकान बढ़ाके ब्लोगिंग से मत भागिए .
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :
मंगलवार, 29 जनवरी 2013
किस्सा ड्रेस-कोड का . ..तब और अब ......
बहुत अच्छे सूत्रों से सजी चर्चा आभार नसीब सभ्रवाल से प्रेरणा लें भारत से पलायन करने वाले
जवाब देंहटाएंआप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति हेतु आभार....
सुंदर चर्चा के लिए रविकर जी बधाई,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST शहीदों की याद में,
सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा..
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसेकुलर प्राणि का कोई जेंडर नहीं होता वह नर भी हो सकता है मादा भी .सभी सेकुलर देवी देवताओं को प्रणाम .टूथलेस सेंसर बोर्ड को सलाम .
सेकुलर प्राणि का कोई जेंडर नहीं होता वह नर भी हो सकता है मादा भी .सभी सेकुलर देवी देवताओं को प्रणाम .टूथलेस सेंसर बोर्ड को सलाम .
देश छोड़कर भागता ,यह अदना इन्सान |
सीन हटाने के लिए , कैसे जाता मान |
कैसे जाता मान, सोच में यह परिवर्तन |
डाला जोर दबाव, करे या फिर से मंथन |
रविकर यह कापुरुष, करे समझौता भारी |
बदले अपनी सोच, ख़तम इसकी हुशियारी |
जवाब देंहटाएंदेश छोड़कर भागता ,यह अदना इन्सान |
सीन हटाने के लिए , कैसे जाता मान |
कैसे जाता मान, सोच में यह परिवर्तन |
डाला जोर दबाव, करे या फिर से मंथन |
रविकर यह कापुरुष, करे समझौता भारी |
बदले अपनी सोच, ख़तम इसकी हुशियारी |
कमल हासन की फिल्म का क्या होगा?
IRFAN
ITNI SI BAAT
बेशक कामसूत्र मर्द वादी सोच का प्रक्षेपण हैं .स्त्री को पत्नी रूप में वैश्या की तरह काम कला प्रवीण होने की हिमायत करता है .साथ ही नायक नायिका वर्गीकरण लिंग और योनी के आकार के अनुसार
जवाब देंहटाएंकरता हुआ विज्ञान सम्मत जामा भी पहन लेता है .सम्भोग कला की दीक्षा है कामसूत्र .
सम्भोग से समाधि पुस्तक में यह पुरुष केन्द्रित झुकाव नहीं था .
वात्स्यायन के कामसूत्र को एक औरत की चुनौती
Jai Sudhir
Bitter talk , But real talk
ये गणतंत्री मूषक (चूहे )प्रजातंत्र को पहले ही कुतर चुके हैं .ऐसा न करने पर इनके दांत खुट्टल हो जाते हैं जनता को यह वैज्ञानिक तथ्य भी नजर अंदाज़ नहीं करना चाहिए .
जवाब देंहटाएंप्रधानमन्त्री कौन?
Dr.Divya Srivastava
चूहे चाचा चतुर हैं, भ्रमित भतीजा भक्त ।
कुतर कुतर के तंत्र को, कर जनतंत्र विभक्त ।
कर जनतंत्र विभक्त, रोटियां रहे सेकते ।
सान सान के रक्त, शान से उधर फेंकते ।
किन्तु निडर यह शेर, नहीं जनता को दूहे ।
सुदृढ़ करे जहाज, भागते देखो चूहे ।
जवाब देंहटाएंचुनाव होने में 12-13 महीने बाकी हैं इसलिए यह बवाल है सेकुलर वीरों का .प्रायोजित है यह ड्रामा .जय सेकुलर अम्मा .जितनी ताकत इन वीरों ने मुस्लिम तुष्टिकरण में लगा रखी है काश इसकी
अल्पांश भी उनके उत्थान में लगाते तो आज यह सामाजिक आर्थिक हाशिये पे न होते फलस्तीन न बने होते ,बे घर न होते .सोचने और विश्लेषण करने का माद्दा न रखते .जबकि हिन्दुस्तान तो इनकी
सल्तनत था .आज मज़हबी वोट ने इन्हें क्या से क्या कर दिया है .
मुद्दे यार किसके खाए पिए खिसके .
जवाब देंहटाएंजनतंत्र रूपी चिलमन और (अ)धर्मनिर्पेक्षता !
अंधड़ !
शा'रुख का रुख साफ़ है, आय पी एल में पस्त ।
पाक खिलाड़ी ले नहीं, मौका-मस्त-परस्त ।
मौका-मस्त-परस्त, बने प्रेसर गौरी पर ।
कमल हसन अभ्यस्त, बना बेचारा तीतर ।
हैं बयान के वीर, बने पुस्तक के आमुख ।
नंदी बंदी पीर, कमल शिंदे से शा'रुख ।।
बहुत बढ़िया चर्चा |
जवाब देंहटाएं