मित्रों!
शनिवार की चर्चाकार श्रीमती वन्दना गुप्ता आज कुछ व्यस्त हैं। इसलिए उनकी अनुमति लेकर मैं ही चर्चा को प्रस्तुत कर रहा हूँ…! (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
अग़ज़ल - 51 (दिलबाग विर्क)
राह चलते-चलते दर्द मुझ पर मेहरबां हो गया
देखो बिन बुलाए यह उम्र भर का मेहमां हो गया...।
| |
आतंकवाद से लड़ना है तो ख़ुफ़िया तंत्र को मजबूत करना ही होगा !!शंखनाद![]() आतंकवादी घटनाएं हमारे देश में रुकने का नाम नहीं ले रही है और आतंकवादी अपने नापाक मंसूबों में एक बार फिर कामयाब हो गये हैं ! इसके बाद हमारे सत्ताधीशों द्वारा वही रटे रटाये बयान आयेंगे कि हम आतंकवाद को बर्दास्त नहीं करेंगे लेकिन क्या केवल बयान देने भर से आतंकवाद पर लगाम लग पाएगी… | |
बुना कैसे जाये फ़साना न आयाप्रस्तुतकर्ता अरुन शर्मा 'अनन्त'(बह्र: मुतकारिब मुसम्मन सालिम) (वज्न: १२२, १२२, १२२, १२२) बुना कैसे जाये फ़साना न आया, दिलों का ये रिश्ता निभाना न आया, लुटाते रहे दौलतें दूसरों पर, पिता माँ का खर्चा उठाना न आया…. | |
-1-बुड्ढा तेरा बाप, इशारा कर ही जाते--2- अगस्त्य महर्षि कुँभारन के पुरखा पहला हम मानत भैया-
| |
लघुकथातूलिकासदन![]() बंदर का तमाशा / सुधा भार्गव सड़क पर एक औरत बंदर का तमाशा दिखा रही थी । मैले कुचैले ,फटे फटाए कपड़ों से किसी तरह तन को ढके हुये थी । बंदर की कमर में रस्सी बंधी थी जिसका एक छोर उस औरत ने पकड़ रखा था । झटके दे –देकर कह रही थी –कुकड़े ,माई –बाप और अपने भाई –बहनों को सलाम कर और कड़क तमाशा दिखा तभी तो तेरा –मेरा पेट भरेगा… |
ultapulta ![]() नेता जी की परलोक गाथा -*मनोज जैसवाल :सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। दो बार अपने राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके नेताजी अभी कुछ महीने पहले केंद्र में कैबिनेट स्तर के मंत्री बने... | ज्ञान अपडेट ![]() निःशक्तो को सशक्त बनाएगी सरकार - सरकार ने निःशक्तों को सशक्त बनाने के लिए एक योजना तैयार की है. ''हुनर से रोजगार'' नामक इस योजना के माध्यम से सत्कार उद्योग के क्षेत्र में.. |
चैतन्य का कोना ![]() एक प्यारा सा स्केच - मेरी प्रोफाइल फोटो का यह प्यारा सा स्केच कार्टूनिस्ट अनिल भार्गव अंकल ने बनाकर भेजा है | उन्हें ढेर सारा थैंक्स | बताइए आप सब को उनका बनाया यह केरीकेचर कैसा लगा... | जटिल रोगों की सरल चिकित्सा. ![]() चक्कर आना: आसान उपचार चक्कर आने के घरेलू और होम्योपैथिक इलाज डा..दयाराम आलो... |
Sudhinama ![]() असमंजस - नहीं जानती ज़िंदगी की बेहिसाब बेरहमियों के लिए उसका शुक्रिया करूँ या फिर कभी कभार भूले भटके बड़ी कंजूसी से भीख की तरह दिये गये मेहरबानियों के चंद टुकड़े... | वटवृक्ष ![]() आरम्भ से ... उड़न तश्तरी -*बुधवार, अप्रैल 26, 2006* * * *एक भोजपुरी टाईप की गज़ल लिखने का प्रयास* मेरा ननिहाल और ददिहाल दोनो ही गोरखपुर, उ.प्र., है मगर मै पैदाईश से लेकर हमेशा… |
काव्य का संसार इकहत्तर की उमर हो गयी - इकहत्तर की उमर हो गयी पल पल करके ,गुजर गए दिन,दिन दिन करके ,बरसों बीते इकहत्तर की उमर हो गयी,लगता है कल परसों बीते जीवन की आपाधापी में ,पंख लगा कर ... | खामोश दिल की सुगबुगाहट... गुमगश्ता से कुछ ख़याल... - ज़िदगी तेज़ भागती है बहुत, बिलकुल बुलेट ट्रेन की तरह... हर रोज़ ज़िन्दगी में कई लोग मिलते हैं.. कुछ लोग तयशुदा होकर प्लेटफोर्म में तब्दील हो जाते है, वहां आकर... |
प्रियंकाभिलाषी.. ![]() 'प्यार-प्यार..' - ... "तुम्हारी हर धड़कन क्यूँ लेती है मेरा नाम..?? फिर तुम मुझे जानते ही कितना हो..कोई १५ दिन पुरानी ही होगी ना हमारी मुलाकात.. क्यूँ इतनी गहरी उतर गयी है... | डॉ.कविता'किरण'( कवयित्री) Dr.kavita'kiran' (poetess) मुहब्बत का ज़माना आ गया है .... - *मुहब्बत का ज़माना आ गया है * *गुलों को मुस्कुराना आ गया है * *नयी शाखों पे देखो आज फिर वो * *नज़र पंछी पुराना आ गया है.. |
रक्षक सरहद का![]() Akanksha माँ ने सिखाया गुर स्वावलंबी होने का पिता ने बलवान बनाया 'निडर बनो ' यह पाठ सिखाया… |
सुषुप्त मन में ?HINDI KAVITAYENउफ्फ ये स्वप्न!! हृदय विदारक कैसे जन्मा सुषुप्त मन में ? रेंगती संवेदनाएं कंपकपाएँ जड़ जमाएं भयभीत मन में… |
'...सूचना...'
|
शोभना ब्लॉग रत्न प्रविष्टि संख्या - 8सादर ब्लॉगस्ते! पर संगीता तोमर |
कलेजे में वतन का इश्क भर दे .*या खुदा नादानी इनकी दूर कर दे , शहादत-ए-बारीकी से दो -चार कर दे . शहीद कहते हैं किसको नहीं इनको खबर है , वही जो मुल्क की खातिर ये जां कुर्बान कर दे.. |
लालित्यम् आत्म-हंता. - अंतरिक्ष की असीम परिधि में एक अति लघु धूमिल छाया डोल रही है . पारदर्शी-सा धुआँ, कोई रंग न रूप गड्डमगड्ड भटकता हुआ. हाँ,बीच-बीच में मनोदशा के अनुरूप कुछ ... | ज्ञानसिंधु ![]() रोजी - रोजी महेश दर्पण तडाक---तडाक---तडाक--- उसने पूरी ताकत से सोबती के गाल पर तीन चार तमाचे जड़ दिये… |
परिकल्पना ![]() एक मुलाकात - शिवानी हिन्दी की एक प्रसिद्ध उपन्यासकार थीं । इनका वास्तविक नाम गौरा पन्त था किन्तु ये शिवानी नाम से लेखन करती थीं । इनका जन्म १७ अक्टूबर १९२३ को… | " जीवन की आपाधापी " " जीवन की आपाधापी " लेखन को हुए तीन साल .....>>> संजय कुमार - वैसे तो जीवन के ३० से ज्यादा साल *" जीवन की आपाधापी "* में ही कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला और अब देखते ही देखते आज मेरे ब्लॉग लेखन को भी तीन वर्ष पूर्ण हो... |
'HE' the love&life ![]() दिल का हाल बयाँ आँखो से कर देते हो - दिल का हाल बयाँ आँखो से कर देते हो. बिन बोले कह देते हो कि तुम कैसे हो; तुम अब तक घर की दीवारें देख रहे हो; मुझ से मिलो ये तो पूंछो 'तुम कैसे हो'. चेहरा... | रूप-अरूप ![]() मुझे शब्द दो.... - मेरे लिए यह बात कोई मायने नहीं रखती कि मुझसे क्या बातें करते हो तुम मेरे लिए यह बेहद जरूरी है कि मुझसे बात करो मुझे शब्द दो...आवाज दो यह अहसास हो कि... |
काव्यान्जलि ... ![]() गरीबी रेखा की खोज, -गरीबी रेखा की खोज, जैसे भगवान् होता है,पर दिखाई नही देता ,उसी प्रकार गरीबी रेखा होती है पर दिखाई नही देती | कलयुगी जीव ने भगवान् को नहीं देखा |उसी प्रकार... | लो क सं घ र्ष ! ![]() हड़ताल:कान काट दिया -पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने एक पंचायत कर्मचारी का कान काट दिया । खबरों के मुताबिक यह कर्मचारी ट्रेड ... |
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र फिर भी ना जाने क्यूँ रह जाता है कुछ अनकहा -सुनो तुमसे सब कुछ कह देने के बाद भी रह जाता है कुछ अनकहा यूं तो हमारा रिश्ता पहुँच चुका है भेद कर ज़िन्दगी के हर मुकाम ... | बिखरे मोती सच ठिठकी निगाहों का - सफर के दौरान खिड़की से सिर टिकाये ठिठकी सी निगाहें लगता है कि देख रही हैं फुटपाथ और झाड़ियाँ पर निगाहें होती हैं स्थिर चलता रहता है संवा... |
परीक्षा मेरी या बच्चों की!KAVITA RAWAT![]() संस्कृत में परीक्षा शब्द की व्युत्पत्ति है- 'परितः सर्वतः, ईक्षणं-दर्शनम् एव परीक्षा।' अर्थात् सभी प्रकार से किसी वस्तु या व्यक्ति के मूल्यांकन अथवा अवलोकन को परीक्षा कहा जाता है। पढ़ने, देखने और सुनने में सिर्फ एक साधारण सा शब्द है-परीक्षा। लेकिन जो कोई भी परीक्षा के दौर से गुजरता है, उसे इन तीन अक्षरों में ही या तो तीनों लोक या फिर इसके परे एक अलग ही लोक नजर आने लगता है। बच्चे हो या सयाने जिन्दगी में परीक्षा के दौर से कभी न कभी सबको ही गुजरना पड़ता है… |
कस्तूरबा गांधी की पुण्यतिथि पर - साहसी और निर्भिक महिलाविचार![]() |
भागूवासा की ओर, To Bhaguwasa , roopkund trek . uttranchalyatra (यात्रा ) मुसाफिर हूं यारो .............![]() |
Dwarka- Lord Sri Krishna's wife Rukmini Devi temple श्रीकृष्ण की धर्मपत्नी रुकमणी देवी का मन्दिरजाट देवता का सफर![]() |
"स्वरावलि"![]() ‘‘अ‘’ ‘‘अ‘’ से अल्पज्ञ सब, ओम् सर्वज्ञ है। ओम् का जाप, सबसे बड़ा यज्ञ है।। ‘‘आ’’ ‘‘आ’’ से आदि न जिसका, कोई अन्त है। सारी दुनिया का आराध्य, वह सन्त है।। ‘‘इ’’ ‘‘इ’’ से इमली खटाई भरी, खान है। खट्टा होना खतरनाक, पहचान है।। ‘‘ई’’ ‘‘ई’’ से ईश्वर का जिसको, सदा ध्यान है। सबसे अच्छा वही, नेक इन्सान है।। ‘‘उ’’ उल्लू बन कर निशाचर, कहाना नही। अपना उपनाम भी यह धराना नही।। ‘‘ऊ’’ ऊँट का ऊँट बन, पग बढ़ाना नही। ऊँट को पर्वतों पर, चढ़ाना नही।। ‘‘ऋ’’ ‘‘ऋ’’ से हैं वह ऋषि, जो सुधारे जगत। अन्यथा जान लो, उसको ढोंगी भगत।। ‘‘ए’’ ‘‘ए’’ से है एकता में, भला देश का। एकता मन्त्र है, शान्त परिवेश का।। ‘‘ऐ’’ ‘‘ऐ’’ से तुम ऐठना मत, किसी से कभी। हिन्द के वासियों, मिल के रहना सभी।। ‘‘ओ’’ ‘‘ओ’’ से बुझती नही, प्यास है ओस से। सारे धन शून्य है, एक सन्तोष से।। ‘‘औ’’ ‘‘औ’’ से औरों को पथ, उन्नति का दिखा। हो सके तो मनुजता, जगत को सिखा।। ‘‘अं’’ ‘‘अं’’ से अन्याय सहना, महा पाप है। राम का नाम जपना, बड़ा जाप है।। ‘‘अः’’ ‘‘अः’’ के आगे का स्वर,अब बचा ही नही। इसलिए, आगे कुछ भी रचा ही नही।। अन्त में देखिए.. Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ![]() कार्टून:- पत्रकारिता में थाली के बैंगन होने का शगल - -- आगे देखिए..रविकर का कोना.. (1) हम कितने भूंखे हैहम कितने भूंखे है हमारी भूंख को कौन सा सोपान चाहिए इस भूंख को क्या नाम चाहिए सुख सत्ता सम्रधता या फिर कुछ और सड़कों पर मीलों तक बिखरे पड़े मानव शरीर के चीथड़े, |
बहुरंगी लिंक्स से सजा चर्चा मंच |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
ReplyDeleteआशा
अच्छे लिनक्स लिए चर्चा ...चैतन्य को शामिल करने का आभार
ReplyDeleteपठनीय सूत्रों से सुसज्जित सार्थक, सुन्दर एवं संग्रहणीय चर्चामंच शास्त्री जी ! मेरी रचना को इसमें सम्मिलित किया आभारी हूँ !
ReplyDeleteआभार गुरु जी-
ReplyDeleteबहुत शानदार श्रम साध्य विस्तृत चर्चा बेहतरीन लिंक्स से सजी हुई हार्दिक बधाई आपको मेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा..
ReplyDeleteआभार हमे भी शामिल करने के लिए।
ReplyDeleteअच्छॆ लिंक्स, अच्छी चर्चा।
bahut acche links.........
ReplyDeleteरोचक पठनीय लिंक !!
ReplyDeleteबहुरंगी सूत्र - पढ़े जा रही हूँ .मुझे सम्मिलित करने हेतु आभार!
ReplyDeleteअच्छे लिंक्स से सजा चर्चा मंच,शामिल करने के लिए आभार।
ReplyDeleteमेरी अनुपस्थिति में आपने बहुत सुन्दर चर्चा लगाई है …………बेहद विस्तृत और शानदार चर्चा के लिये हार्दिक आभार शास्त्री जी ।
ReplyDeleteशानदार चर्चा ,,,,मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार। शास्त्री जी,,,,
ReplyDeleteमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार।
ReplyDeleteबहुत सारे लिंक्स है...शायद सब अच्छे क्योंकि चाहकर भी मैं सारा नहीं पढ़ पाती। मेरी रचना शामिल करने का शुक्रिया।
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स संयोजन ...आभार
ReplyDeleteसुन्दर लिंक्स
ReplyDeleteShastri ji , Badhai ho is sundar charch ke liye
ReplyDeleteबढिया चर्चा,
ReplyDeleteअच्छे लिंक्स
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति में मुझे शामिल करने हेतु आभार!
ReplyDeleteNice links.
ReplyDeleteआदरणीय सर प्रणाम बहुत ही सुन्दरता से रूप निखारा है आपने चर्चा मंच का. हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteगुरु जी को प्रणाम एवं हार्दिक बधाई इतने अच्छे links चर्चा मंच पर रूबरू कराने के लिए थोड़ी व्यस्तता के कारण बहुत देर से आ पाई ,शुक्रिया गुरु जी
ReplyDeleteधन्यवाद मयंक साब..
ReplyDeleteआभारी हूँ..
achchha link-meri rachna sammlit karne ke liye dhanywaab
ReplyDelete