दोस्तों ग़ाफ़िल का आदाब क़ुबूल फ़रमाएं!
पेशेख़िदमत है सोमवारीय चर्चा के लिए कुछ लिंक-
पेशेख़िदमत है सोमवारीय चर्चा के लिए कुछ लिंक-
- अकलमंद ऐसे दुनिया में तबाही करते -शालिनी कौशिक
- छन्द क्या होता है? -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
- तेरे बगैर -‘निरन्तर’
- एक अजनबी से एक मुलाकात -पल्लवी सक्सेना
- माहिरों के अनुसार -राम राम भाई वीरू भाई!
- दिल को सही और गलत से कोई वास्ता नहीं -राजीव कुलश्रेष्ठ
- 'सुरों से जगाता हूं अलख' उसने कहा था -माधवी शर्मा गुलेरी
- क्षणिकाएँ -अमृता तन्मय
- पर्यावरण (कुण्डलिया) -अरुण कुमार निगम
- स्त्री तुम और वह -रश्मि प्रभा
- ग़ज़ल : जिद में -अरुन शर्मा ‘अनन्त’
- दस्तूर पुरातन -पुरुषोत्तम पाण्डेय
- निबटने (शौच जाने) का खर्च खाता -रतन सिंह शेखावत
- दो मन के -उदयवीर सिंह
- दमन बोले तो गुजरातियों का दारु अड्डा! -महेन्द्र श्रीवास्तव
- दोस्ती का फलसफा -आमिर अली दुबई
- अज़ीज़ जौनपुरी ; भारत की सरकार हो
सब देशों में श्रेष्ठ है,समझो इसका मर्म।
किन्तु यहाँपर सिरफिरे, करते हैं दुष्कर्म।।
- समझौता या स्वीकार
आँख मूँदकर कर रही, समझौते स्वीकार।
अपनी इस सरकार को, बार-बार धिक्कार।।
- इबादत गैरों की अपनों से फरक करते हैं।
ऐसा लगता है लोग अपनों से यहाँ डरते हैं।।
- सारा खेल मेहनत कश अवाम के लूट का है
जनता के सुख-चैन को, लूट रही सरकार।
छिपे हुए है सरकार में, कुछ पापी-मक्कार।।
- सभी ब्लोगर इस पोस्ट को जरुर पढ़ें !!
शंखनाद पर देखिए, हिन्दी का नुकसान।
गूगल करता है हमें, पग-पग पर हलकान।।
सब देशों में श्रेष्ठ है,समझो इसका मर्म।
किन्तु यहाँपर सिरफिरे, करते हैं दुष्कर्म।।
आँख मूँदकर कर रही, समझौते स्वीकार।
अपनी इस सरकार को, बार-बार धिक्कार।।
ऐसा लगता है लोग अपनों से यहाँ डरते हैं।।
जनता के सुख-चैन को, लूट रही सरकार।
छिपे हुए है सरकार में, कुछ पापी-मक्कार।।
शंखनाद पर देखिए, हिन्दी का नुकसान।
गूगल करता है हमें, पग-पग पर हलकान।।
- क्या कोई इसका तोड़ बतायेगा? -काज़ल कुमार
बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिनक्स लिए हैं.......
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति । सार्थक ।
जवाब देंहटाएंआभार गाफ़ि जी
बहुत सीधी-सादी मगर सारगर्भित चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार ग़ाफ़िल सर!
बढिया चर्चा भाई चंद्रभूषण जी, मुझे स्थान देने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसतरंगी पठनीय लिंकों से सजी सुन्दर चर्चा में मेरे लिंक को शामिल करने के लिए आभार !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति आदरणीय-
जवाब देंहटाएंकल रांची प्रवास पर था -
शुभकामनायें-
बहुत ही प्रभावी प्रस्तुति,आभार.
जवाब देंहटाएंअहा! सुन्दर चर्चा हो रही है..
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बढ़िया चर्चा हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ... आभार
जवाब देंहटाएंbadhiya links .aabhar gafil ji .
जवाब देंहटाएंThank You So much Gafil ji ,
जवाब देंहटाएंMohabbat Nama ki post ''Dosti ka falsafa'' aapne charcha me shamil ki. vaise bhi ye pahli aisi post ban gyi hai ,jiske bare me mujhe sabse jyada emails mil rhe hain.isse pahle kbhi kisi post ka itna respons nhi mila.Thanks for charchamanch.
जवाब देंहटाएंतमाम अशआर बला की खूब सूरती मुख्तलिफ अंदाज़ लिए हैं .खूबसूरत हैं अंदाज़ आपके .अंदाज़े बयाँ आपका .हर शैर एक अलग रवानी लिए हुए है .
अकलमंद ऐसे दुनिया में तबाही करते -शालिनी कौशिक
जवाब देंहटाएंहुआ जो सावन में अँधा दिखे है सब हरा उसको ,
ऐसे रोगी जहाँ में क्यूं यूँ खुले फिरते हैं .
तमाम अशआर बला की खूब सूरती मुख्तलिफ अंदाज़ लिए हैं .खूबसूरत हैं अंदाज़ आपके .अंदाज़े बयाँ आपका .हर शैर एक अलग रवानी लिए हुए है .
अकलमंद ऐसे दुनिया में तबाही करते -शालिनी कौशिक
बहुत जानकारी परक प्रस्तुति व्यंग्य विनोद लिए .सार लिए छंद के स्वरूप का .आभार .
जवाब देंहटाएंछन्द क्या होता है? -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
.बहुत सुन्दर प्रस्तुति सुन्दर लिनक्स संजोये हैं आपने . .मेरी पोस्ट को ये सम्मान देने के लिए आभार अकलमंद ऐसे दुनिया में तबाही करते हैं . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसोये हुए को जगा सकते हैं आप जो जागा हुआ है ,खाया ,अघाया हुआ है उसे कैसे जगाइयेगा .इस तंत्र में मक्कारों की पौ बारह है .
क्या कोई इसका तोड़ बतायेगा? -काज़ल कुमार
ज़वाब नहीं सेतुओं का संक्षिप्त लेकिन सुन्दर चर्चा सार्थक सेतु संयोजन .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा ..
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स प्रस्तुत की है। आभार
जवाब देंहटाएंनया लेख :- पुण्यतिथि : पं . अमृतलाल नागर
सुंदर पठनीय लिंक्स. सादगी भी तो क़मायत की अदा होती है. मेरे लिंक को सम्मिलित करने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंपठनीय लिनक्स मिल गये .......आभार आपका !
जवाब देंहटाएं*लिंक्स*
हटाएंसुन्दर लिंक्स ...........
जवाब देंहटाएंसारगर्भित सादगी पूर्ण पठनीय चर्चा ,,,,
जवाब देंहटाएंRecent Post: कुछ तरस खाइये
सार्थक प्रस्तुति ।
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